परमेश्वर की वाणी को सुनना और प्रभु का स्वागत करना

06 अगस्त, 2020

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "बहुत से लोगों को शायद इसकी परवाह न हो कि मैं क्या कहता हूँ, किंतु मैं ऐसे हर तथाकथित संत को, जो यीशु का अनुसरण करते हैं, बताना चाहता हूँ कि जब तुम लोग यीशु को एक श्वेत बादल पर स्वर्ग से उतरते अपनी आँखों से देखोगे, तो यह धार्मिकता के सूर्य का सार्वजनिक प्रकटन होगा। शायद वह तुम्हारे लिए एक बड़ी उत्तेजना का समय होगा, मगर तुम्हें पता होना चाहिए कि जिस समय तुम यीशु को स्वर्ग से उतरते देखोगे, यही वह समय भी होगा जब तुम दंडित किए जाने के लिए नीचे नरक में जाओगे। वह परमेश्वर की प्रबंधन योजना की समाप्ति का समय होगा, और वह समय होगा, जब परमेश्वर सज्जन को पुरस्कार और दुष्ट को दंड देगा। क्योंकि परमेश्वर का न्याय मनुष्य के देखने से पहले ही समाप्त हो चुका होगा, जब सिर्फ़ सत्य की अभिव्यक्ति होगी। वे जो सत्य को स्वीकार करते हैं और संकेतों की खोज नहीं करते और इस प्रकार शुद्ध कर दिए गए हैं, वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने लौट चुके होंगे और सृष्टिकर्ता के आलिंगन में प्रवेश कर चुके होंगे। सिर्फ़ वे जो इस विश्वास में बने रहते हैं कि 'ऐसा यीशु जो श्वेत बादल पर सवारी नहीं करता, एक झूठा मसीह है' अनंत दंड के अधीन कर दिए जाएँगे, क्योंकि वे सिर्फ़ उस यीशु में विश्वास करते हैं जो संकेत प्रदर्शित करता है, पर उस यीशु को स्वीकार नहीं करते, जो कड़े न्याय की घोषणा करता है और जीवन का सच्चा मार्ग बताता है। इसलिए केवल यही हो सकता है कि जब यीशु खुलेआम श्वेत बादल पर वापस लौटे, तो वह उनके साथ निपटे" (वचन देह में प्रकट होता है)। परमेश्वर के वचनों से प्रकट होता है कि प्रभु के स्वागत में विश्वासी जो सबसे बड़ी ग़लती करते हैं, वह बाइबल के शाब्दिक अर्थ से चिपके रहने और उसके बादल पर वापस आने का इंतज़ार करने की है। यह सुनने के बाद भी कि वह वापस आ गया है और अंत के दिनों में न्याय का कार्य कर रहा है, वे परमेश्वर की वाणी को सुनने की न तो कोशिश करते हैं, न उसे खोजते हैं। कोई भी यह कल्पना नहीं करता कि जब लोग प्रभु यीशु को बादल पर नीचे आते हुए देखेंगे, तब तक इंसान को बचाने का परमेश्वर का कार्य पूरा हो चुका होगा। तब वे रोते और अपने दांत पीसते रह जाएंगे। सत्य को खोजे बिना धारणाओं से चिपके रहना बहुत खतरनाक होता है! अपनी ही धारणाओं में फंसी रह कर मैंने प्रभु के स्वागत का मौक़ा करीब-करीब गँवा ही दिया था।

मैं एक गृह कलीसिया में प्रचारक हुआ करती थी। 1996 तक, मैं आध्यात्मिक दृष्टि से इतनी खाली हो गयी थी कि दूसरे धर्मोपदेशों को सुनने लगी थी। फिर मैंने सुना कि चमकती पूर्वी बिजली ने गवाही दी है कि प्रभु देहधारी होकर वापस आ गया है, वह अंत के दिनों का न्याय-कार्य कर रहा है, कुछ भाई-बहन चमकती पूर्वी बिजली में शामिल हो चुके हैं। मैं भौंचक्की रह गयी, मैंने सोचा, "प्रभु वापस आ गया है? ये कैसे हो सकता है? बाइबल में कहा गया है, 'हे गलीली पुरुषो, तुम क्यों खड़े आकाश की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा' (प्रेरितों 1:11)। प्रभु को अपने पुनर्जीवित आत्मिक शरीर के रूप में बादल पर वापस आना चाहिए। हमने कभी भी ऐसा कुछ नहीं देखा, फिर कोई भी व्यक्ति ऐसा कैसे कह सकता है कि वह वापस आ गया है? परमेश्वर के देहधारी होकर न्याय का कार्य करने वाली बात कम विश्वसनीय है।" इसलिए मैंने चमकती पूर्वी बिजली के धर्मोपदेशों को कभी नहीं सुना।

एक दिन, भाई वांग कुछ दूसरे प्रचारकों को हमारी कलीसिया में ले आया। उसने कहा कि उनके धर्मोपदेशों में पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता है और हम सब भी कुछ सीख सकेंगे। मैंने रोमांचित होकर दूसरे भाई-बहनों को आमंत्रित कर लिया। सभा में, दो बहनों ने व्यवस्था और अनुग्रह के युगों में परमेश्वर के कार्य के मायने वाली अपनी संगति में बाइबल को मिला दिया। उन्होंने यह चर्चा की कि हम किस प्रकार से पाप करके स्वीकार करने के दुष्चक्र में जीते हैं, हम प्रभु के दर्शन के लिए कितने अपवित्र और अयोग्य हैं, और कैसे बाइबल में कहा गया है कि प्रभु हमारी पापी प्रकृति को ठीक करने के लिए अंत के दिनों में वापस आने पर हमारा न्याय कर हमें शुद्ध करेगा| इसी तरह से, हम पाप से मुक्त होकर स्वर्ग के राज्य के योग्य बनेंगे। प्रभु यीशु ने कहा, "मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)। और यह भी कहा: "क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (यूहन्ना 12:47-48)। अपनी दस वर्षों की आस्था में, मैंने इस प्रकार की संगति पहले कभी नहीं सुनी थी। मुझे और भी सुनने की ज़रूरत थी, इसलिए उनकी संगति को और ज़्यादा सुनने के लिए मैंने इन बहनों को अपने घर आने का निमंत्रण दिया। एक बहन परमेश्वर के वचनों के बारे में बोली, "सात गर्जनाएँ गूँजती हैं—भविष्यवाणी करती हैं कि राज्य के सुसमाचार पूरे ब्रह्मांड में फैल जाएँगे।" उसने कहा कि प्रभु यीशु, अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में वापस आ चुका है। जब मैंने परमेश्वर के वचनों में यह ज़िक्र सुना "बिजली पूरब से चमकते हुए दूर पश्चिम तक जाती है," तो मैं समझ गयी कि यह चमकती पूर्वी बिजली है। मैं चौंकने के साथ-साथ निराश भी हो गयी। ऐसा कैसे हो सकता है? मैंने बरसों से ऐसे प्रबुद्ध करने वाले धर्मोपदेश नहीं सुने थे। मैं यह सोच कर बहुत आनंदित हो गयी थी कि मैंने पवित्र आत्मा का कार्य और जीवन-जल का पोषण पा लिया है। लेकिन, यह चमकती पूर्वी बिजली थी! बाइबल में लिखा हुआ है कि प्रभु अपने आत्मिक रूप में वापस आयेगा और हमें सीधे स्वर्ग ले जाएगा। वे ऐसा कैसे कह सकती हैं कि प्रभु देहधारी होकर वापस आ चुका है? यह बात मुझे निरर्थक लगी। मैं अब एक भी शब्द नहीं सुनना चाहती थी। मुझे लगा कि अगर मैं उन्हें मुझे भटकाने दूंगी, तो वर्षों की मेरी आस्था बेकार चली जाएगी। मैं उन्हें बस बाहर भेज देना चाहती थी। फिर, दो हफ्ते उनके साथ रह कर मैंने देखा था कि वे नेक इंसानियत वाला जीवन जी रही हैं। यह शीत ऋतु का सर्द महीना था, कड़ाके की सर्दी थी, आधी रात गुज़र चुकी थी। मुझे लगा इस वक्त उन्हें बाहर निकाल देना बहुत अमानवीय होगा। थोड़े समय तक मैं पशोपेश में रही। मुझे पता नहीं था कि परमेश्वर की इच्छा क्या है, मैं जूझती रही। मैंने अपने कमरे में जाने का बहाना बनाया, और प्रभु से प्रार्थना की: "हे प्रभु, इन बहनों की संगति में वाकई प्रकाश है, लेकिन मुझे गुमराह होने का डर है। मैं खो-सी गयी हूँ, नहीं जानती कि कैसे जवाब दूं। हे प्रभु, मुझे रास्ता दिखाओ।" फिर मुझे याद आया कि प्रभु यीशु ने हमें लोगों से प्रेम से पेश आना सिखाया है। उन्हें खदेड़ देना बिल्कुल भी इसके अनुरूप नहीं होगा। परमेश्वर की इच्छा थी कि मैं उन्हें रहने दूं।

इन दो बहनों के सामने मैं बहुत अभिभूत महसूस कर रही थी। खुद को शांत नहीं कर पा रही थी। मैं जानती थी कि उनकी संगति प्रबुद्ध करने वाली है, और पवित्र आत्मा से आयी है, लेकिन उनकी यह संगति कि परमेश्वर देहधारी होकर वापस आ चुका है मेरी अपनी धारणाओं के विपरीत थी। इसलिए मैंने सोचा कि मैं उनसे अपना यह सवाल पूछ सकती हूँ। फिर, मैंने उनसे पूछा: "तुम गवाही देती हो कि प्रभु यीशु देहधारी होकर वापस आ गया है। लेकिन मैं तुम्हारी बात पर यकीन नहीं कर सकती। बाइबल में लिखा हुआ है, 'हे गलीली पुरुषो, तुम क्यों खड़े आकाश की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा' (प्रेरितों 1:11)। वह प्रभु का आत्मिक शरीर था जिसे उठाया गया था, इसलिए बादल पर वापस आने वाला, उसका आत्मिक शरीर ही होगा। तो फिर तुम कैसे कह सकती हो कि वह देहधारी होकर वापस आया है?"

बहन ली ने मेरे सवाल का जवाब दिया। "बाइबल की बहुत-सी भविष्यवाणियों में प्रभु के देहधारी होकर वापस आने की बात कही गयी है। प्रभु यीशु ने कहा : 'क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्‍चिम तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा' (मत्ती 24:27)। 'तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा' (लूका 12:40)। 'क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ' (लूका 17: 24-25)। परमेश्वर के वचनों में 'मनुष्य का पुत्र' और 'मनुष्य के पुत्र का आना' का ज़िक्र है। मनुष्य का पुत्र’ का अर्थ उससे है जो मनुष्य से पैदा हुआ और जिसमें सामान्य इंसानियत है। अपने आत्मिक रूप में उसे 'मनुष्य का पुत्र' नहीं कहा जाएगा। यहोवा परमेश्वर आत्मा है; उसे 'मनुष्य का पुत्र' नहीं कहा जा सकता। देवदूत आत्मा हैं, उन्हें 'मनुष्य का पुत्र' नहीं कहा जाता। प्रभु यीशु को मसीह, मनुष्य का पुत्र कहा गया, क्योंकि वह परमेश्वर के आत्मा का देहधारी रूप है और उसमें सामान्य इंसानियत है। "इसलिए जब प्रभु यीशु ने कहा, 'मनुष्य के पुत्र का आना' और 'मनुष्य का पुत्र आयेगा,' तब इसका मतलब यह था कि प्रभु अंत के दिनों में देहधारी होकर वापस आयेगा।"

बहन झाऊ ने कहा, "प्रभु यीशु ने अपनी वापसी की भविष्यवाणी की थी: 'परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ।' परमेश्वर अंत के दिनों में मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारी होकर कार्य करता है। लोग उसे मसीह के रूप में नहीं पहचानते, और उससे सामान्य व्यक्ति की तरह पेश आते हैं। जो लोग सत्य से प्रेम नहीं करते या परमेश्वर की वाणी को सुनने का प्रयास नहीं करते, वे सच में मसीह का विरोध कर उसे नकारते हैं। धार्मिक जगत और शैतान का राज्य भी मसीह की निंदा कर उसे ठुकराता है। और इससे यह भविष्यवाणी पूरी होती है: 'परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ।' अगर प्रभु अंत के दिनों में अपने आत्मिक रूप में भव्यता के साथ एक बादल पर सवार होकर आ जाए, तो हरेक इंसान बेशक उसके चरणों में गिर पड़ेगा। क्या यह भविष्यवाणी पूरी हो सकती है?"

तब मुझे समझ आने लगा कि अगर प्रभु अंत के दिनों में अपने आत्मिक रूप में प्रकट हो जाए, तो कोई भी उसके खिलाफ़ नहीं होगा, बल्कि सब उसका अनुसरण करेंगे। फिर यह भविष्यवाणी, "परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ," पूरी नहीं हो सकेगी। मैंने इस बारे में सोचा कि चमकती पूर्वी बिजली किस तरह से गवाही दे रही है कि प्रभु यीशु वापस लौट आया है और धार्मिक जगत और सीसीपी उसकी निंदा कर रहे हैं। क्या इससे प्रभु के ठुकराये जाने की भविष्यवाणी पूरी नहीं हो जाती? तो क्या, सर्वशक्तिमान परमेश्वर वापस आया हुआ प्रभु यीशु हो सकता है? मैं अभी भी पूरी तरह समझ नहीं सकी थी। बाइबल में सचमुच मनुष्य के पुत्र के आने की भविष्यवाणी की गयी है, लेकिन प्रभु ने यह भी कहा: "देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे" (प्रकाशितवाक्य 1:7)। मैं पशोपेश में थी। इसलिए मैंने उनसे अपनी उलझन के बारे में चर्चा की।

तब बहन ली ने मुझे बताया: "प्रभु निष्ठावान है। इस कारण से उसका एक-एक वचन पूरा होगा। सिर्फ समय की बात है। उसकी वापसी के बारे में बहुत-सी भविष्यवाणियाँ हैं। उसके बादल पर आने के अलावा, कुछ भविष्यवाणियाँ उसके देहधारी होकर चोरी-छिपे आने की भी हैं। उदहारण के लिए, प्रभु ने कहा, 'देख, मैं चोर के समान आता हूँ' (प्रकाशितवाक्य 16:15)। 'आधी रात को धूम मची : "देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो" (मत्ती 25:6)। 'उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र, परन्तु केवल पिता' (मत्ती 24:6)। और जब प्रभु ने कहा, 'चोर के समान,' 'आधी रात को धूम मची,' और 'कोई नहीं जानता,' यह उसके चोरी-छिपे वापस आने के बारे में है। अंत के दिनों में, प्रभु दो बिल्कुल अलग-अलग तरीकों से वापस आता है। वह मनुष्य के पुत्र के रूप में चोरे-छिपे देहधारण करता है और वह खुले में बादल पर भी हमारे पास आता है। इसका अर्थ यह है कि वह पहले हमारे पास चोरी-छिपे देहधारी बन कर आता है, ताकि सत्य के साथ वह हमारा न्याय कर सके और विपत्तियाँ आने से पहले विजेताओं का एक समूह बना सके। उसके गुप्त रूप से इंसान को बचाने का काम पूरा कर लेने के बाद विपत्तियाँ टूटेंगी, तब वह नेक लोगों को पुरस्कृत करेगा और बुरे लोगों को दंड देगा। इसके बाद ही, परमेश्वर सभी राष्ट्रों और लोगों के सामने स्वयं को प्रकट करेगा। यही वह समय होगा जब प्रभु के खुल कर आने की भविष्यवाणी सच होगी।" "जितने भी लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर के न्याय के कार्य को स्वीकार करेंगे और जिनकी भ्रष्टता को शुद्ध कर दिया जाएगा, परमेश्वर उन सबकी रक्षा करेगा, वे बचाये जाएंगे और वे परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करेंगे।" "लेकिन जो लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को ठुकरायेंगे, जो उसका विरोध और निंदा करेंगे, वे रोते रहेंगे, अपने दांत पीसते रहेंगे और दंडित होंगे। तब यह भविष्यवाणी पूरी होगी: "देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे" (प्रकाशितवाक्य 1:7)। फिर उसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के ये वचन पढ़े: "बहुत से लोगों को शायद इसकी परवाह न हो कि मैं क्या कहता हूँ, किंतु मैं ऐसे हर तथाकथित संत को, जो यीशु का अनुसरण करते हैं, बताना चाहता हूँ कि जब तुम लोग यीशु को एक श्वेत बादल पर स्वर्ग से उतरते अपनी आँखों से देखोगे, तो यह धार्मिकता के सूर्य का सार्वजनिक प्रकटन होगा। शायद वह तुम्हारे लिए एक बड़ी उत्तेजना का समय होगा, मगर तुम्हें पता होना चाहिए कि जिस समय तुम यीशु को स्वर्ग से उतरते देखोगे, यही वह समय भी होगा जब तुम दंडित किए जाने के लिए नीचे नरक में जाओगे। वह परमेश्वर की प्रबंधन योजना की समाप्ति का समय होगा, और वह समय होगा, जब परमेश्वर सज्जन को पुरस्कार और दुष्ट को दंड देगा। क्योंकि परमेश्वर का न्याय मनुष्य के देखने से पहले ही समाप्त हो चुका होगा, जब सिर्फ़ सत्य की अभिव्यक्ति होगी" (वचन देह में प्रकट होता है)

मेरी आँखें एकाएक खुल गयीं। प्रभु की वापसी विभिन्न चरणों में होती है। पहले वह देहधारी होकर वचन बोलता है और गुप्त रूप से कार्य करता है, फिर वह एक बादल पर वापस आता है, ताकि सब देख सकें। मैं प्रभु के आने को, अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के कारण, आख़िरी चरण में सीमित कर रही थी। यह मेरी ग़लती थी। मैं अब अपनी धारणाओं से चिपके रहने की हिम्मत नहीं कर पायी, मैंने प्रभु के वचनों के बारे में सोचा। "क्योंकि जो कोई माँगता है, उसे मिलता है; और जो ढूँढ़ता है, वह पाता है; और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा" (मत्ती 7:8)। अब प्रभु की वापसी की बात जान चुकी हूँ, अब मेरे दिल में परमेश्वर का भय होना चाहिए, मुझे गंभीरता से खोजना होगा ताकि मैं परमेश्वर की इच्छा का पालन कर सकूं। ऐसा नहीं किया, तो प्रभु मुझे हटा देगा। फिर मैंने उससे पूछा, "अगर प्रभु पहले गुप्त रूप से काम करने के लिए देहधारी होता है, तो हम कैसे सुनिश्चित हो सकते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही अंत के दिनों का मसीह, देहधारी परमेश्वर है?"

फिर बहन ली ने बड़ी खुशी से जवाब दिया, "हज़ारों वर्षों से कोई भी इंसान इस रहस्य को नहीं समझ पाया है कि परमेश्वर के देहधारण का वास्तविक अर्थ क्या है।" "और अब सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने हमारे सामने इस रहस्य से परदा उठा दिया है।" फिर उसने ये अंश पढ़े। "'देहधारण' परमेश्वर का देह में प्रकट होना है; परमेश्वर सृष्टि के मनुष्यों के मध्य देह की छवि में कार्य करता है। इसलिए, परमेश्वर को देहधारी होने के लिए, सबसे पहले देह बनना होता है, सामान्य मानवता वाला देह; यह सबसे मौलिक आवश्यकता है। वास्तव में, परमेश्वर के देहधारण का निहितार्थ यह है कि परमेश्वर देह में रह कर कार्य करता है, परमेश्वर अपने वास्तविक सार में देहधारी बन जाता है, वह मनुष्य बन जाता है।" "देहधारण का अर्थ है कि परमेश्वर का आत्मा देह बन जाता है, अर्थात्, परमेश्वर देह बन जाता है; देह के द्वारा किया जाने वाला कार्य पवित्रात्मा का कार्य है, जो देह में साकार होता है, देह द्वारा अभिव्यक्त होता है। परमेश्वर के देह को छोड़कर अन्य कोई भी देहधारी परमेश्वर की सेवकाई को पूरा नहीं कर सकता; अर्थात्, केवल परमेश्वर का देहधारी देह, यह सामान्य मानवता—अन्य कोई नहीं—दिव्य कार्य को व्यक्त कर सकता है।" "देहधारी परमेश्वर मसीह कहलाता है और मसीह परमेश्वर के आत्मा द्वारा धारण की गई देह है। यह देह किसी भी मनुष्य की देह से भिन्न है। यह भिन्नता इसलिए है क्योंकि मसीह मांस तथा खून से बना हुआ नहीं है; वह आत्मा का देहधारण है। उसके पास सामान्य मानवता तथा पूर्ण दिव्यता दोनों हैं। उसकी दिव्यता किसी भी मनुष्य द्वारा धारण नहीं की जाती। उसकी सामान्य मानवता देह में उसकी समस्त सामान्य गतिविधियां बनाए रखती है, जबकि उसकी दिव्यता स्वयं परमेश्वर के कार्य अभ्यास में लाती है।" "जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर का सार होगा और जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर की अभिव्यक्ति होगी। चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उस कार्य को सामने लाएगा, जो वह करना चाहता है, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह है और वह मनुष्य के लिए सत्य को लाने, उसे जीवन प्रदान करने और उसे मार्ग दिखाने में सक्षम होगा। जिस देह में परमेश्वर का सार नहीं है, वह निश्चित रूप से देहधारी परमेश्वर नहीं है; इसमें कोई संदेह नहीं। अगर मनुष्य यह पता करना चाहता है कि क्या यह देहधारी परमेश्वर है, तो इसकी पुष्टि उसे उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव और उसके द्वारा बोले गए वचनों से करनी चाहिए। इसे ऐसे कहें, व्यक्ति को इस बात का निश्चय कि यह देहधारी परमेश्वर है या नहीं और कि यह सही मार्ग है या नहीं, उसके सार से करना चाहिए। और इसलिए, यह निर्धारित करने की कुंजी कि यह देहधारी परमेश्वर की देह है या नहीं, उसके बाहरी स्वरूप के बजाय उसके सार (उसका कार्य, उसके कथन, उसका स्वभाव और कई अन्य पहलू) में निहित है। यदि मनुष्य केवल उसके बाहरी स्वरूप की ही जाँच करता है, और परिणामस्वरूप उसके सार की अनदेखी करता है, तो इससे उसके अनाड़ी और अज्ञानी होने का पता चलता है" (वचन देह में प्रकट होता है)

बहन ली ने आगे कहा: "मसीह दरअसल देहधारी परमेश्वर है। वह देह के वस्त्र में परमेश्वर का आत्मा है, जो एक सामान्य व्यक्ति बन गया है, इंसान के बीच काम करता, वचन बोलता व्यक्ति। देहधारी परमेश्वर सामान्य व्यक्ति जैसा दिखता है, विशालकाय या अलौकिक नहीं। उसमें एक सामान्य व्यक्ति की सारी समझ और भावनाएं हैं। वह लोगों के साथ मिलता-जुलता भी है। फ़र्क यह है कि सामान्य इंसानियत के अलावा उसमें दिव्य सार भी है। मसीह, परमेश्वर का अपना काम कर सकता है, पुराने युग को समाप्त कर एक नये युग को शुरू कर सकता है। उसका सार है: सत्य, मार्ग और जीवन।" वह किसी भी समय सत्य व्यक्त कर सकता है। वह लोगों का पोषण कर सकता है, हमारी समस्याएँ हल कर सकता है, हमें अभ्यास का एक मार्ग दे सकता है। मसीह रहस्य प्रकट कर सकता है, परमेश्वर का स्वभाव, उसकी बुद्धि और सर्वशक्तिमत्ता दर्शा सकता है, मसीह के वचन सब-कुछ पूरा कर सकते हैं। कोई भी इंसान यह नहीं कर सकता।" "प्रभु यीशु एक साधारण मनुष्य जैसा दिखता था। लेकिन उसमें एक दिव्य सार था। उसके प्रकटन और कार्य ने अनुग्रह का युग शुरू किया और व्यवस्था का युग समाप्त किया। उसने हमें प्रायश्चित का मार्ग दिखाया, हमारे पापों को क्षमा किया, और हमसे सत्तर गुणा सात बार क्षमा करने की बात कही। उसने परमेश्वर का कृपालु स्वभाव दर्शाया। कार्य करते समय उसने बहुत-से संकेत और चमत्कार भी दिखाये, जैसे कि लंगड़ों को चलाया, अंधों को दृष्टि दी, एक वचन से सागर को शांत किया, मुर्दों को जगाया, दो मछलियों और पांच रोटियों से हज़ारों का पेट भरा... इससे परमेश्वर का अधिकार पूरी तरह प्रकाशित हुआ। प्रभु यीशु का कार्य और वचन और उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव इसका अच्छा सबूत है कि वह सचमुच में देहधारी परमेश्वर था।" "केवल परमेश्वर ही सत्य व्यक्त कर सकता है, एक पुराने युग को समाप्त कर नये युग को शुरू कर सकता है, परमेश्वर के स्वभाव और उसकी बुद्धि को व्यक्त कर सकता है। परमेश्वर के अलावा, कोई भी सत्य को व्यक्त नहीं कर सकता, बता नहीं सकता कि परमेश्वर क्या है, या उसका कार्य नहीं कर सकता। हम इसी तरह सुनिश्चित करते हैं कि वह वास्तव में देहधारी परमेश्वर, अंत के दिनों का मसीह है या नहीं। अहम बात मसीह के वचनों और कार्य पर गौर करना है। अगर वह सत्य को और परमेश्वर के स्वभाव को व्यक्त करता है, और परमेश्वर का कार्य करता है, तो वह देहधारी परमेश्वर है। वह मसीह है।

उसकी संगति से मैं समझ पायी कि देहधारी परमेश्वर सत्य को व्यक्त कर सकता है और परमेश्वर का कार्य कर सकता है। यही वास्तविकता है।

बहन झाऊ ने आगे कहा: "हम सिर्फ उसके बाहरी रूप को देख कर नहीं जान सकते कि क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर देहधारी परमेश्वर है। हमें उसके वचनों, कार्य और स्वभाव से सुनिश्चित होना पड़ेगा। अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य की बुनियाद पर न्याय का कार्य करता है, उसने अनुग्रह के युग को समाप्त कर राज्य के युग की शुरुआत की है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने लाखों वचन बोले हैं। उसने परमेश्वर के 6,000-वर्ष की प्रबंधन योजना को, बाइबल के रहस्य को, और परमेश्वर के देहधारण को प्रदर्शित किया है। उसने प्रकाशित किया है कि शैतान कैसे इंसान को भ्रष्ट करता है और परमेश्वर कैसे इंसान को बचाता है, परमेश्वर अंत के दिनों में कैसे लोगों का न्याय करने और उन्हें शुद्ध करने का कार्य करता है, वह लोगों को उनकी किस्म के मुताबिक़ कैसे अलग करता है और किस प्रकार से उनका अंत और मंज़िल तय करता है। परमेश्वर का विरोध करने की हमारी शैतानी प्रकृति और हमारे भ्रष्ट स्वभाव को उजागर कर, हमारे साथ न्याय करके, सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपने स्वभाव को व्यक्त करता है जो कि मुख्य रूप से धार्मिक है। वह बुराई को ख़त्म करने और शुद्ध किये जाने का मार्ग भी दिखाता है।" बहन झाऊ ने अपने साथ हुए न्याय का अनुभव भी साझा किया। उसने कहा, "मेरा न्याय, इम्तहान, काँट-छाँट, ताड़ना और निपटान होने तक मैं नहीं समझ पायी थी कि मैं कितनी भ्रष्ट हूँ। मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखा, फिर भी अपनी भ्रष्ट और शैतानी प्रकृति के कारण मैं उसका प्रतिरोध करती थी, जैसे कि मुझे पसंद था कि मैं दिखावा करूं और लोग मुझे आदर से देखें। मैं अक्सर दूसरों को डांटती, अपनी बात मानने को मजबूर करती। मैं अपने हितों की रक्षा के लिए निरंतर झूठ बोलती, और ऐसी ही तमाम चीज़ें करती। परमेश्वर के वचनों के न्याय द्वारा, उसके धार्मिक स्वभाव के कारण, मेरे दिल में उसका भय पैदा हुआ। अपनी शैतानी प्रकृति को ठीक करने के लिए, मैंने सत्य के अभ्यास पर ध्यान देना भी शुरू किया। मेरे स्वभाव में थोड़ा बदलाव आया। क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन और कार्य के परिणाम यह सुनिश्चित करने के लिए काफी नहीं हैं कि वह देहधारी परमेश्वर है, वह अंत के दिनों का मसीह है? वह देहधारी परमेश्वर है?

उन बहनों की संगति ने मेरे दिल को प्रकाशित कर दिया। वह मनुष्य का पुत्र है या नहीं, देहधारी मसीह है या नहीं, इसकी पुष्टि करने की कुंजी यह देखने में है कि वह परमेश्वर के वचन और उसका स्वभाव व्यक्त कर सकता है या नहीं, वह पुराने युग को समाप्त कर एक नया युग शुरू कर सकता है या नहीं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने इतना सत्य व्यक्त किया है और वह इंसान के साथ न्याय कर उसे शुद्ध करने का कार्य कर रहा है। उसने राज्य का युग शुरू किया है और अनुग्रह के युग को समाप्त किया है। यकीनन वह मसीह है, वापस आया हुआ प्रभु है! मैं सत्य को इस प्रकार कभी नहीं समझ पायी थी। मैं बस आँखें बंद किये प्रभु के बादल पर वापस आने की प्रतीक्षा कर रही थी। यह सुनने के बाद भी कि वह वापस आ चुका है, मैंने खोजने की कोशिश नहीं की। मैं उसके साथ पुनर्मिलन का अपना मौक़ा करीब-करीब गँवा चुकी थी। मैं कितनी बेवकूफ़ थी!

फिर मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को चाव से पढ़ डाला, बहुत-सा सत्य सीखा, जो मैं अपनी आस्था में पहले कभी नहीं समझ पायी थी। मुझे पूरा विश्वास हो गया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही वापस आया हुआ प्रभु यीशु है! मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को अपने संपर्क के 100 से भी ज़्यादा भाई-बहनों के साथ साझा किया। जब उन लोगों ने परमेश्वर के वचन पढ़े और उसकी वाणी सुनी, तो ये उनके दिल को छू गया और वे रोने लगे। वे सब सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर मुड़ गये, उसके कार्य को स्वीकार कर लिया और वे मेमने के भोज में शामिल हुए!

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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