परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का प्रकटन और कार्य | अंश 64

जब स्वर्गदूत मेरी स्तुति में संगीत बजाते हैं, तो मनुष्य पर अपनी अनुकम्पा उँड़ेलने के अलावा मेरे पास अन्य कोई विकल्प नहीं होता है। तत्काल मेरा हृदय उदासी से भर जाता है, और मेरे लिए इस दुःखदायी भाव से छुटकारा पाना असंभव हो जाता है। मनुष्य से पृथक होने और फिर एक होने के आनन्द और दुःखों में, हम मनोभावों का आदान-प्रदान करने में असमर्थ होते है। ऊपर स्वर्ग और नीचे पृथ्वी पर पृथक हुए, मैं और मनुष्य नियमित रूप से मिलने में असमर्थ हैं। पूर्व की भावनाओं के विषाद से कौन मुक्त हो सकता है? कौन अतीत के बारे में स्मरण करने से अपने आप को रोक सकता है? कौन अतीत के मनोभावों की निरंतरता की आशा नहीं करेगा? कौन मेरी वापसी की अभिलाषा नहीं करेगा? कौन मनुष्य के साथ मेरे फिर से एक हो जाने की लालसा नहीं करेगा? मेरा हृदय अत्यंत अशांत है, और मनुष्य की आत्मा गहराई तक चिंतित हैं। यद्यपि आत्माओं में एक समान हैं, फिर भी हम प्रायः एक साथ नहीं हो सकते हैं, और हम प्रायः एक दूसरे को नहीं देख सकते हैं। इस प्रकार समस्त मानवजाति का जीवन व्यथा से भरा है और उसमें प्राणशक्ति की कमी है, क्योंकि मनुष्य हमेशा मेरे लिए तड़पा है। यह ऐसा है मानो कि मानवजाति स्वर्ग से गिराए गए पदार्थ हों; वे ज़मीन पर से मेरी ओर टकटकी लगाकर देखते हुए, पृथ्वी से मेरे नाम की दोहाई देते हों—परन्तु वे खूँखार भेड़िए के जबड़े से कैसे बच कर भाग सकते हैं? वे उसके ख़तरे और प्रलोभन से स्वयं को कैसे मुक्त कर सकते हैं? मानवजाति मेरी योजना की व्यवस्था के प्रति आज्ञाकारिता के रूप में स्वयं को बलिदान कैसे नहीं कर सकते हैं? जब वे जोर से गिड़गिड़ाते हैं, तो मैं उनसे अपना मुँह फेर लेता हूँ, मैं उन्हें देखना अव और सहन नहीं कर सकता हूँ; हालाँकि, मैं उनकी अश्रुपूरित पुकारों को कैसे नहीं सुन सकता हूँ? मैं मानवीय संसार के इन अन्यायों को सही करूँगा। मैं अपने लोगों को फिर से नुकसान पहुँचाने से शैतान को रोकते हुए, शत्रु को पुनः जो चाहे वह करने से रोकते हुए, पूरे संसार में अपने स्वयं के हाथों से अपना कार्य करूँगा। मैं अपने सभी शत्रुओं को ज़मीन पर गिराते हुए और अपने सामने उनसे उनके अपराधों को अंगीकार करवाते हुए, पृथ्वी पर राजा बन जाऊँगा और वहाँ अपना सिंहासन ले जाऊँगा। अपने दुःख में, जिसमें क्रोध मिश्रित है, मैं किसी को नहीं छोड़ते हुए, और अपने शत्रुओं को भयभीत करते हुए समस्त विश्व को कुचल कर समतल कर दूँगा। मैं इस पृथ्वी को खण्डहर में बदल दूँगा, और अपने शत्रुओं को खण्डहर में गिरा दूँगा, ताकि अब से वे मानवजाति को अब और भ्रष्ट नहीं कर सकें। मेरी योजना पहले से ही निर्धारित है, और कोई भी, चाहे वह कोई भी हो, इसे बदलने में समर्थ नहीं होगा। जब मैं ब्रह्माण्ड के ऊपर प्रतापी ठाट-बाट के साथ चलूँगा, तो समस्त मानवजाति नए सिरे से बन जाएगी, और हर चीज़ पुनर्जीवित हो जाएगी। मनुष्य अब और नहीं रोएगा, और सहायता के लिए अब और मेरी दोहाई नहीं देगा। तब मेरा हृदय आनन्दित होगा, और लोग उत्सव मनाते हुए मेरे पास लौटेंगे। पूरा विश्व, ऊपर से नीचे तक, हर्षोल्लास में झूमेगा ...

आज दुनिया के देशों के बीच, मैं उस कार्य को कर रहा हूँ जिसे पूरा करने का मैने बीड़ा उठाया है। मैं अपनी योजना के अंतर्गत समस्त कार्य करते हुए मानवजाति के बीच घूम रहा हूँ, और समस्त मानवजाति मेरी योजना के अनुसार विभिन्न देशों को "खण्डित" कर रही है। पृथ्वी पर लोगों ने अपना ध्यान अपनी स्वयं की नियति पर केन्द्रित करवा लिया है, क्योंकि दिन नज़दीक आ रहा है और स्वर्गदूत अपनी तुरहियाँ बजा रहे हैं। अब और विलंब नहीं होंगे, और उसके बाद समस्त सृष्टि हर्षोल्लास में नृत्य करना आरम्भ कर देंगी। कौन अपनी इच्छा से मेरे दिन को बढ़ा सकता है? क्या कोई पृथ्वीवासी? अथवा क्या आकाश के तारे? या स्वर्गदूत? जब मैं इस्राएल के लोगों के उद्धार आरम्भ करने के लिए कोई कथन कहता हूँ, तो मेरा दिन संपूर्ण मानवजाति में पहुँच जाता है। हर मनुष्य इस्राएल की वापसी का भय खाता है। जब इस्राएल वापस आएगा, तो वह मेरी महिमा का दिन होगा, और यही वह दिन भी होगा जब सब कुछ बदल जाता है और नया हो जाता है। जैसे ही धार्मिक न्याय संपूर्ण जगत में सन्निकटता से पहुँचता है, तो सभी लोग कातर और डरे हुए हो जाते हैं, क्योंकि मानवीय संसार में धार्मिकता अनसुनी है। जब धार्मिकता का सूर्य प्रकट होगा, तो पूर्वदिशा रोशन हो जाएगी, और तब वह, हर एक के पास पहुँचते हुए, पूरे विश्व को रोशन कर देगी। यदि मनुष्य वास्तव में मेरी धार्मिकता को कर सकता, तो डरने जैसा क्या होता? मेरे सभी लोग मेरे दिन के आगमन की प्रतीक्षा करते हैं, वे सभी मेरे दिन के आगमन की चाहना करते हैं। वे संपूर्ण मानवजाति को प्रतिफल देने और धार्मिकता के सूर्य के रूप में मेरी भूमिका में मानवजाति की नियति को व्यवस्थित करने के लिए मेरी प्रतीक्षा करते हैं। मेरा राज्य समस्त ब्रह्माण्ड के ऊपर आकार ले रहा है, और मेरा सिंहासन खरबों लोगों के हृदयों में प्रभुत्व वाला हो रहा है। स्वर्गदूतों की सहायता से, मेरी महान उपलब्धि शीघ्र ही फलित हो जाएगी। मेरे सभी पुत्र और लोग, मेरे साथ उनके फिर से एक होने, और फिर कभी अलग न होने की चाहना करते हुए, साँस रोक कर मेरे आगमन की प्रतीक्षा करते हैं। मेरे राज्य की असंख्य आबादी, मेरे उनके साथ होने की वजह से, हर्षित उत्सव में एक दूसरे की ओर क्यों नहीं भाग सकती है? क्या यह कोई ऐसा पुनर्मिलन हो सकता है जिसके लिए कोई कीमत चुकाने की आवश्यकता नहीं है? मैं सभी मनुष्यों की नज़रों में सम्मानित हूँ, सभी के वचनों में मेरी घोषणा होती है। जब मैं लौटूँगा, तब मैं शत्रु की सभी ताक़तों को और भी अधिक जीतूँगा। समय आ गया है! मैं अपने कार्य को गति दूँगा, मैं मनुष्यों के बीच राजा के रूप में शासन करूँगा! मैं लौटने के बिन्दु पर हूँ! और मैं प्रस्थान करने ही वाला हूँ! यही है वह जिसकी हर कोई आशा कर रहा है, यही है वह जिसकी वे अभिलाषा करते हैं। मैं संपूर्ण मानवजाति को मेरे दिन के आगमन को देखने दूँगा और मेरे दिन के आगमन का स्वागत करने दूँगा।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 27

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