कथासार:
प्रभु यीशु ने कहा, "जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)। हम लोग स्वर्गिक पिता की इच्छा को पूरा करने वाले और परमेश्वर के आज्ञाकारी कैसे बनें, ताकि परमेश्वर हमें स्वर्ग के राज्य में ले जायें?
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने ईसाई सोंग एनज़े को सिर्फ़ इसलिये गिरफ़्तार करके सात साल के लिये जेल में डाल दिया, क्योंकि वह परमेश्वर में आस्था रखता था और सुसमाचार का प्रचार करता था। जेल से रिहा होने के बाद, उसने सुसमाचार के प्रचार के ज़रिये, परमेश्वर के लिये ख़ुद को दृढ़ता से खपाना जारी रखा। उसका मानना है कि वह अपने घर और करियर को त्याग कर, मेहनत और कार्य करके, परमेश्वर की इच्छा को पूरा कर रहा है। ऐसा करके, उसे निश्चित रूप से परमेश्वर की स्वीकृति प्राप्त होगी और उसे परमेश्वर द्वारा स्वर्ग के राज्य में ले जाया जाएगा। एक दिन, सोंग एनज़े गंभीर रूप से बीमार पड़ जाता है। वह अपना जीवन ख़तरे में जानकर, परमेश्वर से नाराज़ हो जाता है, उनसे बहस करने की कोशिश करता है। यहाँ तक कि अपने दायित्वों को पूरा करने में भी उसकी रुचि समाप्त हो जाती है। उसके बाद के घटनाक्रम में, अपनी स्थितियों की सच्चाई जानकर और परमेश्वर के वचनों के प्रकाशन के द्वारा उसे एहसास होता है कि इतने बरसों का उसका त्याग और परमेश्वर के लिये ख़ुद को खपाना मूलत: परमेश्वर के अनुग्रह और आशीषों को पाने के लिये महज़ एक सौदेबाज़ी की कोशिश थी। वह परमेश्वर का आज्ञाकारी नहीं है। आख़िरकार, खोज के ज़रिये, वह जान पाता है कि कैसे उसे अपने भ्रष्ट स्वभावों से मुक्ति पानी है, कैसे परमेश्वर का सच्चा आज्ञाकारी बनना है ताकि उसे परमेश्वर द्वारा उसे बचाया जाये।