01अंत के दिनों में परमेश्वर का नया नाम—सर्वशक्तिमान परमेश्वर

व्यवस्था के युग में परमेश्वर का नाम यहोवा था और अनुग्रह के युग में यह प्रभु यीशु था। प्रकाशितवाक्य में इसकी भविष्यवाणी की गई थी: "जो जय पाए उसे मैं अपने परमेश्‍वर के मन्दिर में एक खंभा बनाऊँगा, और वह फिर कभी बाहर न निकलेगा; और मैं अपने परमेश्‍वर का नाम और अपने परमेश्‍वर के नगर अर्थात् नये यरूशलेम का नाम, जो मेरे परमेश्‍वर के पास से स्वर्ग पर से उतरनेवाला है, और अपना नया नाम उस पर लिखूँगा" (प्रकाशितवाक्य 3:12)। यह हमें बताता है कि अंत के दिनों में परमेश्वर एक नए नाम के साथ आता है। यह बहुत सारे लोगों के लिए उलझन में डालने वाली बात है: परमेश्वर का नाम क्यों बदला गया? अंत के दिनों में परमेश्वर का नया नाम क्या है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"जो जय पाए उसे मैं अपने परमेश्‍वर के मन्दिर में एक खंभा बनाऊँगा, और वह फिर कभी बाहर न निकलेगा; और मैं अपने परमेश्‍वर का नाम और अपने परमेश्‍वर के नगर अर्थात् नये यरूशलेम का नाम, जो मेरे परमेश्‍वर के पास से स्वर्ग पर से उतरनेवाला है, और अपना नया नाम उस पर लिखूँगा" (प्रकाशितवाक्य 3:12)

"प्रभु परमेश्‍वर, जो है और जो था और जो आनेवाला है, जो सर्वशक्‍तिमान है, यह कहता है, 'मैं ही अल्फ़ा और ओमेगा हूँ'" (प्रकाशितवाक्य 1:8)

"फिर मैं ने बड़ी भीड़ का सा और बहुत जल का सा शब्द, और गर्जन का सा बड़ा शब्द सुना: 'हल्‍लिलूय्याह! क्योंकि प्रभु हमारा परमेश्‍वर सर्वशक्‍तिमान राज्य करता है'" (प्रकाशितवाक्य 19:6)

02परमेश्वर के नाम और परमेश्वर के कार्य के बीच क्या संबंध है? प्रत्येक युग में परमेश्वर द्वारा लिये गए नामों का क्या महत्व है?

आरम्भ में परमेश्वर का कोई नाम नहीं था। मानवजाति को बचाने के अपने कार्य की ख़ातिर उसने भिन्न-भिन्न युगों में भिन्न-भिन्न नाम अपनाना शुरू किया। परमेश्वर का नाम उसके कार्य के साथ बदलता है। परमेश्वर पुराने से चिपका नहीं रहता—जब उसका कार्य बदलता है, उसके साथ-साथ उसका नाम भी बदल जाता है। उसका प्रत्येक नाम एक युग का प्रतिनिधित्व करता है, उसके नाम उस युग विशेष में उसके द्वारा व्यक्त उसके कार्य और स्वभाव का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रत्येक नाम का अपना अर्थ भी है। तो प्रत्येक युग के लिए परमेश्वर द्वारा प्रयुक्त प्रत्येक नाम के पीछे का क्या अर्थ है।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"फिर परमेश्‍वर ने मूसा से यह भी कहा, 'तू इस्राएलियों से यह कहना, "तुम्हारे पितरों का परमेश्‍वर, अर्थात् अब्राहम का परमेश्‍वर, इसहाक का परमेश्‍वर, और याक़ूब का परमेश्‍वर, यहोवा, उसी ने मुझ को तुम्हारे पास भेजा है"। देख, सदा तक मेरा नाम यही रहेगा, और पीढ़ी पीढ़ी में मेरा स्मरण इसी से हुआ करेगा'" (निर्गमन 3:15)

"मैं ही यहोवा हूँ और मुझे छोड़ कोई उद्धारकर्ता नहीं" (यशायाह 43:11)

"प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई देकर कहने लगा , 'हे यूसुफ! दाऊद की संतान, तू अपनी पत्नी मरियम को अपने यहाँ ले आने से मत डर, क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा'" (मत्ती 1:20-21)

"किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिसके द्वारा हम उद्धार पा सकें" (प्रेरितों 4:12)

"प्रभु परमेश्‍वर, जो है और जो था और जो आनेवाला है, जो सर्वशक्‍तिमान है, यह कहता है, 'मैं ही अल्फ़ा और ओमेगा हूँ'" (प्रकाशितवाक्य 1:8)

"तब चौबीसों प्राचीन जो परमेश्‍वर के सामने अपने अपने सिंहासन पर बैठे थे, मुँह के बल गिरकर परमेश्‍वर को दण्डवत् करके यह कहने लगे, 'हे सर्वशक्‍तिमान प्रभु परमेश्‍वर, जो है और जो था, हम तेरा धन्यवाद करते हैं कि तू ने अपनी बड़ी सामर्थ्य को काम में लाकर राज्य किया है'" (प्रकाशितवाक्य 11:16-17)

03सर्वशक्तिमान परमेश्वर के नाम को स्वीकार नहीं करने की प्रकृति क्या है? इसके परिणाम क्या होंगे?

जब प्रभु यीशु अनुग्रह के युग में छुटकारे का कार्य करने के लिए आया, तब फरीसी यहोवा के नाम से चिपके रहे, उन्होंने प्रभु यीशु का नाम स्वीकार करने से इनकार कर दिया, और उसका प्रतिरोध किया और निंदा की। प्रभु यीशु को सलीब पर कीलों से जड़वाने के लिए अंततः उन्होंने रोमन सरकार के साथ साँठ-गाँठ कर ली, इस तरह एक जघन्य अपराध किया और उन्हें परमेश्वर का दण्ड और श्राप भुगतना पड़ा। अब अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य की नींव पर सत्य व्यक्त कर रहा है, मानवजाति को सदा के लिए शुद्ध करने और बचाने के लिए न्याय के कार्य का चरण पूरा कर रहा है। जो यह मानते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त वचन सत्य हैं, परमेश्वर की वाणी हैं, और जो परमेश्वर का नया नाम स्वीकार करते हैं और परमेश्वर के नए कार्य के साथ तालमेल बनाकर चलते हैं, उन्हें परमेश्वर द्वारा शुद्ध और पूर्ण किया जाएगा। जो बस प्रभु यीशु के नाम से चिपके रहते हैं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का नया नाम स्वीकार करने से इनकार करते हैं और जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर का प्रतिरोध और निंदा करते हैं, वे निश्चित रूप से अत्यधिक विलाप करते और दांत पीसते हुए अँधकार में डूब जाएँगे।

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संदर्भ के लिए लेख

परमेश्वर के नामों का रहस्य प्रकाशित हो गया

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