01वास्तव में बचाये जाने और पूर्ण उद्धार प्राप्त करने का क्या अर्थ है?

बहुत से लोग मानते हैं कि प्रभु पर विश्वास करने से उनके पाप क्षमा हो जाते हैं, कि एक बार बचाया जाना हमेशा के लिए बचाया जाना है। वे मानते हैं कि जब प्रभु फिर से आएंगे, तो उन सबको तुरंत स्वर्ग के राज्य में आरोहित किया जा सकता है। हालाँकि, मनुष्य के पापों को क्षमा कर दिया गया है, फिर भी वे अब तक अपनी पापी प्रकृति से बंधे हुए हैं, वे स्वयं को मुक्त कर पाने की क्षमता के बगैर, पाप करने और उसे स्वीकारने के चक्र में जीते हैं। मनुष्य की पापी प्रकृति को शुद्ध नहीं किया गया है। बाइबल कहती है, "और उस पवित्रता के खोजी हो जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा" (इब्रानियों 12:14)। तो क्या जिन्हें अभी तक उनकी पापी प्रकृति से मुक्त नहीं किया गया है, वे वो लोग हैं जिन्होंने पूर्ण उद्धार प्राप्त किया है? क्या वे सीधे स्वर्गीय राज्य में आरोहित किये जाने के काबिल हैं? वास्तव में बचाये जाने और पूर्ण उद्धार प्राप्त करने का क्या अर्थ है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"परमेश्‍वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा कि जगत पर दण्ड की आज्ञा दे, परन्तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए" (यूहन्ना 3:17)।

"जो विश्‍वास करे और बपतिस्मा ले उसी का उद्धार होगा, परन्तु जो विश्‍वास न करेगा वह दोषी ठहराया जाएगा" (मरकुस 16:16)।

"क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिये पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है" (मत्ती 26:28)।

"उस पवित्रता के खोजी हो जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा" (इब्रानियों 12:14)।

"जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)।

"ये वे ही हैं कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं; ये तो परमेश्‍वर के निमित्त पहले फल होने के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं। उनके मुँह से कभी झूठ न निकला था, वे निर्दोष हैं" (प्रकाशितवाक्य 14:4-5)।

02केवल अंत के दिनों में परमेश्वर का न्याय-कार्य ही लोगों को उनकी पापी प्रकृति से मुक्त होने, शुद्ध किये जाने और पूर्ण उद्धार प्राप्त करने में सक्षम बना सकता है

कुछ लोग सोचते हैं कि प्रभु में विश्वास में, बदलने का अर्थ है विनम्रता और धैर्य जैसी चीज़ों का प्रभु के वचनों के अनुसार अभ्यास करना, अपना क्रूस ढोना, अपने दुश्मनों को प्यार करना, अपने शरीर को वश में करना, साथ ही सांसारिक चीजों को त्यागना, प्रभु के लिए काम करना और उपदेश देना। वे पूछते हैं, अगर उन्हें परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त कर पाने के काबिल होने के लिए बस इस तरह से अनुसरण ही करना है, तो उन्हें अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को स्वीकार करने की क्या आवश्यकता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है वह पाप का दास है। दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है" (यूहन्ना 8:34-35)।

"मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)।

"यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (यूहन्ना 12:47-48)।

"वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ; और जो लोग उसकी बाट जोहते हैं उनके उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप उठाए हुए दिखाई देगा" (इब्रानियों 9:28)।

03परमेश्वर का वादा और आशीष उन लोगों के लिए है जो शुद्ध किये गये हैं एवं पूर्ण उद्धार प्राप्त करते हैं

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"देख, परमेश्‍वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है। वह उनके साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्‍वर आप उनके साथ रहेगा और उनका परमेश्‍वर होगा। वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा; और इसके बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहीं" (प्रकाशितवाक्य 21:3-4)।

"जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है। जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्‍वर के स्वर्गलोक में है, फल खाने को दूँगा" (प्रकाशितवाक्य 2:7)।

"जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है। जो जय पाए, उस को दूसरी मृत्यु से हानि न पहुँचेगी" (प्रकाशितवाक्य 2:11)।

"धन्य वे हैं, जो अपने वस्त्र धो लेते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन के वृक्ष के पास आने का अधिकार मिलेगा, और वे फाटकों से होकर नगर में प्रवेश करेंगे" (प्रकाशितवाक्य 22:14)।

"ये वे हैं, जो उस महाक्लेश में से निकलकर आए हैं; इन्होंने अपने-अपने वस्त्र मेम्ने के लहू में धोकर श्‍वेत किए हैं। इसी कारण वे परमेश्‍वर के सिंहासन के सामने हैं, और उसके मन्दिर में दिन-रात उसकी सेवा करते हैं, और जो सिंहासन पर बैठा है, वह उनके ऊपर अपना तम्बू तानेगा। वे फिर भूखे और प्यासे न होंगे; और न उन पर धूप, न कोई तपन पड़ेगी। क्योंकि मेम्ना जो सिंहासन के बीच में है उनकी रखवाली करेगा, और उन्हें जीवन रूपी जल के सोतों के पास ले जाया करेगा; और परमेश्‍वर उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा" (प्रकाशितवाक्य 7:14-17)।

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