01परमेश्वर में विश्वास करने के लिए, एक व्यक्ति को यह अवश्य पहचानना चाहिए कि मसीह देह में प्रकट परमेश्वर है, और कि वह स्वयं परमेश्वर है

बाइबल में यह दर्ज है कि पवित्र आत्मा ने गवाही दी थी कि प्रभु यीशु परमेश्वर का प्यारा पुत्र है; प्रभु यीशु ने भी स्वर्ग के परमेश्वर को "पिता" कहा था। इस प्रकार, बहुत से लोग मानते हैं कि प्रभु यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र है, और यह कि स्वर्ग में पिता परमेश्वर भी है। और फिर भी प्रभु यीशु ने कहा था: "जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है। ... मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है" (यूहन्ना 14:9-10)। "मैं और पिता एक हैं" (यूहन्ना 10:30)। इसलिए यह देखा जा सकता है कि केवल एक ही परमेश्वर है। यीशु मसीह देहधारी हुआ यहोवा परमेश्वर था—वह स्वयं परमेश्वर था।

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"फिलिप्पुस ने उससे कहा, 'हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे, यही हमारे लिये बहुत है।' यीशु ने उससे कहा, 'हे फिलिप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ, और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है। तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा? क्या तू विश्‍वास नहीं करता कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है? ये बातें जो मैं तुम से कहता हूँ, अपनी ओर से नहीं कहता, परन्तु पिता मुझ में रहकर अपने काम करता है। मेरा विश्‍वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है; नहीं तो कामों ही के कारण मेरा विश्‍वास करो।'" (यूहन्ना 14:8-11)

"मैं और पिता एक हैं" (यूहन्ना 10:30)।

02परमेश्वर में विश्वास करने के लिए, एक व्यक्ति को यह अवश्य पहचानना चाहिए कि "केवल अंतिम दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है"

प्रभु ईशु ने कहा था: "मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)। अंत के दिनों में, प्रभु यीशु अपना कार्य करने और अपने वचनों को कहने के लिए बहुत समय पहले ही मनुष्य के पुत्र के प्रकटन के रूप में देह में लौट आया था। मनुष्य का यह पुत्र अंत के दिनों का मसीह है, सत्य का आत्मा है, और वह उन सभी सत्यों को व्यक्त करता है जो मनुष्यों का न्याय करते हैं, उन्हें शुद्ध करते और बचाते हैं। ये सत्य वास्तव में शाश्वत जीवन के मार्ग हैं जो परमेश्वर मानवजाति को प्रदान करता है, इसलिए केवल वे लोग अनंत जीवन को प्राप्त करेंगे जो उस मसीह में विश्वास करते हैं जो कि अंत के दिनों में देह बन गया है और उस शाश्वत जीवन के मार्ग को स्वीकार करते हैं, जो वह मनुष्यों को देता है।

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"मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)।

"जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है। जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्‍वर के स्वर्गलोक में है, फल खाने को दूँगा" (प्रकाशितवाक्य 2:7)।

"फिर उसने मुझ से कहा, 'ये बातें पूरी हो गई हैं। मैं अल्फा और ओमेगा, आदि और अन्त हूँ। मैं प्यासे को जीवन के जल के सोते में से सेंतमेंत पिलाऊँगा'" (प्रकाशितवाक्य 21:6)।

03क्या अंत के दिनों के मसीह में विश्वास किए बिना प्रभु यीशु में विश्वास करना पुत्र में एक सच्चा विश्वास है, और क्या यह शाश्वत जीवन की ओर ले जा सकता है?

बाइबल कहती है: "जो पुत्र पर विश्‍वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; परन्तु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा" (यूहन्ना 3:36)। पुत्र में विश्वास देहधारी मसीह में एक विश्वास है। बहुत से लोग पूछ सकते हैं: प्रभु यीशु मनुष्य का पुत्र है, वह मसीह है, और इसलिए प्रभु यीशु में विश्वास करके, हमें शाश्वत जीवन प्राप्त करना चाहिए। तो फिर इससे पहले कि हम शाश्वत जीवन प्राप्त कर सकें हमें तब भी क्यों अंत के दिनों में मसीह के वचनों और कार्यों पर विश्वास करना पड़ेगा?

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"जो पुत्र पर विश्‍वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; परन्तु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा, परन्तु परमेश्‍वर का क्रोध उस पर रहता है" (यूहन्ना 3:36)।

"मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)।

"पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन्ना 5:22)।

"वरन् उसे न्याय करने का भी अधिकार दिया है, इसलिये कि वह मनुष्य का पुत्र है" (यूहन्ना 5:27)।

04यहूदी फरीसियों ने केवल यहोवा परमेश्वर में विश्वास किया, और प्रभु यीशु में नहींI उन्होंने प्रभु यीशु की निंदा और विरोध भी किया, और इसलिए परमेश्वर द्वारा दण्डित और शापित हुएI यह हमें क्या चेतावनी देता है?

1)क्या एक अस्पष्ट, स्वर्गिक परमेश्वर में विश्वास करना और देहधारी मसीह में विश्वास नहीं करना परमेश्वर में सच्चा विश्वास है?

प्रभु यीशु ने कहा: "यदि तुम विश्‍वास न करोगे कि मैं वही हूँ तो अपने पापों में मरोगे" (यूहन्ना 8:24)। आरंभिक दिनों के बारे में सोचने पर, यहूदी फरीसियों ने केवल एक अस्पष्ट स्वर्गिक परमेश्वर में विश्वास किया था, और जब देहधारी परमेश्वर—यीशु मसीह—प्रकट हुआ और उसने अपना कार्य किया, तो न केवल उन्होंने उस पर विश्वास नहीं किया बल्कि उन्होंने उसका विरोध और उसकी निंदा भी की। अंततः, उन्होंने प्रभु यीशु को क्रूस पर कीलों से जड़ दिया और इसलिए वे परमेश्वर द्वारा दंडित और शापित किए गए थे। अंत के दिनों में, परमेश्वर ने अपना कार्य करने के लिए एक बार पुनः मनुष्य के पुत्र के प्रकटन के रूप में देहधारण किया है, और यदि लोग इस देहधारी, व्यावहारिक परमेश्वर—अंत के दिनों के मसीह में विश्वास नहीं करते हैं—और केवल एक अस्पष्ट, स्वर्गिक परमेश्वर में विश्वास करते हैं, तो क्या यह परमेश्वर में सच्चा विश्वास है?

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"इसलिये मैं ने तुम से कहा कि तुम अपने पापों में मरोगे, क्योंकि यदि तुम विश्‍वास न करोगे कि मैं वही हूँ तो अपने पापों में मरोगे" (यूहन्ना 8:24)।

"परमेश्‍वर का आत्मा तुम इस रीति से पहचान सकते हो : जो आत्मा मान लेती है कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया है वह परमेश्‍वर की ओर से है, और जो आत्मा यीशु को नहीं मानती, वह परमेश्‍वर की ओर से नहीं; और वही तो मसीह के विरोधी की आत्मा है" (1 यूहन्ना 4:2–3)।

"क्योंकि बहुत से ऐसे भरमानेवाले जगत में निकल आए हैं, जो यह नहीं मानते कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया; भरमानेवाला और मसीह-विरोधी यही है" (2 यूहन्ना 1:7)।

2)यदि कोई व्यक्ति अपने विश्वास में केवल बाइबल के पत्रों और नियमों को पकड़े रहता है और मसीह के साथ संगत होने के तरीके की तलाश नहीं करता है, तो क्या वह शाश्वत जीवन प्राप्त कर सकता है?

परमेश्वर में कई विश्वासियों का मानना है कि बाइबल परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करती है, और यह कि परमेश्वर में विश्वास बाइबल में विश्वास है, और बाइबल को पकड़े रह कर वे अनंत जीवन प्राप्त कर सकते हैं। और फिर भी प्रभु यीशु ने कहा था: "तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते" (यूहन्ना 5:39-40)। प्रभु यीशु द्वारा बोले गए इन वचनों का वास्तविक अर्थ क्या है? यदि कोई केवल बाइबिल को पकड़े रहता है और मसीह के साथ संगत होने के तरीके की तलाश नहीं करता है, तब क्या वह शाश्वत जीवन प्राप्त कर सकता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते" (यूहन्ना 5:39-40)।

"मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता" (यूहन्ना 14:6)।

परमेश्वर में विश्वास वास्तव में क्या है? हम परमेश्वर में विश्वास के माध्यम से किस प्रकार अनंत जीवन प्राप्त कर सकते हैं?

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