01चूंकि प्रभु यीशु ने छुटकारे का कार्य किया, तो क्या इसका अर्थ यह है कि मानवजाति को बचाने का परमेश्वर का कार्य समाप्त हो गया?

कई लोग मानते हैं कि जब सलीब पर प्रभु यीशु ने कहा कि "पूरा हुआ", तब इसका अर्थ यह था कि मानवजाति को बचाने का परमेश्वर का कार्य पूरा हो गया था। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है? सत्य यह है कि प्रभु यीशु ने छुटकारे का कार्य किया, जिसमें केवल लोगों को उनके पापों के लिए क्षमा करना भर शामिल था। उसने उनकी पापपूर्ण प्रकृति या शैतानी स्वभावों से छुटकारा नहीं दिलाया। अपने पाप से बँधे लोग अब भी पाप करने और परमेश्वर का प्रतिरोध करने से स्वयं को रोक नहीं पाते। पाप की बेड़ियों से बच निकलने में पूर्णतः असमर्थ हम सब पाप करने और कबूल करने की स्थिति में जीते हैं। मानवजाति को सदा के लिए पाप से बचाने के लिए परमेश्वर को अंत के दिनों में एक और चरण का कार्य करने की ज़रूरत है, ऐसा कार्य जो पहले किए जा चुके कार्य से अधिक नया और अधिक उन्नत है।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है वह पाप का दास है। दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है" (यूहन्ना 8:34-35)।

"मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)।

"वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ; और जो लोग उसकी बाट जोहते हैं उनके उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप उठाए हुए दिखाई देगा" (इब्रानियों 9:28)।

"जिनकी रक्षा परमेश्‍वर की सामर्थ्य से विश्‍वास के द्वारा उस उद्धार के लिये, जो आनेवाले समय में प्रगट होनेवाली है, की जाती है" (1 पतरस 1:5)।

"क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए" (1 पतरस 4:17)।

"फिर मैं ने एक और स्वर्गदूत को आकाश के बीच में उड़ते हुए देखा, जिसके पास पृथ्वी पर के रहनेवालों की हर एक जाति, और कुल, और भाषा, और लोगों को सुनाने के लिये सनातन सुसमाचार था। उसने बड़े शब्द से कहा, 'परमेश्‍वर से डरो, और उसकी महिमा करो, क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ पहुँचा है; और उसका भजन करो, जिसने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जल के सोते बनाए'" (प्रकाशितवाक्य 14:6-7)।

02कार्य के तीनों चरण मिलकर मानवजाति को बचाने का परमेश्वर का कार्य पूरा करते हैं

मानवजाति को शैतान द्वारा भ्रष्ट कर दिए जाने के पश्चात, परमेश्वर ने लोगों का मार्गदर्शन करने और उन्हें यह बताने के लिये कि पाप क्या है, अपनी व्यवस्थाएँ जारी कीं। व्यवस्था के युग के आखिरी चरण तक तक मानवजाति अधिकाधिक गहराई से भ्रष्ट होती जा रही थी, इस हद तक कि कोई व्यवस्था का पालन नहीं कर रहा था और सब पर मौत की सजा पाने का खतरा मंडराने लगा था। प्रभु यीशु ने देहधारण कर मानवजाति के छुटकारे का कार्य किया, लोगों को उनकी आस्था के अनुसार बचाए जाने और व्यवस्था के अंतर्गत दण्डित और शापित होने से बच निकलने का रास्ता दिया। इस छुटकारे के बावज़ूद, लोगों की शैतानी प्रकृति दृढ़ता से बनी हुई है और वे स्वयं को पाप करते रहने से रोक नहीं पाते। मानवजाति को पाप से पूरी तरह बचाने के लिए परमेश्वर को अब भी अंत के दिनों का न्याय का कार्य करने की आवश्यकता है, क्योंकि तभी लोग हमेशा के लिए पाप से मुक्त और शुद्ध होंगे। यही कारण है कि परमेश्वर की संपूर्ण प्रबंधन योजना में कार्य के तीन चरण शामिल हैं।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"फिर उसने मुझ से कहा, 'ये बातें पूरी हो गई हैं। मैं अल्फा और ओमेगा, आदि और अन्त हूँ। मैं प्यासे को जीवन के जल के सोते में से सेंतमेंत पिलाऊँगा। जो जय पाए वही इन वस्तुओं का वारिस होगा, और मैं उसका परमेश्‍वर होऊँगा और वह मेरा पुत्र होगा'" (प्रकाशितवाक्य 21:6-7)।

03परमेश्वर की उद्धार की योजना प्रत्येक चरण के साथ किस तरह गहरी होती जाती है?

मानवजाति को बचाने के लिए परमेश्वर के कार्य के तीनों चरणों में से प्रत्येक पिछले से अधिक उन्नत और अधिक गहरा है। वे बहुत घनिष्ठता से जुड़े हुए हैं, प्रत्येक चरण पिछले चरण की नींव पर पूरा किया जाता है। अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु का छुटकारे का कार्य व्यवस्था के युग के कार्य की नींव पर संपन्न किया गया था, इसने अंत के दिनों में न्याय और शुद्धिकरण के परमेश्वर के कार्य की नींव भी डाली थी। प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य के बिना, हमें हमारे पापों के लिए कदापि क्षमा नहीं किया जा सकता था। अंत के दिनों में न्याय और शुद्धिकरण के परमेश्वर के कार्य के बिना, परमेश्वर द्वारा छुटकारा पाये लोग न तो अपने पापों से कभी मुक्त हो पाते और न ही पूर्ण उद्धार प्राप्त कर पाते। मानवजाति को बचाने के परमेश्वर के कार्य के तीनों चरण लोगों को शैतान के प्रभाव से पूर्णतः बचाने के लिए संपन्न किए जाते हैं, और इन तीनों चरणों से मिलकर ही परमेश्वर की समूची प्रबंधन योजना पूरी होती है।

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संदर्भ के लिए लेख

परमेश्वर द्वारा मानवजाति के उद्धार की पूरी प्रक्रिया: कार्य के तीन चरण

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