01किस तरह के लोग स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं?

बहुत से लोगों को लगता है कि प्रभु में विश्वास करके और अपने पापों की माफ़ी पाकर, वे पहले ही अनुग्रह के माध्यम से बचाये जा चुके हैं। उन्हें लगता है कि प्रभु के लिए कड़ी मेहनत करने, त्याग करने और खुद को खपाने से, भले ही वे पाप के बंधनों से मुक्त नहीं हुए हों, मगर जब प्रभु आयेगा तो उन्हें स्वर्ग के राज्य में आरोहित किया जाएगा। लेकिन क्या यह बात सच है? परमेश्वर कहते हैं, "इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ" (लैव्यव्यवस्था 11:45)। परमेश्वर धार्मिक और पवित्र है, तो वह ऐसे लोगों को अपने राज्य में कैसे प्रवेश करने दे सकता है जो लगातार पाप कर रहे हैं? किस तरह के लोग वास्तव में स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है वह पाप का दास है। दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है" (यूहन्ना 8:34-35)।

"जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, 'हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्‍टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्‍चर्यकर्म नहीं किए?' तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, 'मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ'"(मत्ती 7:21-23)।

"क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ; इस कारण अपने को शुद्ध करके पवित्र बने रहो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ" (लैव्यव्यवस्था 11:44)।

"मैं तुम से सच कहता हूँ कि जब तक तुम न फिरो और बालकों के समान न बनो, तुम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने नहीं पाओगे" (मत्ती 18:3)।

"ये वे हैं जो स्त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, पर कुँवारे हैं; ये वे ही हैं कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं; ये तो परमेश्‍वर के निमित्त पहले फल होने के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं" (प्रकाशितवाक्य 14:4)।

"धन्य वे हैं, जो अपने वस्त्र धो लेते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन के वृक्ष के पास आने का अधिकार मिलेगा, और वे फाटकों से होकर नगर में प्रवेश करेंगे" (प्रकाशितवाक्य 22:14)।

02स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने का एकमात्र मार्ग

प्रभु यीशु के छुटकारे का कार्य केवल लोगों के पापों को क्षमा करता है, लेकिन इससे मनुष्य के भ्रष्ट स्वभावों का समाधान नहीं हुआ। मनुष्य की पापी प्रकृति आज भी गहराई तक समायी हुई है, बार-बार प्रार्थना करने और प्रभु के सामने अपने पापों को स्वीकार करने और प्रभु की सेवा में कड़ी मेहनत करने के बावजूद, हम पाप के बंधनों को तोड़ने में असमर्थ हैं, हम शुद्ध होने और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने में असमर्थ हैं। तो, अंत के दिनों में जब प्रभु वापस लौटेगा, तब वह मनुष्य की पापी प्रकृति और भ्रष्ट स्वाभावों को पूरी तरह से ठीक करने के लिए सत्य व्यक्त करेगा और परमेश्वर के घर से शुरू होने वाला न्याय का कार्य करेगा, ताकि लोग पाप को छोड़ सकें और शुद्ध हो सकें। साफ़ तौर पर, परमेश्वर के वचनों के न्याय और ताड़ना को स्वीकार करना और इसका अनुभव करना ही पूर्ण उद्धार और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश पाने का एकमात्र मार्ग है।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"जिनकी रक्षा परमेश्‍वर की सामर्थ्य से विश्‍वास के द्वारा उस उद्धार के लिये, जो आनेवाले समय में प्रगट होनेवाली है, की जाती है" (1 पतरस 1:5)।

"मैं यह विनती नहीं करता कि तू उन्हें जगत से उठा ले; परन्तु यह कि तू उन्हें उस दुष्‍ट से बचाए रख। ... सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर : तेरा वचन सत्य है। ... और उनके लिये मैं अपने आप को पवित्र करता हूँ, ताकि वे भी सत्य के द्वारा पवित्र किये जाएँ" (यूहन्ना 17:15, 17, 19)।

"मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)।

"यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (यूहन्ना 12:47-48)।

"क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए" (1 पतरस 4:17)।

"'जो अन्याय करता है, वह अन्याय ही करता रहे; और जो मलिन है, वह मलिन बना रहे; और जो धर्मी है, वह धर्मी बना रहे; और जो पवित्र है; वह पवित्र बना रहे।''देख, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ; और हर एक के काम के अनुसार बदला देने के लिये प्रतिफल मेरे पास है'" (प्रकाशितवाक्य 22:11-12)।

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