01हम प्रभु में विश्वास करते हैं और हमारे पापों को भी क्षमा कर दिया गया है, फिर भी हम अक्सर पाप क्यों करते रहते हैं?

हालांकि, प्रभु में हमारी आस्था के कारण हमारे पापों को क्षमा कर दिया गया है और हम परमेश्वर से प्रार्थना करने, उसके अनुग्रह और आशीष का आनंद लेने के योग्य हैं, लेकिन फ़िर भी हम अपनी पापी प्रकृति से बंधे हुए हैं। हम पाप और परमेश्वर का विरोध करने से खुद को रोक नहीं सकते, हम खुद को पाप में जीने से मुक्त कराने में असमर्थ हैं। हम रुतबा और प्रतिष्ठा पाने के लिए झूठ बोलना और परमेश्वर को धोखा देना जारी रखते हैं; ख़ासकर जब परमेश्वर का कार्य हमारी धारणाओं के विपरीत होता है, तो हम उसे दोष देते हैं, उसकी आलोचना करते हैं, और यहाँ तक कि उसे नकारते हैं या उससे मुँह भी मोड़ लेते हैं। ज़ाहिर तौर पर, मनुष्य बार-बार पाप करता है और अपनी पापी प्रकृतियों के कारण परमेश्वर का विरोध करता है।

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"क्योंकि मैं जानता हूँ कि मुझ में अर्थात् मेरे शरीर में कोई अच्छी वस्तु वास नहीं करती। इच्छा तो मुझ में है, परन्तु भले काम मुझ से बन नहीं पड़ते" (रोमियों 7:18)।

"परन्तु मुझे अपने अंगों में दूसरे प्रकार की व्यवस्था दिखाई पड़ती है, जो मेरी बुद्धि की व्यवस्था से लड़ती है और मुझे पाप की व्यवस्था के बन्धन में डालती है जो मेरे अंगों में है। मैं कैसा अभागा मनुष्य हूँ! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा?" (रोमियों 7:23-24)।

02यदि लोगों की पापी प्रकृतियों को ठीक न किया गया हो और उन्हें शुद्ध न किया गया हो, तो क्या वे परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं?

परमेश्वर कहते हैं, "इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ" (लैव्यव्यवस्था 11:45)। "जो कोई पाप करता है वह पाप का दास है। दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है" (यूहन्ना 8:34-35)। परमेश्वर पवित्र और धार्मिक है, और स्वर्ग का राज्य वो स्थान है जहाँ परमेश्वर राज करता है, यह पवित्र भूमि है; परमेश्वर उन लोगों को कभी भी अपने राज्य में प्रवेश की अनुमति नहीं दे सकता जो पापी प्रकृति के हैं और पाप करने के आदी हैं। यह उसके धार्मिक स्वभाव से निर्धारित होता है। यह स्पष्ट है कि अगर मनुष्य की पापी प्रकृति को ठीक नहीं किया गया, तो उसके पास पाप से बचने, शुद्ध होने और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने का कोई रास्ता नहीं होगा।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"क्योंकि सच्‍चाई की पहिचान प्राप्‍त करने के बाद यदि हम जान बूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं। हाँ, दण्ड का एक भयानक बाट जोहना और आग का ज्वलन बाकी है जो विरोधियों को भस्म कर देगा" (इब्रानियों 10:26-27)।

"जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, 'हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्‍टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्‍चर्यकर्म नहीं किए?' तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, 'मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ'" (मत्ती 7:21-23)।

"इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ" (लैव्यव्यवस्था 11:45)।

"उस पवित्रता के खोजी हो जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा" (इब्रानियों 12:14)।

"मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है वह पाप का दास है। दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है" (यूहन्ना 8:34-35)।

03हम पाप से कैसे बच सकते हैं और शुद्ध कैसे हो सकते हैं?

बाइबल भविष्यवाणी करती है, "मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)। "क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए" (1 पतरस 4:17)। परमेश्वर ने हमसे वादा किया था कि वह अंत के दिनों में फिर से आएगा, वह मानवजाति के शुद्धिकरण और उद्धार के लिए सभी सत्यों को व्यक्त करेगा, परमेश्वर के घर से शुरू होने वाले न्याय के कार्य को पूरा करेगा, मनुष्य की पापी प्रकृति और शैतानी स्वभाव को पूरी तरह से ठीक करेगा, और लोगों को पाप से मुक्त करेगा, ताकि वे शुद्ध हो सकें और स्वर्ग के राज्य में लाये जा सकें।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ; और जो लोग उसकी बाट जोहते हैं उनके उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप उठाए हुए दिखाई देगा" (इब्रानियों 9:28)।

"मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)।

"जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (यूहन्ना 12:48)।

"क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए" (1 पतरस 4:17)।

"सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर : तेरा वचन सत्य है" (यूहन्ना 17:17)।

"यहोवा की यह भी वाणी है, कि इस देश के सारे निवासियों की दो तिहाई मार डाली जाएगी, और बची हुई तिहाई उस में बनी रहेगी। उस तिहाई को मैं आग में डालकर ऐसा निर्मल करूँगा, जैसा रूपा निर्मल किया जाता है, और ऐसा जाँचूँगा जैसा सोना जाँचा जाता है। वे मुझ से प्रार्थना किया करेंगे, और मैं उनकी सुनूँगा। मैं उनके विषय में कहूँगा, 'ये मेरी प्रजा हैं,' और वे मेरे विषय में कहेंगे, 'यहोवा हमारा परमेश्‍वर है'" (जकर्याह 13:8-9)।

"धन्य वे हैं, जो अपने वस्त्र धो लेते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन के वृक्ष के पास आने का अधिकार मिलेगा, और वे फाटकों से होकर नगर में प्रवेश करेंगे" (प्रकाशितवाक्य 22:14)।

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