01हम परमेश्वर के प्रकटन के गवाह कैसे बन सकते हैं और प्रभु की वापसी की स्वागत कैसे कर सकते हैं?

जब प्रभु का स्वागत करने की बात आती है, कई लोग प्रभु यीशु को मानवजाति के समक्ष पवित्रात्मा के रूप में प्रकट होते देखने की आशा कर रहे होते हैं। किन्तु क्या यह प्रभु के अभिवादन का सही मार्ग है? हम सब जानते हैं कि अय्यूब ने कहा "मैं ने कानों से तेरा समाचार का सुना था: परन्तु अब मेरी आँख तुझे देखती है" क्योंकि उसने बवंडर में यहोवा की वाणी सुनी। पतरस ने भी प्रभु यीशु की वाणी सुनी, जिससे उसने यीशु को मसीह के रूप में पहचाना। यहाँ हम देख सकते हैं कि लोगों के समक्ष परमेश्वर चाहे जैसे प्रकट होता हो, वे केवल परमेश्वर की वाणी सुनकर ही निर्धारित कर सकते हैं कि यह सचमुच परमेश्वर का प्रकटन है। स्पष्ट है कि परमेश्वर की वाणी सुनने में सक्षम होना उसके प्रकटन के गवाह बनने और लौटकर आए प्रभु का स्वागत करने का एकमात्र रास्ता है।

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"देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ" (प्रकाशितवाक्य 3:20)

"मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं" (यूहन्ना 10:27)

"जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है" (प्रकाशितवाक्य 2:7)

02परमेश्वर की वाणी क्या है? हम कैसे यक़ीन कर सकते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन ही परमेश्वर की वाणी हैं?

परमेश्वर की वाणी का अर्थ है उसके कथन—यानी सत्य। परमेश्वर चाहे अपने देहधारी रूप में बोल रहा हो या अपने पवित्रात्मा रूप में, वह एक ऊँचे स्थान पर खड़े होकर समूची मानवजाति से बोल रहा है। यह परमेश्वर के वचनों का स्वर और उनकी बानगी है, सृष्टि के प्रभु के बोलने का विशिष्ट ढंग है। मन और आत्मा से युक्त कोई भी व्यक्ति सुनते ही महसूस करेगा कि परमेश्वर के वचन सत्य हैं, उनमें अधिकार और सामर्थ्य है। वे परमेश्वर की वाणी के रूप में उन्हें जान जाएँगे! प्रभु यीशु लौट आया है—वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर, अंत के दिनों का मसीह है। वह सत्य व्यक्त कर रहा है और परमेश्वर के घर से आरम्भ होने वाला न्याय का कार्य कर रहा है। तो हम कैसे पुष्टि कर सकते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन परमेश्वर की वाणी हैं?

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"आदि में वचन था, और वचन परमेश्‍वर के साथ था, और वचन परमेश्‍वर था" (यूहन्ना 1:1)

"यीशु ने उससे कहा, 'मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता'" (यूहन्ना 14:6)

"आत्मा तो जीवनदायक है, शरीर से कुछ लाभ नहीं; जो बातें मैं ने तुम से कही हैं वे आत्मा हैं, और जीवन भी हैं" (यूहन्ना 6:63)

"क्योंकि परमेश्‍वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है; और प्राण और आत्मा को, और गाँठ-गाँठ और गूदे-गूदे को अलग करके आर-पार छेदता है और मन की भावनाओं और विचारों को जाँचता है" (इब्रानियों 4:12)

"सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर: तेरा वचन सत्य है" (यूहन्ना 17:17)

"तुम सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा" (यूहन्ना 8:32)

1)परमेश्वर के वचन ही मार्ग, सत्य और जीवन हैं।

2)परमेश्वर के वचन परमेश्वर के स्वभाव की अभिव्यक्ति हैं। वे सामर्थ्यपूर्ण और अधिकारपूर्ण हैं।

3)परमेश्वर सत्य व्यक्त करता है और अंत के दिनों में न्याय और शुद्धिकरण का अपना कार्य लेकर आता है।

03प्रभु का स्वागत करते समय जो हम देख सकते हैं, केवल उसी के अनुसार चलने के क्या परिणाम होते हैं?

अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, द्वारा व्यक्त सत्य दुनिया भर के लोगों की खोज और जाँच-पड़ताल के लिए कुछ समय से सबके लिए ऑनलाइन उपलब्ध हैं। परमेश्वर के प्रकटन के लिए लालायित कई सच्चे विश्वासियों ने देखा है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त सारे वचन सत्य हैं, वे सामर्थ्यपूर्ण और अधिकारपूर्ण हैं। उन्होंने उन्हें परमेश्वर की वाणी के रूप में पहचाना है और एक के बाद एक सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर उन्मुख हुए हैं। हालांकि ऐसे लोग भी हैं जो इस बात पर अड़े हैं कि प्रभु बादल पर सवार होकर आएगा और वे परमेश्वर की वाणी सुनने से इनकार करते हैं। कुछ लोगों ने परमेश्वर की वाणी सुनी है किन्तु वे स्वीकार नहीं करेंगे कि यह परमेश्वर का प्रकटन है, वे प्रभु की वापसी का विरोध और निंदा करते हैं। इसके क्या परिणाम होंगे?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"जो परमेश्‍वर से होता है, वह परमेश्‍वर की बातें सुनता है; और तुम इसलिये नहीं सुनते कि परमेश्‍वर की ओर से नहीं हो" (यूहन्ना 8:47)

"तू ने मुझे देखा है, क्या इसलिये विश्‍वास किया है? धन्य वे हैं जिन्होंने बिना देखे विश्‍वास किया" (यूहन्ना 20:29)

"देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे। हाँ। आमीन" (प्रकाशितवाक्य 1:7)

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संदर्भ के लिए लेख

क्या तुमने परमेश्वर की वाणी सुनी?

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