01दुनिया आपदा से परेशान है—प्रभु पहले ही गुप्त रूप से आ गया है

दुनिया भर में महामारी, अकाल, भूकंप, बाढ़ और अन्य आपदाएं अब सामान्य घटनाएं हो गयी हैं और ये अधिक से अधिक घातक भी होती जा रही हैं। विचित्र खगोलीय घटनाएँ भी सामने आयी हैं। प्रभु के आगमन की भविष्यवाणियां काफ़ी हद तक पूरी हो चुकी हैं। प्रभु यीशु पहले ही गुप्त रूप से आ चुका है; उसने सत्य को व्यक्त किया है और परमेश्वर के घर से शुरू होने वाले न्याय के कार्य को पूरा किया है।

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"क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और जगह जगह अकाल पड़ेंगे, और भूकम्प होंगे। ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी" (मत्ती 24:7-8)

"मैं आकाश में और पृथ्वी पर चमत्कार, अर्थात् लहू और आग और धूएँ के खम्भे दिखाऊँगा। यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहले सूर्य अन्धियारा होगा और चन्द्रमा रक्‍त सा हो जाएगा" (योएल 2:30-31)

"जब उसने छठवीं मुहर खोली, तो मैं ने देखा कि एक बड़ा भूकम्प हुआ, और सूर्य कम्बल के समान काला और पूरा चंद्रमा लहू के समान हो गया। आकाश के तारे पृथ्वी पर ऐसे गिर पड़े जैसे बड़ी आँधी से हिलकर अंजीर के पेड़ में से कच्‍चे फल झड़ते हैं" (प्रकाशितवाक्य 6:12-13)

"तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा" (लूका 12:40)

"मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)

"जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (यूहन्ना 12:48)

"क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए" (1 पतरस 4:17)

02भीषण आपदा से पहले प्रभु का स्वागत कैसे करें और परमेश्वर के सिंहासन के सामने स्वर्गारोहित कैसे हों

प्रकाशितवाक्य की पुस्तक यह भविष्यवाणी करती है, "देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ" (प्रकाशितवाक्य 3:20)। हम इस पद से यह देख सकते हैं कि प्रभु के आगमन का स्वागत करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है परमेश्वर की वाणी को सुनने में सक्षम होना। यह तय कर लेने के बाद कि यही परमेश्वर की वाणी है, इसे स्वीकार करना, इसके प्रति समर्पित होना और इसका अनुसरण करना, आपदा से पहले प्रभु का स्वागत करने और परमेश्वर के सिंहासन के सामने उठाये जाने का एकमात्र मार्ग है।

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"देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ" (प्रकाशितवाक्य 3:20)

"आधी रात को धूम मची: 'देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो'" (मत्ती 25:6)

"मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं" (यूहन्ना 10:27)

"जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है" (प्रकाशितवाक्य 2:11)

03प्रभु के आने पर स्वर्गारोहित होने का मौक़ा गँवाने के परिणाम

जब प्रभु वचन बोलने, प्रकट होने और कार्य करने के लिए अंत के दिनों में लौटता है, तो वे लोग जो परमेश्वर की वाणी को सुनने की कोशिश नहीं करते हैं—ख़ासकर वे जो परमेश्वर की वाणी को सुनकर भी पागलों की तरह परमेश्वर का विरोध और उसकी निंदा करते हैं, जो परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार करने से मना करते हैं— प्रभु के आने पर स्वर्गारोहण का अपना अवसर गँवा देंगे। जब परमेश्वर का कार्य करीब आता है और भीषण आपदा बरस पड़ती है, जब अच्छों को पुरस्कृत किया जाता है और दुष्टों को दंडित किया जाता है, तब जिन लोगों ने प्रभु के आगमन के दौरान स्वर्गारोहित होने का अवसर गँवा दिया है, वे रोयेंगे, अपने दांत पीसेंगे और आपदा में डूबा दिये जाएंगे।

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"आधी रात को धूम मची : 'देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो।' तब वे सब कुँवारियाँ उठकर अपनी मशालें ठीक करने लगीं। और मूर्खों ने समझदारों से कहा, 'अपने तेल में से कुछ हमें भी दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझी जा रही हैं।' परन्तु समझदारों ने उत्तर दिया, 'कदाचित् यह हमारे और तुम्हारे लिये पूरा न हो; भला तो यह है कि तुम बेचनेवालों के पास जाकर अपने लिये मोल ले लो।' जब वे मोल लेने को जा रही थीं तो दूल्हा आ पहुँचा, और जो तैयार थीं, वे उसके साथ विवाह के घर में चली गईं और द्वार बन्द किया गया। इसके बाद वे दूसरी कुँवारियाँ भी आकर कहने लगीं, 'हे स्वामी, हे स्वामी, हमारे लिये द्वार खोल दे!' उसने उत्तर दिया, 'मैं तुम से सच कहता हूँ, मैं तुम्हें नहीं जानता'" (मत्ती 25:6-12)

"उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, 'हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्‍टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्‍चर्यकर्म नहीं किए?' तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, 'मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ'" (मत्ती 7:22-23)

"जब पाँचवें स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी, तो मैं ने स्वर्ग से पृथ्वी पर एक तारा गिरता हुआ देखा, और उसे अथाह कुण्ड की कुंजी दी गई। उसने अथाह कुण्ड को खोला, और कुण्ड में से बड़ी भट्ठी का सा धुआँ उठा, और कुण्ड के धुएँ से सूर्य और वायु अन्धकारमय हो गए। उस धुएँ में से पृथ्वी पर टिड्डियाँ निकलीं, और उन्हें पृथ्वी के बिच्छुओं की सी शक्‍ति दी गई। उनसे कहा गया कि न पृथ्वी की घास को, न किसी हरियाली को, न किसी पेड़ को हानि पहुँचाएँ, केवल उन मनुष्यों को हानि पहुँचाएँ जिनके माथे पर परमेश्‍वर की मुहर नहीं है। उन्हें लोगों को मार डालने का तो नहीं पर पाँच महीने तक पीड़ा देने का अधिकार दिया गया : और उनकी पीड़ा ऐसी थी जैसे बिच्छू के डंक मारने से मनुष्य को होती है। उन दिनों में मनुष्य मृत्यु को ढूँढ़ेंगे और न पाएँगे; और मरने की लालसा करेंगे, और मृत्यु उन से भागेगी" (प्रकाशितवाक्य 9:1-6)

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संदर्भ के लिए लेख

विपदा से पहले स्वर्गारोहित कैसे हों

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