01क्या आप जानते थे? महान श्वेत सिंहासन का न्याय बहुत पहले प्रारंभ हुआ था

कई लोगों का मानना है कि प्रकाशित वाक्य में महान श्वेत सिंहासन के जिस न्याय की भविष्यवाणी की गई है, उसका मतलब यह है कि, अंतिम दिनों में जब प्रभु लौटते हैं, तो वे आकाश में एक मेज स्थापित करेंगे जहाँ वे बैठेंगे, मसौदे को खोलेंगे, और वे प्रत्येक व्यक्ति का न्याय यह निर्धारित करने के लिए करेंगे कि अपने व्यवहार के आधार पर वह स्वर्ग जाए या नर्क। इन सब की कल्पना करना पर्याप्त रूप से उचित लगता है, लेकिन क्या परमेश्वर वास्तव में सब कुछ उसी तरह से करेंगे जिसकी हम कल्पना करते हैं? सच्चाई यह है कि प्रकाशित वाक्य में जिस महान श्वेत सिंहासन के न्याय की भविष्यवाणी की गई है, वह यूहन्ना द्वारा देखा गया एक दिव्य दर्शन मात्र था—यह एक तथ्य नहीं है। इसलिए जब प्रभु लौटेंगे, तो वे वास्तव में महान श्वेत सिंहासन का न्याय कैसे करेंगे?

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"फिर मैं ने एक बड़ा श्‍वेत सिंहासन और उसको, जो उस पर बैठा हुआ है, देखा; उसके सामने से पृथ्वी और आकाश भाग गए, और उनके लिये जगह न मिली। फिर मैं ने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के सामने खड़े हुए देखा, और पुस्तकें खोली गईं; और फिर एक और पुस्तक खोली गई, अर्थात् जीवन की पुस्तक; और जैसा उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, वैसे ही उनके कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया" (प्रकाशितवाक्य 20:11-12)।

"यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (यूहन्ना 12:47-48)।

"पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन्ना 5:22)।

"क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए" (1 पतरस 4:17)।

02परमेश्‍वर को अंतिम दिनों में कार्य का दूसरा चरण—न्याय का कार्य—क्यों करना पड़ता है?

अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य ने केवल मानवजाति के पापों को क्षमा किया था। इसने लोगों को उनके भ्रष्ट स्वभावों से विमुक्त नहीं किया था; उनके अहंकार, दंभ, स्वार्थ, लालच, कुटिलता, छल, और अन्य शैतानी स्वभाव बने रहे थे। जब तक इन भ्रष्ट स्वभावों को हल नहीं किया जाता है, लोग लगातार पाप करेंगे, परमेश्वर का विरोध करेंगे और उसे धोखा देंगे, अपने पापी स्वभाव के बंधनों को छोड़ने और परमेश्वर द्वारा पूरी तरह से बचाए जाने में असमर्थ होकर वे पाप करने और फिर कबूल करने के चक्र में फँसे रहेंगे। हमें पूरी तरह से बचाने के लिए, अंतिम दिनों में परमेश्वर देह में लौट आए हैं। मानवजाति को शुद्ध करने और बचाने के लिए उन्होंने सभी सत्य व्यक्त किए हैं, और परमेश्वर के घर से प्रारंभ कर वे लोगों की पापी प्रकृति और शैतानी स्वभावों को सुलझाने के लिए न्याय का कार्य कर रहे हैं, ताकि हम पाप को दूर कर सकें, शुद्ध हो सकें, और परमेश्वर द्वारा बचाए जा सकें।

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"मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है वह पाप का दास है। दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है" (यूहन्ना 8:34-35)।

"क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ; इस कारण अपने को शुद्ध करके पवित्र बने रहो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ" (लैव्यव्यवस्था 11:44)।

"जिनकी रक्षा परमेश्‍वर की सामर्थ्य से विश्‍वास के द्वारा उस उद्धार के लिये, जो आनेवाले समय में प्रगट होनेवाली है, की जाती है" (1 पतरस 1:5)।

"वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ; और जो लोग उसकी बाट जोहते हैं उनके उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप उठाए हुए दिखाई देगा" (इब्रानियों 9:28)।

"धन्य वे हैं, जो अपने वस्त्र धो लेते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन के वृक्ष के पास आने का अधिकार मिलेगा, और वे फाटकों से होकर नगर में प्रवेश करेंगे" (प्रकाशितवाक्य 22:14)।

03अंतिम दिनों में मानवजाति को पूरी तरह से शुद्ध करने और बचाने के लिए परमेश्वर न्याय का कार्य कैसे करते हैं

अंतिम दिनों में, परमेश्वर मानवजाति की पाप तथा परमेश्वर का विरोध करने की शैतानी प्रकृति का न्याय करने और उसे उजागर करने के लिए सत्य को व्यक्त करते हैं, और वे अपने उस धर्मी और पवित्र स्वभाव को प्रकट करते हैं, जो किसी भी अपराध को सहन नहीं करता है। न्याय, ताड़ना, परीक्षणों और परमेश्वर के वचनों द्वारा शुद्धिकरण के माध्यम से, लोग सत्य को और स्वयं अपनी शैतानी भ्रष्टता के सार को स्पष्ट रूप से देखते हैं। वे खुद का तिरस्कार और त्याग करने में, और वास्तव में परमेश्वर के प्रति पश्चाताप करने में, सक्षम हो जाते हैं। वे सत्य की तलाश करने लगते हैं, सत्य को व्यवहार में लाते हैं, परमेश्वर के वचनों द्वारा जीते हैं, और धीरे-धीरे अपने शैतानी स्वभाव के बंधनों को दूर कर देते हैं, वे निर्मल हो जाते हैं और ऐसे लोग बन जाते हैं जो सचमुच परमेश्वर के प्रति समर्पण और उसकी उपासना करते हों।

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"मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)।

"सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर: तेरा वचन सत्य है" (यूहन्ना 17:17)।

"यहोवा की यह भी वाणी है, कि इस देश के सारे निवासियों की दो तिहाई मार डाली जाएगी, और बची हुई तिहाई उस में बनी रहेगी। उस तिहाई को मैं आग में डालकर ऐसा निर्मल करूँगा, जैसा रूपा निर्मल किया जाता है, और ऐसा जाँचूँगा जैसा सोना जाँचा जाता है। वे मुझ से प्रार्थना किया करेंगे, और मैं उनकी सुनूँगा। मैं उनके विषय में कहूँगा, 'ये मेरी प्रजा हैं,' और वे मेरे विषय में कहेंगे, 'यहोवा हमारा परमेश्‍वर है'" (जकर्याह 13:8-9)।

"हे दानिय्येल, चला जा; क्योंकि ये बातें अन्तसमय के लिये बन्द हैं और इन पर मुहर दी हुई है। बहुत से लोग तो अपने अपने को निर्मल और उजले करेंगे, और स्वच्छ हो जाएँगे; परन्तु दुष्‍ट लोग दुष्‍टता ही करते रहेंगे; और दुष्‍टों में से कोई ये बातें न समझेगा; परन्तु जो बुद्धिमान हैं वे ही समझेंगे" (दानिय्येल 12:9-10)।

04परमेश्वर के अंतिम दिनों के न्याय को स्वीकार नहीं करने के परिणाम

जब अंतिम दिनों में परमेश्वर महान श्वेत सिंहासन के अपने न्याय को जारी करते हैं, तो वे पहले देह बन जाते हैं, सत्य को व्यक्त करते हैं, और आपदाओं के आने से पहले विजेताओं का एक समूह बनाकर परमेश्वर के घर से शुरू होने वाले न्याय के कार्य को करते हैं। जब परमेश्वर का न्याय का कार्य पूरा हो जाता है, तो वे बड़ी आपदाओं को बरसाते हैं और अच्छे लोगों को पुरस्कार और दुष्टों को दंड देना शुरू कर देते हैं। जो लोग एक बादल पर प्रभु के आने का मूर्खतापूर्वक इंतज़ार करते हैं, जो अंतिम दिनों के उनके न्याय के कार्य को स्वीकार नहीं करते हैं और जिन्हें परिशुद्ध नहीं किया जाता और बचाया नहीं जाता है, वे रोते हुए और अपने दांतों को भींचते हुए, आपदाओं में बह जाएँगे।

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"उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, ‘हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्‍टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्‍चर्यकर्म नहीं किए?’ तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, ‘मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ’" (मत्ती 7:22-23)।

"देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे। हाँ। आमीन" (प्रकाशितवाक्य 1:7)।

"परन्तु डरपोकों, और अविश्‍वासियों, और घिनौनों, और हत्यारों और व्यभिचारियों, और टोन्हों, और मूर्तिपूजकों, और सब झूठों का भाग उस झील में मिलेगा जो आग और गन्धक से जलती रहती है : यह दूसरी मृत्यु है" (प्रकाशितवाक्य 21:8)।

"'जो अन्याय करता है, वह अन्याय ही करता रहे; और जो मलिन है, वह मलिन बना रहे; और जो धर्मी है, वह धर्मी बना रहे; और जो पवित्र है; वह पवित्र बना रहे।' 'देख, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ; और हर एक के काम के अनुसार बदला देने के लिये प्रतिफल मेरे पास है'" (प्रकाशितवाक्य 22:11-12)।

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