01यदि प्रभु में मेरी आस्था हो किन्तु मैं निरन्तर पाप करता रहूँ, क्या तब भी मैं पूर्णतः बचा लिया गया हूँ?

प्रभु यीशु ने अनुग्रह के युग में मानवजाति को उसके पापों से मुक्ति दिलाने के लिये छुटकारे का कार्य किया था जिससे लोग व्यवस्था के अधीन अब और दण्डित और शापित नहीं रह गए थे। इसलिए कई लोग मानते हैं कि प्रभु में विश्वास करने के कारण और हमारे पापों को क्षमा किये जाने से हमें उद्धार का अनुग्रह मिला है, जब प्रभु आएगा, तो हमें सीधे स्वर्ग के राज्य में ले जाया जाएगा। किन्तु क्या यह वास्तव में सच है? हमें प्रभु में हमारे विश्वास की बदौलत बचा लिया गया है, मगर हमारी पापपूर्ण प्रकृति और शैतानी स्वभाव हमारे अंदर क़ायम हैं, हम पाप और परमेश्वर का प्रतिरोध करने से स्वयं को रोक नहीं पाते। क्या इसका सचमुच यह अर्थ है कि हमारे जैसे लोग जो निरन्तर पाप कर रहे हैं, शुद्ध करके बचा लिए गए हैं? क्या हम सचमुच स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर पाएँगे?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)।

"मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है वह पाप का दास है। दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है" (यूहन्ना 8:34-35)।

"सबसे मेल मिलाप रखो, और उस पवित्रता के खोजी हो जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा" (इब्रानियों 12:14)।

02पूर्ण उद्धार प्राप्त करना क्या है?

पूर्ण उद्धार क्या है? इसका अर्थ वास्तव में पाप को निकाल फेंकना और शुद्ध किया जाना है। अर्थात जिन्हें पूर्णतः बचा लिया गया है, वे न केवल बाहर से अच्छा व्यवहार करते हैं, बल्कि उनके भ्रष्ट स्वभाव, जैसे अहंकार, दंभ, कुटिलता, छल-कपट, स्वार्थ, क्षुद्रता, दुष्टता और लोभ, सभी का कायाकल्प कर दिया गया है। वे संपूर्णतः परमेश्वर के वचनों के अनुसार जीवन जी पाते हैं, वे परमेश्वर का आदर कर सकते और उसके प्रति सचमुच समर्पित हो सकते हैं। वे चाहे जो भी परीक्षण और कठिनाइयां झेलें, परमेश्वर के लिए गवाह बन सकते हैं, वे परमेश्वर को प्रेम कर पाते हैं और उसे संतुष्ट कर पाते हैं। वे शैतान के द्वारा भ्रष्ट नहीं किए जाने योग्य बन जाते हैं। यही पूर्ण उद्धार है।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"ये वे हैं जो स्त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, पर कुँवारे हैं; ये वे ही हैं कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं; ये तो परमेश्‍वर के निमित्त पहले फल होने के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं। उनके मुँह से कभी झूठ न निकला था, वे निर्दोष हैं" (प्रकाशितवाक्य 14:4-5)।

"धन्य वे हैं, जो अपने वस्त्र धो लेते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन के वृक्ष के पास आने का अधिकार मिलेगा, और वे फाटकों से होकर नगर में प्रवेश करेंगे" (प्रकाशितवाक्य 22:14)।

"वे मेम्ने के लहू के कारण और अपनी गवाही के वचन के कारण उस पर जयवन्त हुए, और उन्होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, यहाँ तक कि मृत्यु भी सह ली" (प्रकाशितवाक्य 12:11)।

"जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है। जो जय पाए, उस को दूसरी मृत्यु से हानि न पहुँचेगी" (प्रकाशितवाक्य 2:11)।

03पूर्ण उद्धार कैसे प्राप्त किया जा सकता है?

अंत के दिनों का मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, सारे सत्य व्यक्त करता है जो मानवजाति को शुद्ध करते और बचाते हैं। वह परमेश्वर के घर से आरम्भ होने वाला न्याय का कार्य कर रहा है, मानवजाति की शैतानी प्रकृति और भ्रष्ट सार को उजागर कर रहा है, हमारे समक्ष अपना अंतर्निहित धार्मिक स्वभाव प्रकट कर रहा है और हमें पाप से मुक्त होने का मार्ग दिखा रहा है ताकि हमें शुद्ध करके पूर्णतः बचाया जा सके। जब तक हम परमेश्वर के कार्य के साथ तालमेल बनाकर चलते हैं, परमेश्वर के न्याय, ताड़ना, परीक्षणों और शुद्धिकरण को स्वीकार करते और उसके आगे शीश नवाते हैं, तब तक हमारे भ्रष्ट स्वभाव उत्तरोत्तर शुद्ध और परिवर्तित हो सकते हैं, अंततः हमें पूर्ण रूप से बचाया जा सकता है और हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)।

"यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (यूहन्ना 12:47-48)।

"क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए" (1 पतरस 4:17)।

"यहोवा की यह भी वाणी है, कि इस देश के सारे निवासियों की दो तिहाई मार डाली जाएगी, और बची हुई तिहाई उस में बनी रहेगी। उस तिहाई को मैं आग में डालकर ऐसा निर्मल करूँगा, जैसा रूपा निर्मल किया जाता है, और ऐसा जाँचूँगा जैसा सोना जाँचा जाता है। वे मुझ से प्रार्थना किया करेंगे, और मैं उनकी सुनूँगा। मैं उनके विषय में कहूँगा, 'ये मेरी प्रजा हैं,' और वे मेरे विषय में कहेंगे, 'यहोवा हमारा परमेश्‍वर है।'" (जकर्याह 13:8-9)।

संदर्भ के लिए लेख

पूर्ण उद्धार का मार्ग क्या है? हम उद्धार कैसे प्राप्त कर सकते हैं और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कैसे कर सकते हैं?

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