143 परमेश्वर का स्वभाव है उत्कृष्ट और भव्य
परमेश्वर नाराज़ है कि, अधर्मी चीज़ें इंसान को दुख दे रही हैं, अंधकार और बुराई का अस्तित्व है, जैसे वे चीज़ें जो सच्चाई को नकारती हैं, कि अच्छाई के प्रतिकूल हैं, कि अच्छाई के प्रतिकूल हैं। उसका रोष, बुराइयों के अंत का प्रतीक, परमेश्वर का रोष, उसकी पवित्रता का प्रतीक है, उसकी पवित्रता का प्रतीक है। परमेश्वर का आनंद धर्मिता है, जग में आती रोशनी, विनाश है, अंधेरों और बुराइयों का विनाश है, अंधेरों और बुराइयों का विनाश है। परमेश्वर का आनंद है, वो लाए इंसानियत में रोशनी और उनकी ज़िंदगी में ख़ूबसूरती। परमेश्वर का आनंद धर्मिता है, आशा भरी चीज़ों का ये प्रतीक है, मांगलिक चीज़ों का ये प्रतीक है, मांगलिक चीज़ों का ये प्रतीक है, मांगलिक चीज़ों का ये प्रतीक है। मायूस है परमेश्वर, उसकी उम्मीद, इंसानियत, अंधेरे में है, इंसानियत पर काम उसका, उसकी उम्मीदों पर खरा उतरा नहीं, उसकी प्यारी इंसानियत, रह नहीं पाती है सब रोशनी में। मायूस है उनके लिये वो, इंसानियत के बीच जो मासूम हैं, मायूस है उनके लिये वो, इंसानियत के बीच जो मासूम हैं, निष्कपट हैं, बेख़बर हैं, निष्कपट हैं, बेख़बर हैं, अच्छाई है जिनमें मगर कमज़ोर हैं जिनके इरादे, इरादे। उसका ग़म उसकी अच्छाई और दया का प्रतीक है, उसका ग़म उसकी अच्छाई और दया का प्रतीक है, उसकी सौम्यता और भलाई का प्रतीक है, उसकी सौम्यता और भलाई का प्रतीक है। उसकी ख़ुशी है, (उसकी ख़ुशी है,) शत्रु की पराजय और इंसान के सच्चे, (इंसान के सच्चे,) दिल को जीतना, उसकी ख़ुशी है, (उसकी ख़ुशी है,) बैरियों को हटा देना, मिटा देना, शांत और सुंदर ज़िंदगी में, इंसान को निर्भय बना देना, शांत और सुंदर ज़िंदगी में, इंसान को निर्भय बना देना, इंसान को निर्भय बना देना। उसकी ख़ुशी इंसान की मामूली ख़ुशियों के बिल्कुल पार है, ये पके फल की महक है, ये पके फल की महक है, जो कि ख़ुशियों के भी अपरंपार है। उसकी ख़ुशी प्रतीक है, मानव न अब दुख पायेगा, और रोशनी की दुनिया में, अब वो प्रवेश पायेगा, रोशनी की दुनिया में, अब वो प्रवेश पायेगा, वो प्रवेश पाएगा, अब वो प्रवेश पाएगा। परमेश्वर का आनंद धर्मिता है, जग में आती रोशनी, विनाश है, अंधेरों और बुराइयों का विनाश है, अंधेरों और बुराइयों का विनाश है। "वचन देह में प्रकट होता है" से