परमेश्वर के साथ सामान्य संबंध कैसे स्थापित किया जा सकता है ईसाइयों के जीवन और उनकी आध्यात्मिक भक्तियाँ
आज आपदाएँ बढ़ती गंभीरता और आवृत्ति के साथ हो रही हैं। ये संकेत बताते हैं कि बाइबल में जिनकी भविष्यवाणी की गई है, अंतिम दिनों की वे महान आपदाएँ शुरू होने वाली हैं। इन आपदाओं के बीच हम कैसे परमेश्वर की सुरक्षा हासिल कर, बचे रह सकते हैं? अन्य श्रेणियाँ
प्रभु यीशु ने कहा: "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। अधिकांश लोग सोचते हैं कि प्रभु यीशु ने हमें पहले से ही अनन्त जीवन का मार्ग प्रदान किया है, लेकिन मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के इन वचनों को पढ़ा है: "केवल अंतिम दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है।" यह सब क्या है? यह क्यों कहता है कि आखिरी दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनन्त जीवन का मार्ग दे सकता है? शाश्वत जीवन का मार्ग
प्रभु का वादा है कि वे फिर से हमें स्वर्ग के राज्य में ले जाने के लिए आएंगे, और फिर भी आप कहते हैं कि प्रभु अंत के दिनों में न्याय का कार्य करने के लिए पहले ही देहधारी हो चुके हैं। बाइबल साफ तौर पर यह भविष्यवाणी करती है कि प्रभु सामर्थ्य और महान महिमा के साथ बादलों पर देहधारी होंगे। यह उस बात से काफ़ी अलग है जिसकी आपने गवाही दी थी, कि प्रभु पहले ही देहधारण कर चुके हैं और गुप्त रूप से लोगों के बीच देहधारी हो चुके हैं।
हमने बहुत पहले यह सुना था कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कलीसिया ने पहले ही प्रभु यीशु की वापसी की गवाही दी है। और वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं! वे सच्चाई व्यक्त करते हैं और अंत के दिनों के अपने न्याय के कार्य करते हैं, लेकिन धार्मिक मंडलियों के अधिकांश लोग यह मानते हैं कि प्रभु बादलों से अवतरित होंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रभु यीशु ने स्पष्ट रूप से कहा था: "तब मनुष्य के पुत्र का चिह्न आकाश में दिखाई देगा: और तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे, और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और ऐश्वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे" (मत्ती 24:30)। प्रकाशितवाक्य की पुस्तक ने भी भविष्यवाणी की थी: "देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है; और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे" (प्रकाशितवाक्य 1:7)। मैं स्वयं भी यह विश्वास रखती हूं कि प्रभु बादलों से अवतरित होकर हमें सीधे स्वर्ग के राज्य में ले जाएंगे। हम उस प्रभु यीशु को स्वीकार करने से इनकार करते हैं जो बादलों से अवतरित नहीं होंगे। आप कहते हैं कि प्रभु का पुनरागमन देह में वापसी और गुप्त रूप से अवतरण है। लेकिन इस बारे में कोई नहीं जानता है। फिर भी, प्रभु का खुले तौर पर बादलों से अवतरित होना निश्चित है! यही कारण है कि हम प्रभु के बादलों से अवतरित होने और हमें सीधे स्वर्ग के राज्य में ले जाने के लिए खुले तौर पर प्रकट होने का इंतजार कर रहे हैं। क्या हमारी समझ सही है या नहीं?
प्रभु यीशु कहता था कि वह फिर लौटकर आएगा, तो अंत के दिनों में जब वह वास्तव में लौटता है, तब वह लोगों के समक्ष किन तरह प्रकट होगा?
प्रभु की वापसी में देहधारण क्यों शामिल है—गुप्त रूप से अवरोहण—साथ-ही-साथ सार्वजनिक रूप से बादलों से अवरोहण?
नियम के युग में यशायाह, यहेजकेल और दानिय्येल जैसे भविष्यवक्ताओं द्वारा बताए गए परमेश्वर के शब्दों, और देहधारी परमेश्वर द्वारा व्यक्त किए गए परमेश्वर के वचनों में, क्या अंतर है?
आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु लौट आया है, कि वह देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर है, जो समूचे सत्य को व्यक्त कर रहा है जिससे मानव जाति को शुद्ध किया और बचाया जा सकता है, और यह कि वह परमेश्वर के घर से शुरू होने वाले न्याय के कार्य को कर रहा है। तो हमें परमेश्वर की आवाज़ को कैसे पहचानना चाहिए, और हम यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु की वापसी है?
प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों को स्वर्ग का राज्य के रहस्यों के बारे में बताया, और क्या प्रभु यीशु की वापसी के रूप में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने भी अनेक रहस्य उजागर किए हैं? क्या आप लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा प्रकट किए गए कुछ रहस्यों के बारे में हमारे साथ संगति कर सकते हैं? इससे परमेश्वर की वाणी पहचानने में हमें बहुत सहायता मिलेगी।
प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।
हम अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं, लेकिन हम किस प्रकार परमेश्वर के न्याय और ताड़ना को अनुभव करें जिससे कि हम सत्य और जीवन को प्राप्त कर सकें, हमारी पापी प्रकृति से छुटकारा पा सकें, और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए उद्धार प्राप्त कर सकें?
प्रभु में विश्वास करने के बाद हमारे पाप क्षमा कर दिये गये थे, लेकिन हम अब भी अक्सर पाप क्यों करते हैं; हम पापों के चंगुल से अंतत: कब छूट पायेंगे?
बाइबल में, पौलुस ने कहा था "सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है" (2 तीमुथियुस 3:16), पौलुस के वचन बाइबल में हैं। इसीलिए, वे परमेश्वर द्वारा प्रेरित थे; वे परमेश्वर के वचन हैं। प्रभु में विश्वास करना बाइबल में विश्वास करना है। चाहे कोई भी विचारधारा क्यों न हो, यदि वह बाइबल से भटकती है, तो वह विधर्म है! हम प्रभु में विश्वास करते हैं, इसीलिए हमें सदा बाइबल के अनुसार कार्य करना चाहिए, अर्थात्, हमें बाइबल के वचनों का पालन करना चाहिए। बाइबल ईसाई धर्म का मूलभूत सिद्धांत है, हमारे विश्वास की नींव है। बाइबल को त्यागना प्रभु में अविश्वास करने के समान है; यदि हम बाइबल को त्याग देते हैं, तो हम प्रभु में कैसे विश्वास कर सकते हैं? बाइबल में प्रभु के वचन लिखे हैं। क्या कहीं और भी ऐसी जगह है जहां हम उनके वचनों को पा सकते हैं? यदि प्रभु में हमारा विश्वास बाइबल पर आधारित नहीं है, तो इसका आधार क्या है?
आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु लौट आया है, कि वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं, और यह कि परमेश्वर के घर से शुरू होने वाले न्याय के कार्य को करने के लिए वह सत्य को व्यक्त कर रहा है। फिर भी पादरियों और एल्डर्स का कहना है कि परमेश्वर के सभी वचन और कार्य बाइबल में दर्ज हैं, और यह कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो बाइबल की सच्चाईयों में शामिल न किया गया हो। वे कहते हैं कि बाइबल के बाहर परमेश्वर का कोई भी वचन और कार्य नहीं हो सकता, और बाइबल के बाहर जो कुछ है, वह विधर्म है। हमें इस मुद्दे के साथ कैसे पेश आना चाहिए चाहिए?
धार्मिक पादरी और प्राचीन लोग बाइबल में पौलुस के इन शब्दों को थामे रहते हैं: "सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है" (2 तीमुथियुस 3:16), वे ऐसा विश्वास करते हैं कि बाइबल की हर बात परमेश्वर का ही वचन है, लेकिन तुम कहते हो कि बाइबल के शब्द पूरी तरह से परमेश्वर के वचन नहीं हैं, तो यह सब क्या है?