सच्चा मार्ग उत्पीड़न के अधीन क्यों है
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जब से हमने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य का अध्ययन शुरू किया है, धार्मिक पादरी और एल्डर्स सर्वशक्तिमान परमेश्वर की अधिक व्यग्रता से निंदा करने लगे हैं, हमें सच्चे मार्ग का अध्ययन करने से रोकने के लिए जो भी हो सके सब करते हुए। यहूदी फरीसियों ने प्रभु यीशु का जैसा विरोध और निंदा की थी, उससे बिल्कुल भी अलग नहीं! इन दिनों मैं सोचता रहा हूँ कि, परमेश्वर ने कार्य करने के लिए दो बार देहधारण क्यों किया, और दो बार धार्मिक समुदाय और नास्तिक सरकार द्वारा सामूहिक निंदा और उत्पीड़न क्यों झेला? अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर मानवजाति के शुद्धिकरण और उद्धार के लिए, बोल कर और कार्य कर सत्य व्यक्त करने के लिए प्रकट होते और कार्य करते हैं। धार्मिक समुदाय और चीन की कम्युनिस्ट सरकार मसीह के विरुद्ध इतनी विद्वेषपूर्ण क्यों है कि वे मसीह की निंदा और तिरस्कार और ईशनिंदा करने, उनको घेरने और नष्ट कर देने के लिए मीडिया कंपनियों और सशक्त पुलिस बल तक को जुटा लेते हैं? यह मुझे याद दिलाता है कि जब राजा हेरोदस ने सुना कि यहूदियों के राजा यानी प्रभु यीशु का जन्म हुआ है, तब उसने बैतलहम में दो वर्ष से छोटे सभी नर शिशुओं की हत्या का आदेश दे दिया। उन्हें मसीह को छोड़ने की बजाय हज़ारों मासूम बच्चों की हत्या अधिक जंच रही थी। जब परमेश्वर मानवजाति के उद्धार के लिए देहधारी हुए, तो धार्मिक समुदाय और सरकार ने उनके आने का स्वागत क्यों नहीं किया, लेकिन व्यग्रता के साथ परमेश्वर के प्रकटन और कार्य की निंदा की और उनको गाली दी? उन्होंने किसी भी कीमत पर मसीह को सूली पर चढ़ा देने के लिए पूरे देश के संसाधनों को क्यों जाया कर दिया? मानवजाति क्यों इतनी दुष्ट और विद्वेषपूर्ण ढंग से परमेश्वर के विरुद्ध है?
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