मैं यह नहीं समझ पाया कि अगर चमकती पूर्वी बिजली ही सच्चा मार्ग है, तो सीसीपी सरकार उसका इतना घोर विरोध क्यों करती? धार्मिक अगुआ भी क्यों इस कदर उसकी निंदा करते? ऐसा नहीं है कि सीसीपी की सरकार ने पादरियों और एल्डर्स पर अत्याचार न किये हों। लेकिन जब चमकती पूर्वी बिजली की बात आती है, तो परमेश्वर की सेवा करनेवाले पादरी और एल्डर, सीसीपी सरकार जैसा नज़रिया और रवैया कैसे अपना सकते हैं? भला इसकी वजह क्या है?

14 मार्च, 2021

उत्तर: बाइबल में कहा गया है: "…सारा संसार उस दुष्‍ट के वश में पड़ा है" (1 यूहन्ना 5:19)। प्रभु यीशु ने कहा था, "इस युग के लोग बुरे हैं" (लूका 11:29)। तो फिर इस दुनिया में अंधकार और बुराई कहाँ तक फैली हुई है? अनुग्रह के युग में, मानवजाति के छुटकारे के लिए, देहधारी प्रभु यीशु को धार्मिक वर्गों और तब के शासकों ने सूली पर चढ़ा दिया था। अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा सत्य की अभिव्यक्ति और मानवजाति के न्याय कार्य की भी धार्मिक वर्गों और सीसीपी सरकार ने विरोध और निंदा की है, इस युग ने भी उन्हें ठुकरा दिया है। यह प्रभु यीशु के इन वचनों को सच करता है: "क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:24-25)। प्रभु यीशु की यह भविष्यवाणी आखिरकार अब पूरी हो गयी है। परमेश्वर के प्रकटन के प्यासे सभी लोगों को साफ़ तौर पर यह समझ लेना चाहिए कि प्रभु पहले ही आ चुके हैं वे अंत के दिनों का अपना न्याय कार्य कर रहे हैं। प्रभु यीशु की भविष्यवाणी पहले ही पूरी हो चुकी है। क्या लोग अब भी ये सच्चाई साफ़ तौर पर नहीं समझ पायेंगे? नास्तिक शासन और ज़्यादातर धार्मिक अगुआ सभी शैतानी शक्तियां हैं, जो परमेश्वर और सत्य से नफ़रत करती हैं। प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाये जाने के मामले में क्या कुछ हुआ, उसी से इस बात की पुष्टि होती है। अगर वो सच्चा मार्ग है, तो नास्तिक शासनों और धार्मिक वर्गों द्वारा उसे ज़रूर ठुकराया जाएगा और उसकी निंदा होगी, जबकि सच्चे मार्ग का उपदेश देनेवालों और उसपर अमल करने वालों को झूठे मामलों में फंसाया जाएगा। जैसे कि प्रभु यीशु ने कहा: "यदि संसार तुम से बैर रखता है, तो तुम जानते हो कि उसने तुम से पहले मुझ से बैर रखा। यदि तुम संसार के होते, तो संसार अपनों से प्रेम रखता; परन्तु इस कारण कि तुम संसार के नहीं, वरन् मैं ने तुम्हें संसार में से चुन लिया है, इसी लिये संसार तुम से बैर रखता है" (यूहन्ना 15:18-19)। इसी वजह से, पूरे इतिहास में, मानवजाति के अंदर सच्चे मार्ग को स्वीकार करके एक सच्चे परमेश्वर का अनुसरण करनेवाले बस वही थोड़े-से लोग हैं, जो वाकई सत्य से प्रेम करते हैं और उसकी खोज करते हैं, जबकि ज़्यादातर लोग शैतानी शक्तियों के पीछे चलने या फिर अत्याचार के भय की वजह से सच्चे मार्ग पर गौर करने से डरते हैं, और परमेश्वर द्वारा बचाये जाने का मौका गँवा देते हैं! इसलिए, प्रभु यीशु ने एक बार मनुष्य को सचेत किया था: "सकेत फाटक से प्रवेश करो, क्योंकि चौड़ा है वह फाटक और सरल है वह मार्ग जो विनाश को पहुँचाता है; और बहुत से हैं जो उस से प्रवेश करते हैं। क्योंकि सकेत है वह फाटक और कठिन है वह मार्ग जो जीवन को पहुँचाता है; और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं" (मत्ती 7:13-14)

"तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: बाइबल में, पौलुस ने कहा है कि हमें अधिकारियों की आज्ञा माननी चाहिए। अगर हम पौलुस के शब्दों को व्‍यवहार में लाते हैं, तो हमें सत्तारूढ़ शासन की बात हमेशा सुननी चाहिए। परन्तु नास्तिक सीसीपी हमेशा धार्मिक लोगों को सताती है और परमेश्वर के शत्रु के रूप में काम करती है। सीसीपी न केवल हमें प्रभु में विश्वास करने से रोकती है, वह उन लोगों को भी पकड़ती और सताती है जो परमेश्वर का सुसमाचार फैलाते हैँ। अगर हम इसका आज्ञापालन करते हैं और प्रभु में विश्वास नहीं करते हैं या उनका सुसमाचार नहीं फैलाते हैं, तो क्या हम प्रभु का विरोध करने और उनके साथ विश्वासघात करने में शैतान का पक्ष नहीं ले रहे हैं? क्या हम तब वह नहीं बन जायेंगे जिनके भाग्य में मरना लिखा है? मैं वास्तव में यह समझ नहीं पा रहा हूँ। जब बात यह आती है कि हम सत्‍ताधारियों के साथ कैसा व्यवहार करें, हमें ऐसा क्या करना चाहिए जिससे यह सुनिश्चित हो कि हम परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप हैं?

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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