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अंत के दिनों के मसीह के कथन
वचन, खंड 1 : परमेश्वर का प्रकटन और कार्य
वचन, खंड 2 : परमेश्वर को जानने के बारे में
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वचन, खंड 4 : मसीह-विरोधियों को उजागर करना
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परमेश्वर के वचनों का सच्चा अर्थ कभी समझा नहीं गया है
57
विजेताओं का गीत
61
हैसियत सँजोने में क्या मूल्य है?
62
लोग परमेश्वर से ईमानदारी से प्रेम क्यों नहीं करते?
67
कौन परमेश्वर की इच्छा की परवाह कर सकता है?
78
क्या इंसान इस थोड़े समय के लिए अपनी देह की इच्छाओं का त्याग नहीं कर सकता?
79
सृजित जीव को होना चाहिये परमेश्वर की दया पर
80
परमेश्वर आशा करता है कि मनुष्य उसे पूरे दिलो-दिमाग और क्षमता से प्रेम करे
83
परमेश्वर विश्वास को पूर्ण बनाता है
84
क्या तुमने ईश्वर में विश्वास के सही रास्ते में प्रवेश कर लिया है?
86
स्वभाव बदले बिना कोई परमेश्वर की सेवा नहीं कर सकता
87
त्याग दो धार्मिक अवधारणाएं परमेश्वर द्वारा पूर्ण किये जाने के लिए
88
ऐसी आस्था जिसकी ईश्वर प्रशंसा न करे
90
पारस्परिक रिश्ते परमेश्वर के वचनों के अनुसार बनाने चाहिए
91
उन लोगों के गुण जिनका परमेश्वर उपयोग करता है
92
परमेश्वर के सामने शांत कैसे रहें
93
परमेश्वर उन्हीं को पूर्ण बनाता है जो प्रेम करते हैं उसे
95
परमेश्वर के वादे उनके लिए जो पूर्ण किए जा चुके हैं
96
वही पात्र हैं सेवा के जो अंतरंग हैं परमेश्वर के
97
प्रभु यीशु का अनुकरण करो
98
परमेश्वर की सेवा करने के लिए तुम्हें उसे अपना हृदय अर्पित करना चाहिए
99
पवित्र आत्मा के कार्य के सिद्धांत
100
परमेश्वर द्वारा प्राप्त लोगों ने वास्तविकता प्राप्त की है
102
विश्वास रखो कि ईश्वर इंसान को निश्चित रूप से पूर्ण बनाएगा
103
केवल परमेश्वर के वचनों का अभ्यास करने से ही वास्तविकता आती है
105
सत्य पर अमल के लिये सबसे सार्थक है दुख सहना
110
परमेश्वर के साथ सामान्य रिश्ता कैसे स्थापित करें
112
क्या परमेश्वर से तुम्हारा संबंध सामान्य है?
120
तुम सब वो हो जो परमेश्वर की विरासत पाओगे
124
मृत्यु-शैय्या पर सत्य के प्रति जागना बड़ी देर से जागना है
125
परमेश्वर का सच्चा प्रेम पाने की खोज करनी चाहिए तुम्हें
133
परमेश्वर में आस्था की राह, है राह उससे प्यार करने की
134
परमेश्वर से प्रेम करने में समर्थ होने के लिए अपना हृदय पूरी तरह उसकी ओर मोड़ो
135
मैं परमेश्वर से प्रेम करने को संकल्पित हूँ
136
सच्ची प्रार्थना
137
प्रार्थना के मायने
138
सच्ची प्रार्थना में प्रवेश कैसे किया जाता है
139
सच्ची प्रार्थना का प्रभाव
144
ईश्वर की इच्छा को निराश नहीं कर सकते तुम
145
परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चलने के लिए जीना सबसे सार्थक है
147
पवित्र आत्मा ज़्यादा कार्य करता है उनमें, पूर्ण किये जाने की तड़प है जिनमें
149
जो परमेश्वर के सामने शांत रहते हैं, केवल वही जीवन पर ध्यान केंद्रित करते हैं
150
परमेश्वर के समक्ष अपने हृदय को शांत करने पर तुम्हें ध्यान देना चाहिए
151
अपने हृदय को परमेश्वर के आगे शांत करने के तरीके
152
परमेश्वर के समक्ष शांत रहने का अभ्यास
153
परमेश्वर के समक्ष अपने हृदय को शांत रखने के फ़ायदे
154
अधिक बोझ उठाओ ताकि परमेश्वर द्वारा अधिक आसानी से पूर्ण किये जा सको
155
परमेश्वर उन्हें पूर्ण बनाता है जो उसे सच में प्रेम करते हैं
158
परमेश्वर के वचनों को जो संजोते हैं वे धन्य हैं
162
पवित्र आत्मा के काम को मानो तो तुम चलोगे पूर्णता के पथ पर
163
पूर्ण किए जाने के लिए जो अपेक्षित है
168
परमेश्वर के वचनों की महत्ता
170
विश्वास के लिए मुख्य है परमेश्वर के वचनों को जीवन की वास्तविकता के रूप में स्वीकार करना
174
परमेश्वर के वचनों से खुद को लैस करना तुम्हारी सर्वोच्च प्राथमिकता है
176
पूर्ण कैसे किए जाएँ
177
तुम्हें अपने विश्वास में ईश्वर से प्रेम करने का प्रयास करना चाहिए
178
लक्ष्य जिसका अनुसरण करना चाहिये विश्वासियों को
179
परीक्षण माँग करते हैं आस्था की
180
सच्चा विश्वास क्या है
181
जब परीक्षण आ पड़ें तो तुम्हें परमेश्वर की ओर खड़े होना चाहिए
183
आस्था केवल शोधन से ही आती है
184
परमेश्वर के परीक्षण और शुद्धिकरण मानव की पूर्णता के लिए हैं
186
परमेश्वर का न्याय है प्यार
187
केवल पीड़ादायक परीक्षणों के माध्यम से तुम परमेश्वर की सुंदरता को जान सकते हो
188
मुश्किलों और परीक्षणों के ज़रिए ही तुम ईश्वर को सचमुच प्रेम कर सकते हो
189
ईश्वर सबकुछ इंसान को पूर्ण बनाने और प्रेम करने के लिए करता है
190
परमेश्वर को उसके अनुग्रह का आनंद लेकर नहीं जाना सकता
192
तुम्हारी पीड़ा जितनी भी हो ज़्यादा, परमेश्वर को प्रेम करने का करो प्रयास
193
असल कीमत चाहिये सत्य के अमल के लिये
194
सत्य का अभ्यास करने वाले ही परीक्षणों में गवाही दे सकते हैं
195
देह-सुख को त्यागना सत्य का अभ्यास करना है
196
शरीर त्यागने का अभ्यास
197
दैहिक इच्छाएँ त्यागने का अर्थ
199
तुम्हें सभी चीज़ों में परमेश्वर की गवाही देनी चाहिए
200
ईश्वर की संतुष्टि के लिए हर चीज़ में ईश्वर की गवाही दो
201
परमेश्वर में विश्वास करना लेकिन उसे प्रेम नहीं करना एक व्यर्थ जीवन है
202
केवल कष्ट और शोधन के ज़रिये ही तुम ईश्वर द्वारा पूर्ण किए जा सकते हो
205
परमेश्वर के गवाहों के लिए स्वभाव में बदलाव आवश्यक है
206
इंसान से परमेश्वर की अंतिम अपेक्षा है कि इंसान उसे जाने
207
केवल ईश्वर को जानकर ही इंसान ईश्वर से प्रेम कर सकता है
208
परमेश्वर के प्रति निष्ठावान हृदय
210
पतरस ने परमेश्वर को व्यवहारिक रूप से जानने पर ध्यान दिया
211
अगर तुम परमेश्वर में विश्वास करते हो तो अपना हृदय उसके सामने अर्पित करो
212
इंसान का शोधन बेहद सार्थक है परमेश्वर के द्वारा
213
शुद्धिकरण के दौरान परमेश्वर से प्रेम कैसे करें
214
परमेश्वर द्वारा मनुष्य को पूर्ण बनाने का सर्वोत्तम साधन शोधन है
215
शुद्धिकरण की पीड़ा के मध्य ही शुद्ध बनता है इंसान का प्रेम
216
आशीषित हैं वो जो करते हैं परमेश्वर से प्रेम
217
ईश्वर से प्रेम करने के लिए उसकी मनोहरता का अनुभव करो
218
केवल वही लोग परमेश्वर की गवाही दे सकते हैं जो उसे जानते हैं
219
सत्य पर और अमल करो, परमेश्वर का और आशीष पाओ
220
सच्चाई से जी कर ही तू दे सकता है गवाही
221
क्या परमेश्वर के वचन सचमुच तुम्हारा जीवन बन गए हैं?
224
पूर्ण किए जाने के लिए सत्य के अभ्यास पर ध्यान लगाओ
225
जब पवित्र आत्मा मनुष्य पर कार्य करता है
226
लोगों को परमेश्वर का भय मानने वाले हृदय के साथ उस पर विश्वास करना चाहिए
228
जो सत्य पाने की कोशिश नहीं करते, वे अंत तक अनुसरण नहीं कर सकते
229
परीक्षणों के दौरान मनुष्य को किसका पालन करना चाहिए
230
इंसान को जो करना है उस पर उसे अटल रहना चाहिये
231
विजेता हैं वे जो परमेश्वर की शानदार गवाही दें
233
परमेश्वर का उद्धार पाने वाले ही जीवित हैं
236
इतनी मलिन धरती पर रहते हैं लोग
239
केवल स्वभावगत बदलाव ही सच्चे बदलाव हैं
241
जो परमेश्वर को नहीं जानते, वे उसका विरोध करते हैं
242
परमेश्वर के हृदय को कौन समझ सकता है?
243
लोगों के इस समूह को पूरा करने का संकल्प लिया है परमेश्वर ने
245
ईश्वर से प्रेम करने वालों का आदर्श-वाक्य
253
किसने कभी परमेश्वर के दिल को समझा है?
263
इंसान जब शैतान के प्रभाव को त्याग देता है, तो उसे बचा लिया जाता है
286
तुम्हारा परिणाम क्या होगा?
287
जिनके पास सच्चा विश्वास होता है उन्हीं को परमेश्वर की स्वीकृति मिलती है
288
विश्वास की वजह से ही तुमने पाया इतना कुछ
292
मैं हूँ बस एक अदना सृजित प्राणी
296
हम बचाए गए हैं क्योंकि हमें परमेश्वर ने चुना है
297
तुम्हें अय्यूब और पतरस की गवाहियाँ हासिल करनी चाहिए
299
परमेश्वर की ताड़ना और न्याय प्रेम हैं ये जान लो
302
ताड़ना मिलने और न्याय किए जाने के कारण तुम लोगों को सुरक्षा दी जाती है
303
पश्चाताप-रहित लोग जो पाप में फँसे हैं उद्धार से परे हैं
304
किस तरह का व्यक्ति बचाया नहीं जा सकता?
305
तुमने ईश्वर को क्या समर्पित किया है?
306
मोआब के वंशजों पर परमेश्वर के कार्य का अर्थ
309
सत्य के लिए तुम्हें सब कुछ त्याग देना चाहिए
311
आज का सत्य उन्हें दिया जाता है जो उसके लिए लालसा और उसकी खोज करते हैं
313
मैं इतना कुछ पाता हूँ परमेश्वर की ताड़ना और न्याय से
314
मैंने ताड़ना और न्याय में परमेश्वर का प्रेम देखा है
315
परमेश्वर की ताड़ना और न्याय के बिना नहीं रह सकती मैं
316
मैं अपना जीवन परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के साथ बिताने को तैयार हूँ
317
परमेश्वर के लिए पतरस का प्रेम
319
परमेश्वर की ताड़ना और न्याय है मनुष्य की मुक्ति का प्रकाश
320
शैतान के प्रभाव को दूर करने के लिए परमेश्वर के न्याय का अनुभव करो
325
परमेश्वर के मार्ग का अनुसरण न करने वाले दंडित किये जाएंगे
326
पतरस के अनुभव का अनुकरण करो
327
मार्ग के आखिरी दौर में अच्छी तरह अनुसरण कैसे करें?
331
क्या वर्षों के विश्वास से तुमने कुछ भी हासिल किया है?
336
क्या तुम सचमुच परमेश्वर की गवाही देने का आत्मविश्वास रखते हो?
337
मूल इंसान आत्मा युक्त सजीव प्राणी थे
338
इंसान वो नहीं रहा जैसा परमेश्वर चाहता है
339
क्या ये दुनिया तुम्हारी आरामगाह है?
340
परमेश्वर में विश्वास करने के पीछे मनुष्य के घृणित इरादे
341
परमेश्वर के लिए गवाही देना मानव का कर्तव्य है
342
परमेश्वर की एकमात्र इच्छा
344
एक विश्वासी के रूप में तुम्हारा कर्तव्य परमेश्वर के लिए गवाही देना है
356
परमेश्वर के कार्य के लिए पूरी तरह समर्पित हो जाओ
357
बदले में क्या दिया है तुमने परमेश्वर को
358
कोई नहीं समझता परमेश्वर की इच्छा
359
किसका अनुसरण करें नौजवान
361
कहाँ है तुम्हारा सच्चा विश्वास?
376
सत्य जीवन का सबसे ऊंचा सूत्र है
378
इंसान का फ़र्ज़ सृजित प्राणी का उद्यम है
379
अपने कर्तव्य में सत्य का अभ्यास करना ही कुंजी है
381
लोग अपने विश्वास में विफल क्यों हो जाते हैं?
384
परमेश्वर के विश्वासी को किस चीज़ की खोज करनी चाहिए
386
परमेश्वर के लिए पतरस के प्रेम की अभिव्यक्ति
391
अंतिम परिणाम जिसे हासिल करना परमेश्वर के कार्य का लक्ष्य है
392
परमेश्वर को जानना सृजित प्राणियों के लिए सबसे बड़े सम्मान की बात है
418
हर किसी के पास पूर्ण किये जाने का अवसर है
419
परमेश्वर चाहता है कि हर कोई पूर्ण हो सके
428
स्वभाव में बदलाव पवित्र आत्मा के काम से अलग नहीं हो सकता
430
इंसान के अंत के लिए परमेश्वर की व्यवस्था
431
इंसान का अंत तय करता है परमेश्वर, उनके सार के अनुसार
447
तुम्हारा विश्वास वास्तव में कैसा है? (संस्करण 1)
447
असल में कैसी है तुम्हारी आस्था? (संस्करण 2)
449
तुम सच में ईश्वर से प्रेम नहीं करते
454
कहाँ है ईश्वर से तुम्हारी अनुकूलता का प्रमाण?
457
क्या यही है आस्था तुम सबकी?
458
इंसान की मसीह में कोई सच्ची आस्था नहीं है
459
परमेश्वर इंसान के सच्चे विश्वास की आशा करता है
460
परमेश्वर में विश्वास करके भी सत्य को स्वीकार न करना अविश्वासी होना है
461
सभी लोगों के परिणाम के लिये परमेश्वर की व्यवस्था
471
परमेश्वर पर भरोसे का सच्चा अर्थ
486
परमेश्वर मनुष्य का परिणाम इस आधार पर तय करता है कि क्या उसके पास सत्य है
487
तुम किसके प्रति वफ़ादार हो?
488
हर दिन जो तुम अभी जीते हो, निर्णायक है
489
उम्मीद करता है परमेश्वर कि इंसान उसके वचनों के प्रति निष्ठावान बन सके
490
ऐसा व्यक्ति बनो जो परमेश्वर को संतुष्ट करे और उसके मन को चैन दे
491
परमेश्वर उन्हें आशीष देता है जो ईमानदार हैं
492
अंत में किसी का भाग्य कैसे संपन्न होगा?
493
इंसान का दिल बहुत कपटी है
494
तुम्हें परमेश्वर की स्वीकृति प्राप्त करनी चाहिए
498
परमेश्वर उम्मीद करता है कि लोग प्रकाश का मार्ग प्राप्त करेंगे
499
परमेश्वर के स्वभाव को समझने का प्रभाव
500
परमेश्वर के स्वभाव को न जानने के नतीजे
504
क्या तुम्हें मसीह के प्रति सच्चा विश्वास और प्रेम है?
505
परमेश्वर उन्हीं की प्रशंसा करता है जो ईमानदारी से मसीह की सेवा करते हैं
507
तुम्हारा विश्वास अभी भी भ्रमित है
508
परमेश्वर के बारे में संदेह करने वाले सबसे अधिक कपटी होते हैं
510
परमेश्वर के वचनों को अपने आचरण का आधार बनाओ
511
परमेश्वर की इंसान से अंतिम अपेक्षा
514
परमेश्वर के वचन हैं, कभी न बदलने वाले सत्य
515
परमेश्वर को सबसे अधिक क्या दुखी करता है
522
भ्रष्ट मानवता की त्रासदी
523
तुम्हारे दिल का राज़
538
परमेश्वर में मनुष्य का विश्वास असहनीय रूप से बुरा है
539
परमेश्वर में मनुष्य के विश्वास की सबसे दुखद बात
540
परमेश्वर को अर्पित करना सबसे मूल्यवान बलिदान
544
व्यवहारिक परमेश्वर में आस्था से बहुत लाभ हैं
545
जीवन प्राप्त करने के लिए न्याय स्वीकारो
550
परमेश्वर इंसान से क्या पाता है?
551
इंसान को परमेश्वर के वचनों के अनुसार चलना चाहिये
552
चाहे बड़ा हो या छोटा, सबकुछ मायने रखता है जब परमेश्वर की राह का पालन कर रहे हो
554
इम्तहान में परमेश्वर को इंसान का सच्चा दिल चाहिए
556
मनुष्य के पास परमेश्वर का भय मानने वाला हृदय होना चाहिए
569
किसी को भी सक्रिय रूप से परमेश्वर को समझने की परवाह नहीं
570
परमेश्वर स्वयं के लिए इंसान की सच्ची आस्था और प्रेम पाने की करता है आशा
571
परमेश्वर मूल्यवान मानता है उनको जो उसकी सुनते और उसका आदेश मानते हैं
572
परमेश्वर का ध्यान मनुष्य के हृदय पर है
573
तुम्हें जानना चाहिए परमेश्वर को उसके कार्य द्वारा
584
इंसान ने ईश्वर को अपना दिल नहीं दिया है
585
परमेश्वर अपनी उम्मीद रखता है पूरी तरह इंसान पर
587
बदली नहीं हैं परमेश्वर की उम्मीदें इंसान के लिये
588
मनुष्य परमेश्वर के नेक इरादों को न समझ पाए
589
परमेश्वर के प्रति श्रद्धा रखने वाले लोग सभी चीज़ों में उसका गुणगान करते हैं
591
शैतान पर अय्यूब की जीत का प्रमाण
593
अय्यूब ईश्वर का आदर कैसे कर पाया?
594
परमेश्वर के आशीषों के प्रति अय्यूब का मनोभाव
595
जो शैतान को बुरी तरह हराते हैं, केवल उन्हीं को प्राप्त करेगा परमेश्वर
596
केवल उन लोगों को बचाया जाता है जो शैतान को हरा देते हैं
597
आने वाली पीढ़ियों के लिए अय्यूब की गवाही की चेतावनी
612
जब तुम खोलते हो अपना हृदय परमेश्वर के लिए
613
परमेश्वर को अपने हृदय में आने दो
614
केवल सत्य ही इंसान के दिल को सुकून दे सकता है
615
परमेश्वर के कार्य का अनुभव उसके वचनों से अविभाज्य है
621
परमेश्वर द्वारा मनुष्य की दी गयी तीन चेतावनियाँ
639
परमेश्वर ने नीनवे के राजा के पश्चाताप की प्रशंसा की
640
ख़्यालों से और कल्पनाओं से परमेश्वर को कभी न जान पाओगे
663
मनुष्य की पीड़ा कैसे उत्पन्न होती है?
664
दुख से भर जाते हैं दिन परमेश्वर के बिन (संस्करण 1)
664
परमेश्वर के बिना दिन अवर्णनीय रूप से कष्टदायक हैं (संस्करण 2)
665
सत्य से प्रेम करने वाले ही परमेश्वर की संप्रभुता को समर्पित हो सकते हैं
697
सभी चीज़ों पर परमेश्वर की संप्रभुता द्वारा उसे जानो
698
परमेश्वर के कर्मों को जानकर ही उसकी सच्ची गवाही दी जा सकती है
699
परमेश्वर के लिए तुम्हारा विश्वास हो सबसे ऊँचा
702
ईश-वचन इंसान के जीवन की सभी जरूरतों के लिए आपूर्ति करते हैं
703
परमेश्वर में सच्चा विश्वास उसके वचनों का अभ्यास और अनुभव है
704
परमेश्वर का भय मानने और बुराई से दूर रहने का ज़रूरी रास्ता
705
इंसान परमेश्वर को उसके वचनों के अनुभव से जानता है
706
परमेश्वर को जानकर ही कोई उसका भय मान सकता है और बुराई से दूर रह सकता है
707
परमेश्वर को जान लेने का परिणाम
720
परमेश्वर को पसंद हैं लोग जिनमें संकल्प है
721
स्वभावगत बदलाव पर भरोसा रखो
762
परमेश्वर आशा करता है कि लोग सत्य का अनुसरण अविचिलत होकर करेंगे
776
पतरस के पथ पर कैसे चलें
779
स्वभाव में बदलाव है मुख्यत: प्रकृति में बदलाव
798
परमेश्वर के प्रति मनुष्य की आज्ञाकारिता का मानदंड
810
परमेश्वर की जाँच को तुझे हर चीज़ में स्वीकर करना चाहिए
815
चाहे जो भी करे परमेश्वर, उसका अंतिम लक्ष्य है उद्धार
916
एक सच्चे व्यक्ति की सदृशता
925
परमेश्वर के वचनों के अनुसार स्वयं को समझो
930
परमेश्वर के परीक्षण इंसान को शुद्ध करने के लिए होते हैं
936
समस्त मानवजाति को परमेश्वर की आराधना करनी चाहिए
952
कर्तव्य अच्छे से पूरा करने से ही मूल्यवान होता है जीवन
961
अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए जीना ही सार्थक है
1107
परमेश्वर के वचनों का पालन करो तो तुम कभी राह से नहीं भटकोगे
2008
क्या तुम्हें है सच्चा भरोसा मसीह में?
2009
मनुष्य के शब्द और कर्म परमेश्वर के दहन से नहीं बच सकते
2010
तुम इतने मग़रूर क्यों हो?
2011
मनुष्य की मौलिक पहचान और उसका मोल
2012
भ्रष्ट इंसान परमेश्वर का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता
2013
क्या तुम लोग सचमुच परमेश्वर के वचनों में जीते हो?
2014
लोग नहीं जानते कि वे कितने अधम हैं
2015
अपने विश्वास में उस मार्ग का अनुसरण करो जिस पर पवित्र आत्मा अगुआई करता है
2016
बिना सच्ची प्रार्थना के, सच्ची सेवा नहीं होती
2017
सामान्य स्थिति जीवन में तीव्र विकास की ओर ले जाती है
2018
पवित्रात्मा के काम की अभिव्यक्ति
2019
ज्ञान वास्तविकता का विकल्प नहीं है
2020
सत्य का अभ्यास करने के लिए कष्ट उठाने पर ईश्वर की प्रशंसा प्राप्त होती है
2021
हटा दिया जाएगा उन्हें जो नहीं करते परमेश्वर के वचनों का अभ्यास
2022
क्या तुम अपनी प्रकृति जानते हो?
2023
तुम्हें अपना कर्तव्य कैसे निभाना चाहिए
2024
परमेश्वर ने बहुत पहले तैयार कर दी हर चीज़ इंसान के लिये
2025
इंसान को मापने के लिए परमेश्वर उसकी प्रकृति का इस्तेमाल करता है
2026
ऐसा स्वभाव परमेश्वर की सेवा के योग्य कैसे हो सकता है?
2027
परमेश्वर के कार्य का पालन करने से ही स्वभाव बदलता है
2028
परमेश्वर का अधिकार जो मानते हैं, उनका भाव ऐसा होना चाहिए
2029
इंसान ईश्वर से हमेशा माँगता क्यों रहता है?
2030
परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए तुम्हें उसके मानक को समझना चाहिए
2031
वही मनुष्य खुश है जो परमेश्वर का सम्मान करता है
2032
परमेश्वर के प्रति अय्यूब का सच्चा विश्वास और उसकी आज्ञाकारिता
2033
अय्यूब को परमेश्वर की प्रशंसा मिलने के कारण
2034
अय्यूब के जीवन का मूल्य
2035
परमेश्वर द्वारा प्राप्त किए जाने के लिए सत्य द्वारा शैतान को हराओ
2036
क्या तुममें परमेश्वर के लिए सच्चा प्रेम है?
2037
परमेश्वर की इच्छा खुली रही है सबके लिए
2038
अगर तुम सच में परमेश्वर को जानना चाहते हो
2039
जो जानते परमेश्वर के शासन को, समर्पित होंगे उसके प्रभुत्व को
2040
परमेश्वर को जानने वाले ही परमेश्वर को पा सकते हैं
2041
गवाही जो इंसान को देनी चाहिए
2042
परमेश्वर द्वारा पूर्ण किये जाने का मार्ग
2055
नए युग की आज्ञाओं का अर्थ बहुत गहरा है
2056
परमेश्वर के कथन मनुष्य के लिए सर्वोत्तम निर्देश हैं
2059
कैसे जियें आज्ञाकारी जीवन
2060
क्या तुम सच में समझ पाते हो ईश्वर की चाह को?
2076
विश्वासियों के लिए क्रियाओं के सिद्धांत
2084
क्या तुम्हारा दिल ईश्वर की ओर मुड़ा है?
2085
पवित्र आत्मा का कार्य पाने के लिए परमेश्वर के वचनों में जियो
2086
यातनाओं के दौरान सिर्फ़ विजयी लोग अडिग रहते हैं
2087
अय्यूब की गवाही ने शैतान को हरा दिया
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