परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 133

केवल सृजनकर्ता की संप्रभुता को स्वीकार करके ही कोई व्यक्ति उसकी ओर लौट सकता है

जब किसी के पास सृजनकर्ता की संप्रभुता और उसकी व्यवस्थाओं का स्पष्ट ज्ञान और अनुभव नहीं होगा, तो भाग्य और मृत्यु के बारे में उसका ज्ञान आवश्यक रूप से असंगत होगा। लोग स्पष्ट रूप से नहीं देख सकते हैं कि हर चीज़ परमेश्वर के हाथ में है, वे यह नहीं समझ सकते कि हर चीज़ परमेश्वर के नियंत्रण और संप्रभुता के अधीन है, यह नहीं समझ सकते हैं कि मनुष्य ऐसी संप्रभुता को फेंक नहीं सकता है या उससे बच नहीं सकता है। और इसी कारण, जब उनका मृत्यु का सामना करने का समय आता है, उनके आखिरी शब्दों, चिंताओं एवं पछतावों का कोई अन्त नहीं होता है। वे अत्यधिक बोझ, अत्यधिक अनिच्छा, अत्यधिक भ्रम से दबे होते हैं। इसी वजह से वे मृत्यु से डरते हैं। क्योंकि कोई भी व्यक्ति जिसने इस संसार में जन्म लिया है, उसका जन्म आवश्यक है और उसकी मृत्यु अनिवार्य है; जो कुछ घटित होता है, उससे परे कोई नहीं जा सकता है। यदि कोई इस संसार से बिना किसी पीड़ा के जाना चाहता है, यदि कोई जीवन के इस अंतिम मोड़ का बिना किसी अनिच्छा या चिंता के सामना करना चाहता है, तो इसका एक ही रास्ता है कि वो कोई पछतावा न रखे। और बिना किसी पछतावे के संसार से जाने का एकमात्र मार्ग है सृजनकर्ता की संप्रभुता को जानना, उसके अधिकार को जानना, और उनके प्रति समर्पण करना। केवल इसी तरह से कोई व्यक्ति मानवीय लड़ाई-झगड़ों, बुराइयों, और शैतान के बंधन से दूर रह सकता है; और केवल इसी तरह से ही कोई व्यक्ति अय्यूब के समान, सृजनकर्ता के द्वारा निर्देशित और आशीष-प्राप्त जीवन जी सकता है, ऐसा जीवन जो स्वतंत्र और मुक्त हो, ऐसा जीवन जिसका मूल्य और अर्थ हो, ऐसा जीवन जो सत्यनिष्ठ और खुले हृदय का हो। केवल इसी तरह कोई अय्यूब के समान, सृजनकर्ता के द्वारा परीक्षा लिए जाने और वंचित किए जाने के प्रति, सृजनकर्ता के आयोजनों और उसकी व्यवस्थाओं के प्रति समर्पण कर सकता है; केवल इसी तरह से ही कोई व्यक्ति जीवन भर सृजनकर्ता की आराधना कर सकता है और उसकी प्रशंसा अर्जित कर सकता है, जैसा कि अय्यूब ने किया था, और उसकी आवाज़ को सुन सकता है, और उसे अपने समक्ष प्रकट होते हुए देख सकता है। केवल इसी तरह से ही कोई व्यक्ति, अय्यूब के समान, बिना किसी पीड़ा, चिंता और पछतावे के प्रसन्नता के साथ जी और मर सकता है। केवल इसी तरह से कोई व्यक्ति, अय्यूब के समान प्रकाश में जीवन बिता सकता है और अपने जीवन के हर मोड़ में प्रकाश से होकर गुज़र सकता है, अपनी यात्रा को प्रकाश में बिना किसी व्यवधान के पूरा कर सकता है, और अनुभव करने, सीखने, और एक सृजित प्राणी के रूप में सृजनकर्ता की संप्रभुता के बारे में जानने के अपने ध्येय को सफलतापूर्वक प्राप्त कर सकता है—और प्रकाश में मृत्यु को प्राप्त कर सकता है, और उसके पश्चात् एक सृजित किए गए प्राणी के रूप में हमेशा सृजनकर्ता की तरफ़ खड़ा हो सकता है, और उसकी सराहना पा सकता है।

—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III

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