परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का स्वभाव और स्वरूप | अंश 238
13 अगस्त, 2020
जिस कार्य की मैंने योजना बनायी है वह एक पल भी रुके बिना आगे बढ़ता रहता है। राज्य के युग में प्रवेश करके, और तुम लोगों को मेरे लोगों के रूप में मेरे राज्य में ले जा कर, मेरे पास तुम लोगों से करने के लिए एक अन्य माँग होगी; अर्थात्, मैं तुम लोगों के सामने उस संविधान को लागू करना आरंभ करूँगा जिससे मैं इस युग पर शासन करूँगा:
चूँकि तुम मेरे लोग कहलाते हो, इसलिए तुम्हें मेरे नाम को महिमा देने में सक्षम होना चाहिए, अर्थात्, परीक्षण के बीच गवाही देनी चाहिए। यदि कोई मुझे धोखा देने की कोशिश करता है और मुझसे सत्य को छुपाता है, या मेरी पीठ पीछे अपकीर्तिकर व्यवहारों में शामिल होता है, तो उसे, संक्षिप्त कार्यवाही का इन्तजार करने के लिए, मेरे घर से बिना किसी अपवाद के, खदेड़ दिया जाएगा, बाहर निकाल दिया जाएगा। जो लोग अतीत में मेरे प्रति अविश्वसनीय और अवज्ञाकारी रहे हैं, और आज पुनः खुलेआम मेरा न्याय करने के लिए उठे हैं, उन्हें भी मेरे घर से खदेड़ दिया जाएगा। जो मेरे लोग हैं उन्हें लगातार मेरी जिम्मेदारियों की चिंता करनी चाहिए और साथ ही मेरे वचनों को जानने की तलाश करनी चाहिए। केवल इस तरह के लोगों को ही मैं प्रबुद्ध करूँगा, और वे निश्चय ही, कभी भी ताड़ना को प्राप्त न करते हुए, मेरे मार्गदर्शन और प्रबुद्धता के अधीन रहेंगे। जो, मेरी जिम्म्दारियों की चिंता करने में असफल रहते हुए, अपने खुद के भविष्य को बनाने की योजना पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, अर्थात, वे जो अपने कार्यों के द्वारा मेरे हृदय को संतुष्ट करने का लक्ष्य नहीं रखते हैं बल्कि इसके बजाय भौतिक वस्तुओं की भीख माँगते हैं, मैं इन भिखारी-जैसे प्राणियों का उपयोग करने से पूरी तरह इनकार करता हूँ, क्योंकि वे जब से पैदा हुए हैं वे कुछ नहीं जानते कि मेरी जिम्मेदारियों की चिंता करने का क्या अर्थ है। वे विकृत समझ वाले लोग हैं; ऐसे लोग मस्तिष्क के "कुपोषण" से पीड़ित हैं, और उन्हें कुछ "पोषण" के लिए घर जाने की आवश्यकता है। इस प्रकार के लोगों का मेरे पास कोई उपयोग नहीं है। मेरे लोगों के बीच, प्रत्येक के लिए मुझे जानना अंत तक पूरे किए जाने वाले अनिवार्य कर्तव्य के रूप में मानना आवश्यक होगा, जैसे कि भोजन करना, पहनना, और सोना, कुछ ऐसा जिसे कोई एक पल के लिए भी कभी नहीं भूलता है, ताकि मुझे जानना अंत में एक परिचित कौशल बन जाए जैसे कि भोजन करना, कुछ ऐसा जिसे तुम अभ्यस्त हाथ से अनायास करते हो। जहाँ तक उन वचनों की बात है जो मैं बोलता हूँ, हर एक को अवश्य अत्यधिक निश्चितता और पूरी तरह से आत्मसात करते हुए ग्रहण करना चाहिए; इसमें कोई भी बेपरवाह आधे-अधूरे-उपाय़ नहीं हो सकते हो। जो कोई भी मेरे वचनों पर ध्यान नहीं देता है उसे सीधे मेरा विरोध करने वाला माना जाएगा; जो कोई भी मेरे वचनों को नहीं खाता, या उन्हें जानने की तलाश नहीं करता है, उसे मुझ पर ध्यान नहीं देने वाला माना जाएगा, और उसे मेरे घर के द्वार से सीधे बाहर कर दिया जाएगा। क्योंकि, जैसा कि मैंने अतीत में कहा है, कि मैं बहुत अधिक की नहीं, बल्कि थोड़े से चुने हुए लोगों की ही अभिलाषा करता हूँ। सौ लोगों में से, यदि कोई एक भी मेरे वचनों के द्वारा मुझे जानने में सक्षम है, तो मैं इस एक को प्रबुद्ध और रोशन करने पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए अन्य सभी को स्वेछा से ठुकरा दूँगा। इससे तुम देख सकते हो, कि यह अनिवार्य रूप से सत्य नहीं है कि बड़ी संख्या ही मुझे व्यक्त कर सकती है, मुझे जी सकती है। मैं जो चाहता हूँ वह है गेहूँ (भले ही दाने पूरे भरे न हों) न कि गेहूँसा (भले ही दाने प्रशंनीय रूप से भरे हुए हों)। उन लोगों के लिए जो तलाश करने की परवाह नहीं करते हैं बल्कि इसके बजाय एक शिथिल तरीके से व्यवहार करते हैं, उन्हें अपनी स्वयं की इच्छा से छोड़ देना चाहिए; मैं उन्हें अब और देखना नहीं चाहता हूँ, ऐसा न हो कि वे मेरे नाम को अपमानित करते रहें।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 5
परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?
अन्य प्रकार की वीडियो