परमेश्वर के दैनिक वचन : जीवन में प्रवेश | अंश 387

02 जनवरी, 2021

जागो, भाइयो! जागो, बहनो! मेरे दिन में विलंब नहीं किया जाएगा; समय जीवन है, और समय को कब्जे में लेना जीवन बचाना है! समय बहुत दूर नहीं है! यदि तुम लोग विद्यालय में प्रवेश के लिए परीक्षा देते हो और उत्तीर्ण नहीं होते हो, तो तुम लोग फिर से कोशिश कर सकते हो और परीक्षा के लिए याद कर सकते हो। हालाँकि, मेरे दिन में ऐसा कोई विलंब नहीं होगा। याद रखो! याद रखो! मैं इन अच्छे वचनों के साथ आग्रह करता हूँ। दुनिया का अंत तुम लोगों की नज़रों के बिल्कुल सामने प्रकट होता है, बड़ी आपदाएँ तेजी से निकट आती हैं; क्या तुम लोगों का जीवन महत्वपूर्ण है या तुम लोगों का सोना, खाना, पीना, और कपड़े पहनना महत्वपूर्ण है? इन चीज़ों को समझने का तुम लोगों का समय आ गया है। अब और संदेह में मत रहो और निश्चित होने में संकोच मत करो!

मानवजाति कितनी दयनीय! कितनी अभागी! कितनी अंधी! कितनी क्रूर है! तुम लोग वास्तव में मेरे वचनों को अनसुना करते हो—क्या मैं व्यर्थ में तुम लोगों से बात कर रहा हूँ? तुम लोग अभी भी बहुत बेपरवाह हो, क्यों? ऐसा क्यों है? क्या तुम लोगों ने इस बारे में पहले कभी नहीं सोचा है? मैं इन बातों को किनके लिए कहता हूँ? मुझ पर विश्वास करो! मैं तुम लोगों का उद्धारकर्ता हूँ! मैं तुम लोगों का एकमात्र सर्वशक्तिमान हूँ! नज़र रखो! नज़र रखो! गँवाया हुआ समय फिर कभी नहीं आएगा, यह याद रखो! धरती पर कहीं भी ऐसी जगह नहीं है जहाँ तुम लोग उस दवा को खरीद सको जो पछतावे को शांत करेगी! तो मैं तुम लोगों से यह कैसे कहूँ? क्या मेरा वचन तुम लोगों द्वारा सावधानीपूर्वक सोच-विचार और बार-बार मनन किए जाने योग्य नहीं है? तुम लोग मेरे वचनों के मामले में बहुत लापरवाह हो और अपने जीवन के मामले में बहुत गैर-ज़िम्मेदार हो; मैं इसे कैसे सहन कर सकता हूँ? मैं कैसे सह सकता हूँ?

क्यों, इस पूरे समय में, तुम लोगों के बीच एक उचित कलीसिया जीवन उत्पन्न होने में असमर्थ रहा है? ऐसा इसलिए है क्योंकि तुम लोगों में विश्वास की कमी है, तुम लोग कीमत चुकाने के इच्छुक नहीं हो, तुम लोग अपने आप को अर्पित करने के इच्छुक नहीं हो, और मेरे सामने अपने आप को व्यय करने के इच्छुक नहीं हो। जागो, मेरे पुत्रो! मुझ पर विश्वास करो, मेरे पुत्रो! मेरे प्यारो, मेरे हृदय में जो है उस पर तुम लोग विचार करने में असमर्थ क्यों हो?

—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, भाग तीन

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