परमेश्वर के दैनिक वचन : इंसान की भ्रष्टता का खुलासा | अंश 316

10 अक्टूबर, 2020

अब, तुम्हारा प्रयास प्रभावी रहा है या नहीं, यह इस बात से मापा जाता है कि इस समय तुम लोगों के अंदर क्या है। तुम लोगों के परिणाम का निर्धारण करने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है; कहने का अर्थ है कि तुम लोगों ने जिन चीज़ों का त्याग किया है और जो कुछ काम किए हैं, उनसे तुम लोगों का परिणाम सामने आता है। तुम लोगों के प्रयास से, तुम लोगों की आस्था से, तुम लोगों ने जो कुछ किया है उनसे, तुम लोगों का परिणाम जाना जाएगा। तुम लोगों में, बहुत-से ऐसे हैं जो पहले ही उद्धार से परे हो चुके हैं, क्योंकि आज का दिन लोगों के परिणाम को उजागर करने का दिन है, और मैं अपने काम में उलझा हुआ नहीं रहूँगा; मैं अगले युग में उन लोगों को नहीं ले जाऊँगा जो पूरी तरह से उद्धार से परे हैं। एक समय आएगा, जब मेरा कार्य पूरा हो जाएगा। मैं उन दुर्गंधयुक्त, बेजान लाशों पर कार्य नहीं करूँगा जिन्हें बिल्कुल भी बचाया नहीं जा सकता; अब इंसान के उद्धार के अंतिम दिन हैं, और मैं निरर्थक कार्य नहीं करूँगा। स्वर्ग और धरती का विरोध मत करो—दुनिया का अंत आ रहा है। यह अपरिहार्य है। चीज़ें इस मुकाम तक आ गयी हैं, और उन्हें रोकने के लिए तुम इंसान के तौर पर कुछ नहीं कर सकते; तुम अपनी इच्छानुसार चीज़ों को बदल नहीं सकते। कल, तुमने सत्य का अनुसरण करने के लिए कीमत अदा नहीं की थी और तुम निष्ठावान नहीं थे; आज, समय आ चुका है, तुम उद्धार से परे हो; और आने वाले कल में तुम्हारे उद्धार की कोई गुंजाइश नहीं होगी। हालाँकि मेरा दिल कोमल है और मैं तुम्हें बचाने के लिए सब-कुछ कर रहा हूँ, अगर तुम अपने स्तर पर प्रयास नहीं करते या अपने लिए विचार नहीं करते, तो इसका मुझसे क्या लेना-देना? जो लोग केवल अपने देह-सुख की सोचते हैं और सुख-साधनों का आनंद लेते हैं; जो विश्वास रखते हुए प्रतीत होते हैं लेकिन सचमुच विश्वास नहीं रखते; जो बुरी औषधियों और जादू-टोने में लिप्त रहते हैं; जो व्यभिचारी हैं, जो बिखर चुके हैं, तार-तार हो चुके हैं; जो यहोवा के चढ़ावे और उसकी संपत्ति को चुराते हैं; जिन्हें रिश्वत पसंद है; जो व्यर्थ में स्वर्गारोहित होने के सपने देखते हैं; जो अहंकारी और दंभी हैं, जो केवल व्यक्तिगत शोहरत और धन-दौलत के लिए संघर्ष करते हैं; जो कर्कश शब्दों को फैलाते हैं; जो स्वयं परमेश्वर की निंदा करते हैं; जो स्वयं परमेश्वर की आलोचना और बुराई करने के अलावा कुछ नहीं करते; जो गुटबाज़ी करते हैं और स्वतंत्रता चाहते हैं; जो खुद को परमेश्वर से भी ऊँचा उठाते हैं; वे तुच्छ नौजवान, अधेड़ उम्र के लोग और बुज़ुर्ग स्त्री-पुरुष जो व्यभिचार में फँसे हुए हैं; जो स्त्री-पुरुष निजी शोहरत और धन-दौलत का मज़ा लेते हैं और लोगों के बीच निजी रुतबा तलाशते हैं; जिन लोगों को कोई मलाल नहीं है और जो पाप में फँसे हुए हैं—क्या वे तमाम लोग उद्धार से परे नहीं हैं? व्यभिचार, पाप, बुरी औषधि, जादू-टोना, अश्लील भाषा और असभ्य शब्द सब तुम लोगों में निरंकुशता से फैल रहे हैं; सत्य और जीवन के वचन तुम लोगों के बीच कुचले जाते हैं और तुम लोगों के मध्य पवित्र भाषा मलिन की जाती है। तुम मलिनता और अवज्ञा से भरे हुए अन्यजाति राष्ट्रो! तुम लोगों का अंतिम परिणाम क्या होगा? जिन्हें देह-सुख से प्यार है, जो देह का जादू-टोना करते हैं, और जो व्यभिचार के पाप में फँसे हुए हैं, वे जीते रहने का दुस्साहस कैसे कर सकते हैं! क्या तुम नहीं जानते कि तुम जैसे लोग कीड़े-मकौड़े हैं जो उद्धार से परे हैं? किसी भी चीज़ की माँग करने का हक तुम्हें किसने दिया? आज तक, उन लोगों में ज़रा-सा भी परिवर्तन नहीं आया है जिन्हें सत्य से प्रेम नहीं है, जो केवल देह से प्यार करते हैं—ऐसे लोगों को कैसे बचाया जा सकता है? जो जीवन के मार्ग को प्रेम नहीं करते, जो परमेश्वर को ऊँचा उठाकर उसकी गवाही नहीं देते, जो अपने रुतबे के लिए षडयंत्र रचते हैं, जो अपनी प्रशंसा करते हैं—क्या वे आज भी वैसे ही नहीं हैं? उन्हें बचाने का क्या मूल्य है? तुम्हारा बचाया जाना इस बात पर निर्भर नहीं है कि तुम कितने वरिष्ठ हो या तुम कितने साल से काम कर रहे हो, और इस बात पर तो बिल्कुल भी निर्भर नहीं है कि तुमने कितनी साख बना ली है। बल्कि इस बात पर निर्भर है कि क्या तुम्हारा लक्ष्य फलीभूत हुआ है। तुम्हें यह जानना चाहिए कि जिन्हें बचाया जाता है वे ऐसे "वृक्ष" होते हैं जिन पर फल लगते हैं, ऐसे वृक्ष नहीं जो हरी-भरी पत्तियों और फूलों से तो लदे होते हैं, लेकिन जिन पर फल नहीं आते। अगर तुम बरसों तक भी गलियों की खाक छानते रहे हो, तो उससे क्या फर्क पड़ता है? तुम्हारी गवाही कहाँ है? परमेश्वर के प्रति तुम्हारी श्रद्धा, खुद के लिए तुम्हारे प्रेम और तुम्हारी वासनायुक्त कामनाओं से कहीं कम है—क्या इस तरह का व्यक्ति पतित नहीं है? वे उद्धार के लिए नमूना और आदर्श कैसे हो सकते हैं? तुम्हारी प्रकृति सुधर नहीं सकती, तुम बहुत ही विद्रोही हो, तुम्हारा उद्धार नहीं हो सकता! क्या ऐसे लोगों को हटा नहीं दिया जाएगा? क्या मेरे काम के समाप्त हो जाने का समय तुम्हारा अंत आने का समय नहीं है? मैंने तुम लोगों के बीच बहुत सारा कार्य किया है और बहुत सारे वचन बोले हैं—इनमें से कितने सच में तुम लोगों के कानों में गए हैं? इनमें से कितनों का तुमने कभी पालन किया है? जब मेरा कार्य समाप्त होगा, तो यह वो समय होगा जब तुम मेरा विरोध करना बंद कर दोगे, तुम मेरे खिलाफ खड़ा होना बंद कर दोगे। जब मैं काम करता हूँ, तो तुम लोग लगातार मेरे खिलाफ काम करते रहते हो; तुम लोग कभी मेरे वचनों का अनुपालन नहीं करते। मैं अपना कार्य करता हूँ, और तुम अपना "काम" करते हो, और अपना छोटा-सा राज्य बनाते हो। तुम लोग लोमड़ियों और कुत्तों से कम नहीं हो, सब-कुछ मेरे विरोध में कर रहे हो! तुम लगातार उन्हें अपने आगोश में लाने का प्रयास कर रहे हो जो तुम्हें अपना अविभक्त प्रेम समर्पित करते हैं—तुम लोगों की श्रद्धा कहाँ है? तुम्हारा हर काम कपट से भरा होता है! तुम्हारे अंदर न आज्ञाकारिता है, न श्रद्धा है, तुम्हारा हर काम कपटपूर्ण और ईश-निंदा करने वाला होता है! क्या ऐसे लोगों को बचाया जा सकता है? जो पुरुष यौन-संबंधों में अनैतिक और लम्पट होते हैं, वे हमेशा कामोत्तेजक वेश्याओं को आकर्षित करके उनके साथ मौज-मस्ती करना चाहते हैं। मैं ऐसे काम-वासना में लिप्त अनैतिक राक्षसों को कतई नहीं बचाऊंगा। मैं तुम मलिन राक्षसों से घृणा करता हूँ, तुम्हारा व्यभिचार और तुम्हारी कामोत्तेजना तुम लोगों को नरक में धकेल देगी। तुम लोगों को अपने बारे में क्या कहना है? मलिन राक्षसो और दुष्ट आत्माओ, तुम लोग घिनौने हो! तुम निकृष्ट हो! ऐसे कूड़े-करकट को कैसे बचाया जा सकता है? क्या ऐसे लोगों को जो पाप में फँसे हुए हैं, उन्हें अब भी बचाया जा सकता है? आज, यह सत्य, यह मार्ग और यह जीवन तुम लोगों को आकर्षित नहीं करता; बल्कि, तुम लोग पाप की ओर, धन की ओर, रुतबे की ओर, शोहरत और लाभ की ओर आकर्षित होते हो; देह-सुख की ओर आकर्षित होते हो; सुंदर स्त्री-पुरुषों की ओर आकर्षित होते हो। मेरे राज्य में प्रवेश करने की तुम लोगों की क्या पात्रता है? तुम लोगों की छवि परमेश्वर से भी बड़ी है, तुम लोगों का रुतबा परमेश्वर से भी ऊँचा है, लोगों में तुम्हारी प्रतिष्ठा का तो कहना ही क्या—तुम लोग ऐसे आदर्श बन गए हो जिन्हें लोग पूजते हैं। क्या तुम प्रधान स्वर्गदूत नहीं बन गए हो? जब लोगों के परिणाम उजागर होते हैं, जो वो समय भी है जब उद्धार का कार्य समाप्ति के करीब होने लगेगा, तो तुम लोगों में से बहुत-से ऐसी लाश होंगे जो उद्धार से परे होंगे और जिन्हें हटा दिया जाना होगा। उद्धार-कार्य के दौरान, मैं सभी लोगों के प्रति दयालु और नेक होता हूँ। जब कार्य समाप्त होता है, तो अलग-अलग किस्म के लोगों का परिणाम प्रकट किया जाएगा, और उस समय, मैं दयालु और नेक नहीं रहूँगा, क्योंकि लोगों का परिणाम प्रकट हो चुका होगा, और हर एक को उसकी किस्म के अनुसार वर्गीकृत कर दिया गया होगा, फिर और अधिक उद्धार-कार्य करने का कोई मतलब नहीं होगा, क्योंकि उद्धार का युग गुज़र चुका होगा, और गुज़र जाने के बाद वह वापस नहीं आएगा।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, अभ्यास (7)

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