परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर के कार्य को जानना | अंश 173

16 अप्रैल, 2021

पवित्र आत्मा के कार्य को कई प्रकार के लोगों और अनेक भिन्न-भिन्न परिस्थितियों के माध्यम से संपन्न और पूरा किया जाता है। यद्यपि देहधारी परमेश्वर का कार्य एक संपूर्ण युग के कार्य का प्रतिनिधित्व कर सकता है, और एक संपूर्ण युग में लोगों के प्रवेश का प्रतिनिधित्व कर सकता है, फिर भी लोगों के प्रवेश के विस्तृत विवरण पर कार्य अभी भी उन लोगों द्वारा किए जाने की आवश्यकता है जिनका उपयोग पवित्र आत्मा द्वारा किया जाता है, न कि इसे देहधारी परमेश्वर द्वारा किए जाने की आवश्यकता है। इसलिए, परमेश्वर का कार्य, या परमेश्वर की अपनी सेवकाई, देहधारी परमेश्वर के देह का कार्य है, इसे परमेश्वर के बदले मनुष्य नहीं कर सकता। पवित्र आत्मा का कार्य विभिन्न प्रकार के मनुष्यों द्वारा पूरा किया जाता है; और इसे केवल एक ही व्यक्ति-विशेष द्वारा पूरा नहीं किया जा सकता या एक ही व्यक्ति-विशेष के माध्यम से पूरी तरह से व्यक्त नहीं किया जा सकता। जो लोग कलीसियाओं की अगुवाई करते हैं, वे भी पूरी तरह से पवित्र आत्मा के कार्य का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते; वे केवल अगुआई का कुछ कार्य ही कर सकते हैं। इस तरह, पवित्र आत्मा के कार्य को तीन हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है : परमेश्वर का अपना कार्य, प्रयुक्त लोगों का कार्य, और उन सभी लोगों पर किया गया कार्य जो पवित्र आत्मा की धारा में हैं। परमेश्वर का अपना कार्य संपूर्ण युग की अगुवाई करना है; प्रयुक्त लोगों का कार्य, परमेश्वर के अपने कार्य कर लेने के पश्चात् भेजे जाने या आज्ञा प्राप्त करने के द्वारा परमेश्वर के सभी अनुयायियों की अगुवाई करना है, और यही वे लोग हैं जो परमेश्वर के कार्य में सहयोग करते हैं; पवित्र आत्मा द्वारा धारा में मौजूद लोगों पर किया गया कार्य उसके अपने कार्य को बनाए रखने के लिए है, अर्थात्, संपूर्ण प्रबंधन को और अपनी गवाही को बनाए रखने के लिए है, साथ ही उन लोगों को पूर्ण बनाने के लिए है जिन्हें पूर्ण बनाया जा सकता है। ये तीनों हिस्से मिलकर, पवित्र आत्मा का पूर्ण कार्य हैं, किन्तु स्वयं परमेश्वर के कार्य के बिना, संपूर्ण प्रबंधन कार्य रूक जाएगा। स्वयं परमेश्वर के कार्य में संपूर्ण मनुष्यजाति का कार्य समाविष्ट है, और यह संपूर्ण युग के कार्य का भी प्रतिनिधित्व करता है, कहने का तात्पर्य है कि परमेश्वर का अपना कार्य पवित्र आत्मा के सभी कार्य की गतिक और रुझान का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि प्रेरितों का कार्य परमेश्वर के अपने कार्य के बाद आता है और वहाँ से उसका अनुसरण करता है, वह न तो युग की अगुवाई करता है, न ही वह पूरे युग में पवित्र आत्मा के कार्य के रुझान का प्रतिनिधित्व करता है। वे केवल वही कार्य करते हैं जो मनुष्य को करना चाहिए, जिसका प्रबंधन कार्य से कोई लेना-देना नहीं है। परमेश्वर का अपना कार्य प्रबंधन कार्य के भीतर ही एक परियोजना है। मनुष्य का कार्य केवल वही कर्तव्य है जिसका निर्वहन प्रयुक्त लोग करते हैं, और उसका प्रबंधन कार्य से कोई संबंध नहीं है। कार्य की विभिन्न पहचान और कार्य के विभिन्न निरूपणों के कारण, इस तथ्य के बावजूद कि वे दोनों पवित्र आत्मा के कार्य हैं, परमेश्वर के कार्य और मनुष्य के कार्य के बीच स्पष्ट और सारभूत अंतर हैं। इसके अतिरिक्त, पवित्र आत्मा द्वारा किए गए कार्य की सीमा विभिन्न पहचानों वाली वस्तुओं के अनुसार भिन्न होती है। ये पवित्र आत्मा के कार्य के सिद्धांत और दायरे हैं।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का कार्य

परमेश्वर के कार्य और मनुष्य के कार्य के बीच अंतर

1

जो काम ईश्वर स्वयं करे वो जुड़ा है सारी मानवजाति से और दर्शाए पूरे युग के काम को। यानी ईश्वर का अपना काम पवित्र आत्मा के काम के गतिक और रुझान का प्रतिनिधित्व करे। प्रेरितों का काम आता है ईश-कार्य के बाद और उसका अनुसरण करे, वो युग की अगुआई न करे, न ही पूरे युग में पवित्र आत्मा के काम के रुझानों का प्रतिनिधित्व करे। इंसान वही करते जो उन्हें करना चाहिए। उसका ईश-प्रबंधन से कुछ लेना-देना नहीं। जो काम ईश्वर स्वयं करे वो है उसके प्रबंधन-कार्य की परियोजना। जो काम इंसान करते वो बस इस्तेमाल किए जाने वालों का कर्तव्य है, वो प्रबंधन-कार्य का अंग नहीं है, वो प्रबंधन-कार्य का अंग नहीं है।

2

ये सही है कि दोनों ही काम पवित्र आत्मा के हैं, लेकिन अंतर है उनकी पहचान में, वे जिसका प्रतिनिधित्व करते उसमें, तभी ईश्वर और इंसान का काम बिल्कुल अलग हैं एक-दूसरे से। पवित्र आत्मा के काम की सीमा भिन्न पहचान वाली वस्तुओं के अनुसार बदले। ये दायरे और सिद्धांत हैं पवित्र आत्मा के काम के। जो काम ईश्वर स्वयं करे वो है उसके प्रबंधन-कार्य की परियोजना। जो काम इंसान करते वो बस इस्तेमाल किए जाने वालों का कर्तव्य है, वो प्रबंधन-कार्य का अंग नहीं है, वो प्रबंधन-कार्य का अंग नहीं है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का कार्य से रूपांतरित

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