Hindi Christian Testimony Video | कर्तव्यों में कोई पद या भेद नहीं होता
14 अक्टूबर, 2025
वह कई वर्षों तक कलीसिया की अगुआ के रूप में अपना कर्तव्य निभाती रही थी और भाई-बहन उसका बहुत सम्मान करते थे, जिससे उसे बड़ी खुशी और संतुष्टि मिलती थी। जब काम की जरूरतों के कारण उसे मेजबानी का कर्तव्य सौंपा गया, तो उसे लगा कि यह कर्तव्य छोटा है और उसे नीची नजर से देखे जाने का डर था, जिससे उसके लिए समर्पण करना मुश्किल हो गया। नतीजतन, वह पीड़ा और दमन में जीती रही। बाद में, सत्य खोजने के माध्यम से, वह समझ गई कि कर्तव्यों में कोई ऊँच-नीच नहीं होती और वह समर्पण करके लगन से अपना कर्तव्य निभाने में सक्षम हो गई।
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