दुनिया के अंत के संकेत दिख गए हैं: भारी क्लेश से पहले हमें कैसे स्वर्गारोहित किया जाएगा
लेखक: बेकी, अमेरिका सूचीपत्र जब हमारा स्वर्गारोहण होगा, तो क्या हमें वाकई आसमान में उठाया जाएगा? भारी क्लेश से पहले स्वर्गारोहण का...
हम परमेश्वर के प्रकटन के लिए बेसब्र सभी साधकों का स्वागत करते हैं!
संपादक की टिप्पणी : हाल के दिनों में “रक्त चंद्रमा” खगोलीय परिघटना अक्सर प्रकट हुई है। वैश्विक महामारियाँ, भूकंप, अकाल जैसी विभिन्न आपदाएँ और भी बदतर होती जा रही हैं। अंत के दिनों के बारे में बाइबल की भविष्यवाणियाँ अधिकांशतः पूरी हो चुकी हैं। महा विनाश अब हमारे सिर पर हैं, इसलिए हमें प्रभु के लौटने का स्वागत कैसे करना चाहिए? उत्तर इस लेख में है।

खगोलीय समाचार के अनुसार, 7-8 सितंबर 2025 को 82 मिनट तक चलने वाला पूर्ण चंद्र ग्रहण लगेगा। यह दुर्लभ रक्त चंद्रमा दुनिया के बहुत सारे हिस्सों में दिखाई देगा।
हाल के वर्षों में रक्त चंद्रमा बार-बार प्रकट हुए हैं, मानो दुनिया के लिए लगातार चेतावनियाँ हों :
15 अप्रैल 2014 को एक छोटी सी अवधि में चार रक्त चंद्रमाओं की शृंखला में से पहले रक्त चंद्रमा की चौंकाऊ उपस्थिति दर्ज हुई जिसने आकाश को खून की तरह लाल रंग से रंग दिया।
8 अक्टूबर 2014 को दूसरा रक्त चंद्रमा प्रकट हुआ और खतरे की घंटियाँ बजती रहीं।
4 अप्रैल 2015 को तीसरा रक्त चंद्रमा आया और असामान्य दृश्य अक्सर दिखने लगे।
27-28 सितंबर 2015 को चौथा रक्त चंद्रमा सुपरमून के साथ दिखाई दिया।
31 जनवरी 2018 को आकाश में दुर्लभ “सुपर नीले रक्त चंद्रमा” का तिहरा संगम दिखाई दिया।
21 जनवरी 2019 को “सुपर ब्लड वुल्फ मून” ने रात के आकाश को हिला दिया, जिसमें लाल चंद्रमा के साथ “वुल्फ मून” भी था—यह एक और दुर्लभ खगोलीय घटना थी।
26 मई 2021 को एक बार फिर रक्त चंद्रमा और सुपरमून एक साथ दिखाई दिए।
16 मई 2022 को पूर्व दिशा में “पुष्प रक्त चंद्रमा” उदित हुआ और लोगों ने एक बार फिर चंद्रमा को रक्त जैसे लाल रंग में बदलते देखा।
13-14 मार्च 2025 को एक और रक्त चंद्रमा दिखाई दिया—“वर्म मून” के नाम से जाने जाने वाला पूर्ण चंद्रमा रक्त की तरह लाल हो गया।
क्या ये बार-बार दिखने वाले रक्त चंद्रमा सचमुच बस खगोलीय परिघटनाएँ हैं? या क्या ये हमें याद दिला रहे हैं कि महा विनाश निकट से निकटतर आते जा रहे हैं?
बहुत से नबी यह विश्वास करते हैं कि रक्त चंद्रमाओं का प्रकट होना भविष्य की असाधारण और बड़ी घटनाओं का संकेत है। बहुत से बाइबल विशेषज्ञ भी हैं जो दृढ़ता से मानते हैं कि रक्त चंद्रमा का प्रकट होना जोएल की पुस्तक 2:29-31 की भविष्यवाणी का पूरा होना है : “तुम्हारे दास और दासियों पर भी मैं उन दिनों में अपना आत्मा उंडेलूँगा। मैं आकाश में और पृथ्वी पर चमत्कार अर्थात् लहू और आग दिखाऊँगा और धुएँ के खम्भे दिखाऊँगा। यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहले सूर्य अन्धियारा होगा और चन्द्रमा रक्त सा हो जाएगा।” साथ ही, प्रकाशितवाक्य 6:21 में लिखा हुआ है : “जब उसने छठवीं मुहर खोली तो मैंने देखा कि एक बड़ा भूकम्प हुआ और सूर्य कम्बल के समान काला और पूरा चंद्रमा लहू के समान हो गया।” भविष्यवाणी में जिस “बड़े और भयानक दिन” का उल्लेख किया गया है उसका संदर्भ महा विनाशों से है। हम सबने देखा है कि पिछले कुछ वर्षों में आपदाएँ पैमाने के स्तर पर बढ़ रही हैं; इनमें भूकंप, अकाल, प्लेग और बाढ़ जैसी आपदाएँ बार-बार घटित हो रही हैं जो सचमुच भयावह है; दुनिया की स्थिति उथल-पुथल में है और लगातार बदल रही है और युद्ध, हिंसक घटनाओं और आतंकवादी हमलों के लगातार विस्फोट हो रहे हैं जो बढ़ते जा रहे हैं; वैश्विक जलवायु गरमाती जा रही है और चरम मौसम और विभिन्न खगोलीय अजूबे अक्सर घटित हो रहे हैं। बाइबल में अंत के दिनों के जिन संकेतों की भविष्यवाणी की गई है वे एक-एक कर प्रकट हो चुके हैं। रक्त चंद्रमाओं का बार-बार दिखना कोई अद्भुत दृश्य नहीं, बल्कि अंत के दिनों की चेतावनी है!
चूँकि महा विनाशों का आगमन हो चुका है तो हमें प्रभु का स्वागत कैसे करना चाहिए और उसका उद्धार कैसे हासिल करना चाहिए? प्रभु यीशु ने कहा था : “मेरी भेड़ें मेरी वाणी सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरे पीछे-पीछे चलती हैं” (यूहन्ना 10:27)। “मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा” (यूहन्ना 16:12-13)। प्रकाशितवाक्य के अध्याय 2 और 3 में बहुत सारे स्थानों पर भविष्यवाणी की गई है : “जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है।” इन भविष्यवाणियों से हम देख सकते हैं कि परमेश्वर समस्त सत्य में लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए अंत के दिनों में वचन कहेगा, उन्हें शुद्ध करने और बचाने के लिए और उन्हें परमेश्वर के राज्य में लाने के लिए कार्य का एक नया चरण करेगा। केवल परमेश्वर की वाणी को सुनने के लिए ध्यान देकर और परमेश्वर के प्रकटन के लिए लालायित होकर हम प्रभु यीशु का स्वागत कर सकते हैं, परमेश्वर के द्वारा बचाए जाने और पूर्ण बनाए जाने का मौका पा सकते हैं और उसके साथ एक खूबसूरत गंतव्य में प्रवेश कर सकते हैं। अन्यथा अगर हम प्रभु की वापसी से चूक जाएँगे तो परमेश्वर के उद्धार को गंवा बैठेंगे, अंत के दिनों के महा विनाशों में गिर जाएँगे और हटा दिए और दंडित किए जाएँगे। इस बारे में परमेश्वर जो कहता है वह यह है :
एक के बाद एक सभी तरह की आपदाएँ आ पड़ेंगी; सभी देश और स्थान आपदाओं का सामना करेंगे : हर जगह महामारी, अकाल, बाढ़, सूखा और भूकंप आएँगे। ये आपदाएँ सिर्फ एक-दो जगहों पर ही नहीं आएँगी, न ही वे एक-दो दिनों में समाप्त होंगी, बल्कि वे बड़े से बड़े क्षेत्र तक फैल जाएँगी, और अधिकाधिक गंभीर होती जाएँगी। इस दौरान, एक के बाद एक सभी प्रकार के कीट-उपद्रव उत्पन्न होंगे और हर जगह नरभक्षण की घटनाएँ होंगी। समस्त देशों और समस्त लोगों पर यह मेरा न्याय है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 65
दुनिया के विशाल विस्तार में अनगिनत बार गाद भरने से महासागर खेतों में बदल जाते हैं और खेत बाढ़ से महासागरों में बदल जाते हैं। सिवाय उसके जो सभी चीजों पर संप्रभुता रखता है, ऐसा कोई नहीं है जो इस मानवजाति की अगुआई और मार्गदर्शन कर सके। कोई ऐसा “पराक्रमी” नहीं है जो इस मानवजाति के लिए कड़ी मेहनत या तैयारी कर सकता हो, और ऐसा तो कोई भी नहीं है, जो इस मानवजाति को प्रकाश की मंजिल की ओर ले जा सके और इसे मानव संसार के अन्यायों से मुक्त कर सके। परमेश्वर मानवजाति के भविष्य पर विलाप करता है, वह मानवजाति के पतन पर शोक करता है, और उसे पीड़ा होती है कि मानवजाति कदम-दर-कदम क्षय और ऐसे मार्ग की ओर बढ़ रही है जहाँ से वापसी संभव नहीं है। किसी ने कभी यह नहीं सोचा है : जिस मानवजाति ने पूरी तरह परमेश्वर का हृदय तोड़ दिया है और बुरे को खोजने के लिए परमेश्वर को त्याग कर दिया है, वह भलाकहाँ जा रही होगी? ठीक इसी कारण से कोई परमेश्वर के कोप को भाँपने की कोशिश नहीं करता, उस मार्ग को नहीं खोजता जो परमेश्वर को खुश करे या परमेश्वर के करीब आने की कोशिश नहीं करता, और इससे भी अधिक, कोई परमेश्वर के दुख और दर्द को समझने की कोशिश नहीं करता। परमेश्वर की वाणी सुनने के बाद भी मनुष्य अपने मार्ग पर चलता रहता है, परमेश्वर से दूर रहने, परमेश्वर के अनुग्रह और देखभाल से बचने, उसके सत्य से कतराने में लगा रहता है, अपने आप को परमेश्वर के दुश्मन, शैतान को बेचना पसंद करता है। और किसने इस बात पर कोई विचार किया है कि क्या मनुष्य को अपने हठीपन पर अड़े रहना चाहिए, परमेश्वर इस मानवजाति के साथ कैसा व्यवहार करेगा जो उसका इतना अत्यंत निरादर करती है? कोई नहीं जानता कि मनुष्य को लेकर परमेश्वर के बार-बार के अनुस्मारकों और आग्रहों का कारण यह है कि उसने अपने हाथों में एक अभूतपूर्व आपदा तैयार कर ली है, एक ऐसी आपदा जो मनुष्य की देह और आत्मा के लिए असहनीय होगी, यह आपदा केवल देह का ही दंड नहीं होगी, बल्कि यह मनुष्य की आत्मा को भी निशाना बनाएगी। तुम्हें यह जानने की आवश्यकता है : जब परमेश्वर की योजना निष्फल होगी और जब उसके अनुस्मारकों और आग्रहों का कोई प्रतिदान नहीं मिलेगा तो वह किस प्रकार का क्रोप प्रकट करेगा? यह ऐसा होगा जिसे पहले कभी किसी सृजित प्राणी ने अनुभव किया या जाना नहीं होगा। और इसलिए मैं कहता हूँ, यह आपदा न भूतो न भविष्यति होगी। क्योंकि परमेश्वर की योजना मानवजाति का केवल इस बार सृजन करने और उसे केवल इस बार बचाने की है। यह पहली बार है और यही अंतिम बार भी है। इसलिए परमेश्वर इस बार इंसान को जिन श्रमसाध्य इरादों और उत्साहपूर्ण प्रत्याशा से बचाता है, उन्हें कोई नहीं समझ सकता।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर मनुष्य के जीवन का स्रोत है
परमेश्वर का कार्य एक प्रचंड लहर के समान आगे बढ़ता है। उसे कोई नहीं थाम सकता, और कोई भी उसके प्रयाण को रोक नहीं सकता। केवल वे लोग ही उसके पदचिह्नों का अनुसरण कर सकते हैं और उसकी प्रतिज्ञा प्राप्त कर सकते हैं, जो उसके वचन सावधानीपूर्वक सुनते हैं, और उसकी खोज करते हैं और उसके लिए प्यासे हैं। जो ऐसा नहीं करते, वे ज़बरदस्त आपदा और उचित दंड के भागी होंगे।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 2 : परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य पर संप्रभु है
परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?
लेखक: बेकी, अमेरिका सूचीपत्र जब हमारा स्वर्गारोहण होगा, तो क्या हमें वाकई आसमान में उठाया जाएगा? भारी क्लेश से पहले स्वर्गारोहण का...
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