अपने पिता के साथ सुसमाचार साझा करना

06 सितम्बर, 2020

बचपन में ही मैं विश्वासी बन गया था, मैंने अपना पूरा जीवन प्रभु की सेवा में लगाने की ठान ली थी। मैं शिक्षा के लिए तीन साल तक डिविनिटी स्कूल गया जहां मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर लिया। सुसमाचार को स्वीकार करने के बाद मैं प्रभु की वापसी का शुभ समाचार तुरंत अपने पिता को देना चाहता था। वे एक स्थानीय कलीसिया में उपयाजक थे, उन्हें बाइबल की अच्छी जानकारी थी, उन्होंने वर्षों तक प्रभु की सेवा की थी, और वे दूसरों के प्रति स्नेही थे। वे एक निष्ठावान ईसाई थे। मेरा ख़याल था कि प्रभु की वापसी की बात सुनते ही वे इसे तुरंत स्वीकार कर लेंगे।

उस रात जब मैं घर पहुंचा, तो मैंने उनसे कहा, "हम जिस प्रभु यीशु की प्रतीक्षा कर रहे थे, वह वापस आ चुका है। वह सत्य व्यक्त कर रहा है और परमेश्वर के घर से शुरू करके न्याय का कार्य कर रहा है। हमें शुद्ध होने और उसके राज्य में प्रवेश करने के लिए अंत के दिनों के उसके कार्य को स्वीकार करना होगा।" मुझे हैरत हुई जब उन्होंने मुझे सलाह दी, "बाइबल में भविष्यवाणी की गयी है कि अंत के दिनों में झूठे मसीह लोगों को धोखा देंगे, इसलिए सतर्क रह और चौकसी रख। तू जो प्रभु की वापसी और न्याय-कार्य की बात कर रहा है, क्या बाइबल में उसका कोई आधार है? अगर नहीं, तो इसके फेर में मत पड़!" मैंने बाइबल की एक प्रति निकाली और कहा, "ज़ाहिर तौर पर आधार है, कम-से-कम 200 पद ऐसे हैं जिनमें अपना न्याय-कार्य करने के लिए प्रभु के आने का जिक्र है, जैसे कि 'क्योंकि वह पृथ्वी का न्याय करने को आनेवाला है। वह धर्म से जगत का, और सच्‍चाई से देश देश के लोगों का न्याय करेगा' (भजन संहिता 98:9)। यूहन्ना में यह कहा गया है, 'पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है' (यूहन्ना 5:22)। 'जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा' (यूहन्ना 12:48)। और 1 पतरस में यह जिक्र है 'क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए' (1 पतरस 4:17)। यह दिखाता है कि सत्य व्यक्त करने और न्याय का कार्य करने के लिए अंत के दिनों में प्रभु देहधारी हो जाता है।" उन्होंने उल्टा मुझसे सवाल पूछा, "देहधारी? मैंने अभी-अभी बाइबल में देखा कि वह एक बादल पर आयेगा। 'देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे' (प्रकाशितवाक्य 1:7)। मैंने कभी भी बाइबल में प्रभु के देहधारी होकर आने के बारे में कुछ नहीं देखा। ऐसा हो ही नहीं सकता कि वह देहधारी होकर न्याय का कार्य करे!" तब मैंने उनसे यह संगति साझा की: "प्रभु के आने को लेकर बहुत-सी भविष्यवाणियाँ मौजूद हैं, सिर्फ़ उसके बादल पर आने के बारे में नहीं, बल्कि गुप्त रूप से देहधारी बनने के बारे में भी। जैसा कि प्रभु यीशु ने कहा, 'तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा' (लूका 12:40)। 'देख, मैं चोर के समान आता हूँ' (प्रकाशितवाक्य 16:15)। और लूका 17:24-25 में कहा गया है, 'क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ।' प्रभु यीशु ने कई बार मनुष्य के पुत्र के आने का जिक्र किया है, जिनका संदर्भ प्रभु के देहधारी होकर आने से है। अगर हम उसके आगमन को बादल पर होने तक सीमित रखेंगे, तो उसके गुप्त रूप से आने की भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी होंगी? अंत के दिनों में प्रभु दो तरह से आता है। पहले तो परमेश्वर के घर से शुरू करके न्याय-कार्य करने के लिए वह देहधारी होकर गुप्त रूप से आता है, फिर वह एक बादल पर सवार होकर आता है और सबके सामने प्रकट होता है। अगर हम उसके गुप्त रूप से आने की भविष्यवाणियों पर गौर न करें और सिर्फ़ उसके बादल पर सवार होकर आने पर ध्यान दें, तो यह एकतरफा और मनमाना होगा और हो सकता है हम प्रभु का स्वागत करने का अपना मौक़ा गँवा दें।"

मेरे पिता ने बिना कुछ कहे सिर्फ़ भौंहें सिकोड़ीं, फिर उन्होंने गुस्से से मुझे टोका: "बहुत हो गया। मैंने बचपन से ही बाइबल पढ़ी है, और वर्षों से प्रभु की सेवा करता रहा हूँ। क्या मैं तुझसे ज़्यादा नहीं जानता? डिविनिटी स्कूल में सिर्फ़ तीन साल बिता कर तू कितना जान सकता है?" मैं समझ गया कि वे शांत नहीं हो पा रहे हैं, मेरी संगति उन्होंने सुनी ही नहीं। मैं बस अपने कमरे में वापस चला गया। इसके बाद मैंने दो-चार बार और कोशिश की, लेकिन वे सुनना ही नहीं चाहते थे, वे यह भी बोले, "प्रभु में विश्वास रखना काफ़ी है। चुप रह या निकल जा!" मुझे झटका लगा और उनका बर्ताव देख कर मैं परेशान हो गया। उन्होंने एक लंबे अरसे तक प्रभु की सेवा की थी और हमेशा स्नेही और विनम्र रहते थे। वे प्रभु के आने के लिए लालायित थे, लेकिन अब उसके यहाँ आ जाने के बाद, मेरे पिता बाइबल के शाब्दिक अर्थ में फंस कर खोज नहीं कर रहे हैं, यहाँ तक कि आग बबूला भी हो गये हैं। मुझे लगा कि मेरे पिता वाकई बड़ी ज़िद पकड़े हुए हैं। मैं हताश हो गया और अपने पिता को बाइबल की बढ़िया समझ होने के बावजूद, अपनी धारणाओं से चिपके हुए देख कर, सुसमाचार साझा करने में मेरा आत्मविश्वास थोड़ा कम हो गया।

जब कुछ भाई-बहनों को पता चला, तो उन्होंने मुझे प्रोत्साहित करने के लिए परमेश्वर के ये वचन भेजे: "क्या तू अपने कधों के बोझ, अपने आदेश और अपने उत्तरदायित्व से अवगत है? ऐतिहासिक मिशन का तेरा बोध कहाँ है? तू अगले युग में प्रधान के रूप में सही ढंग से काम कैसे करेगा? क्या तुझमें प्रधानता का प्रबल बोध है? तू समस्त पृथ्वी के प्रधान का वर्णन कैसे करेगा? क्या वास्तव में संसार के समस्त सजीव प्राणियों और सभी भौतिक वस्तुओं का कोई प्रधान है? कार्य के अगले चरण के विकास हेतु तेरे पास क्या योजनाएं हैं? तुझे चरवाहे के रूप में पाने हेतु कितने लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं? क्या तेरा कार्य काफी कठिन है? वे लोग दीन-दुखी, दयनीय, अंधे, भ्रमित, अंधकार में विलाप कर रहे हैं—मार्ग कहाँ है? उनमें टूटते तारे जैसी रोशनी के लिए कितनी ललक है जो अचानक नीचे आकर उन अंधकार की शक्तियों को तितर-बितर कर दे, जिन्होंने वर्षों से मनुष्यों का दमन किया है। कौन जान सकता है कि वे किस हद तक उत्सुकतापूर्वक आस लगाए बैठे हैं और कैसे दिन-रात इसके लिए लालायित रहते हैं? उस दिन भी जब रोशनी चमकती है, भयंकर कष्ट सहते, रिहाई से नाउम्मीद ये लोग, अंधकार में कैद रहते हैं; वे कब रोना बंद करेंगे? ये दुर्बल आत्माएँ बेहद बदकिस्मत हैं, जिन्हें कभी विश्राम नहीं मिला है। सदियों से ये इसी स्थिति में क्रूर बधंनों और अवरुद्ध इतिहास में जकड़े हुए हैं। उनकी कराहने की आवाज किसने सुनी है? किसने उनकी दयनीय दशा को देखा है? क्या तूने कभी सोचा है कि परमेश्वर का हृदय कितना व्याकुल और चिंतित है? जिस मानवजाति को उसने अपने हाथों से रचा, उस निर्दोष मानवजाति को ऐसी पीड़ा में दु:ख उठाते देखना वह कैसे सह सकता है? आखिरकार मानवजाति को विष देकर पीड़ित किया गया है। यद्यपि मनुष्य आज तक जीवित है, लेकिन कौन यह जान सकता था कि उसे लंबे समय से दुष्टात्मा द्वारा विष दिया गया है? क्या तू भूल चुका है कि शिकार हुए लोगों में से तू भी एक है? परमेश्वर के लिए अपने प्रेम की खातिर, क्या तू उन जीवित बचे लोगों को बचाने का इच्छुक नहीं है? क्या तू उस परमेश्वर को प्रतिफल देने के लिए अपना सारा ज़ोर लगाने को तैयार नहीं है जो मनुष्य को अपने शरीर और लहू के समान प्रेम करता है?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुझे अपने भविष्य के मिशन पर कैसे ध्यान देना चाहिए?)परमेश्वर के वचन वाकई दिल को सुकून देने वाले थे। ऐसे बहुत-से लोग हैं जो परमेश्वर के कार्य को नहीं जानते और धार्मिक धारणाओं से उनका दम घुटा रहता है, इसलिए वे प्रभु की वापसी के समाचार की खोजबीन नहीं करते। वे परमेश्वर के वचनों का पोषण पाये बिना अंधकार में रहते हैं। मुझे परमेश्वर की वाणी को सुनने और मेमने के पदचिह्नों पर चलने का सौभाग्य मिला, इसलिए राज्य के सुसमाचार को ऐसे लोगों के साथ साझा करना मेरी ज़िम्मेदारी है। फिर वे परमेश्वर की वाणी को सुन सकेंगे और उसके सिंहासन के सामने ले जाए जाएंगे, वे परमेश्वर के वचनों के द्वारा शुद्ध होकर बचाये जा सकेंगे। यह परमेश्वर की इच्छा के प्रति विचारशील होना है। मेरे पिता काफ़ी समय से सच्चे विश्वासी थे, वे हमेशा प्रभु की वापसी की लालसा रखते थे। बस, वे धार्मिक धारणाओं से जकड़े हुए थे इसलिए ज़ाहिर है वे एकाएक इसे स्वीकार नहीं कर सकते थे। मुझे मालूम था कि अपना कर्तव्य निभाने के लिए मुझे परमेश्वर पर भरोसा करते हुए अपने पिता के साथ परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को साझा करते रहना चाहिए।

पांचवें दिन मेरे पिता का रवैया थोड़ा नरम पड़ा, इसलिए मैं परमेश्वर के न्याय-कार्य की गवाही साझा करता रहा। उन्होंने गंभीरता से कहा, "हमारी आस्था प्रभु यीशु में है। दिल से विश्वास करने और अपने मुंह से स्वीकार करने का अर्थ है कि आस्था के द्वारा हम उचित ठहराये और बचाये जाते हैं। प्रभु ने हमारे पाप खुद पर ले लिये हैं, इसलिए जब वह आयेगा तो हमें अपने राज्य में ले जाएगा। ज़रूरी नहीं है कि परमेश्वर आकर हमारा न्याय करे।" मैंने उन्हें संगति में बताया कि प्रभु में आस्था के द्वारा हमारे पापों को माफ कर दिया गया है, लेकिन हम अब भी हमेशा पाप करके स्वीकार करते रहते हैं। हम पाप से मुक्त नहीं हुए हैं। "डैड, ज़रा सोचिए, आप लोगों को विनम्र और धैर्यवान होने को कहते हैं, आप दूसरों के साथ विनम्र रहते हैं, लेकिन घर में आप मॉम पर बहुत गुस्सा दिखाते हैं और उससे बहुत बहस करते हैं। आप प्रभु की शिक्षाओं को कायम नहीं रख पाते।" उन्होंने मुझे गुस्से से टोक दिया और आगे कुछ भी नहीं बोलने दिया। अगले दिन मुझे यह संगति उनके साथ साझा करने का एक और मौक़ा मिला: "डैड, प्रभु हमें अपने दुश्मनों से प्रेम करना सिखाता है। मैं आपका दुश्मन नहीं, आपका बेटा हूँ। मैं आपको सिर्फ़ प्रभु के कार्य करने के लिए आने की सच्चाई बता रहा हूँ, आप खोजबीन करना तो दूर, अपना आपा खो बैठते हैं। यह सहिष्णुता दिखाना नहीं है। मुझे पता है आप नाराज़ नहीं होना चाहते। हमारी पापी प्रकृति ठीक नहीं हुई है, इसलिए हम लोगों को गुस्से से फटकारे बिना रह नहीं पाते। बाइबल में कहा गया है, 'सबसे मेल मिलाप रखो, और उस पवित्रता के खोजी हो जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा' (इब्रानियों 12:14)। प्रभु यीशु ने यह भी कहा, 'मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है वह पाप का दास है। दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है' (यूहन्ना 8:34-35)। यह बिल्कुल स्पष्ट है। प्रभु पवित्र है, और जो लोग पवित्र नहीं हैं वे उसे नहीं देख सकते। हम निरंतर पाप कर रहे हैं, हम पाप में जीते हैं और दूर से भी पवित्र नहीं हैं। हम परमेश्वर के राज्य में कैसे प्रवेश कर सकते हैं? प्रभु यीशु ने अपनी वापसी के बारे में कई बार भविष्यवाणी की और कहा कि वह मानवजाति को पूरी तरह से शुद्ध करके बचाने के लिए और हमें अपने राज्य में ले जाने के लिए सत्य व्यक्त करेगा और न्याय का कार्य करेगा। जैसे कि प्रभु यीशु ने कहा, 'मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा' (यूहन्ना 16:12-13)। प्रभु अब वापस आ चुका है और उसने समस्त सत्य व्यक्त कर दिया है, जो मानवजाति को शुद्ध करके बचाता है। वह हमारी पापी प्रकृति को पूरी तरह से ठीक करने के लिए न्याय का कार्य कर रहा है। हम न्याय के जरिये अपनी भ्रष्टता शुद्ध करवा के ही परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं। डैड, हमें परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को विनम्रता से खोजना चाहिए। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को ज़रा पढ़िए और देखिए कि क्या यह परमेश्वर की वाणी है। आप प्रभु के आगमन का मौक़ा नहीं गंवाना चाहेंगे!"

मैंने उनको एक लघु सुसमाचार नाटिका दिखानी चाही, लेकिन उन्होंने उसे देखने से मना कर दिया। उन्हें बाइबल की बहुत अच्छी जानकारी थी और उन्होंने कुछ नेक काम भी किये थे। उन्होंने ग़रीबों को दान दिया था और पैसों की कमी होने पर दूसरों की मदद की थी, उन्होंने कलीसिया के इस्तेमाल के लिए अपना मकान भी मुफ़्त में दिया। लेकिन परमेश्वर के नये कार्य के सामने, वे ज़िद के साथ अपनी धारणाओं से चिपके रहे और खोजबीन करने से मना करते रहे। इससे मुझे फरीसियों की याद आ गयी। मुझे डर था कि मेरे पिता भी ठीक उन्हीं की तरह परमेश्वर का विरोध करेंगे और परमेश्वर का उद्धार गँवा देंगे। मैंने उन्हें यह कर चेतावनी दी, "फरीसी बाइबल को अच्छी तरह जानते थे और निष्ठावान लगते थे, लेकिन वे प्रभु को कतई नहीं जानते थे। उसका कार्य उनकी धारणाओं के मुताबिक़ नहीं था, उन्होंने विनम्र हृदय से खोजबीन नहीं की, बल्कि पागलों की तरह उसका विरोध और निंदा करते हुए वे बाइबल के शाब्दिक अर्थ से चिपके रहे। उन लोगों ने उसे सूली पर चढ़वा दिया और परमेश्वर द्वारा दंडित हुए—" बात पूरी करने से पहले ही उन्होंने मुझे रोक दिया। "तू मेरी बात कर रहा है? तू मुझे फरीसी कह रहा है?" मैंने जल्दी से जवाब दिया, "मैं आपको फरीसी नहीं कह रहा, डैड। मैं नहीं चाहता कि परमेश्वर का विरोध करते हुए उसकी सेवा करने के उन लोगों के रास्ते पर आप चलें। आप इतने वर्षों से प्रभु की वापसी की प्रतीक्षा करते रहे हैं, और जब वह यहाँ आ चुका है, आप विनम्रता से खोजना नहीं चाहते। आप बाइबल के शाब्दिक अर्थ और अपनी धारणाओं से चिपके हुए हैं। आप उसे स्वीकार नहीं करना चाहते। अगर हम परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को इस नज़रिये से देखेंगे, तो परमेश्वर फरीसियों की तरह हमें निंदित करेगा और हम अपना उद्धार गँवा देंगे। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अंत के दिनों का न्याय-कार्य, मानवजाति के उद्धार के लिए परमेश्वर का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण चरण है। यह शीघ्र ही समाप्त होने वाला है। उसने महाविपत्ति से पहले विजेताओं का समूह बना दिया है और शीघ्र ही महाविपत्ति हम पर टूटेगी। अगर हम उसके न्याय और शुद्धिकरण को स्वीकार नहीं करेंगे, तो महाविपत्ति के आने पर, हम रोते और दांत पीसते रह जाएंगे।" इस बात ने मेरे पिता को और ज़्यादा नाराज़ कर दिया। वे खड़े हो गये और बोले, "तू बहुत बोल चुका! अगर तू बोलता जाएगा, तो आज से तू मेरा बेटा नहीं रहेगा। इस घर से अभी, इसी वक्त निकाल जा!"

उनकी ऐसी फटकार ने मुझे परेशान कर दिया। मेर पिता और मैं पहले बहुत क़रीब हुआ करते थे। हम दिल की बातें करते, साथ-साथ बाइबल पढ़ते, और परमेश्वर की इच्छा जानने की कोशिश करते। उन्होंने मुझे धैर्यवान, सहिष्णु, विनम्र, और आज्ञाकारी बनना सिखाया। मैंने कभी नहीं सोचा था कि वे मुझे घर से बाहर कर देंगे, मेरे साथ दुश्मन की तरह पेश आयेंगे, इस कारण से कि मैंने परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की गवाही दी। उनकी देखादेखी, परिवार के दूसरे लोग भी मेरे प्रति उदासीन हो गये। मैं अकेला और बेसहारा महसूस करने लगा। मैंने इस बारे में भाई-बहनों को एक संदेश भेजा, तब एक बहन ने मुझे परमेश्वर के वचनों का एक अंश भेजा। "सुसमाचार फैलाना हर किसी का कर्तव्य और दायित्व है। किसी भी समय, चाहे हम जो कुछ भी सुनें या जो कुछ भी देखें, या चाहे जिस भी प्रकार के व्यवहार का सामना करें, हमें सुसमाचार फैलाने के इस दायित्व पर सदा अडिग रहना चाहिए। नकारात्मकता या दुर्बलता के कारण किसी भी परिस्थिति में हम इस कर्तव्य को तिलांजलि नहीं दे सकते। सुसमाचार फैलाने के कर्तव्य का निर्वहन सुचारु और आसान नहीं होता, अपितु खतरों से भरा होता है। जब तुम लोग सुसमाचार का प्रसार करोगे, तब तुम्हारा सामना देवदूतों या दूसरे ग्रहों के प्राणियों या रोबोटों से नहीं होगा। तुम लोगों का सामना केवल दुष्ट और भ्रष्ट मनुष्यों, जीवित दानवों, जानवरों से होगा—वे सब मनुष्य हैं जो इस बुरे स्थान पर रहते हैं और जिन्हें शैतान ने गहराई तक भ्रष्ट कर दिया है, और जो परमेश्वर का विरोध करते हैं। इसलिए सुसमाचार के प्रसार की प्रक्रिया में निश्चित रूप से सभी प्रकार के खतरे हैं, क्षुद्र लांछन, उपहास और ग़लतफ़हमियों को तो छोड़ ही दें, जो और भी अधिक हैं। यदि तुम सुसमाचार फैलाने को सचमुच अपनी ज़िम्मेदारी, उत्तरदायित्व और कर्तव्य मानते हो, तो तुम इन चीज़ों पर सही ढंग से ध्यान दे पाओगे और इन्हें सही ढंग से सँभाल भी पाओगे, और तुम अपने दायित्व और अपने कर्तव्य को तिलांजलि नहीं दोगे, और न ही इन चीजों के कारण तुम सुसमाचार को फैलाने और परमेश्वर के बारे में गवाही देने के अपने मूल मंतव्य से भटकोगे, क्योंकि यह तुम्हारा कर्तव्य है। इस कर्तव्य को कैसे समझना चाहिए? तुम जो जीवन जी रहे हो, उसका महत्त्व और प्राथमिक उत्तरदायित्व अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य के अच्छे समाचार को फैलाना है और परमेश्वर के कार्य के सुसमाचार का प्रसार करना है" ("मसीह की बातचीत के अभिलेख" में 'सुसमाचार का प्रसार करना सभी विश्वासियों का गौरवपूर्ण कर्तव्य है')। परमेश्वर के वचनों ने मुझे बड़ा प्रोत्साहन दिया। मैंने देखा कि सुसमाचार साझा करते समय ठुकराया जाना आम बात है। लोग शैतान द्वारा बड़ी गहराई तक भ्रष्ट किये जा चुके हैं और वे सत्य से प्रेम नहीं करते। वे अहंकारी हैं और अपनी ही धारणाओं और कल्पनाओं में फंसे हुए हैं। कठिनाइयों के बीच मैं अपना कर्तव्य और ज़िम्मेदारी नहीं छोड़ सकता था। मुझे याद आया कि किस तरह पतरस ने अपने मात-पिता के विरोध के बावजूद सुसमाचार साझा करने के लिए हर स्थान की यात्रा की। सैकड़ों बार न्याय, ताड़ना और परीक्षणों के बाद परमेश्वर ने उसे पूर्ण किया। उसने अर्थपूर्ण जीवन जिया। मुझे पतरस जैसा बनना होगा, अपना कर्तव्य अच्छे ढंग से निभा कर परमेश्वर का सुसमाचार फैलाना होगा, भले ही मुझे बहुत कष्ट झेलने पड़ें या मेरा परिवार मुझे ग़लत समझे।

अगली सुबह मैंने घर छोड़ने की तैयारी में, अपना सामान बाँध लिया। मेरे पिता ने कहा, "तू रहना चाहे तो रह सकता है, मगर तुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के मार्ग का प्रचार बंद करना होगा।" मैंने दृढ़ संकल्प के साथ कहा, "डैड, आप जानते हैं कि मैं हमेशा प्रभु की सेवा करना चाहता हूँ। मैं बाइबल के अधिक सत्य सीखने और परमेश्वर के प्रेम का मूल्य चुकाने के लिए डिविनिटी स्कूल गया, लेकिन बाइबल को कई-कई बार पढ़ने के बाद भी मैं सत्य हासिल नहीं कर पाया। मैं आध्यात्मिक रूप से ज़्यादा अँधेरे में और सूखा महसूस करता। मैंने कुछ नेक काम किया और लोगों की मदद की, लेकिन मैं उन सहपाठियों को नहीं देना चाहा, जो सचमुच ज़रूरतमंद थे। मैं सुबह और शाम की सेवाओं में सबसे आगे खड़ा होता ताकि मैं सबको दिखाई दूं। मैं अपने आराधना-समूह के वाद्य यंत्र बजा सकने वाले भाई-बहनों से जलता, क्योंकि मैं सिर्फ़ गा सकता था। मैं उन लोगों से जलता जो इम्तहानों में मुझसे बेहतर होते। मैं इन विचारों को काबू में नहीं कर पाता। मैं पाप करने से बच नहीं पाता। यह वाकई दर्दनाक था। आखिरकार सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ने के बाद मुझे जवाब मिला। प्रभु में आस्था रखने से हमारे पापों को माफी मिल जाती है और वह हमें पापी के रूप में नहीं देखता, लेकिन हमारी पापी प्रकृति ठीक नहीं हो पाती। परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय को स्वीकार करना ही शुद्ध होने और उसके राज्य में प्रवेश करने का एकमात्र मार्ग है। मैंने परमेश्वर की वाणी सुनी है और जानता हूँ कि प्रभु आ गया है। राज्य नीचे उतर आया है। मेरा कर्तव्य है कि मैं और ज़्यादा लोगों के साथ राज्य का सुसमाचार साझा करूं, ताकि मैं परमेश्वर को निराश न करूं।" यह सुनने के बाद मेरे पिता पहले जितने प्रतिरोधी नहीं लगे। वे थोड़ा परेशान लगे और बोले, "तू जा सकता है। मैं तेरे लिए प्रार्थना करूंगा। अगर सर्वशक्तिमान परमेश्वर वास्तव में लौटकर आया हुआ प्रभु यीशु है, तो मैं उसे स्वीकार कर लूंगा। अगर नहीं, तो तुझे लौट कर आना होगा।"

इसके बाद मैं आजीविका कमाते और सुसमाचार साझा करते हुए, एक छोटे-से अतिथिगृह में रहने लगा। मैं अपने पिता और परिवार के दूसरे सदस्यों को परमेश्वर के हाथों सौंप कर, हर समय प्रार्थना करता रहता। दो हफ़्ते बाद मेरे पिता ने अचानक मुझे कॉल किया और मेरा हालचाल पूछा। वे बोले कि पहले मुझ पर आग बबूला होने का उन्हें बहुत खेद है। उन्होंने कहा कि वे लोगों से हमेशा विनम्र होने को कहते रहे, लेकिन मुझ पर अपना आपा खो बैठे, सही है कि वे प्रभु के आदेशों का पालन नहीं कर पाये। फिर उन्होंने कहा, "लौट आ। मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य के बारे में और अधिक जानना चाहता हूँ।" उनके मुंह से यह बात सुनकर मैं बहुत हैरान और रोमांचित हो गया। वे परमेश्वर के नये कार्य का बहुत ज़्यादा प्रतिरोध कर रहे थे, लेकिन अब वे खोजबीन के लिए आगे बढ़ रहे थे। मैं जान गया कि परमेश्वर ने मेरी प्रार्थनाएं सुन ली हैं। मैंने परमेश्वर को आभार जता कर उसका गुणगान किया। घर लौटने पर, मेरे पिता ने कहा, "तेरे जाने के बाद मैं सो नहीं पाया। तेरी कही हुई हर बात से दिन-रात मेरे मन में हलचल मची हुई थी। मैं प्रार्थना करता रहा और बाइबल को पढ़ता रहा उसमें सचमुच कहा गया है कि परमेश्वर अंत के दिनों में न्याय-कार्य करेगा, प्रभु मनुष्य के पुत्र के रूप में आधी रात को गुप्त रूप से आयेगा। वह हमारे दरवाज़ों पर दस्तक देगा, परमेश्वर की भेड़ें उसकी वाणी को सुनती हैं, और केवल बुद्धिमान कुंवारियां ही परमेश्वर की वाणी को सुन सकती हैं, जबकि मूर्ख कुंवारियां नहीं सुन पातीं। मेरे ख़याल से तू सही है। मैंने पहले इसे कभी नहीं सुना, लेकिन इन सबके लिए बाइबल का आधार मौजूद है, और सच्चाइयां नज़र आती हैं। तेरी बात का संबंध प्रभु के आने की भविष्यवाणियों से है। अगर प्रभु यीशु वास्तव में वापस आ गया है, तो यह एक बहुत बड़ी बात है। मुझे यह खोजना होगा। मैं चिंतित हूँ कि मैं वाकई एक फरीसी बन गया हूँ, और परमेश्वर का उद्धार गँवा चुका हूँ। मुझे उस कार्य के सत्य को खोजना होगा जो परमेश्वर ने अंत के दिनों में किया।" फिर उन्होंने एक सवाल उठाया: "प्रभु यीशु ने सूली पर चढ़ाये जाने के जरिये हमें छुटकारा दिया और हमारे सारे पाप अपना लिये, इसलिए वह हमें पापी के रूप में नहीं देखता, और जब वह आयेगा तो हम सीधे स्वर्ग में जा सकेंगे। उसे न्याय-कार्य के इस चरण को करने की ज़रूरत क्या है?"

मुझे यह देख कर खुशी हुई कि मेरे पिता को इस प्रकार की समझ है और खोजने की इच्छा है। उनके सवाल के जवाब के लिए, हमने विजय गान नामक फिल्म का एक अंश देखा जिसका शीर्षक था अंत के दिनों में प्रभु न्याय कार्य करने के लिए वापस क्यों आते हैं? इस अंश में एक बहन ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के दो अंश पढ़े थे। "मनुष्य को छुटकारा दिए जाने से पहले शैतान के बहुत-से ज़हर उसमें पहले ही डाल दिए गए थे, और हज़ारों वर्षों तक शैतान द्वारा भ्रष्ट किए जाने के बाद मनुष्य के भीतर ऐसा स्थापित स्वभाव है, जो परमेश्वर का विरोध करता है। इसलिए, जब मनुष्य को छुटकारा दिलाया गया है, तो यह छुटकारे के उस मामले से बढ़कर कुछ नहीं है, जिसमें मनुष्य को एक ऊँची कीमत पर खरीदा गया है, किंतु उसके भीतर की विषैली प्रकृति समाप्त नहीं की गई है। मनुष्य को, जो कि इतना अशुद्ध है, परमेश्वर की सेवा करने के योग्य होने से पहले एक परिवर्तन से होकर गुज़रना चाहिए। न्याय और ताड़ना के इस कार्य के माध्यम से मनुष्य अपने भीतर के गंदे और भ्रष्ट सार को पूरी तरह से जान जाएगा, और वह पूरी तरह से बदलने और स्वच्छ होने में समर्थ हो जाएगा। केवल इसी तरीके से मनुष्य परमेश्वर के सिंहासन के सामने वापस लौटने के योग्य हो सकता है। आज किया जाने वाला समस्त कार्य इसलिए है, ताकि मनुष्य को स्वच्छ और परिवर्तित किया जा सके; वचन के द्वारा न्याय और ताड़ना के माध्यम से, और साथ ही शुद्धिकरण के माध्यम से भी, मनुष्य अपनी भ्रष्टता दूर कर सकता है और शुद्ध बनाया जा सकता है। इस चरण के कार्य को उद्धार का कार्य मानने के बजाय यह कहना कहीं अधिक उचित होगा कि यह शुद्धिकरण का कार्य है। वास्तव में यह चरण विजय का और साथ ही उद्धार के कार्य का दूसरा चरण है। वचन द्वारा न्याय और ताड़ना के माध्यम से मनुष्य परमेश्वर द्वारा प्राप्त किए जाने की स्थिति में पहुँचता है, और शुद्ध करने, न्याय करने और प्रकट करने के लिए वचन के उपयोग के माध्यम से मनुष्य के हृदय के भीतर की सभी अशुद्धताओं, धारणाओं, प्रयोजनों और व्यक्तिगत आकांक्षाओं को पूरी तरह से प्रकट किया जाता है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, देहधारण का रहस्य (4))। "पापबलि के माध्यम से मनुष्य के पाप क्षमा किए जा सकते हैं, परंतु मनुष्य इस समस्या को हल करने में पूरी तरह असमर्थ रहा है कि वह आगे कैसे पाप न करे और कैसे उसका भ्रष्ट पापी स्वभाव पूरी तरह से मिटाया और रूपांतरित किया जा सकता है। मनुष्य के पाप क्षमा कर दिए गए थे और ऐसा परमेश्वर के सलीब पर चढ़ने के कार्य की वजह से हुआ था, परंतु मनुष्य अपने पुराने, भ्रष्ट शैतानी स्वभाव में जीता रहा। इसलिए मनुष्य को उसके भ्रष्ट शैतानी स्वभाव से पूरी तरह से बचाया जाना आवश्यक है, ताकि उसका पापी स्वभाव पूरी तरह से मिटाया जा सके और वह फिर कभी विकसित न हो पाए, जिससे मनुष्य का स्वभाव रूपांतरित होने में सक्षम हो सके। इसके लिए मनुष्य को जीवन में उन्नति के मार्ग को समझना होगा, जीवन के मार्ग को समझना होगा, और अपने स्वभाव को परिवर्तित करने के मार्ग को समझना होगा। साथ ही, इसके लिए मनुष्य को इस मार्ग के अनुरूप कार्य करने की आवश्यकता होगी, ताकि उसका स्वभाव धीरे-धीरे बदल सके और वह प्रकाश की चमक में जी सके, ताकि वह जो कुछ भी करे, वह परमेश्वर की इच्छा के अनुसार हो, ताकि वह अपने भ्रष्ट शैतानी स्वभाव को दूर कर सके और शैतान के अंधकार के प्रभाव को तोड़कर आज़ाद हो सके, और इसके परिणामस्वरूप पाप से पूरी तरह से ऊपर उठ सके। केवल तभी मनुष्य पूर्ण उद्धार प्राप्त करेगा" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, देहधारण का रहस्य (4))

फिर उस बहन ने यह संगति साझा की: "अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य ने सिर्फ़ मनुष्य के पापों को क्षमा किया, लेकिन हमारी पापी प्रकृति कायम है। ये शैतानी प्रकृति और शैतानी स्वभाव हमारे दिलों में गहराई तक जड़ें जमाये हुए हैं। इसीलिए हम परमेश्वर का प्रतिरोध और पाप किये बिना रह नहीं सकते। हमारी पापी प्रकृति इसकी जड़ है। परमेश्वर हमारे पापों को क्षमा कर सकता है, लेकिन हमारी पापी प्रकृति गहराई तक जमी हुई है। इसे क्षमा नहीं किया जा सकता। इसलिए, परमेश्‍वर को हमें शैतान की प्रकृति के बंधन और नियंत्रण से पूरी तरह बचाना होगा, हमें न्याय और ताड़ना देनी होगी। परमेश्वर भ्रष्ट मनुष्य के अंदर की शैतानी प्रकृति और स्वभाव के लिए अंत के दिनों का न्याय-कार्य करता है। कुछ लोग पूछ सकते हैं कि क्या इसे सिर्फ़ न्याय और ताड़ना से ही ठीक किया जा सकता है। अगर हम कीमत चुकायें, अपने शरीर को वश में रखें और संयम रखें, तो क्या हम अपनी शैतानी प्रकृति को ठीक कर सकते हैं? बिल्कुल नहीं। जैसा कि पौलुस ने कहा, 'क्योंकि मैं जानता हूँ कि मुझ में अर्थात् मेरे शरीर में कोई अच्छी वस्तु वास नहीं करती। इच्छा तो मुझ में है, परन्तु भले काम मुझ से बन नहीं पड़ते' (रोमियों 7:18)। हम सभी को ऐसा अनुभव हो चुका है। हमने पापी प्रवृत्ति से बचने और देह-सुख पर काबू पाने के लिए कष्ट झेले हैं और अपने शरीर को संयमित किया है, लेकिन शैतान को जीत कर कौन सचमुच परमेश्वर को समर्पित हो पाया है? शायद कोई भी नहीं। यह दिखाता है कि अपने खुद के उपायों के भरोसे हम अपनी शैतानी प्रकृति को ठीक नहीं कर सकते। हमें सत्य प्राप्त करने और सचमुच अपनी शैतानी प्रकृति को ठीक करने के लिए परमेश्वर के न्याय, ताड़ना, परीक्षण और शुद्धिकरण से होकर गुज़रना होगा। प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य की बुनियाद पर, अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर मनुष्य को न्याय और ताड़ना देता है, मनुष्य को शुद्ध करने और बचाने वाला समस्त सत्य व्यक्त करता है, और परमेश्वर की 6,000 साल की प्रबंधन योजना के रहस्यों को प्रकट करता है, जैसे कि व्यवस्था, अनुग्रह और राज्य के युगों में उसके कार्य की अंदरूनी कहानी और प्रत्येक युग में क्या पूरा किया जाता है, अंत के दिनों में उसके न्याय का अर्थ, उसके नामों का अर्थ, देहधारण का रहस्य, बाइबल की अंदरूनी कहानी, वह युग की समाप्ति कैसे करता है, मसीह का राज्य कैसे अस्तित्व में आता है, और हर किस्म के इंसान का परिणाम क्या होता है। वह दुनिया में बुराई और अंधकार की जड़ को और शैतान द्वारा मनुष्य की भ्रष्टता के सत्य को भी उजागर करता है, वह परमेश्वर का विरोध करने वाली हमारी शैतानी प्रकृति और स्वभाव का न्याय कर उसे उजागर करता है। हम कुछ वर्ष परमेश्वर के वचनों के न्याय और ताड़ना से गुज़र चुके हैं, अपनी परमेश्वर-प्रतिरोधी शैतानी प्रकृति को समझ चुके हैं, जान चुके हैं कि हमारी शैतानी प्रकृति में कौन-सा शैतानी ज़हर और स्वभाव है, और हम यह सत्य भी समझ चुके हैं कि शैतान ने हमें किस प्रकार भ्रष्ट किया है। हम परमेश्वर के धार्मिक, अपमान सहन न करने वाले स्वभाव को समझने लगे हैं, और हम खुद से घृणा करते हुए परमेश्वर के सामने गिर पड़े हैं। हमने सत्य का अभ्यास करना और परमेश्वर के वचनों के अनुसार जीना शुरू कर दिया है। हमारा भ्रष्ट स्वभाव धीरे-धीरे बदल रहा है और शुद्ध हो रहा है। हम कम झूठ बोलते हैं, कम पाप करते हैं, और परमेश्वर का कम प्रतिरोध करते हैं। यह सब परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय के कारण हो पाया है। सिर्फ़ सर्वशक्तिमान परमेश्वर का न्याय-कार्य ही मनुष्य को पूरी तरह शुद्ध करके बचा सकता है। यह एक सच्चाई है।"

मेरे पिता ने पूरा फिल्मांश ध्यान से देखा। वे बहुत कम बोले, लेकिन जो भी बोले, ईमानदारी से बोले, "अब मुझे समझ आया। मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य पर गौर करना चाहता हूँ।" मैंने उन्हें परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं पुस्तक की एक प्रति दी, उन्होंने हर सुबह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ना शुरू कर दिया। कभी-कभार वे बाइबल से इनकी तुलना करते, लेकिन कुछ समय बाद, वे समझ गये कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन ही सत्य और परमेश्वर की वाणी हैं। उन्हें यकीन हो गया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही वापस आया हुआ प्रभु यीशु है और उन्होंने अंत के दिनों के उसके कार्य को स्वीकार कर लिया।

जल्दी ही, हमारे पुराने पादरी ने सुना कि मेरे पिता ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर लिया है, तो वे एक मिशनरी और एक दूसरे सहकर्मी के साथ उन्हें रोकने आये। मेरे पिता ने परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की गवाही दी और ईमानदारी से कहा, "मैंने अनेक वर्षों तक प्रभु की सेवा की। मैं बाइबल को अच्छी तरह जानता हूँ, मैं निष्ठावान और वफादार लगता हूँ, लेकिन प्रभु के वापस आने की बात सुन कर भी मैंने सत्य को नहीं खोजा या विनम्रता से खोजबीन नहीं की। मैंने अंत के दिनों में न्याय-कार्य करने के लिए प्रभु के वापस आने के बारे में बाइबल की भविष्यवाणियों को नज़रअंदाज़ किया, और-तो-और, जब मेरे बेटे ने मेरे साथ सुसमाचार साझा किया तो मैंने उसे घर से बाहर निकाल दिया। मैं बहुत विद्रोही हूँ। मेरा ख़याल था कि मैं बाइबल को अच्छी तरह समझता हूँ, कोई भी मुझे किसी और बात से आश्वस्त नहीं कर सकता, लेकिन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ कर मैं सचमुच प्रेरित हुआ। अब मैं समझता हूँ कि केवल सत्य के साधक ही परमेश्वर की वाणी को सुन सकते हैं, और अंत के दिनों में उससे उद्धार पा सकते हैं।" उसकी संगति को सुनकर और उस वक्त को याद कर, जब वे परमेश्वर के नये कार्य का ज़बरदस्त प्रतिरोध करते थे, मेरी आँखों में आंसू आ गये। मैंने तहे दिल से परमेश्वर का आभार माना। मैंने वाकई देखा कि परमेश्वर के वचन सत्य हैं और मनुष्य के दिल को जीत सकते हैं। इंसान की धार्मिक धारणाएं चाहे जितनी भी मज़बूत हों, या उनका स्वभाव चाहे जितना भी विद्रोही हो, अगर वे परमेश्वर के वचनों को पढ़ें और खोजबीन करे, तो वे परमेश्वर की वाणी को सुन पायेंगे और उसका प्रकटन देख पायेंगे। जैसे कि प्रभु यीशु ने कहा, "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं" (यूहन्ना 10:27)

मेरे पूरे परिवार में, हम सभी सात सदस्यों ने, अब सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर लिया है। अब मुझमें सुसमाचार को साझा करने का बहुत अधिक आत्मविश्वास है।

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