Hindi Christian Movie | क्या कठिन परिश्रम करने का अर्थ यह है कि हम स्वर्गिक पिता की इच्छा का पालन कर रहे हैं? (चुनिंदा अंश)
01 नवम्बर, 2018
कुछ विश्वासी यह सोचते हैं कि हमें सिर्फ़ कष्ट भोगना, प्रभु के सुसमाचार का प्रसार करने के लिए व्यय करना, क्रूस धारण कर प्रभु का अनुसरण करना और विनम्रता, धैर्य और सहनशीलता को आचरण में ढालना ही करने की ज़रूरत है, और इन बातों को करने पर हम स्वर्गिक पिता की इच्छा का पालन कर रहे हैं, और वे यह भी विश्वास करते हैं अगर हम हमेशा इसी तरह अपनी आस्था का अनुसरण करते रहें, तो अंतत: हम परमेश्वर द्वारा बचा लिए जाएंगे और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर अनन्त जीवन प्राप्त करेंगे। लेकिन क्या इस तरह की समझ रखना और इसका अभ्यास करना सही है? प्रभु यीशु मसीह ने कहा था, "उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्चर्यकर्म नहीं किए? तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ" (मत्ती 7:21-23)।(© BSI) ऐसा क्यों है कि ये लोग जो प्रभु के नाम पर उपदेश देते या मेहनत करते हैं, वे न केवल स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं करेंगे, बल्कि वे प्रभु द्वारा दंडित भी किए जाएंगे?
परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?
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