Christian Song | अंत तक अनुसरण करने के लिए पवित्र आत्मा के कार्य के प्रति समर्पण करना होगा

23 जून, 2025

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पवित्र आत्मा का कार्य दिन-ब-दिन बदलता रहता है। यह प्रत्येक कदम के साथ ऊँचा उठता है, आने वाले कल का प्रकाशन आज से कहीं अधिक ऊँचा होता जाता है, कदम-दर-कदम और भी ऊपर चढ़ता जाता है। ऐसे ही कार्य के द्वारा परमेश्वर मनुष्य को पूर्ण करता है। यदि मनुष्य कदम से कदम न मिला पाए, तो उसे किसी भी समय निकाला जा सकता है। यदि उसका हृदय समर्पण करने वाला न हो, तो वह अंत तक अनुसरण नहीं कर सकेगा। जो लोग विद्रोही प्रकृति के होते हैं और जानबूझ कर विरोध करते हैं, परमेश्वर के तीव्र और शक्तिशाली कार्य के इस चरण द्वारा निकाल दिए जाएँगे; जो जानबूझकर समर्पण करते हैं और जो खुशी-खुशी खुद को विनम्र बनाते हैं केवल वही मार्ग के अंत तक प्रगति कर सकते हैं।

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पहले का युग गुज़र चुका है; यह एक नया युग है। और नए युग में, नया कार्य करना चाहिए। विशेषकर अंतिम युग में, जिसमें लोगों को पूर्ण बनाया जाता है, परमेश्वर ज़्यादा तेजी से नया कार्य करेगा, इसलिए अगर लोग जानबूझकर समर्पण नहीं करते हैं तो उनके परमेश्वर के पदचिह्नों पर चलना कठिन होगा। जो लोग विद्रोही प्रकृति के होते हैं और जानबूझ कर विरोध करते हैं, परमेश्वर के तीव्र और शक्तिशाली कार्य के इस चरण द्वारा निकाल दिए जाएँगे; जो जानबूझकर समर्पण करते हैं और जो खुशी-खुशी खुद को विनम्र बनाते हैं केवल वही मार्ग के अंत तक प्रगति कर सकते हैं।

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परमेश्वर किसी भी विनियम से बाध्य नहीं होता, न ही वह अपने कार्य के किसी भी चरण को हमेशा के लिए अपरिवर्तित मानता है। बल्कि वह लगातार ऐसा कार्य करता है जो हमेशा नया और हमेशा उच्चतर होता है। हर चरण के साथ उसका कार्य और भी व्यावहारिक होता जाता है, और मनुष्य की वास्तविक ज़रूरतों के अनुरूप होता जाता है। केवल ऐसे कार्य का अनुभव करने से ही लोग अपने स्वभाव का अंतिम परिवर्तन प्राप्त कर सकते हैं। जो लोग विद्रोही प्रकृति के होते हैं और जानबूझ कर विरोध करते हैं, परमेश्वर के तीव्र और शक्तिशाली कार्य के इस चरण द्वारा निकाल दिए जाएँगे; जो जानबूझकर समर्पण करते हैं और जो खुशी-खुशी खुद को विनम्र बनाते हैं केवल वही मार्ग के अंत तक प्रगति कर सकते हैं।

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जीवन के बारे में मनुष्य का ज्ञान अधिक उच्चतर स्तरों तक पहुँचता जाता है, और उसी तरह परमेश्वर का कार्य भी अधिक उच्चतर स्तरों तक पहुँचता जाता है। इसी तरह से मनुष्य को पूर्ण बनाया जा सकता है और वह परमेश्वर के उपयोग के लायक हो सकता है। परमेश्वर एक ओर, मनुष्य की अवधारणाओं का खंडन करने और उन्हें पलटने के लिए इस तरह से कार्य करता है, और दूसरी ओर, मनुष्य की उच्चतर तथा और अधिक वास्तविक स्थिति में, परमेश्वर में आस्था के उच्चतम क्षेत्र में अगुवाई करने के लिए इस तरह कार्य करता है, ताकि अंत में, परमेश्वर की इच्छा पूरी हो सके। जो लोग विद्रोही प्रकृति के होते हैं और जानबूझ कर विरोध करते हैं, परमेश्वर के तीव्र और शक्तिशाली कार्य के इस चरण द्वारा निकाल दिए जाएँगे; जो जानबूझकर समर्पण करते हैं और जो खुशी-खुशी खुद को विनम्र बनाते हैं केवल वही मार्ग के अंत तक प्रगति कर सकते हैं।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जो सच्चे हृदय से परमेश्वर के प्रति समर्पण करते हैं वे निश्चित रूप से परमेश्वर द्वारा हासिल किए जाएँगे

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