परमेश्वर के वचन जीवन के सही मार्ग पर चलने में मेरा मार्गदर्शन करते हैं

22 मार्च, 2019

फांग हाओ, चीन

हाल ही में इंटरनेट पर एक कहावत प्रचलित रही है, "बिना पैसे के, आप कैसे अपने पारिवारिक संबंधों को सहारा देंगे, अपने प्यार को मजबूत करेंगे, और अपने दोस्तों से जुड़ेंगे? क्या अपनी बातों से? रहने भी दो! लोगों के पास इसके लिए समय नहीं है!" एक ऐसे समाज में जो पूरी तरह से धन-दौलत की ओर झुक गया हो, हर बात पर इस तरह के व्यावहारिक विचार हावी है, हर चीज़ चाहे वो भौतिक हो या अन्यथा, एक प्रतीक मात्र है जिसका धन के साथ विनिमय हो सकता है, और तुम्हारी जेब में नोटों की संख्या तुम्हारे मूल्य और क़द का फैसला करती है। यदि तुम्हारे पास बहुत दौलत है, तो दूसरे तुम्हारी सेवा करने और तुम्हारी चापलूसी करने के लिए भागते फिरेंगे, लेकिन दौलत न होने से दूसरे लोग तुम्हें छोटा समझते हैं और तुम्हारे मित्र और रिश्तेदार तुमसे कतराते हैं। जैसा कि कहा जाता है "दोस्त बहुत होंगे, समृद्धि के समय में; पर बीस में से एक भी न होगा, विपत्ति के समय में।" अधिकाधिक लोग हर चीज़ का मूल्यांकन करने के लिए धन का उपयोग करते हैं, वे यह मानते हैं कि केवल अमीरी ही उन्हें अपने व्यक्तिगत मूल्य को व्यक्त करने और उन्हें एक बेहतर जीवन जीने की अनुमति दे सकती है, इसलिए कई लोग दौलत के गुलाम बन जाते हैं, और अधिक दौलत पाने के लिए अपना सब कुछ बलिदान करने को तैयार हो जाते हैं, यहाँ तक कि अपना जीवन, स्वास्थ्य और व्यक्तिगत मान-सम्मान भी। पहले मुझे पता नहीं था कि सबसे सार्थक जीवन क्या होता है, इसलिए धन कमाने के लिए काम करना उस दिन तक मेरा लक्ष्य रहा, जिस दिन एक गंभीर बीमारी अचानक एक समझदारी लेकर आई, मुझे दौलत के पीछे के छिपे काले अभिनेता का उसने एहसास कराया, और धन कमाने से अधिक सार्थक एक जीवन को खोजने में मेरी मदद की।

वे दिन जब दौलत कमाना ही मेरा जीवन था

1980 के दशक में, मैंने अपने पिता की आपत्तियों के बावजूद एक ऐसे परिवार में शादी की जो उस स्थान में अपनी गरीबी के लिए जाना जाता था। मेरे पति के कई भाई-बहन थे, और वे अक्सर नहीं जानते थे कि उनका अगला भोजन कहाँ से आएगा। मेरे अपने परिवार के वे इतने विपरीत थे, कि वे और अधिक भिन्न नहीं हो सकते थे। लेकिन जब यह हुआ तभी मैंने वास्तव में इस कहावत के अर्थ का अनुभव किया, "धन-दौलत सब कुछ नहीं है, लेकिन इसके बिना तुम कुछ नहीं कर सकते"। मैं आत्म-सम्मानी थी और खुद को "गरीब" कहलाने से छुटकारा दिलाने के लिए, और एक ऐसा समृद्ध जीवन जीने के लिए जिससे सभी को ईर्ष्या हो, मैंने अपने ही प्रयास पर भरोसा करने का फैसला किया। इसलिए, मैंने अपनी बेटी के पालन-पोषण के लिए, जो अभी कुछ महीनों की ही थी, अपने मायके भेज दिया, और अपने भाग्य की तलाश में अपने पति के साथ मैं शहर चली गई।

उस समय, मेरे पति के पास एक सरकारी कंपनी में केवल एक अस्थायी काम था। उनका वेतन कम था। अधिक पैसा कमाने के लिए, मैंने एक कारखाने में उत्पादन के बड़े उपकरणों को चलाने का, पुरुषों जैसा काम शुरू किया। भले ही काम थका देने वाला और खतरनाक था, मैं इसे सहन करके खुश थी, मैंने अक्सर अपने पिता को "कोई कष्ट नहीं तो कोई लाभ नहीं" कहते हुए सुना था। एक बेहतर जीवन जीने के लिए कष्ट उठाना आवश्यक था।

कई वर्षों तक काम करने के बाद, जिले की राजधानी में एक तीन-मंजिल का घर बनाने के लिए हमने किफ़ायत और बचत की, और जीवन बेहतर हुआ। हमारे गाँव के मानकों के अनुसार, हम अमीर थे। अन्य ग्रामीणों ने हमारी तारीफ़ और सराहना की, और वे प्रशंसा में अक्सर कहा करते थे कि मैं एक सक्षम कार्यकर्ता थी, जिससे मेरा अहम् बहुत संतुष्ट होता था। मैंने सोचा, "दौलत अद्भुत है!" लेकिन शहर के लोगों की तुलना में, हम अभी भी गरीब थे, और ऐसे जीवन से अभी बहुत दूर थे जो दूसरों की ईर्ष्या का कारण बन सके। इसलिए, एक और बेहतर जीवन जीने के लिए, मैं संघर्ष करती रही।

कारखाने में वर्षों तक काम करने के मेरे अनुभव ने मुझे सिखाया कि केवल श्रम से धन कमाने की मेरी क्षमता बहुत सीमित थी। अगर मैं कोई अपना ही काम करूँ, तो मैं लगातार अधिक तेज़ी से कमा सकूँगी। इसलिए, मैंने हर जगह व्यापार के अवसरों की तलाश की और अपना खुद का कारोबार खोलने की तैयारी की। बाज़ार के अनुसंधान की एक अवधि के बाद, मैंने देखा कि स्वास्थ्य और सौंदर्य के अनुपूरक का काम एक लोकप्रिय उद्योग था जिसके कई ग्राहक थे। मैंने सोचा, अमीर होने का यह एक अच्छा तरीक़ा था और अपने पति के साथ परामर्श करने के बाद, मैंने सौंदर्य प्रसाधन, सामग्री और स्वास्थ्य अनुपूरक के सीधे विक्रय की एक दुकान खोलने के लिए 2,00,000 युआन इकठ्ठा किये। अपने व्यवसाय को चलाने में सहायता पाने के लिए, मैंने सभी प्रकार की प्रशिक्षण कक्षाओं जैसे कि व्यवसाय प्रबंधन, पेशेवर जानकारी, ग्राहक संसाधनों को कैसे विकसित किया जाए, आदि में खुद को व्यस्त रखा। प्रयास की एक अवधि के बाद, मैंने धीरे-धीरे अधिक ग्राहक पाना शुरू कर दिया, और मेरा व्यवसाय लगातार तेज़ होता गया। फिर और अधिक तेज़। ग्राहकों के अधिक स्रोतों को विकसित करने, अपने व्यवसाय में सुधार करने, और आय में वृद्धि करने के लिए मैंने हर दिन अमीर परिवारों की महिलाओं के बीच बिताया, उनके साथ खाने-पीने और नृत्य घरों में जाने में, उनकी प्रशंसा और उनकी चापलूसी करने में, क्योंकि केवल तभी वे अपने बटुए खोलेंगी और मेरी दुकान में खर्च करेंगी। भले ही मैंने इन झूठे तरीकों से घृणा की हो, लेकिन पैसे कमाने के लिए मुझे, समाज के इस ऊपरी सोपान में सही जमने के लिए जहाँ सभी लोग मुखौटा पहनकर रहते हैं, खुद को बाध्य करना पड़ा। कारखाने में काम करने के दौरान तो मैं शारीरिक रूप से थक जाया करती थी, पर मेरे व्यवसाय के दिन मानसिक और शारीरिक रूप से थकाऊ होते थे। लेकिन, कई वर्षों के संघर्ष और प्रयास के बाद, मेरा व्यवसाय समृद्ध हुआ और प्रत्येक बीतते दिन के साथ और अधिक बढ़ता गया। मैंने शहर के मध्य में एक पाँच-मंजिला विला खरीदा और एक बड़ी कार भी खरीदी, और आखिरकार मैं उच्चतर मध्यम वर्ग के जीवन को जीने लगी जिसका मैंने हर रात सपना देखा था। मेरी उपलब्धियों ने मुझे अपने पड़ोसियों से बहुत प्रशंसा और सराहना दिलाई, साथ ही अपने पड़ोसियों और दोस्तों से वाह-वाही और तारीफ़ मिली। मेरा अभिमान बढ़ गया, और मुझे लगा कि दौलत वालों को जो सम्मान, चापलूसी, और विशेषाधिकार मिलते थे, वे अद्भुत थे। इस समय मैंने महसूस किया कि यह उस सारे बलिदान के योग्य था जो मैंने किया था।

मानवीय इच्छा को एक ऐसा गड्ढा कहा जाता है जिसे कभी भरा नहीं जा सकता, और तथ्यों ने इस कहावत को सच साबित कर दिया। जैसे-जैसे मेरा व्यापार बढ़ता गया, वैसे-वैसे धन के प्रति मेरी लालसा भी बढ़ती गई। मैंने अपनी कंपनी को शीघ्रता से 16 दुकानों में विस्तारित करने की योजना बनाई, जिससे मेरे पास बैंक में दस मिलियन युआन से अधिक धन होगा। अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए, मैं अक्सर भाग-दौड़ किया करती और शायद ही कभी घर पर रहती थी, इसलिए मेरे पति को घर में सब कुछ संभालना पड़ता था। मेरे पति अक्सर इस बारे में शिकायत करते हुए कहा करते थे कि मैंने केवल अपने व्यवसाय और दौलत की परवाह की थी, और मुझे अपने परिवार की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी। मैं अपने पति की शिकायतों और समझ की कमी पर बहुत गुस्से में थी। मैंने अपमानित महसूस किया और यह नहीं जान पाई कि मैं किससे अपने दिल की बात कहूँ। मैंने सोचा, "अगर परिवार के लिए नहीं तो मैं धन कमाने के लिए इतनी मेहनत क्यों करूँ? मेरा परिवार गरीब होने के लिए बदनाम था, लेकिन मेरी सालों की मेहनत की बदौलत, हम ऐसे लोग बन गए हैं, जिनकी समृद्धि की हर कोई प्रशंसा करता है। क्या यह सब मेरी मेहनत का परिणाम नहीं है? अगर मैं इस परिवार के बारे में चिंतित न होती, तो क्या मैं खुद को इस तरह की भाग-दौड़ में घसीटती?" मेरे और मेरे पति के अलग-अलग विचारों के कारण छोटी-छोटी बातों में टकराव होने लगे थे। मेरे परिवार-जन मुझे समझ नहीं पाते थे और इस बात ने व्यावसायिक दुनिया के सामान्य आतंरिक कलह, संघर्षों और दोगली प्रकृति (के तनाव) में वृद्धि की, मैं लगातार शारीरिक और भावनात्मक रूप से थक जाती थी। लगभग हर दिन मेरा तनाव मेरे चेहरे पर दिखाई देता था, मैं ठीक से खाती और सोती नहीं थी, मेरी अनिद्रा बदतर होती गई, और कई तरह की पुरानी बीमारियाँ मुझ पर असर करने लगीं: बार-बार होने वाला स्तन-दाह, स्नायु (दौर्बल्य), पुराना हृदय रोग... यह देखकर कि मैं हर दिन थकी सी रहती थी, मेरी बेटी ने चिंतित होकर मुझसे सहानुभूतिपूर्वक कहा: "मम्मी, तुम स्वस्थ हुआ करती थी। दौलत कमाना शुरू करते ही तुम इतनी बीमार क्यों पड़ गई? क्या पैसा वास्तव में इतना महत्वपूर्ण है?" मेरी बेटी के शब्दों ने मुझे सोचने के लिए बाध्य किया: गरीबी से छुटकारा पाने के लिए और एक ऐसा जीवन जीने के लिए जिससे दूसरों को ईर्ष्या हो, मैंने संघर्ष किया और धन कमाने के लिए खुद को बुरी तरह थका दिया। भले ही मेरे पास अब एक अच्छा जीवन था और दूसरे मुझे नज़रें उठाकर देखा करते थे, इसका नतीजा यह हुआ था कि मैंने अपने शरीर को ढह जाने के लिए धकेल दिया था और मेरा परिवार मुझे गलत समझता था। इस आकर्षक बाह्य-स्वरुप के पीछे की कड़वी पीड़ा को कौन जान सकता है? क्या यह वास्तव में अधिक दौलत कमाने के लिए भुगतान करने योग्य क़ीमत थी? मेरी बीमारी की और मेरी आत्मा की पीड़ा ने मुझे दयनीय बना दिया, और मैंने अक्सर खुद को अकेले में रोते पाया।

दुर्गति के बीच परमेश्वर के प्यार का सामना करना

मनुष्य का अंत परमेश्वर की शुरुआत है। जब मैं सबसे अधिक पीड़ा में थी और सबसे ज्यादा असहाय महसूस कर रही थी, तो अंत के दिनों के परमेश्वर का सुसमाचार मेरे पास आया। मैंने परमेश्वर के वचनों को पढ़ा, "सर्वशक्तिमान ने हुरी तरह से पीड़ित इन लोगों पर दया की है; साथ ही, वह उन लोगों से तंग आ गया है, जिनमें चेतना की कमी है, क्योंकि उसे मनुष्य से जवाब पाने के लिए बहुत लंबा इंतजार करना पड़ा है। वह तुम्हारे हृदय की, तुम्हारी आत्मा की तलाश करना चाहता है, तुम्हें पानी और भोजन देना और तुम्हें जगाना चाहता है, ताकि अब तुम भूखे और प्यासे न रहो। जब तुम थक जाओ और तुम्हें इस दुनिया की बेरंग उजड़ेपन का कुछ-कुछ अहसास होने लगे, तो तुम हारना मत, रोना मत। द्रष्टा, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, किसी भी समय तुम्हारे आगमन को गले लगा लेगा" ('सर्वशक्तिमान की आह')

परमेश्वर के सांत्वना-पूर्ण वचन मुझे बहुत अंतरंग लगे, और हमारे लिए परमेश्वर के प्यार और उसकी देखभाल का मुझे एहसास हुआ। मैंने अधिक दौलत कमाने के लिए अपने जीवन को अंतहीन संघर्ष करने में बीता दिया था, मैंने पुरुषों का काम किया, अक्सर अपने ग्राहकों को खुश करने के तरीकों के बारे में सोचते हुए मैंने अपने दिमाग को खपा दिया था, अपना ज्यादातर समय मैंने घर से दूर व्यवसाय में बिताया जब मैंने काम और व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा के तनाव को सहन किया था, और भले ही मेरी भौतिक स्थितियों में सुधार हुआ हो, मैंने थकान के माध्यम से खुद को बीमार बना लिया था, और मैं यंत्रणा में जीती थी... इन बातों के बारे में सोचकर मेरे दिल की कड़वाहट और पीड़ा फूट पड़ीं। मैं एक खोए हुए बच्चे की तरह थी जो कई सालों के बाद अपनी माँ के पास वापस आया हो। परमेश्वर के वचनों की पुस्तक को थामे हुए मैं फूट-फूट कर रो पड़ी। जब मैं बीमारी और व्यवसाय के भारी दबाव का सामना कर रही थी, मेरे पति को यह समझ में नहीं आया, और कोई भी वास्तव में मुझे सांत्वना नहीं दे सकता था, लेकिन परमेश्वर हमेशा मेरे साथ रहकर मुझपर अपनी दया-दृष्टि बनाये हुए था, और मेरे मुड़ने का इंतजार कर रहा था, और जब मैं मेरी सबसे दयनीय और असहाय अवस्था में थी, परमेश्वर ने मुझे उसके वचन सुनने की अनुमति दी और मेरी आहत आत्मा को राहत देने के लिए अपने वचनों की ऊष्मा का उपयोग किया। उस क्षण, मैंने महसूस किया कि केवल परमेश्वर ही मुझे समझता है, मेरी परेशानियों को जानता है, और मेरे दिल के दर्द को देखता है, और केवल परमेश्वर का वचन ही मुझे वास्तविक सांत्वना दे सकता है।

चुपचाप सिसकियाँ भरते हुए, मेरा चेहरा आंसुओं से भीग गया। मैं असहाय होकर अपने घुटनों के बल गिर गई और इतने सालों तक अपने तहेदिल में दबी हुई पीड़ा और चिंता को मैंने प्रकट किया। यही वह क्षण था जब मैंने महसूस किया कि मुझे सचमुच कुछ ऐसा मिल गया है, जिस पर मेरी आत्मा भरोसा कर सकती थी। इसके बाद, मैंने कलीसियाई जीवन में भाग लेना और अपने भाइयों और बहनों के साथ परमेश्वर के वचन को पढ़ना शुरू किया। बैठकों और सहभागिता के माध्यम से, मुझे समझ में आया कि परमेश्वर ने स्वर्ग में और पृथ्वी पर सभी चीजें बनाईं, कि परमेश्वर ने ही हमारे फेफड़ों में साँसें भरीं, कि परमेश्वर ने हमें वह सब कुछ प्रदान किया जिसकी हमें जीने के लिए ज़रूरत है, और यह कि जब से मानवजाति शैतान द्वारा भ्रष्ट हुई है, परमेश्वर ने लोगों का मार्गदर्शन किया और उन्हें बचाया है। अंत के दिनों में, परमेश्वर ने हमारे भीतर मौजूद भ्रष्ट शैतानी प्रकृतियों को शुद्ध करने और बदलने के लिए दस लाख से अधिक शब्दों को व्यक्त करने, हमें परमेश्वर के प्रति सच्चा भय और आज्ञाकारिता प्रदान करने, और हमें अंततः परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त करने की अनुमति देने के लिए देहधारण किया है। जितना अधिक मैंने परमेश्वर के वचनों को पढ़ा, मुझे उतना ही अधिक तनावमुक्त और हल्का महसूस हुआ, और मैंने अपने दिल में एक ऐसी शांति और ऐसे आनंद को पाया जिन्हें मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया था। बाद में, मैंने अपने पति को अंत के दिनों के परमेश्वर के सुसमाचार के बारे में बताया। तलाश करने और अध्ययन करने की एक अवधि के बाद, वह अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य के बारे में आश्वस्त हुए और उन्होंने खुशी से इसे स्वीकार कर लिया। चूँकि मेरे पति ने और मैंने एक सामान्य विश्वास साझा किया था, और उस मार्गदर्शन के कारण जो हमने परमेश्वर के वचन में पाया, बीतते समय के साथ हमारे झगड़े कम होते गए और अगर कभी लड़ाई होती भी थी, तो हम दोनों परमेश्वर के वचन के माध्यम से आत्मावलोकन करने और मुद्दों को हल करने के लिए सच्चाई की तलाश कर पाते थे। अंततः, अब हमारे घर में हँसी की आवाज़ फिर से सुनाई देने लगी, और मुझे बहुत अधिक आराम महसूस हुआ।

कैंसर से पीड़ित होने पर परमेश्वर के प्रेम ने बचाया

लेकिन कुछ ही समय में, कंपनी के मुख्यालय में नियमों के बदलाव, उत्पादों की उच्च कीमत, और बाजार की मंदी के कारण शहर में एक ही प्रकार की मेरी तीन सम्बद्ध दुकानों को, एक के बाद एक, बंद करना पड़ा, और एक मात्र मेरी ही दुकान बची। व्यवसाय मंदा था, इसलिए कई कर्मचारियों और मेरे स्टोर प्रबंधक ने इस्तीफा दे दिया। मैं नहीं जानती थी कि इसका सामना कैसे किया जाए। मैंने सोचा कि मैंने अपने व्यवसाय को बनाने के लिए बहुत बलिदान और पीड़ा को सहा है, और अगर मैंने इसे यूँ ही छोड़ दिया, तो मैंने जो कुछ भी किया था, वह सब बेकार हो जाएगा, और मेरा सारा दुख-दर्द निरर्थक होगा, इसलिए मैं इसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि मेरी कंपनी सामान्य रूप से काम करना जारी रख सके, मैंने चार लोगों के काम को अकेले संभाला, मैं प्रायः समय पर भोजन नहीं कर पाती थी, और अक्सर देर रात तक हिसाब-किताब में व्यस्त रहती थी। मैं थक जाती थी, और मुझे अक्सर नींद नहीं आती थी। बहुत व्यस्त रहने के कारण, मैंने कभी-कभार ही परमेश्वर से प्रार्थना की, या परमेश्वर के वचन को पढ़ा, और धीरे-धीरे मेरा दिल परमेश्वर से दूर होता गया। ठीक तब जब मुझे दौलत कमाने के भँवर में खिंचा जा रहा था, कुछ अप्रत्याशित-सा हुआ।

एक दिन, मैंने अप्रत्याशित रूप से, अपने दाहिने स्तन के पास एक सख्त गांठ को पाया। एक जाँच के बाद, डॉक्टर ने मुझे बताया कि मेरा बार-बार होने वाला स्तन-दाह दूसरे चरण के कैंसर में बदल गया था, और इसके इलाज की संभावना कम थी। डॉक्टर के शब्द मेरे लिए एक स्पष्ट आकाश की गड़गड़ाहट जैसे थे। मैं चौंक गई। मुझे विश्वास करने का साहस नहीं हुआ। मैं जाँच के लिए अन्य दो अस्पतालों में गई, और वही परिणाम प्राप्त हुए। मैंने खुद को मैं उस पल में पूरी तरह स्तब्ध महसूस किया। मेरे पास इस घुटन भरे तथ्य को स्वीकार कर लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। इसके बाद के दिनों में, मेरे दिमाग में "कैंसर" शब्द लगातार एक अभिशाप की तरह उभरता रहा। अगर मुझे कैंसर है, तो इसका मतलब होगा मेरे जीवन को, मेरे परिवार को, सब कुछ को खो देना ... मैं यह सोचे बिना न रह सकी, "क्या वास्तव में मेरे जीवन का अंत ऐसा होगा? क्या यह वास्तव में मेरे जीवन का अंतिम अध्याय है?" बस इसी सोच से मुझे बरबस सिसकियाँ आने लगीं। हर बार जब मैं बीमार महसूस करती थी, तो मैं घबरा जाती थी कि मैं मर जाऊँगी। मैं हर दिन डर और बेबसी में जीती थी, इस चिंता में रहती थी कि मृत्यु किसी भी समय हो सकती है। मेरे दर्द में, मैं यह सोचे बिना न रह सकी: मैं अपने जीवन के अधिकांश समय में व्यस्त रही, और मैं केवल दौलत कमाना और एक अच्छा जीवन जीना चाहती थी, और अंत में, जब मेरे पास दौलत आ गई, मेरा जीवन लगभग समाप्त हो चुका था, तो दौलत का क्या फायदा हुआ? मुझे नहीं पता था कि मुझे अब किस ओर मुड़ना है।

मेरी यातना और असहायता में, मेरे भाइयों और बहनों ने मुझे प्रोत्साहित किया और मुझे सांत्वना दी, मेरे लिए परमेश्वर के वचन पर सहभागिता की, और मुझे परमेश्वर की इच्छा को समझने, परमेश्वर में विश्वास करने और कठिनाइयों से गुज़रने के लिए परमेश्वर पर भरोसा करने के लिए प्रोत्साहित किया। इसलिए, मैं परमेश्वर के सामने गई और मैंने प्रार्थना की, "हे परमेश्वर, मैंने दौलत पाने के लिए एक दशक से भी अधिक समय के लिए संघर्ष किया। भले ही मैंने एक ऐसा जीवन जिया है जिससे दूसरे सभी को ईर्ष्या हो, और भले ही अन्य लोग मेरी प्रशंसा करते हैं और मुझे ऊँची नज़रों से देखते हैं, पर केवल मैं ही उस कड़वाहट और पीड़ा को जानती हूँ, जो मैंने सही है। अब, मुझे अत्यधिक काम के कारण कैंसर भी है। मुझे बहुत असहाय और दुखदायी लगा। हे परमेश्वर! मैं नहीं जानती कि मुझे क्या करना चाहिए। कृपया तुम्हारी इच्छा को समझने और इस परिस्थिति से गुज़र पाने में मेरा मार्गदर्शन करो।" प्रार्थना करने के बाद, मैंने परमेश्वर के उन वचनों के बारे में सोचा जो कहते हैं: "बीमारी के मध्य परमेश्वर की स्तुति करो और अपनी स्तुति के मध्य परमेश्वर में आनंदित हो। बीमारी की हालत में निराश न हो, खोजते रहो और हिम्मत न हारो, और परमेश्वर तुम्हें अपने प्रकाश से रोशन करेगा। अय्यूब का विश्वास कैसा था? सर्वशक्तिमान परमेश्वर एक सर्वशक्तिशाली चिकित्सक है! बीमारी में रहने का मतलब बीमार होना है, परन्तु आत्मा में रहने का मतलब स्वस्थ होना है। जब तक तुम्हारी एक भी सांस बाकी है, परमेश्वर तुम्हें मरने नहीं देगा" ('आरंभ में मसीह के कथन' के 'अध्याय 6')। परमेश्वर के वचनों ने मुझे आत्मविश्वास और बल दिया, और मैं परमेश्वर के वचनों के अधिकार और उनकी शक्ति को महसूस कर सकती थी। परमेश्वर सभी चीज़ों के निर्माता हैं, और मानव जाति का भाग्य परमेश्वर के हाथों में है, इसलिए क्या मेरा जीवन और मेरी मृत्यु भी परमेश्वर द्वारा नियंत्रित नहीं है? परमेश्वर की स्वीकृति के बिना, कैंसर मुझे नहीं मार सकेगा। मुझे परमेश्वर पर भरोसा रखना चाहिए। मेरी बीमारी का इलाज और अंत में मेरा जीना या मरना परमेश्वर के हाथों में था, और मैं इस मामले को केवल परमेश्वर को सौंपना चाहती थी, और मैं परमेश्वर के आदेशों और व्यवस्थाओं का पालन करना चाहती थी। मैंने अतीत में अपने जीवन का अधिकांश बर्बाद किया था, लेकिन अब मेरे बचे हुए जीवन-काल में, मैं परमेश्वर पर विश्वास करने और उसकी आराधना करने को तैयार थी। परमेश्वर के वचनों का मार्गदर्शन पाकर, मैंने अपने दिल में समर्थित महसूस किया और अब मैं इतनी भयभीत नहीं थी।

बाद में, मैंने दौलत के लिए झूझने में अपने आप को व्यस्त रखना बंद कर दिया, और इसके बजाय परमेश्वर के वचन पढ़ने में, बैठकों में और अपने भाइयों और बहनों के साथ सहभागिता करने में मैंने अधिक समय बिताया। उनकी सहभागिता ने मुझे सच्चाई को बेहतर समझने की अनुमति दी। मैंने महसूस किया कि इतने वर्षों तक जीने के बावजूद, मैंने जीवन के रहस्यों के बारे में कुछ भी नहीं जाना था। मैंने इस तरह की बातें सीखीं कि कैसे शैतान द्वारा मानवजाति को भ्रष्ट किया गया था, कैसे परमेश्वर मानवजाति को बचाता है, एक सार्थक जीवन क्या है, और मानवजाति को बचाने में परमेश्वर की चिंता और इरादे क्या हैं। मैं पूरी तरह से परमेश्वर के प्यार में डूब गई और मैंने एक आनंद और प्रसन्नता का अनुभव किया जो मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया था। उस समय, मैंने परमेश्वर पर भरोसा रखा और अपने उपचार जारी रखे। मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरी एक परीक्षा के दौरान, मुझे पता चला कि मेरे स्तन में गांठ गंभीर (अर्थात कैंसर की) नहीं थी। मैं बहुत ही आश्चर्यचकित थी। यह कैसे संभव हो सकता है? डॉक्टर ने अविश्वास में कहा, "यह वास्तव में एक चमत्कार है!" मेरे दिल में मुझे बहुत स्पष्ट रूप से पता था कि यह परमेश्वर का चमत्कारी कार्य था। बाद में, मेरा ऑपरेशन हुआ, और मेरा शरीर बहुत जल्दी ठीक हो गया। मैं अविश्वसनीय रूप से उत्साहित थी। मैंने अपने आस-पास के लोगों को देखा जिनको यही बीमारी थी पर जो रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, स्तनों को हटा देना, अंत तक संघर्ष करना, और स्तनों को हटाने या मर जाने के बीच चयन करना, आदि से गुज़र रहे थे, लेकिन मैं अपने पूरे शरीर के साथ बची रही। यह परमेश्वर के द्वारा मेरी रक्षा करना था! मेरी आँखों से आभार के आँसू छलक पड़े और मैंने एक बार फिर परमेश्वर के प्रति प्रशंसा और कृतज्ञता पेश की।

दौलत के पीछे छिपा काला अभिनेता

इस अनुभव के बाद, मैं गहराई से समझ गई कि परमेश्वर मुझे जीने का दूसरा मौका दे रहा है, लेकिन मुझे यह भी याद रहा कि कैसे मैंने अपना जीवन दौलत के पीछे बिताया था, और इसकी वजह से लगभग मेरी जान चली गई थी, और मैं यह आश्चर्य किये बिना न रह पाई कि क्यों मैंने इस हद तक दौलत की पूजा की, कि मैं इसके लिए अपना जीवन तक कुर्बान कर दूँ? मैंने यह भी सोचा कि मेरे जैसे कितने लोग थे, जो सब धन-दौलत के लिए कटु संघर्ष करते हैं और अंततः इस गुलामी में अपने जीवन खो देते हैं। हमें क्या नियंत्रित करता है कि हम इन चीज़ों को करने के लिए प्रवृत्त हो जाते हैं? मैंने परमेश्वर के वचन में इनके जवाब खोजे, "'पैसा दुनिया को नचाता है' यह शैतान का एक फ़लसफ़ा है और यह संपूर्ण मानवजाति में, हर मानव-समाज में प्रचलित है। तुम कह सकते हो कि यह एक रुझान है, क्योंकि यह हर एक व्यक्ति के हृदय में बैठा दिया गया है। बिल्कुल शुरू से ही, लोगों ने इस कहावत को स्वीकार नहीं किया, किन्तु फिर जब वे जीवन की वास्तविकताओं के संपर्क में आए, तो उन्होंने इसे मूक सहमति दी, और महसूस करना शुरू किया कि वे वचन वास्तव में सत्य हैं। क्या यह शैतान द्वारा मनुष्य को भ्रष्ट करने की प्रक्रिया नहीं है? ... क्या तुम लोगों को लगता है कि बिना पैसे के तुम लोग इस दुनिया में जीवित नहीं रह सकते, कि पैसे के बिना एक दिन जीना भी असंभव होगा? लोगों की हैसियत इस बात पर निर्भर करती है कि उनके पास कितना पैसा है, और वे उतना ही सम्मान पाते हैं। गरीबों की कमर शर्म से झुक जाती है, जबकि धनी अपनी ऊँची हैसियत का मज़ा लेते हैं। वे ऊँचे और गर्व से खड़े होते हैं, ज़ोर से बोलते हैं और अंहकार से जीते हैं। यह कहावत और रुझान लोगों के लिए क्या लाता है? क्या यह सच नहीं है कि पैसे की खोज में लोग कुछ भी बलिदान कर सकते हैं? क्या अधिक पैसे की खोज में कई लोग अपनी गरिमा और ईमान का बलिदान नहीं कर देते? इतना ही नहीं, क्या कई लोग पैसे की खातिर अपना कर्तव्य निभाने और परमेश्वर का अनुसरण करने का अवसर नहीं गँवा देते? क्या यह लोगों का नुकसान नहीं है? (हाँ, है।) क्या मनुष्य को इस हद तक भ्रष्ट करने के लिए इस विधि और इस कहावत का उपयोग करने के कारण शैतान कुटिल नहीं है?" ('स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है V')। "लोग अपना जीवन धन-दौलत और प्रसिद्धि का पीछा करते हुए बिता देते हैं; वे इन तिनकों को यह सोचकर कसकर पकड़े रहते हैं, कि केवल ये ही उनके जीवन का सहारा हैं, मानो कि उनके होने से वे निरंतर जीवित रह सकते हैं, और मृत्यु से बच सकते हैं। परन्तु जब मृत्यु उनके सामने खड़ी होती है, केवल तभी उन्हें समझ आता है कि ये चीज़ें उनकी पहुँच से कितनी दूर हैं, मृत्यु के सामने वे कितने कमज़ोर हैं, वे कितनी आसानी से बिखर जाते हैं, वे कितने एकाकी और असहाय हैं, और वे कहीं से सहायता नही माँग सकते हैं। उन्हें समझ आ जाता है कि जीवन को धन-दौलत और प्रसिद्धि से नहीं खरीदा जा सकता है, कि कोई व्यक्ति चाहे कितना ही धनी क्यों न हो, उसका पद कितना ही ऊँचा क्यों न हो, मृत्यु के सामने सभी समान रूप से कंगाल और महत्वहीन हैं। उन्हें समझ आ जाता है कि धन-दौलत से जीवन नहीं खरीदा जा सकता है, प्रसिद्धि मृत्यु को नहीं मिटा सकती है, न तो धन-दौलत और न ही प्रसिद्धि किसी व्यक्ति के जीवन को एक मिनट, या एक पल के लिए भी बढ़ा सकती है" ('स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III')

परमेश्वर के वचन भ्रष्ट मानव जाति की वास्तविक स्थिति को प्रकट करते हैं—हममें से हर कोई धन, प्रसिद्धि और सौभाग्य के लिए बेतहाशा भागदौड़ और संघर्ष करता है, लेकिन हममें से किसी को भी यह एहसास नहीं है कि यह शैतान द्वारा पहुँचाया गया नुकसान है। "पहले पैसा", "पैसा सब कुछ न सही, लेकिन इसके बिना तुम कुछ भी नहीं कर सकते हो", "पैसे के लिए आदमी और भोजन के लिए पक्षी मरता है", और "कोई कष्ट नहीं, तो कोई लाभ नहीं" और इस तरह के अन्य शैतानी नियमों से प्रभावित होकर हम भूल से यह मान लेते हैं कि दौलत का होना हमारे जीवन की निधि है, और यदि हमारे पास धन हो, तो सब कुछ होगा। हम दौलत मात्र को अपनी जीविका और अपना आश्रय समझते हैं। अधिक धन पाने के लिए, हम, नोट बनाने वाली मशीनों की तरह, हर दिन कड़ी मेहनत करते हैं, और यहां तक कि अपने स्वास्थ्य और जीवन का भी बलिदान कर देते हैं। धन के लिए, मैंने अपने जीवन के जोखिम पर भारी परिश्रम किया था; धन के लिए, मैंने चिकनी-चुपड़ी बातें और चापलूसी सीखी थी; धन के लिए, मैंने अपने शरीर की सीमाओं को नज़रअंदाज़ कर दिया और चार लोगों के काम को अकेले किया। शैतान की ये प्रसिद्ध बातें मेरी ज़िन्दगी बन गईं थीं, यही मेरे जीवन का एकमात्र उद्यम और ध्येय था। दस साल की कड़ी मेहनत के बदले, मैंने एक उत्कृष्ट भौतिक जीवन-शैली, और मेरे आसपास के लोगों की प्रशंसा और सराहना, प्राप्त की। मेरा अहम् बहुत संतुष्ट था, लेकिन मैंने इन चीज़ों के लिए एक निष्ठुर क़ीमत चुकाई थी: मैं व्यापार में रेंगने और लुढ़कने लगी थी, मेरा स्वभाव झूठा और कुटिल हो गया था; इतने लंबे समय तक व्यस्त रहने के कारण मैंने अपने परिवार को अनदेखा कर दिया था और इससे अपने पति के साथ मेरे संबंधों में कलह पैदा हुई थी; अतिश्रम के कारण, मैं अनिद्रा से पीड़ित थी, मुझे विभिन्न बीमारियाँ हुईं, और मैं कैंसर से मरने वाली थी... मैंने कड़वाहट और दर्द से भरे शैतानी जाल में फंसने का, और इसके अलावा, मेरे दिल में आसन्न मौत के आतंक और उस बेबसी का, स्वाद चखा था। दौलत केवल मेरी शारीरिक इच्छाओं को अस्थायी रूप से संतुष्ट कर सकती थी, लेकिन यह मेरे जीवन को वापस न खरीद सकी, न ही यह मेरे जीवन को लेश मात्र भी बढ़ा सकी। अब, मैंने स्पष्ट रूप से देखा कि दौलत का पीछा करना निरर्थक और बेकार था, और शैतान ने धन का इस्तेमाल हमें प्रलोभन देने, हमें भ्रष्ट करने और हमें नुकसान पहुँचाने के लिए किया था, कि इसने हमें धन की खोज के भंवर में और भी गहराई तक फँसा दिया था, और अंत में शैतान हमें निगल ही गया होता। ये परमेश्वर के वचन ही थे जो मुझे प्रबुद्ध करते थे, मेरा मार्गदर्शन करते थे और मुझे शैतान की चाल को भांपने की अनुमति देते थे। इसके बिना, मेरे साथ जो कुछ भी हो रहा था, उसे जाने बगैर, शैतान ने मुझे नुकसान पहुँचाया या मार ही दिया होता। जब मैंने इन बातों को समझ लिया, तो मैंने तुरंत अपनी पिछली गलतियों को सुधारने की, अब पैसा कमाने के लिए अतिश्रम न करने की, और दौलत का गुलाम न बनने की, शपथ ले ली। इस जीवनकाल में मैं कितना धन कमाऊँगी, यह किस्मत की बात थी, और यदि मैं सामान्य रूप से काम करती हूँ और परमेश्वर की योजनाओं और व्यवस्थाओं का पालन करती हूँ, तो मैं यह जानकर संतुष्ट रह सकती थी कि मेरे पास खाने और पहनने के लिए पर्याप्त होगा। लोगों को सबसे पहले सत्य की तलाश करनी चाहिए, सभी बातों में परमेश्वर के वचन का अभ्यास करना चाहिए, और जीने के लिए परमेश्वर के वचन पर भरोसा करना चाहिए, क्योंकि केवल इसी तरह से हम सर्वाधिक सार्थक जीवन जी सकते हैं।

गुलामी से बचना और जीवन में सही राह पर चलना

जब मैं सत्य की खोज करने के लिए दृढ़ थी, एक दिन एक दोस्त ने मुझसे कहा, "अभी एक उत्पाद बहुत अच्छी तरह से बिक रहा है, और मैं तुम्हारे साथ सहयोग करना चाहती हूँ। मुझे किसी निवेश की आवश्यकता नहीं है। तुम ग्राहक और दुकानें प्रदान करो। मैं माल प्रदान करुँगी, और हम लाभ को आधा-आधा बाँट सकते हैं। यदि तुम सहमत हो, तो मैं इसे कल खरीद लूँगी!" जब मैंने यह सुना, तो मैंने सोचा, "तुम मेरे द्वारा किसी निवेश के बिना व्यापार करना चाहती हो? क्या यह अद्भुत बात नहीं है?" मैं बिना कुछ सोचे-समझे ही सहमत हो गई। मेरे दोस्त के चले जाने के बाद, मेरे दिल में अशांति थी, और जब मैंने अंततः खुद को शांत किया, तो मैंने सोचा, "मैं पहले से ही एक श्रृंखला-बद्ध दुकान चलती हूँ, और यह बहुत कठिन है। भले ही मुझे इसमें निवेश करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन यह मेरे प्रस्तावित व्यापार में एक और नाम जोड़ देगा, और निस्संदेह मेरी ऊर्जा और मेरे समय से एक और क़ीमत चुकाई जाएगी। अतीत में, दौलत के लिए संघर्ष करने में मैंने लगभग अपने जीवन का बलिदान कर डाला था, और अगर परमेश्वर ने मुझे नहीं बचाया होता, तो मैं आज कैसे जीवित होती? क्या मैं वास्तव में उसी रास्ते पर वापस जा रही थी?" इसके बाद, जवाब पाने के लिए मैं परमेश्वर के सामने आई, और मैंने परमेश्वर के वचन के इस अंश को पढ़ा, "मनुष्य की त्रासदी यह नहीं है कि वह एक सुखी जीवन की चाह करता है, यह नहीं है कि वह प्रसिद्धि एवं सौभाग्य के पीछे भागता है या कोहरे के बीच अपने स्वयं के भाग्य के विरुद्ध संघर्ष करता है, परन्तु यह है कि सृजनकर्ता के अस्तित्व को देखने के पश्चात्, इस तथ्य को जानने के पश्चात् भी कि मनुष्य के भाग्य पर सृजनकर्ता की संप्रभुता है, वह अपने मार्ग में सुधार नहीं कर पाता है, अपने पैरों को दलदल से बाहर नहीं निकाल सकता है, बल्कि अपने हृदय को कठोर बना देता है और निरंतर ग़लतियाँ करता रहता है। लेशमात्र पछतावे के बिना, वह कीचड़ में लगातार हाथ पैर मारना, सृजनकर्ता की संप्रभुता के विरोध में अवज्ञतापूर्ण ढंग से निरन्तर स्पर्धा करना अधिक पसंद करता है, और दुखद अंत तक विरोध करता रहता है। जब वह टूट कर बिखर जाता है और उसका रक्त बह रहा होता है केवल तभी वह अंततः हार मान लेने और पीछे हटने का निर्णय लेता है। यह असली मानवीय दुःख है। इसलिए मैं कहता हूँ, ऐसे लोग जो समर्पण करना चुनते हैं वे बुद्धिमान हैं, और जो संघर्ष करने और बचकर भागने का चुनाव करते हैं, वे वस्तुतः महामूर्ख हैं" ('स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III')। परमेश्वर के दया और दोष के वचनों की हर पंक्ति ने मेरे दिल को छू लिया, और शैतान के जाल के फंदे से मेरे लिए निकल जाने का कोई रास्ता नहीं होने के कारण परमेश्वर के दर्द और दुख का मुझे एहसास हुआ। जब मैंने अतीत के बारे में सोचा कि दौलत कमाने के लिए मैंने कैसे कष्ट सहा है और परमेश्वर ने मुझे कैसे बचाया है, तो मुझे बहुत अपराध-बोध हुआ। बार-बार परमेश्वर ने मुझे शैतान के खेमे से बचाया था, लेकिन मैं ढीठतापूर्वक भ्रमित और अनजान बनी रही, दौलत कमाने से जुड़े सभी मामलों में मेरी इच्छा के खिलाफ़ शैतान के जाल में फँसी रही, परमेश्वर की इच्छा की मैंने बिल्कुल ही खोज नहीं की, धन-दौलत, प्रसिद्धि, और भविष्य की तलाश में मैं लगातार बनी रही और धन कमाने के किसी भी मौके को मैंने छोड़ना नहीं चाहा। मैंने सोचा कि अतीत में कैसे जीवित रहने के शैतानी सिद्धांतों द्वारा मैं जीती थी और धन, प्रसिद्धि और भाग्य का पीछा करते हुए मैंने अपने जीवन के आधे भाग को बर्बाद कर दिया था, और अंत में कुछ भी हासिल नहीं किया था। मुझे इससे कोई मूल्य या अर्थ नहीं मिला था। मैं अभी-अभी पुनः स्वस्थ हुई थी, और तुरंत मेरी सहेली मेरे साथ व्यवसाय करना चाहती थी। क्या शैतान मेरी सहेली का इस्तेमाल करके मुझे लुभा नहीं रहा था और मुझे फिर से पैसे कमाने के चक्कर में फंसा नहीं रहा था, जिससे मैं परमेश्वर को छोड़ दूँ, उसे धोखा दे दूँ, और फिर से शैतान के खेमे में लौट जाऊँ जहाँ वह मेरे साथ खिलवाड़ करे और मुझे नुकसान पहुँचाए? लेकिन अब, मैं जाग गई थी, मैं जान गई थी कि शैतान वास्तव में नीच है, और मैंने शैतान की इन योजनाओं में इतनी गहराई से क्षतिग्रस्त होने और फंस जाने के लिए खुद को ही दोषी ठहराया। यह तभी हुआ कि मैंने परमेश्वर के दिल को और चोट नहीं पहुँचाने के लिए दृढ़ संकल्प किया था। मुझे परमेश्‍वर के लिए दृढ़ रहना और गवाही देना था और शैतान को अपमानित करना था! इसलिए, मैंने अपने मित्र के व्यवसाय-प्रस्ताव को दृढ़तापूर्वक अस्वीकार कर दिया।

आज, मैं अपना अधिकतर समय परमेश्वर पर विश्वास करने और सच्चाई की खोज करने में बिताती हूँ। कलीसिया में भी, मैं एक रचित प्राणी के रूप में अपने कर्तव्यों को पूरा करने की पूरी कोशिश करती हूँ, मैंने अपने व्यापार के मामले परमेश्वर को सौंप दिए हैं। मैं अब व्यवसाय में अपनी ही ताक़त से संघर्ष नहीं करती, बल्कि परमेश्वर की योजनाओं और व्यवस्थाओं का पालन करती हूँ। कभी-कभी, जब मैं अपने भाइयों और बहनों के साथ मिलकर सुसमाचार का प्रचार करती हूँ, तो मैं ऐसे लोगों को परमेश्वर के सामने ले आती हूँ, जो मेरे जैसे अनुभवों और यातनाओं से गुज़र चुके हैं। आखिरकार जब मैंने मेरे दिल में दौलत की खोज को छोड़ दिया, तो मैंने न केवल एक ऐसी आध्यात्मिक स्वाधीनता और रिहाई को महसूस किया, जिनका मैंने पहले कभी अनुभव नहीं किया था, बल्कि मैंने परमेश्वर के चमत्कारों में से एक का अनुभव भी किया। कभी-कभी, मैं सुसमाचार फैलाने में इतनी व्यस्त रहती हूँ कि मेरे पास अपनी दुकान की देखरेख करने का समय नहीं होता है, लेकिन मेरे ग्राहक बाद में चीज़ें खरीदने के लिए खुद मेरे पास आ जाते हैं। कभी-कभी, कई दिनों तक कोई व्यापार नहीं होता, लेकिन हर महीने, कई बंधे हुए ग्राहक बड़े ऑर्डर दे जाते हैं, जिससे तब भी मैं उतना व्यापार कर ही लेती हूँ। इससे मैं यह देख पाती हूँ कि सभी चीज़ें परमेश्वर द्वारा व्यवस्थित की जाती हैं, और हमारे पास कितनी संपत्ति होगी यह कोई ऐसी बात नहीं हैं जिसे हम स्वयं के प्रयास पर निर्भर रहकर तय कर सकते हैं। यह कुछ ऐसा है जो पूरी तरह से हमें परमेश्वर द्वारा दिया जाता है। यह आँख की पलक झपकने जैसा लगता है कि मैंने कई सालों से परमेश्वर पर विश्वास किया है। परमेश्वर के वचन को पढ़ने के माध्यम से, मैंने गहराई से अनुभव किया कि केवल परमेश्वर ही सत्य, मार्ग और जीवन है, केवल परमेश्वर ही लोगों तक प्रकाश को ला सकता है, केवल परमेश्वर की आराधना कर, सत्य की खोज कर, चीज़ों के बारे में हमारे गलत विचारों से दूर होकर, और परमेश्वर के वचन को हमारे कर्म का मार्गदर्शक बनने की अनुमति देकर ही, हम वास्तव में जीवन की सही राह पर चलना शुरू कर सकते हैं और एक सार्थक जीवन जी सकते हैं। परमेश्वर को धन्यवाद हो!

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