Christian Song | देहधारी परमेश्वर में मानवता है और उससे भी ज्यादा दिव्यता है

10 अप्रैल, 2024

"देहधारण" परमेश्वर का देह में प्रकट होना है;

परमेश्वर सृष्टि के मनुष्यों के मध्य देह की छवि में कार्य करता है।

चूँकि परमेश्वर देहधारी है, तो उसे सबसे पहले देह बनना होगा,

सामान्य मानवता वाला देह; यह सबसे मौलिक आवश्यकता है।

परमेश्वर के देहधारण का निहितार्थ यह है कि

परमेश्वर देह में रहता और कार्य करता है,

परमेश्वर अपने सार में देहधारी बन जाता है,

वह मनुष्य बन जाता है।

उसकी मानवता उसके दैहिक सार के लिए अस्तित्व में है;

मानवता के बिना कोई देह नहीं हो सकता,

और मानवता के बिना कोई व्यक्ति मानव नहीं होता।

इस तरह, परमेश्वर के देह की मानवता,

परमेश्वर के देहधारण का अंतर्भूत गुण है।

ऐसा कहना कि "जब परमेश्वर देहधारण करता है

तो वह पूरी तरह से दिव्य होता है,

उसमें मानवीयता नहीं होती," ईशनिंदा है,

क्योंकि इस वक्तव्य का कोई अस्तित्व ही नहीं है,

और यह देहधारण के सिद्धांत का उल्लंघन करता है।

कार्य की अभिकर्ता उसकी मानवता में रहने वाली दिव्यता है।

कार्य उसकी दिव्यता करती है, न कि उसकी मानवता,

मगर यह दिव्यता उसकी मानवता में छिपी रहती है;

सार रूप में, उसका कार्य उसकी संपूर्ण दिव्यता द्वारा ही किया जाता है,

न कि उसकी मानवता द्वारा।

परन्तु कार्य को करने वाला उसका देह है।

कह सकते हैं कि वह मनुष्य भी है और परमेश्वर भी,

क्योंकि परमेश्वर, मानवीय आवरण और मानवीय सार के साथ,

देह में रहने वाला परमेश्वर बन जाता है,

लेकिन उसमें परमेश्वर का सार भी होता है।

चूँकि वह परमेश्वर के सार वाला मनुष्य है

इसलिए वह सभी सृजित मानवों से ऊपर है,

ऐसे किसी भी मनुष्य से ऊपर है जो परमेश्वर का कार्य कर सकता है।

उसके समान मानवीय आवरण वाले सभी लोगों में,

सभी मानवता धारियों में,

एकमात्र वही देहधारी स्वयं परमेश्वर है—

अन्य सभी सृजित मानव हैं।

यद्यपि उन सभी में मानवता है,

किन्तु सृजित मानव में केवल मानवता ही है,

जबकि देहधारी परमेश्वर भिन्न है:

उसके देह में न केवल मानवता है,

बल्कि अधिक महत्वपूर्ण यह है कि उसमें दिव्यता भी है।

चूँकि परमेश्वर देहधारी बन जाता है,

उसका सार मानवता और दिव्यता का संयोजन है।

यह संयोजन स्वयं परमेश्वर,

पृथ्वी पर स्वयं परमेश्वर कहलाता है।

चूँकि परमेश्वर देहधारी बन जाता है,

उसका सार मानवता और दिव्यता का संयोजन है।

यह संयोजन स्वयं परमेश्वर,

पृथ्वी पर स्वयं परमेश्वर कहलाता है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर द्वारा धारण किये गए देह का सार

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