अध्याय 83

तुम लोग नहीं जानते कि मैं ही सर्वशक्तिमान परमेश्वर हूँ, न ही तुम लोग जानते हो कि सभी घटनाएँ और चीज़ें मेरे नियंत्रण में हैं! इसका क्या अर्थ है कि सब कुछ मेरे द्वारा स्थापित और पूरा किया जाता है? प्रत्येक व्यक्ति के आशीष या दुर्भाग्य सभी मेरी तृप्ति पर और मेरे कार्यकलापों पर निर्भर करते हैं। मनुष्य क्या कर सकता है? मनुष्य सोच के द्वारा क्या संपन्न कर सकता है? इस अंतिम युग में, इस पथभ्रष्ट युग में, इस अंधकारमय दुनिया में जिसे शैतान ने एक हद तक भ्रष्ट कर दिया है, मेरी इच्छा के अनुरूप क्या कुछ सामंजस्य में हो सकता है? चाहे आज हो, बीता हुआ कल हो या निकट भविष्य हो, सभी लोगों के जीवन मेरे द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। चाहे वे आशीषों को प्राप्त करें या दुर्भाग्य को भुगतें और चाहे मेरे द्वारा उन्हें प्रेम मिले या नफ़रत, सब कुछ ठीक-ठीक मेरे द्वारा एक ही झटके में निर्धारित किया गया था। तुममें से कौन यह दावा करने का साहस करता है कि तुम्हारे कदम आत्म-निर्धारित हैं और तुम्हारा भाग्य तुम्हारे नियंत्रण में है, कौन ऐसा कहने का साहस करता है? कौन इतना अवज्ञाकारी होने का साहस करता है? कौन मुझसे नहीं डरता है? कौन अपने मन में मेरे प्रति अवज्ञाकारी है? कौन अपनी मनमानी करने का साहस करता है? मैं उन्हें मौके पर ही ताड़ना दूँगा और निश्चित रूप से मानवजाति पर अब और दया नहीं करूँगा या उसका अब और उद्धार नहीं करूँगा। इस बार-अर्थात् जिस क्षण तुम लोगों ने मेरे नाम को स्वीकार कर लिया है-अंतिम बार है कि मैं मानवता के प्रति किसी तरह की उदारता दिखाऊँगा। कहने का अर्थ है कि मैंने मानवजाति के एक हिस्से को चुना है जिसके यद्यपि आशीष शाश्वत न हों, फिर भी वे मेरे प्रचुर अनुग्रह का आनंद उठा चुके हैं; इसलिए, भले ही यह पूर्वनियत नहीं है कि तुम शाश्वत रूप से धन्य रहोगे, इसका मतलब यह नहीं कि तुम्हारे साथ दुर्व्यवहार किया जाएगा और तुम उन लोगों की तुलना में बहुत बेहतर हो जो सीधे दुर्भाग्य को भुगतेंगे।

वास्तव में, मेरा न्याय पहले ही एक उच्च बिंदु पर पहुँच चुका है और एक अभूतपूर्व क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है। मेरा न्याय हर व्यक्ति पर है और अब यह एक कोपपूर्ण न्याय है। अतीत में यह एक प्रतापी न्याय था लेकिन अब यह बहुत भिन्न है। अतीत में लोगों को रत्ती भर भी डर महसूस नहीं होता था जब तक कि वे मेरे न्याय किए जाने का सामना नहीं करते थे; हालाँकि अब जैसे ही वे एक वचन भी सुनते हैं तो वे बुरी तरह घबरा जाते हैं। कुछ तो मेरे मुँह खोलने से भी डरते हैं। जब मैं बोलना शुरू करता हूँ, तो यदि मेरी आवाज़ भी निकलती है, तो वे इतना डर जाते हैं कि वे नहीं जानते कि क्या करें, उस समय वे ईमानदारी से यही चाहते हैं कि अपने आप को ज़मीन में किसी गड्ढे में छुपा लें या किसी सबसे अँधेरे कोने में छिपे रहें। इस तरह के व्यक्ति को बचाया नहीं जा सकता क्योंकि वे दुष्ट आत्माओं के कब्ज़े में हैं। जब मैं बड़े लाल अजगर और उस प्राचीन सर्प का न्याय करता हूँ, तो वे बुज़दिल हो जाते हैं और यहां तक कि दूसरों के देखे जाने से भी डरते हैं; सचमुच वे शैतान के वंशज हैं जो अंधकार में पैदा हुए हैं।

मैं अक्सर “पूर्वनियति और चयन” शब्दों को बोला करता था, इनका सही-सही क्या अर्थ है? मैं कैसे पूर्वनियत और चयन करता हूँ? क्यों कोई व्यक्ति पूर्वनियत और चयनित लोगों में नहीं होगा? तुम इसे कैसे समझ सकते हो? इन चीजों को मेरी कुछ स्पष्ट व्याख्या की आवश्यकता है और वे मुझे सीधे बोलने को मजबूर करते हैं। यदि मैं तुम लोगों में ये चीजें प्रकट करता, तो भ्रमित व्यक्ति ग़लत ढंग से विश्वास करता कि यह शैतान द्वारा दिया गया विचार है! मैं अन्यायपूर्वक तिरस्कृत हो जाऊँगा! अब मैं कुछ भी छिपाकर न रखते हुए रुखाई से बोलूँगा : जब मैंने सभी चीज़ों का सृजन किया, तो मैंने मानव जाति की सेवा में सबसे पहले उन सामग्रियों को बनाया (फूल, घास, पेड़, लकड़ी, पर्वत, नदियाँ, झीलें, भूमि और सागर, सभी प्रकार के कीड़े, पक्षी और जानवर; कुछ मानवजाति के खाने के लिए हैं और कुछ मानवजाति के देखने के लिए हैं)। मानवजाति के लिए विभिन्न क्षेत्रों में बदलाव के आधार पर विभिन्न प्रकार के अनाज बनाए गए; केवल इन सब चीजों को बनाने के बाद ही मैंने मनुष्यों का सृजन शुरू किया। दो तरह के लोग होते हैं : पहले मेरे द्वारा चयनित और पूर्वनियत हैं; दूसरों में शैतान के गुण हैं और इस प्रकार के लोगों को मैंने दुनिया का सृजन करने से पहले ही बनाया था, लेकिन चूँकि वे शैतान द्वारा पूरी तरह से भ्रष्ट कर दिए गए थे, इसलिए मैंने उनका परित्याग कर दिया है। तब मैंने पूर्वनियत और चयनित किस्म के लोगों को बनाया, इनमें से प्रत्येक के पास अलग-अलग अंशों में मेरे गुण हैं; इसलिए, आज मेरे द्वारा चुने गए प्रत्येक व्यक्ति के पास कम-ज्यादा अंशों में मेरे गुण हैं। यद्यपि उन्हें शैतान के द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया है, फिर भी वे मुझसे संबंधित हैं; प्रत्येक चरण मेरी प्रबंधन योजना का एक भाग है। राज्य में ईमानदार लोग शासन करते हैं क्योंकि मैंने इसकी पहले ही योजना बना ली थी। जो लोग कुटिल और धोखेबाज हैं, वे ईमानदार नहीं हो सकते क्योंकि वे शुरुआत से अंत तक शैतान के वंशज हैं और शैतान के कब्ज़े में हैं, वे शैतान के सेवक हैं और उसके अधीन हैं। हालाँकि इस सबका उद्देश्य मेरी इच्छा पूरी करने के लिए है। मैंने इसे स्पष्ट कर दिया है ताकि तुम लोगों को अनुमान न लगाना पड़े। जिन्हें मैं पूर्ण करूँगा, मैं उनका ख्याल रखूँगा और उनकी रक्षा करूँगा; जिस तरह जिनसे मैं घृणा करता हूँ, एक बार उनकी सेवा खत्म हो गई तो वे मेरे स्थान से बाहर निकल जाएँगे। जब इन लोगों के बारे में बोला जाता है तो मैं क्रोधित हो जाता हूँ; उनका ज़िक्र होते ही मैं उनसे तुरंत निपटना चाहता हूँ। फिर भी मैं अपने कार्यकलापों में संयमित रहता हूँ; मुझे मेरे कार्यों और भाषण में मापा जाता है। मैं क्रोध के एक दौर में दुनिया को विषादग्रस्त कर सकता हूँ, पर जिन्हें मैंने पूर्वनियत किया है, वे अपवाद हैं; शांत होने के बाद मैं दुनिया को अपने हाथ की हथेली में थाम सकता हूँ। दूसरे शब्दों में, मैं सब कुछ नियंत्रित करता हूँ। जब मुझे महसूस होता है कि दुनिया एक हद तक भ्रष्ट हो गई है कि लोग इसे सहन नहीं कर सकते, तो मैं इसे तुरंत नष्ट कर दूँगा। क्या मैं इसे सिर्फ एक वचन के उच्चारण से नहीं कर सकता था?

मैं स्वयं व्यावहारिक परमेश्वर हूँ; मैं अलौकिक चिह्नों या चमत्कारों का प्रदर्शन नहीं करता हूँ-लेकिन मेरे अद्भुत कार्य हर जगह हैं। आगे की राह अतुलनीय रूप से अधिक दीप्तिमान हो जाएगी। मेरे द्वारा प्रत्येक चरण का प्रकाशन, तुम लोगों को इंगित करने का मेरा तरीक़ा है और यह मेरी प्रबंधन योजना है। अर्थात्, भविष्य में ये प्रकाशन और भी बहुसंख्यक और स्पष्टतर हो जाएँगे। यहाँ तक कि सहस्त्राब्दि राज्य में भी-निकट भविष्य में-तुम लोगों को अवश्य मेरे प्रकाशनों और मेरे चरणों के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए। सब कुछ साकार हो चुका है और सब कुछ तैयार किया जा चुका है, तुम लोगों में से जो धन्य हुए हैं, अनंत आशीष उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं जबकि जो अभिशप्त हैं, उनके लिए शाश्वत ताड़ना प्रतीक्षा कर रही है। मेरे रहस्य तुम लोगों के लिए बहुत अधिक हैं; जो वचन मेरे लिए सबसे सरल हैं, वे तुम लोगों के लिए सबसे कठिन हैं। इसलिए, मैं अधिक से अधिक बोलता हूँ, क्योंकि तुम लोगों की समझ में बहुत कम आता है और तुम लोगों को हर वचन को विस्तार से समझाने के लिए मेरी आवश्यकता है। बहुत ज्यादा चिंता मत करो, मैं अपने कार्य के अनुसार तुम लोगों से बात करूँगा।

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