
अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन
(वचन देह में प्रकट होता है के संकलन)'वचन देह में प्रकट होता है' पुस्तक में अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त अत्यावश्यक वचनों के उद्धरण संकलित किये गए हैं। ये अत्यावश्यक वचन सीधे तौर पर सत्य पर प्रकाश डालते हैं, और लोगों को सीधे परमेश्वर की इच्छा को समझने, उसके कार्य को जानने और उसके स्वभाव एवं स्वरूप का ज्ञान पाने में समर्थ बनाते हैं। वे उन सभी लोगों के लिए मार्गदर्शन का काम करते हैं जो परमेश्वर के प्रकटन की राह देखते हैं जिससे कि उनके पदचिह्नों की खोज कर सकें। ये वचन आपको स्वर्ग के राज्य में प्रवेश का मार्ग ढूँढने में मदद कर सकते हैं।
मसीह के कथन
1मनुष्यजाति को बचाने के लिए परमेश्वर के तीन चरणों के कार्य पर अत्यावश्यक वचन
1.1. परमेश्वर के व्यवस्था के युग में अपने कार्य को प्रकट करने पर
1.2. परमेश्वर के अनुग्रह के युग में अपने कार्य को प्रकट करने पर
1.3. राज्य के युग—अंतिम युग—पर
2अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य पर अत्यावश्यक वचन
3परमेश्वर के देहधारण के रहस्यों पर अत्यावश्यक वचन
4परमेश्वर के प्रकटन और कार्य पर अत्यावश्यक वचन
5परमेश्वर के कार्य को जानने पर अत्यावश्यक वचन
6परमेश्वर के कार्य के प्रत्येक चरण और परमेश्वर के नाम के बीच के संबंध पर अत्यावश्यक वचन
8परमेश्वर के स्वभाव और उसके स्वरूप पर अत्यावश्यक वचन
9अद्वितीय स्वयं परमेश्वर को जानने पर अत्यावश्यक वचन
9.2. परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव पर
9.4. सभी चीज़ों के लिए जीवन के स्रोत के रूप में परमेश्वर पर
10सत्य क्या है पर अत्यावश्यक वचन
11शैतान मानवजाति को कैसे भ्रष्ट करता है, प्रकट करने पर अत्यावश्यक वचन
12भ्रष्ट मनुष्य के शैतानी स्वभाव और उसकी प्रकृति एवं सार को प्रकट करने पर अत्यावश्यक वचन
13भ्रष्ट मानवजाति की धर्म-संबंधी धारणाओं, विधर्म और भ्रांतियों को प्रकट करने पर वचन
14राज्य के युग के संविधान, प्रशासनिक नियमों और धर्मादेशों पर वचन
15सत्य की वास्तविकता में प्रवेश करने पर अत्यावश्यक वचन
15.2. परमेश्वर से प्रार्थना और उसकी आराधना करने पर
15.3. सत्य को समझने और वास्तविकता में प्रवेश करने पर
15.4. परमेश्वर और मनुष्य के कार्य के बीच अंतर पर
15.5. पवित्र आत्मा के कार्य को समझने और दुष्ट आत्माओं के कार्य को पहचानने पर
15.6. स्वयं के शैतानी स्वभाव, प्रकृति और सार को समझने पर
15.7. ईमानदार व्यक्ति कैसे बनें पर
15.8. परमेश्वर का आज्ञापालन कैसे करें पर
15.9. अपना कर्तव्य सही ढंग से पूरा करने पर
15.10. परमेश्वर का भय मानने और बुराई से दूर रहने पर
15.12. परमेश्वर से प्रेम करने की खोज पर
15.13. न्याय और ताड़ना, परीक्षण और शुद्धिकरण से कैसे गुज़रें पर
15.14. आस्था-संबंधी अपना मार्ग चुनने पर
15.15. परमेश्वर की सेवा करने और उसके लिए गवाही देने पर
15.16. शैतान के प्रभाव को दूर करने और उद्धार पाने पर
15.17. परमेश्वर द्वारा स्वभाव-संबंधी परिवर्तन और पूर्णता पर
16परमेश्वर की अपेक्षाओं, उपदेशों, सांत्वनाओं और चेतावनियों पर वचन
16.1. मनुष्य से परमेश्वर की अपेक्षाओं पर
16.2. मनुष्य के प्रति परमेश्वर के उपदेशों और सांत्वनाओं पर
16.3. मनुष्य के लिए परमेश्वर की चेतावनियों पर
17मनुष्य के परिणाम को परिभाषित करने के लिए परमेश्वर के मानकों और हर तरह के व्यक्ति के अंत पर वचन
18राज्य की सुंदरता और मानवजाति के गंतव्य की भविष्यवाणी एवं परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं और आशीषों पर वचन