पादरी युआन अक्सर बाइबल की व्याख्या करते हैं और हमें विनम्र, धैर्यवान तथा आज्ञाकारी बनने की शिक्षा देते हैं। वे बहुत विश्वास के साथ बात करते हैं और बाहर से बहुत धार्मिक भी लगते हैं। पादरी युआन ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की आप लोगों की गवाही भी हमारे साथ सुनी थी। वे ये भी मानते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर का वचन ही सत्य है, परंतु वो इसे स्वीकार क्यों नहीं करते? वे क्यों हर जगह अफवाहें फैला रहे हैं और परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की निंदा और प्रतिरोध कर, लोगों को सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर मुड़ने से रोक रहे हैं?
उत्तर: धार्मिक नेताओं का सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्यों की निंदा और प्रतिरोध करना कोई असामान्य बात नहीं है। जब प्रभु यीशु अपना कार्य करने आए थे, तब भी क्या यहूदी नेताओं ने उनकी निंदा और उन पर अत्याचार नहीं किया था? आखिरकार तो उन्होंने प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है। अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर का आगमन और उनके कहे वचन सभी सत्य हैं और लोगों को पूरा विश्वास दिलाते हैं। जो कोई भी निष्ठापूर्वक परमेश्वर में विश्वास रखता है और सत्य जानने का अभिलाषी है, वो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन को पढ़ने के बाद सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर मुड़ जाएगा। परंतु पादरीगण और धार्मिक मंडलियों के एल्डर्स इस बात से डरते हैं कि अगर विश्वासीगण सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर मुड़े, तो उनके खाली बाइबल ज्ञान और आध्यात्मिक सिद्धांतों को सुननेवाला कोई न होगा। तब उनका सामाजिक ओहदा और जीवनयापन ख़तरे में पड़ जाएगा। इसीलिए उन्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर का पागलों की तरह प्रतिरोध और निंदा करनी चाहिए। आइए हम पहले सर्वशक्तिमान परमेश्वर की पुस्तक के एक अंश पर नज़र डालें। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "जो लोग परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य को नहीं समझते, वे परमेश्वर के विरुद्ध खड़े होते हैं, और जो लोग परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य से अवगत होते हैं फिर भी परमेश्वर को संतुष्ट करने का प्रयास नहीं करते, वे तो परमेश्वर के और भी बड़े विरोधी होते हैं। ऐसे भी लोग हैं जो बड़ी-बड़ी कलीसियाओं में दिन-भर बाइबल पढ़ते रहते हैं, फिर भी उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य को समझता हो। उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर को जान पाता हो; उनमें से परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप तो एक भी नहीं होता। वे सबके सब निकम्मे और अधम लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक परमेश्वर को सिखाने के लिए ऊँचे पायदान पर खड़ा रहता है। वे लोग परमेश्वर के नाम का झंडा उठाकर, जानबूझकर उसका विरोध करते हैं। वे परमेश्वर में विश्वास रखने का दावा करते हैं, फिर भी मनुष्यों का माँस खाते और रक्त पीते हैं। ऐसे सभी मनुष्य शैतान हैं जो मनुष्यों की आत्माओं को निगल जाते हैं, ऐसे मुख्य राक्षस हैं जो जानबूझकर उन्हें विचलित करते हैं जो सही मार्ग पर कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं और ऐसी बाधाएँ हैं जो परमेश्वर को खोजने वालों के मार्ग में रुकावट पैदा करते हैं। वे 'मज़बूत देह' वाले दिख सकते हैं, किंतु उसके अनुयायियों को कैसे पता चलेगा कि वे मसीह-विरोधी हैं जो लोगों से परमेश्वर का विरोध करवाते हैं? अनुयायी कैसे जानेंगे कि वे जीवित शैतान हैं जो इंसानी आत्माओं को निगलने को तैयार बैठे हैं?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर को न जानने वाले सभी लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं)। किसी ने यह विश्वास नहीं किया था कि धार्मिक जगत परमेश्वर का विरोध करेगा, परंतु प्रभु यीशु के आगमन ने धार्मिक मंडलियों में यीशु विरोधियों को उजागर किया था। धार्मिक नेताओं ने प्रभु यीशु की निंदा और उन पर अत्याचार किए, और आखिर में उन्होंने उसे सूली पर चढ़ा दिया। इस तथ्य से यह सिद्ध होता है कि सभी धार्मिक नेता परमेश्वर की सेवा करते हुए उनका विरोध भी कर रहे हैं। जब पादरीगण और अंत के दिनों के धार्मिक नेता बाइबल के बारे में समझाते हैं, वे ज़्यादातर ख़ुद की शान दिखाने के लिए वचनों और सिद्धांतों का उपयोग करते हैं, लेकिन वे हमारे प्रभु यीशु के वचनों का अनुपालन नहीं करते। विशेषकर जब अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य उन पर आ जाते हैं, तब उनके सत्य विरोधी, शैतानी स्वभाव का पूरा पर्दाफाश हो जाता है। अपने पदों और आजीविका की रक्षा करने के लिए, वे सभी प्रकार की अफवाहें उड़ाते हैं और उग्रता पूर्वक सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा और उनका विरोध करते हुए, विश्वासियों को धोखा देते और उनपर नियंत्रण करते हैं। वे "भेड़ों के झुंड की रक्षा करने और सत्य की रक्षा करने" के बहाने से कलीसिया को बंद भी कर देते हैं, ताकि लोगों को सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य और वचनों की जांच करने से रोक सकें। इससे अधिक घिनौनी बात तो ये होती है कि कुछ पादरीगण और नेता अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए, लोगों को कैद और नियंत्रित करने के अपने घृणित उद्देश्यों को हासिल करने के लिए, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को बेशर्मों की तरह चुरा कर उनका विश्वासियों को उपदेश देते हैं। इससे परमेश्वर के साथ बराबरी का रूतबा बनाने की उनकी तीव्र इच्छा का पूरी तरह पर्दाफाश होता है। ये पादरीगण और धार्मिक नेतागण ठीक उन्हीं यहूदी फरीसियों जैसे हैं जिन्होंने पूर्वकाल में प्रभु यीशु की निंदा और उनका विरोध किया था। वे सभी सत्य से घृणा करते हैं और यीशु विरोधी हैं जो परमेश्वर को शत्रु के रूप में देखते हैं। ये लोग ऐसे शैतान हैं जो लोगों को रौंदते हैं और उनकी आत्मा को निगल जाते हैं। उन्होंने परमेश्वर के स्वभाव का भारी अपमान किया है और इसके लिए परमेश्वर का न्यायपूर्ण दंड उन्हें अवश्य मिलेगा।
"विजय गान" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश
परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?