स्वर्ग के राज्य के रास्ते की रुकावट कौन है?

28 दिसम्बर, 2019

लेखिका मेंगाई, मलेशिया

जिस साल मेरे पति की मृत्यु हुई, मैं गहरी निराशा में थी। इन सबसे ऊपर, मुझ पर मेरे बच्चों के पालन-पोषण की अतिरिक्त जिम्मेदारी थी। मेरी जिंदगी में अचानक कठिनाइयों का पहाड़ आ गिरा था, लेकिन प्रभु का प्रेम हर समय मेरे पास था। भाई-बहनों की मदद से, मैं इस कठिनाई के दौर से बाहर निकल पाई। प्रभु के प्रेम का मूल्य चुकाने के लिये, मैंने दान देना और कलीसिया की सेवा करना जारी रखा। मैं करीब तीस सालों से ऐसा करती आ रही हूँ। इस दौरान, मैंने कलीसिया को फलता-फूलता देखने का अनुभव किया और प्रभु यीशु के सुसमाचार के प्रचार की शानदार घटना को देखा। इसके अलावा, मैंने कलीसिया में वीरानी और विवशता को भी देखा। मैंने उस समय के बारे में सोचा जब पवित्र आत्मा ने सबसे पहले कलीसिया में महान कार्य करना शुरू किया था, जब हमने खुशी का अनुभव किया था और पादरी के उपदेशों को सुनकर बहुत कुछ हासिल किया था। भाई-बहनों के बीच आपसी प्रेम ऐसा था जैसे कि हम सब एक परिवार हों। सुसमाचार का प्रचार करने और प्रभु की गवाही देने में सभी लोग एक साथ थे। बाद में, जो कुछ हुआ था उन सबसे अनजान, पादरी के उपदेश में अब कोई रोशनी नहीं रह गई थी। ऐसा लगता था मानो कि वही पुरानी कहानी बार-बार दोहराई जा रही है और विश्वासियों को कोई भी पोषण या आपूर्ति नहीं मिल पा रही थी। उनका विश्वास और प्रेम धीरे-धीरे फ़ीका पड़ने लगा। सभाओं में आने वाले लोगों की संख्या लगातार कम होती चली गई। हम में से जो लोग सेवा कार्य में हिस्सा लेते थे, वे भी बिना रुचि के ऐसा करते थे। हम सभी लोग मिनिस्ट्री के लोगों की इच्छाओं के अनुसार काम करते थे और परमेश्वर की सेवा में बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते थे। इसके बजाय, हम सिर्फ़ दूसरे लोगों के सामने परिश्रम करते थे और उन्हें खुश करने की कोशिश करते थे। मैं जानती थी कि इस तरह की सेवा परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप नहीं है और इसलिए यह मेरे लिए काफ़ी कष्टदायक था। मैं असहाय महसूस करती थी, आगे के रास्ते पर किस तरह बढ़ना है, इसका मुझे कोई अंदाज़ा नहीं था। इसलिए मैं जल्द से जल्द प्रभु की वापसी की और भी ज़्यादा उम्मीद कर रही थी, ताकि इन सभी समस्याओं का समाधान हो सके।

साल 2016 में, जब मैं बिल्कुल बेबस महसूस कर रही थी, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को देखा। मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन का काफ़ी हिस्सा पढ़ा, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई-बहनों की सहभागिता और उनकी गवाही को भी सुना। अंततः मैं समझ गई कि प्रभु यीशु ने काफ़ी पहले देहधारण कर लिया है, वे अपने वचन बोलने और परमेश्वर के घर से शुरू होने वाला अंत के दिनों का न्याय का कार्य करने के लिए इस दुनिया में आ गए हैं। वे यह सब मनुष्य को पूरी तरह से शुद्ध करने और बचाने के लिए कर रहे हैं। वे मनुष्य को स्वर्ग के राज्य में लाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों ने मुझे प्रभु की वापसी का रहस्य स्पष्ट कर दिया, जिसके बारे में कई सालों से सोचती रही थी। मैं समझ गई कि प्रभु की वापसी दो रूपों में बँटी हुई है – एक छिप कर आना और दूसरा खुले तौर पर आना। प्रभु ने पहले अपने छिपे हुए रूप में मनुष्य का पुत्र बनकर देहधारण किया। वे अपने वचन बोलने और मनुष्य का न्याय करके उसे शुद्ध करने और आपदाओं से पहले विजेताओं का एक समूह बनाने के लिए इस संसार में आये। जब भीषण आपदाएं आएंगी, तब वे अच्छे लोगों को इनाम देंगे और दुष्ट लोगों को दंडित करेंगे। तब वे खुले तौर पर सामने आएंगे, सभी देशों और लोगों के सामने प्रकट होंगे। उस समय, छिपे आगमन के दौरान किया गया देहधारी परमेश्वर का कार्य पहले ही समाप्त हो चुका होगा, और अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य का विरोध और निंदा करने वाले सभी लोग आपदाओं का सामना करेंगे, उनमें से ज़्यादातर लोग रोते और अपने दांत पीसते नज़र आएंगे। भाई-बहनों ने मुझसे उन सत्यों के बारे में भी सहभागिता की थी, जिनमें मनुष्य को बचाने के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरण, परमेश्वर के देहधारण का महत्व, और अंत के दिनों में परमेश्वर न्याय का कार्य कैसे करते हैं, इस बारे में भी जानकारी शामिल थी। तब मैं समझी कि क्यों पहले, कलीसिया में सेवा करते हुए, हमारे पास परमेश्वर का मार्गदर्शन नहीं था, और क्यों धर्मग्रंथ को पढ़ने, प्रार्थना करने और बाइबल का अध्ययन करने में हमें आगे का रास्ता नज़र नहीं आता था। मैं समझ गई कि क्यों हमने पवित्र आत्मा की उपस्थिति को महसूस नहीं किया था। परमेश्वर ने पहले ही नया कार्य कर दिया था, अनुग्रह के युग को समाप्त किया था और राज्य के युग को लाया था। पवित्र आत्मा अब अनुग्रह के युग की कलीसियाओं में कार्य नहीं कर रहा था, इसलिए लोगों का उत्साह फ़ीका पड़ गया था, उनमें कोई भी खुशी या संतोष नहीं था, और वे अपने आध्यात्मिक जीवन में कोई भी पोषण नहीं प्राप्त कर सकते थे। यह परमेश्वर का मार्गदर्शन और दिशानिर्देश ही था कि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में परमेश्वर की वाणी को पहचान पाई, और मैंने अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को खुशी से स्वीकार कर लिया। इसके बाद, भाई-बहन अक्सर सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन मेरे साथ ऑनलाइन शेयर करने लगे। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया द्वारा बनाई फ़िल्मों, समवेत भजन के वीडियो और संगीत वीडियो को देखकर मुझे काफी पोषण मिला, और मैंने अपने दिल की गहराइयों से परमेश्वर का धन्यवाद किया कि उसने मुझे अपने सिंहासन के सामने लाने में मेरी अगुवाई की। मैंने परमेश्वर के वचन की चरवाही और पोषण का आनंद लिया, और मैं परमेश्वर के आमने-सामने रहने के सुखद जीवन में प्रवेश कर गई।

एक दिन, कलीसिया के एक पादरी की पत्नी ने अप्रत्याशित रूप से मुझे एक संदेश भेजा, जिसमें कहा गया था: "तुमने चमकती पूर्वी बिजली के पोस्ट को पसंद क्यों किया? तुमने इसे अपने टाइमलाइन पर भी पोस्ट करने की अनुमति दी, ऐसा करना प्रभु की इच्छा के विरुद्ध जाता है। अगर हमारे समुदाय के लोगों ने चमकती पूर्वी बिजली के पोस्ट को देख लिया और वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में दिलचस्पी दिखाने लगे, तो वे सभी लोग चमकती पूर्वी बिजली के बारे में पढ़ने लगेंगे, और तब हम क्या करेंगे? तुम्हें दोबारा चमकती पूर्वी बिजली के लोगों के संपर्क में नहीं आना चाहिए। तुम्हें फ़ौरन उनके संपर्क की जानकारी मिटा देनी चाहिए...।" मैंने जवाब दिया: "सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की सुसमाचार फ़िल्में, भजन और संगीत वीडियो बहुत अच्छे हैं, और वे मेरे पास काफ़ी संख्या में मौजूद हैं। मुझे इसे पसंद करना चाहिए!" मैं पादरी की पत्नी को और भी संदेश भेजना चाहती थी, लेकिन मेरा संदेश पूरा होने से पहले ही, उसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर का विरोध और निंदा करते हुए कई बातें कह दी, उसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पर झूठे आरोप भी लगाये। मैंने देखा कि प्रभु की वापसी के इस मामले की जांच-पड़ताल करने की उसकी कोई इच्छा नहीं थी, बल्कि उसने अपनी मर्जी से अपना फैसला सुना दिया और निंदक टिप्पणियाँ कर डाली। मैं अब इस मामले में उसके साथ कोई बात नहीं करना चाहती थी, इसलिए मैंने विषय बदल दिया।

इस घटना के कुछ दिन बाद, पादरी यांग मुझसे बात करने के लिए मुझे खोजते हुए आये। हाल-चाल पूछने के बाद, पादरी यांग ने मुझे पूछा, "क्या आपने किसी अन्य धार्मिक समूह को ऑनलाइन ढूँढा है?" मुझे नहीं पता था कि पादरी यांग ने मुझे ऐसा सवाल क्यों पूछा, और मैंने कहा, "फ़ेसबुक पर मेरे मित्र अलग-अलग संप्रदायों से ताल्लुक रखते हैं, और अगर मुझे लगता है कि उनके द्वारा पोस्ट किये गए लेख सही और अच्छे हैं, तो मैं हमेशा उन्हें समझने और यह देखने की कोशिश करती हूँ कि कहीं उनमें कोई नई रोशनी तो नहीं है। क्या आप कह रहे हैं कि ऐसा करना गलत है?" पादरी यांग में मुझे फिर से पूछा, "क्या आपने दो साल पहले चमकती पूर्वी बिजली को अपना लिया था? आप चमकती पूर्वी बिजली की जांच-पड़ताल क्यों करना चाहती हैं? इसके अलावा, क्या आप अक्सर इस तरह की चीज़ें ढूंढती रहती हैं (जैसे कि एक बहन जिसने अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को स्वीकार किया था, जिनकी तस्वीरें पोस्ट की गई थी और जिनकी मूल कलीसिया के पादरी ने उनकी निंदा करते हुए उनका परित्याग कर दिया था)? ..." पादरी यांग के सवालों की बाढ़ को सुनकर, मुझे गुस्सा आने लगा और मैंने कहा, "सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया अच्छी है, इसके अंदर सत्य और पवित्र आत्मा का कार्य भी है। जहां कहीं भी सत्य और पवित्र आत्मा का कार्य होगा, मैं उसका अनुसरण करूंगी, यही सही है। हमारी कलीसिया में कोई रोशनी नहीं है, और मेरा उत्साह ठंडा पड़ गया है और वहां मुझे कोई पोषण नहीं मिलता। मैं एक ऐसी कलीसिया ढूंढना चाहती हूँ जहां पवित्र आत्मा का कार्य हो, जहां मेरे जीवन को सत्य का पोषण मिल सके। चमकती पूर्वी बिजली के उपदेश मुझे अच्छे लगते हैं, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के सभी वचन सत्य हैं। वे मुझे पोषण पाने में मदद करते हैं। चमकती पूर्वी बिजली की जांच-पड़ताल करने को लेकर मैं गलत नहीं थी, और मैं ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हूँ।" पादरी यांग ने कहा, "चमकती पूर्वी बिजली के लोग जो प्रचार करते हैं वह बाइबल से बाहर की बात है, और बाइबल में मौजूद वचनों को छोड़कर परमेश्वर का कोई भी अन्य वचन नहीं है। अगर वे जो प्रचार करते हैं, वह बाइबल से भटकाता है, तो यह गलत है।" मैंने कहा, "मैंने एक बार एक प्रचारक को ऐसा ही कहते सुना था, और उस समय मेरा भी यही दृष्टिकोण था। लेकिन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ने और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई-बहनों की सहभागिता को सुनने के बाद, मुझे पता चल गया है कि यह दृष्टिकोण सिर्फ़ हमारी अपनी धारणाएं और कल्पनाएँ हैं। यह सत्य के अनुरूप बिलकुल भी नहीं है और यह तथ्यों से मेल नहीं खाता है। परमेश्वर सर्वव्यापी हैं और उनकी बुद्धि असीम है। हम परमेश्वर के वचनों और कार्यों को बाइबल तक कैसे सीमित कर सकते हैं? बाइबल कहती है: 'और भी बहुत से काम हैं, जो यीशु ने किए; यदि वे एक एक करके लिखे जाते, तो मैं समझता हूँ कि पुस्तकें जो लिखी जातीं वे संसार में भी न समातीं' (यूहन्ना 21:25)। यहाँ हम देख सकते हैं कि बाइबल में दर्ज परमेश्वर के वचन और कार्य का दायरा बहुत ही सीमित है। उस समय प्रभु यीशु ने जो कहा, वे सारी बातें बाइबल में नहीं लिखी हैं, वापस लौटे प्रभु द्वारा बोले गए वचनों की बात तो और भी कम की गई है। इन सबसे ऊपर, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य प्रभु यीशु द्वारा बनाई गई नींव पर आधारित है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य और प्रभु यीशु का कार्य, दोनों एक ही परमेश्वर का कार्य है...।" मैंने जो कुछ भी कहा, पादरी यांग ने एक भी बात नहीं सुनी, इसकी खोज और जांच-पड़ताल में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी। वे बस सर्वशक्तिमान परमेश्वर और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का विरोध और निंदा करने वाली बातें कहते रहे। उन्होंने मुझसे पूछा, "आपने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की वेबसाइट के बारे में कैसे सुना? क्या आपके पास उनकी किताबें हैं? क्या आपने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य के बारे में किसी और को भी प्रचार किया है? क्या आपने अपने बच्चों को भी इसके बारे में बताया है? सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के लोगों के नाम मुझे बताइये...।" उन्होंने यह भी मांग की कि मैं फिर कभी सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के लोगों की सभाओं में हिस्सा न लूं। अगर मैंने उनकी बात नहीं सुनी और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के संपर्क में बनी रही, तो वे मुझे कलीसिया से बर्खास्त कर देंगे, वे फिर कभी मुझे किसी भी कलीसिया में जाने नहीं देंगे और मेरी प्रतिष्ठा को पूरी तरह से दागदार कर देंगे। अपने सामने खड़े पादरी यांग के इस रूप को देखकर मैं हैरान हो गई। पादरी यांग, जो हमेशा अच्छे स्वभाव वाले और विनम्र इंसान रहे, और जो हमेशा ऐसे अच्छे वचन बोलते थे, भला वे ऐसे क्रूर और तर्कहीन व्यक्ति में कैसे परिवर्तित हो गये? मैंने उनसे कहा, "सत्य की जांच-पड़ताल करना मेरा अधिकार है और इसमें दखल देने का अधिकार किसी को भी नहीं है। जहां तक चमकती पूर्वी बिजली के उपदेशों के सच्चा मार्ग होने या न होने की बात है, तो सबसे पहले आपको आँखें बंद कर इसकी आलोचना और निंदा नहीं करनी चाहिये। आप स्वयं सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की वेबसाइट पर जानकार जांच-पड़ताल कर सकते हैं, जहां उन्होंने बहुत सारी सामग्री डाली हुई है। वहां परमेश्वर के वचनों की सभी तरह की किताबें मौजूद हैं। आप खुद वहां जाकर देख लीजिये कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन वापस लौटे प्रभु यीशु की वाणी हैं या नहीं...।" मैं जो कुछ भी कह रही थी, पादरी यांग उसे बिलकुल भी नहीं सुन रहे थे, वे बस लगातार विरोध और निंदा करते रहे। उन्होंने यह कहते हुए मुझे धमकी दी कि मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को छोड़ना होगा। पादरी यांग जितना अधिक बोलते, वे अपनी सीमा पार करते गये। मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने उनसे कहा, "प्रभु यीशु ने कहा है: 'दोष मत लगाओ कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए। क्योंकि जिस प्रकार तुम दोष लगाते हो, उसी प्रकार तुम पर भी दोष लगाया जाएगा' (मत्ती 7:1-2)। अगर आपने कभी सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के वचनों और कार्य की जांच-पड़ताल नहीं की है, तो आप अपनी मर्जी से कोई भी आलोचना और निंदक टिप्पणियाँ कैसे कर सकते हैं? जब आप इस तरह का व्यवहार करते हैं, तो क्या यह प्रभु का सम्मान करने का तरीका है?" पादरी यांग ने देखा कि मैं उनकी बात नहीं सुन रही थी और मैंने उनकी बातों का खंडन किया था, इसलिए उन्होंने कुछ और नहीं कहा।

इसके बाद के दिनों में, पादरी यांग ने मुझ पर नज़र रखना शुरू कर दिया। इस बात ने मुझे चिंता से भर दिया, और मैंने अपनी आस्था की आज़ादी भी खो दी। कलीसिया में, पादरी यांग के और मेरे कार्यालय के बीच सिर्फ़ एक गलियारे का फ़ासला था। वे मेरे कार्यालय में यह देखने के लिए झांकते रहते कि मैं काम पर हूँ या नहीं, और कभी-कभी वे कहते कि वे शौचालय जा रहे हैं और फिर कॉरीडोर से मुझ पर नज़र रखते। एक दिन, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की दो बहनें बातें करने के लिए मेरे कार्यालय में आयीं। उन बहनों के चले जाने के बाद, पादरी यांग मेरी सहायिका को ढूँढने गये। बाद में मेरी सहायिका ने मुझे बताया कि पादरी यांग ने उससे पूछा था कि वे दो लोग कौन थे और क्यों आये थे...। पादरी यांग दिन भर इस तरह से मुझ पर नज़र रखते थे मानो कि वे किसी अपराधी पर नज़र रख रहे हों। इस बात ने मुझे काफ़ी पीड़ित और आज़ादी से वंचित महसूस कराया। एक दिन, मैं कलीसिया नहीं गई, और कुछ भाई-बहनों के साथ ऑनलाइन एक सभा में हिस्सा ले रही थी। तभी, जब मैं अपने ड्राइंग रूम में बैठकर गंभीरता से सभा की बातें नोट कर रही थी, पादरी यांग अचानक मेरे पीछे प्रकट हुए (दरवाज़ा आधा खुला हुआ था और कोई भी कमरे में आ सकता था) और कहा, "आप क्या कर रही हैं? आप क्या लिख रही हैं?" अचानक और अप्रत्याशित आवाज़ को सुनकर मैं डर से उछल पड़ी। उनके द्वारा इस तरह से दखल दिए जाने पर, मैं अंदर से परेशान हो गई, और मैंने जो कुछ भी किया उसके बाद अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाई। मैंने उनसे बुरी तरह नाराज़ हो गई, और सोचा: "परमेश्वर पर अपने विश्वास में सच्चे मार्ग की जांच-पड़ताल करना सही और उचित है, और एक ईसाई को यह अधिकार होना चाहिए।" पवित्र आत्मा अब हमारी कलीसिया में कार्य नहीं कर रहा था, हमारे समुदाय के सभी लोग निराश, कमज़ोर और मुरझाये हुए थे। वे एक ऐसे परिवेश में रह रहे थे जो अँधेरे में डूब गया था, और मैं एक ऐसी कलीसिया ढूंढ रही थी जिसमें पवित्र आत्मा कार्यरत हो। परमेश्वर के पदचिह्नों को ढूंढना गलत कैसे था? वे मुझ पर नज़र क्यों रखना चाहते थे? वे मुझे मेरे मन के मुताबिक क्यों नहीं चलने देना चाहते थे?

सिर्फ़ पादरी ही मेरी निगरानी करके मुझे परेशान नहीं कर रहे थे, बल्कि एक एल्डर ने तो मुझे तंग करने के लिये अपने पास बुला लिया। उन्होंने मुझसे कहा: "सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के लोग जो प्रचार कर रहे थे, वह बाइबल से बाहर की बात है। अगर आप प्रभु में विश्वास करती हैं, तो आप प्रभु को धोखा नहीं दे सकतीं, जिसने आपके प्रति इतनी उदारता दिखाई है। आप विवेकहीन नहीं हो सकतीं...।" जवाब में मैंने कहा, "सर्वशक्तिमान परमेश्वर और प्रभु यीशु एक ही परमेश्वर हैं, और मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करके निश्चित रूप से प्रभु यीशु को धोखा नहीं दिया है। मैं सिर्फ़ मेमने के पदचिह्नों के साथ चल रही हूँ...।" हालांकि, मैंने इसे समझाने की चाहे जितनी भी कोशिश की, एल्डर भी पादरी की तरह ही थे। निंदा और अपमान करने वाली बातें कहने, और अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने से मुझे रोकने के अलावा, उन्होंने मेरी सहभागिता या सलाह की एक भी बात नहीं सुनी। अब मैं उनसे बात नहीं करना चाहती थी, इसलिए मैंने कोई न कोई बहाना बनाने की सोची। लेकिन एल्डर ने मुझे विषय को बदलने नहीं दिया। वे मुझे तंग करने के लिए बुलाते रहे और कहा कि, सर्वशक्तिमान परमेश्वर में मेरे विश्वास से, मैंने प्रभु के अनुग्रह को भुला दिया है और उनको धोखा दिया है। मैंने प्रकाशित वाक्य में कही गई बातों को याद किया: "ये वे ही हैं कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं" (प्रकाशितवाक्य 14:4)। प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य की नींव पर, सर्वशक्तिमान परमेश्वर वचनों के माध्यम से लोगों के न्याय और शुद्धिकरण के कार्य का चरण पूरा कर रहे हैं, और मेरा अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करना स्पष्ट रूप से दिखाता है कि मैं मेमने के पदचिह्नों के साथ तालमेल बनाकर चल रही थी। कोई यह कैसे कह सकता है कि मैं प्रभु यीशु को धोखा दे रही थी? सबसे पहले, जब प्रभु यीशु कार्य करने के लिए आये, तो यहोवा में विश्वास करने वाले लोगों ने नियम को पीछे छोड़ दिया और उन्होंने स्वर्ग के राज्य के सुसमाचार को स्वीकार किया, जिसका प्रचार प्रभु यीशु कर रहे थे। उन्होंने प्रभु यीशु का अनुसरण किया, लेकिन क्या उन्होंने यहोवा के उद्धार को भुला दिया था? क्या यह यहोवा को धोखा देना था? क्या यह एक भ्रांति नहीं है? इस घटना के बाद, पादरी ने एक बार फिर सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अपमान, विरोध और निंदा करने वाले कुछ संदेश मुझे ऑनलाइन भेजे। ऐसी घिनौनी बातों को पढ़कर मुझे फिर नफ़रत और गुस्से का एहसास हुआ। इस तरह की अपमानजनक बातें सिर्फ़ शैतान ही कह सकता था, और कलीसिया के अगुवाओं के तौर पर, उनको परमेश्वर का कोई भय कैसे नहीं था और वे हर तरह की अपमानजनक बातें कहने की हिम्मत कैसे कर सकते थे? इससे मुझे प्रभु यीशु के ये वचन याद आ गये: "परन्तु जो कोई पवित्र आत्मा के विरोध में कुछ कहेगा, उसका अपराध न तो इस लोक में और न परलोक में क्षमा किया जाएगा" (मत्ती 12:32)। परमेश्वर के विरुद्ध अपमानजनक बातें करना एक बड़ा और भयानक पाप था! उनकी ओर से मुझे एक तरह के खौफ़ का एहसास हुआ, लेकिन मैंने चाहे जो भी कहा हो, उन्होंने अपने कान बंद कर लिए और कुछ भी सुनने से इनकार कर दिया। वे बस निंदा, विरोध और अपमान की बातें करते रहे। मैं इसे समझ नहीं पाई: एल्डर और पादरी, दोनों को बाइबल का ज्ञान था और उन्होंने धर्मशास्त्र का अध्ययन किया था, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन इतनी स्पष्टता से बोले गए थे, तो फिर वे उनके वचनों की खोज या जांच-पड़ताल क्यों नहीं करते? उन्होंने पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा और विरोध करने पर जोर क्यों दिया?

इस सवाल को मन में लेकर, मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई-बहनों को ढूँढने निकली। बहन लिन ने मेरे साथ यह कहते हुए सहभागिता की, "जहां तक यह सवाल है कि क्यों पादरी और एल्डर अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की खोज या जांच-पड़ताल नहीं करते, बल्कि इसके बजाय वे पागलों की तरह उनकी निंदा और विरोध करते हैं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने बहुत पहले इस समस्या के सार और मूल को यह स्पष्ट कर दिया था। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: 'फरीसियों ने यीशु का विरोध क्यों किया, क्या तुम लोग उसका कारण जानना चाहते हो? क्या तुम फरीसियों के सार को जानना चाहते हो? वे मसीहा के बारे में कल्पनाओं से भरे हुए थे। इससे ज्यादा और क्या, उन्होंने केवल इस बात पर विश्वास किया कि मसीहा आएगा, मगर जीवन के इस सत्य की खोज नहीं की। इसलिए, वे आज भी मसीहा की प्रतीक्षा करते हैं, क्यों उन्हें जीवन के मार्ग के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं है, और वे नहीं जानते कि सत्य का मार्ग क्या है? तुम लोग कैसे कहते हो कि ऐसे मूर्ख, हठधर्मी और अज्ञानी लोग परमेश्वर के आशीष प्राप्त करेंगे? वे मसीहा को कैसे देख सकते हैं? वे यीशु का विरोध करते थे क्योंकि वे पवित्र आत्मा के कार्य की दिशा को नहीं जानते थे, क्योंकि वे यीशु के द्धारा कहे गए सत्य के मार्ग को नहीं जानते थे, और क्योंकि उन्होंने मसीहा को नहीं समझा था। क्योंकि उन्होंने मसीहा को कभी नहीं देखा था, और कभी भी मसीहा के साथ नहीं रहे थे, उन्होंने सिर्फ़ मसीहा के नाम को खोखली श्रद्धांजलि देने की गलती की, जबकि किसी न किसी ढंग से मसीहा के सार का विरोध करते रहे। ये फरीसी सार रूप से हठधर्मी एवं अभिमानी थे और सत्य का पालन नहीं करते थे। परमेश्वर में उनके विश्वास का सिद्धांत है: इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारा उपदेश कितना गहरा है, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारा अधिकार कितना ऊँचा है, तुम मसीह नहीं हो जब तक तुम्हें मसीहा नहीं कहा जाता। क्या ये दृष्टिकोण हास्यास्पद और मूर्खतापूर्ण नहीं हैं?' ("वचन देह में प्रकट होता है" में "तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देख रहे होगे, ऐसा तब होगा जब परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को नये सिरे से बना चुका होगा")। 'हर पंथ और संप्रदाय के अगुवाओं को देखो। वे सभी अभिमानी और आत्म-तुष्ट हैं, और वे बाइबल की व्याख्या संदर्भ के बाहर और उनकी अपनी कल्पना के अनुसार करते हैं। वे सभी अपना काम करने के लिए प्रतिभा और पांडित्य पर भरोसा करते हैं। यदि वे कुछ भी उपदेश करने में असमर्थ होते, तो क्या वे लोग उनका अनुसरण करते? कुछ भी हो, उनके पास कुछ ज्ञान तो है ही, और वे सिद्धांत के बारे में थोड़ा-बहुत बोल सकते हैं, या वे जानते हैं कि दूसरों को कैसे जीता जाए, और कुछ चालाकियों का उपयोग कैसे करें, जिनके माध्यम से वे लोगों को अपने सामने ले आए हैं और उन्हें धोखा दे चुके हैं। नाम मात्र के लिए, वे लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, लेकिन वास्तव में वे अपने अगुवाओं का अनुसरण करते हैं। अगर वे उन लोगों का सामना करते हैं जो सच्चे मार्ग का प्रचार करते हैं, तो उनमें से कुछ कहेंगे, "हमें परमेश्वर में अपने विश्वास के बारे में हमारे अगुवा से परामर्श करना है।" देखिये, परमेश्वर में विश्वास करने के लिए कैसे उन्हें किसी की सहमति की आवश्यकता है; क्या यह एक समस्या नहीं है? तो फिर, वे सब अगुवा क्या बन गए हैं? क्या वे फरीसी, झूठे चरवाहे, मसीह-विरोधी, और लोगों के सही मार्ग को स्वीकार करने में अवरोध नहीं बन चुके हैं?' ("मसीह की बातचीतों के अभिलेख" में "केवल सत्य का अनुसरण ही परमेश्वर में सच्चा विश्वास है")। जब प्रभु यीशु सबसे पहले अपना कार्य करने आये थे, तो वे यहूदी अगुवाओं—मुख्य याजकों, शास्त्रियों और फ़रीसियों के पागलपन भरे विरोध और निंदा से घिर गये थे। अंत में, उन्होंने प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया। फ़रीसियों के पूर्वज परमेश्वर में विश्वास करते थे और वे कानून के विशेषज्ञ थे। उन्होंने प्रभु यीशु का विरोध और उनकी निंदा क्यों की, और उन्हें सूली पर क्यों चढ़ा दिया। परमेश्वर के वचनों से हम देख सकते हैं कि यह उनके अभिमानी, दंभी और सत्य के प्रति समर्पित न होने के शैतानी स्वभाव की वजह से हुआ था। प्रभु यीशु ने इतना अधिक सत्य व्यक्त किया, फिर भी उन्होंने इसकी खोज या जांच-पड़ताल नहीं की, इसके बजाय वे अपने दृष्टिकोण पर बने रहे। परमेश्वर में उनका विश्वास सिर्फ़ उनकी अपनी धारणाओं और कल्पनाओं पर आधारित था, और उन्होंने प्रसंग से बाहर जाकर बाइबल की व्याख्या की थी। इसकी वजह से विवेकशून्य हो गए थे, और उन्हें परमेश्वर से कोई प्रबुद्धता नहीं मिल रही थी। वे पवित्र आत्मा के कार्य को नहीं जानते थे और सत्य को नहीं समझते थे, वे परमेश्वर की वाणी को भी नहीं समझ पाते थे। इसने सही मायनों में बाइबल के इन वचनों को सत्य साबित कर दिया था: 'तुम कानों से तो सुनोगे, पर समझोगे नहीं; और आँखों से तो देखोगे, पर तुम्हें न सूझेगा। क्योंकि इन लोगों का मन मोटा हो गया है, और वे कानों से ऊँचा सुनते हैं और उन्होंने अपनी आँखें मूंद ली हैं' (मत्ती 13:14-15)। अंत के दिनों में धार्मिक मंडलियों के पादरी और एल्डर उस समय के फ़रीसियों की तरह ही हैं, क्योंकि वे बाइबल के ज्ञान और धर्मशास्त्र के सिद्धांत को ही पूरा महत्व देते हैं। वे प्रभु के वचनों की व्याख्या करने के लिए अपने ही दृष्टिकोण और कल्पनाओं पर भरोसा करते हैं। वे प्रभु की वापसी के तरीके को भी सीमाओं में बाँध देते हैं। वे अड़ियल ढ़ंग सेअपनी ही धारणाओं और कल्पनाओं से चिपके रहते हैं, और सत्य की खोज बिलकुल भी नहीं करते हैं। वे अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य की जांच करने से ही इनकार नहीं करते, बल्कि आँखें मूंदकर उनकी निंदा और विरोध करते हैं। इस तरह उनका अड़ियलपन, अहंकार और सत्य से घृणा करने का उनका शैतानी स्वभाव उजागर हो जाता है। वे धर्मशास्त्र का अध्ययन करते हैं, अपने आपको बाइबल के ज्ञान से परिपूर्ण करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनके मन में सत्य के प्रति कोई प्रेम है, इसका मतलब यह भी नहीं है कि वे सत्य को स्वीकार करने और उसका पालन करने में सक्षम हैं। वे बाइबल के ज्ञान और धर्मशास्त्र के सिद्धांत को समझाते हैं, उनका एकमात्र लक्ष्य अपनी ख्याति और प्रतिष्ठा को बढ़ाना है। वे अपने रुतबे को बचाने के लिए ऐसा करते हैं, और चाहते हैं कि विश्वासी उनका सम्मान करें, उनके प्रति आदर का भाव रखें और उनका अनुसरण करें। वे यह समझते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त वचन सत्य हैं, और यह कि वे लोगों को जीतने और बचाने में सक्षम हैं, और यह कि सत्य के प्रति प्रेम का भाव रखने वाले और परमेश्वर के प्रकटन की लालसा रखने वाले लोगों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ा है और वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर मुड़ गए हैं। उनका मानना है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य उनके रुतबे और आजीविका के लिए एक खतरा है, इसलिए वे पागलों की तरह अपनी लड़ाई लड़ते हैं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का विरोध और निंदा करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करते हैं। वे हर समय परमेश्वर के चुने हुए लोगों पर अपना प्रभुत्व बनाये रखने की कोशिश में हर संभव तरीका अपनाते हैं, ताकि विश्वासियों को सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर मुड़ने से रोका और बचाया जा सके। यही वह मूल कारण है जिसके चलते एल्डर और प्रचारक सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की खोज या जांच-पड़ताल नहीं करते हैं, और यही कारण है कि वे पागलों की तरह सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा और विरोध करते हैं। परमेश्वर का विरोध करने वाले प्रचारकों और एल्डर के दुष्ट कर्मों में यह देखा जा सकता है कि वे हमारे समय के फ़रीसी हैं, और यह कि वे विश्वासियों को सच्चे मार्ग को स्वीकार करने और स्वर्ग के राज्य में उठाये जाने से रोकने वाली बाधाएं और रुकावटें हैं। वे ऐसे मसीह विरोधी लोग हैं जो परमेश्वर का विरोध करते हैं और परमेश्वर को अपना शत्रु बनाते हैं, और जिन्हें अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य के द्वारा बेनकाब कर दिया गया है।"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों और उन बहनों की सहभागिता को सुनने के बाद, मैंने इनकी तुलना पादरी और एल्डर की कही बातों और कार्यों से की। मैंने देखा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन बहुत व्यावहारिक ढंग से कहे गए थे, और इसके बावजूद कि पादरी और एल्डर बाइबल के ज्ञान में निपुण थे और बाइबल को समझा सकते थे, फिर भी इसका मतलब यह नहीं था कि उनको परमेश्वर का कोई ज्ञान था। उन्होंने अपने आपको ऊंचा उठाने के लिए अपने कार्य के ज्ञान और स्वाभाविक प्रतिभा पर भरोसा किया था, ताकि दूसरे लोग उनकी आराधना करें और उनका अनुसरण करें। ऊपरी तौर पर ऐसा लगता था कि वे परमेश्वर की सेवा कर रहे हैं, लेकिन वास्तव में वे अपनी खुद की धारणाओं और कल्पनाओं की सेवा करते थे, अपने रुतबे और अपनी आजीविका की सेवा करते थे। हालांकि पादरी और एल्डर बार-बार मुझे परेशान करते और रोक-टोक करते थे, लेकिन मैं उनके असली चेहरे को देख पाने में सक्षम थी। वे ऐसे मसीह विरोधी थे जो परमेश्वर में विश्वास तो करते थे, लेकिन सत्य की खोज नहीं करते थे, और जो परमेश्वर की सेवा करते हुए भी उनका विरोध करते थे। भले ही पादरी और एल्डर ने अभी तक मुझे परेशान करना नहीं छोड़ा है, मैंने सत्य के प्रति उनकी घृणा और परमेश्वर का प्रतिरोध करने के उनके असली मसीह-विरोधी सार को पहले ही देख लिया है। अब मैं उनके द्वारा नियंत्रित और परेशान किये जाने को बर्दाश्त नहीं करूंगी, मुझे पूरी तरह यकीन है कि अंत के दिनों का सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य सच्चा है। मैं अंत तक सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने की शपथ लेती हूँ, और कभी भी इससे पीछे नहीं हटूंगी! आमीन!

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