84  परमेश्वर आज भी हमसे प्रेम करता है

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देहधारी परमेश्वर मानवजाति के बीच आ गया है, वह दीन बनकर और छिपकर सत्य व्यक्त कर रहा है,

वह इंसानी कष्टों का खुद अनुभव करके लौकिक दुनिया के सभी खट्टे मीठे अनुभव ले रहा है।

वह कलीसियाओं में आ-जा रहा है, वसंत, ग्रीष्म, पतझड़ और सर्दियों के अनगिनत मौसमों से गुजर रहा है।

उसके वचन हमारा न्याय करते हैं, हमें शुद्ध करते हैं और शैतान से बचाते है।

मसीह के रूबरू होकर ही अब हमने जाना है कि परमेश्वर सत्य है।

परमेश्वर ने हमारे दिलों को जागृत कर दिया है और हमने जाना है कि हमारी भ्रष्टता कितनी गहरी है।

उसके धैर्य और सहनशीलता के कारण ही हम बचा लिए गए हैं।

हम परमेश्वर के उद्धार की महानता का अनुभव करते हैं; वह सचमुच हमारे प्रेम और स्तुति के लायक है।


2

परमेश्वर ने इंसान के उद्धार के लिए हर तरह के कष्ट सहे, खून-पसीना बहाया, आंसू बहाए।

अतीत के दृश्यों को भूलना मुश्किल है, मानवता के लिए परमेश्वर का प्रेम अथाह है।

कमजोर क्षणों में परमेश्वर ने मुझे संभाला; जब मेरे दिल में दर्द हुआ तो उसके वचनों ने मुझे दिलासा दी।

जब मैं अहंकारी था तो परमेश्वर ने मुझे ताड़ना दी और मुझे अनुशासित किया; धीरे धीरे उसने मुझे आज तक की राह दिखाई।

कितनी ही बार परमेश्वर प्रतापी न्याय लाया है, और कितनी ही बार उसने हमारी काट-छाँट की है और हमारा निपटारा किया है,

हमारी भ्रष्टता को शुद्ध किया है, ताकि हम एक सच्चे इंसान की तरह जी सकें।

हम परीक्षणों और क्लेशों से गुजरे हैं, और परमेश्वर के वचन हमारा मार्गदर्शन करते हैं, हमें प्रबुद्ध करते हैं, और हमें राह दिखाते हैं,

हमें आस्था और शक्ति देते हैं। परमेश्वर के साथ हमने शैतान पर विजय पा ली है।

परमेश्वर सदा हमारे साथ रहा है; हम उसकी अपेक्षाओं को पूरा करने में नाकाम कैसे हो सकते हैं?

उसके उपदेशों को ध्यान में रखकर, मैं उसे सांत्वना देने के लिए अपने कर्तव्य का निर्वाह करूंगा,

मैं तमाम परीक्षणों और कष्टों को सहर्ष सह लूंगा और परमेश्वर को महिमामंडित करने के लिए शानदार गवाही दूंगा।

परमेश्वर से प्रेम करने का मार्ग मुश्किलों और कुंठाओं से भरा है; नकारात्मक या पतित होने के बाद मैं फिर से उठूँगा।

चाहे कितनी भी मुश्किलें आएँ, मैं हमेशा परमेश्वर से प्रेम करूंगा, न शिकायत करूंगा, न पछताऊँगा!

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