367  परमेश्वर की मनोहरता सदा मेरे मन में रहती है

1 हे परमेश्वर! तू दीन है, देह में छिपा हुआ है, तू इंसान की निंदा और बदनामी झेलता है, तू हर तरह का अपमान सहता है, फिर भी तू इंसान को बचाने के लिए सत्य व्यक्त करना जारी रखता है—तू अपना सारा प्रेम इंसान को देने के लिये अपने दिल का खून उँडेल देता है। तेरे सारे वचन सत्य और जीवन हैं, वे हर दिन हमें शुद्ध करते और बदलते हैं। तेरे वचनों का अनुभव करते हुए, हम तेरा बहुत सारा प्रेम देखते हैं। हे परमेश्वर! तेरी मनोहरता सदा मेरे मन में रहती है।

2 तेरे न्याय से गुज़रते हुए, मैंने तेरे प्रेम का अनुभव किया है। तेरा न्याय तेज़ तलवार की तरह है जो मेरी प्रकृति को काटकर खोल देता है, जिससे मैं कहीं मुँह छिपाने लायक नहीं रहता। मैंने आखिरकार देख लिया है कि मैं शैतानी स्वभावों से भरा हुआ हूँ। तुम्हारे न्याय से मैंने देख लिया है कि तुम पवित्र और धार्मिक हो। मैं इतना अधिक भ्रष्ट हूँ कि मैं तुम्हारा चेहरा देखने के लायक नहीं हूँ। मैं तुम्हारे सामने भूमि पर गिरता हूँ, तुम्हारे न्याय को स्वीकारने को तैयार हूँ। हे परमेश्वर! तेरी मनोहरता सदा मेरे मन में रहती है।

3 यह तेरा न्याय ही है जिसने मुझे बचाया है, तेरे वचनों की कठोरता में तेरे ईमानदार इरादे छुपे रहते हैं, लेकिन मैं अपनी धारणाओं पर कायम हूँ, मेरे भीतर ज़रा-सी भी आज्ञाकारिता नहीं है। यहाँ तक कि मैंने ख़ुद को मायूसी, गलतफहमी, तेरे ख़िलाफ़ शिकायत करने के हवाले कर दिया है। तेरे वचनों ने मुझे बार-बार दिलासा दी है, हौसला दिया है, जिससे कि मैं नकारात्मकता और कमज़ोरी से बाहर निकल सकूँ। मैंने देख लिया है कि तेरा स्वभाव कितना उदार और सुंदर है। हे परमेश्वर! तेरी मनोहरता सदा मेरे मन में रहती है।

4 तेरे वचन हर प्रतिकूलता में मेरा मार्गदर्शन करते हैं। हर दिन उन राक्षसों के द्वारा गिरफ़्तारी का खतरा बना रहता है; तेरी मदद से ही मैं अपने गम के आँसू पोंछता हूँ, तेरे ही कारण उन कभी न ख़त्म होने वाली रातों को काटता हूँ। तेरा प्रेम मेरा साथी है इसलिए मेरा आत्मविश्वास और मज़बूत होता जाता है। परीक्षणों और शुद्धिकरण की प्रक्रिया में मैंने मरकर फिर जन्म लिया है, मैंने सत्य को समझ लिया है और शैतान के प्रभाव को हटा दिया है। हे परमेश्वर! तेरी मनोहरता हर सदा मेरे मन में रहती है। मैं सदा तुझे प्रेम करूँगा और तेरे साथ रहूँगा।

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