5. मसलों की रिपोर्ट करने के लिए संघर्ष

जीना, फिलीपींस

2022 में मैं पाठ-आधारित कर्तव्य निभाती थी। संयोग से मैं कैली से मिली, जो एक जिला अगुआ थी। उसके अनुभव सुनकर मुझे पता चला कि वह पाँच साल से अगुआ थी। उसमें कुछ खूबियाँ थीं, वह काफी तेज-तर्रार थी और उसकी कार्य व्यवस्थाएँ सलीकेदार थी। मैं उसकी बहुत प्रशंसा करती थी। लेकिन मुझे यह भी पता चला कि जब उसके सहकर्मी अपने कर्तव्यों में कठिनाइयों का सामना करते थे तो वह उन्हें अपनी कार्य दक्षता दिखाने के लिए न केवल उनकी मदद नहीं करती थी, बल्कि अपने कार्य के नतीजों पर इतराती भी थी, ताकि वे उसका सम्मान करें और खुद को अपर्याप्त मानकर सीमित करके रखें। मैं देखती थी कि कैली बहुत बुरी तरह दिखावा करती है पर उसे खुद के बारे में बहुत कम जानकारी है और मैं मन में सोचती थी, “भले ही कैली के पास कुछ अक्ल और खूबियाँ हों, लेकिन उसका जीवन प्रवेश काफी खराब है और समस्याओं से सामना होने पर वह आत्म-चिंतन नहीं करती या खुद को नहीं जानती।” बाद में मैंने यह भी सुना कि बहन स्टेसी को पता चला था कि कैली दूसरों को विकसित नहीं कर रही थी और सुसमाचार कार्य को हाथ न लगाकर लापरवाह बनी हुई थी। उसने कैली के सहकर्मियों से पूछा था कि क्या कैली असल कार्य कर रही है और जब कैली को इस बारे में पता चला, तो वह न केवल आत्म-चिंतन करने में विफल रही, बल्कि अपने सहकर्मियों और स्टेसी के खिलाफ भी पक्षपाती हो गई। वह अपने सहकर्मियों के साथ सहयोग करने और काम पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं थी, जिसके परिणामस्वरूप सुसमाचार के काम में खराब परिणाम मिले। जब मैंने कैली को फिर से देखा, तो मुझे पता चला कि उसकी दशा अच्छी नहीं थी और वह भाई-बहनों की समस्याएँ हल करने से डरती थी और इसलिए वह यह जिम्मेदारी अपने सहकर्मियों पर डाल देती थी। मैं यह सोचकर बहुत हैरान थी, “कैली एक जिला अगुआ है और उसका मुख्य काम सत्य के बारे में संगति करना और समस्याएँ हल करना है। लेकिन वह तो भाई-बहनों की समस्याएँ भी हल नहीं कर सकती। क्या वह अगुआ के रूप में अपना मुख्य काम अच्छी तरह से कर सकती है?” लेकिन फिर मैंने सोचा, “कहीं ऐसा तो नहीं है कि उसने इस दौरान गलत रास्ता अपना लिया हो? अगर संकेतों और मदद के जरिए उसकी दशा बदली जा सके, तो वह अभी भी एक अगुआ के रूप में अपने कर्तव्य निभा सकती है। आखिरकार वह कई सालों से अगुआ है और कुछ कार्य व्यवस्था और कार्यान्वयन कर सकती है। जहाँ तक उसका जीवन प्रवेश की उपेक्षा करने का सवाल है, मुझे और अधिक सहायता करनी चाहिए और संकेतक देने चाहिए।” इसलिए मैंने उसे इस मुद्दे के बारे में इंगित किया। कैली ने कहा कि वह सुधार करने को तैयार है, लेकिन बाद में मुझे पता चला कि वह अभी भी अपना समय व्यस्त होकर बिता रही थी और उसके पास अभी भी जीवन प्रवेश नहीं था। मैंने मन ही मन सोचा, “कैली में जीवन प्रवेश की कमी है। वह भाई-बहनों की समस्याएँ हल नहीं कर सकती और असली कार्य नहीं कर सकती। कहीं वह एक नकली अगुआ तो नहीं है?” लेकिन कैली के प्रदर्शन के बारे में मेरी समझ बहुत सीमित थी और मैं अभी भी इसे स्पष्ट रूप से नहीं देख पा रही थी, इसलिए मैंने इस मुद्दे की रिपोर्ट उच्च स्तर पर नहीं की।

अप्रैल 2023 तक मुझे प्रतिष्ठा और रुतबे के पीछे भागने और असली कार्य करने में मेरी अक्षमता के कारण बरखास्त कर दिया गया और अब मैं कैली के मुद्दे के बारे में नहीं सोचती थी। बाद में कलीसिया ने एक पत्र जारी कर भाई-बहनों से कहा कि उन्हें जो भी नकली अगुआ या मसीह-विरोधी मिले, उसकी रिपोर्ट कर दें। मुझे कैली का खयाल आया, “कैली को दूसरों से उच्च सम्मान पाने के लिए दिखावा करना पसंद है। वह बहनों के सुझाव स्वीकार नहीं करती और यहाँ तक कि उनके खिलाफ पूर्वाग्रह भी पालती है। इसके अलावा जब भी कोई बात सामने आती है तो वह सबक नहीं सीखती और उसमें जीवन प्रवेश नहीं है। क्या मुझे उसके मामले की रिपोर्ट उच्च स्तर पर करनी चाहिए ताकि कलीसिया जाँच कर सके?” लेकिन फिर मैंने सोचा, “कैली के पास बहुत-सी कलीसियाओं के कार्य की जिम्मेदारी है। अगर मैंने गलत रिपोर्ट कर दी और इससे उसे नुकसान पहुँचा या उसकी दशा प्रभावित हुई, जिससे उसके कर्तव्यों में देरी हुई, तो मैं गड़बड़ और बाधा खड़ी करने की वजह बन जाऊँगी। मैं अपना वर्तमान कर्तव्य खो सकती हूँ और गंभीर मामलों में आत्म-चिंतन के लिए अलग-थलग की जा सकती हूँ। इसे भूल जाओ। परेशानी जितनी कम हो उतना ही अच्छा। यही नहीं, मुझे स्थिति की सीमित समझ है और मैं पूरी तरह से निश्चित नहीं हूँ कि कैली एक नकली अगुआ है। सबसे अच्छा यही है कि मैं झँझट में न पड़ूँ और अपने कर्तव्य अच्छी तरह से निभाती रहूँ।” यह सोचकर मैंने कैली के मामले की रिपोर्ट नहीं की।

उस दौरान कलीसिया अक्सर पत्र भेजकर कहती थी कि हम नकली अगुआओं और मसीह-विरोधियों को खोजते रहें। हर बार जब मैं ऐसे पत्र देखती थी, तो मुझे उलझन महसूस होती थी। जब मैं हिचकिचा रही थी, मैंने सुना कि एक बहन ने एक कलीसिया अगुआ की रिपोर्ट की थी। आगे की समझ और सत्यापन के बाद यह पता चला कि जिस अगुआ की रिपोर्ट की गई थी उसने केवल कुछ भ्रष्टता प्रकट की थी और वह कोई ऐसी नकली अगुआ नहीं थी जो असली कार्य न करती हो। रिपोर्ट करने वाले व्यक्ति का स्वभाव अहंकारी था। उसने अगुआ द्वारा प्रकट की गई भ्रष्टता का फायदा उठाया ताकि उसे नकली अगुआ ठहरा सके और वह अक्सर बातचीत में दूसरों को बाधित करती थी और समूह में सकारात्मक भूमिका नहीं निभाती थी। आखिरकार उसे आत्म-चिंतन के लिए अलग-थलग कर दिया गया। यह खबर सुनकर मैं चिंतित हो गई और सोचने लगी, “अगर मैं कैली के मसले की रिपोर्ट करती हूँ और अगर मैं इसे गलत तरीके से रिपोर्ट करती हूँ, तो क्या मेरे हालात की भी जाँच की जाएगी? जब मैं अगुआ थी तो मैंने पहले एक महत्वपूर्ण पद पर एक मसीह-विरोधी को रख लिया था, जिससे कलीसिया के काम में गड़बड़ी और बाधा पैदा हुई थी। अगर मैंने इस बार इसे गलत तरीके से रिपोर्ट किया, जिससे कैली की दशा पर असर पड़ा और कलीसिया के काम में देरी हुई, तो मेरे अपराध इकट्ठे हो जाएँगे। तो क्या मुझे आत्म-चिंतन के लिए अलग-थलग कर दिया जाएगा या यहाँ तक कि मुझे बाहर कर दिया जाएगा? यही नहीं, कैली को लेकर मेरी सीमित समझ है और मैं निश्चित नहीं हूँ कि वह एक नकली अगुआ है। चलो छोड़ो, बेहतर होगा कि मैं आगे बढ़कर इस मुद्दे की रिपोर्ट न करूँ। कैली आमतौर पर अन्य भाई-बहनों के साथ भी बातचीत करती है, इसलिए यदि वह एक नकली अगुआ है, तो अन्य लोग भी उसकी समस्याएँ देखेंगे और रिपोर्ट लिखेंगे। उस समय मैं उसकी अभिव्यक्तियों के बारे में जानकारी दे सकती हूँ और इस तरह मेरी जाँच नहीं की जाएगी। यह कहीं बेहतर रहेगा।” यह सोचकर मैंने इस मुद्दे की रिपोर्ट करने का विचार पूरी तरह छोड़ दिया।

जून 2023 में कलीसिया ने एक मसीह-विरोधी के निष्कासन का नोटिस जारी किया। यह मसीह-विरोधी एक पर्यवेक्षक था और प्रतिष्ठा और रुतबे के पीछे दौड़ रहा था, जिससे कलीसिया के काम में गंभीर गड़बड़ी और बाधा पैदा हुई। अगुआ ने हमें बताया कि अगर हमें कलीसिया में किसी भी नकली अगुआ या मसीह-विरोधी का पता चलता है, तो हमें कलीसिया के काम की रक्षा के लिए तुरंत उच्च स्तर पर इसकी रिपोर्ट करनी चाहिए। मैंने फिर से कैली के बारे में सोचा। हालाँकि वह एक मसीह-विरोधी नहीं थी लेकिन उसमें एक नकली अगुआ की अभिव्यक्तियाँ थीं। जब से मैंने पहली बार इस समस्या को देखा था, तब से लगभग छह महीने बीत चुके थे और मैं इसे उच्च स्तर पर रिपोर्ट करने से बच रही थी, ऐसा करने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी। यदि वह वास्तव में नकली अगुआ है तो क्या इससे सभी भाई-बहनों को नुकसान नहीं होगा? यह कलीसिया के कार्य को बहुत ज्यादा नुकसान पहुँचाएगा! मुझे परमेश्वर के वे वचन याद आए जो उसने मसीह-विरोधी यान को उजागर करते समय कहे थे : “मसीह-विरोधी कुछ करते हैं, तो उनकी कुछ निश्चित अभिव्यक्तियाँ होती हैं। वह केवल निगाहों से ओझल हो कर ही काम नहीं कर रहा था; तुम उन अभिव्यक्तियों को व्यक्तिगत रूप से भी पहचान सकते थे। अगर तुम उन अभिव्यक्तियों को नहीं देख पाए, तो क्या तुम लोग अंधे नहीं थे? (हाँ।) तो, अगर अब फिर से ऐसा कोई व्यक्ति हो, तो क्या तुम उसे पहचान लोगे? क्या यान जैसा कोई व्यक्ति वास्तविक कार्य कर सकता है? क्या ऐसा व्यक्ति सत्य पर संगति कर सकता है और समस्याओं का समाधान कर सकता है? (नहीं।) तुमने जवाब में नहीं क्यों कहा? (कार्य के परिणामों के संदर्भ में, कलीसिया में कई समस्याएँ थीं जो लंबे समय तक हल नहीं हुईं, सभी कार्यों की प्रगति अविश्वसनीय रूप से धीमी थी, और हमने जो फिल्में बनाईं, वे परमेश्वर के घर की अपेक्षाओं को पूरा नहीं करती थीं।) यान से निपटे जाने से पहले, क्या तुम लोगों ने देखा था कि यह एक समस्या थी? (नहीं।) तो, धर्मोपदेश सुनने के बाद तुम लोगों ने क्या समझा? तुम लोग ऐसी गंभीर समस्याओं को भी नहीं देख पाते, और फिर हमेशा बहाने ढूँढ़ते हो, कहते हो, “हम उसके संपर्क में नहीं थे। हम कैसे जान पाते कि वह हमारी नजरों से दूर क्या कर रहा था? हम तो बस साधारण विश्वासी हैं, वह अगुआ था। हम हमेशा उस पर निगाह नहीं रख सकते थे, इसलिए यह तर्कसंगत है कि हम उसकी असलियत नहीं जान पाए और उसकी रिपोर्ट नहीं की।” क्या तुम्हारा यही मतलब था? (हाँ।) इसकी प्रकृति क्या है? (हम अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश कर रहे हैं।)” (वचन, खंड 4, मसीह-विरोधियों को उजागर करना, मद सात : वे दुष्ट, धूर्त और कपटी हैं (भाग एक))। परमेश्वर के एक-एक वचन ने मेरे दिल को झकझोर दिया। मसले की रिपोर्ट न करने के लिए मैं हमेशा यह बहाना बनाती थी कि मैं स्थिति को पूरी तरह नहीं समझती हूँ और इसकी असलियत नहीं जानती हूँ। असलियत यह थी कि मैंने कैली का व्यवहार देखा था और मुझे लगता था कि वह नकली अगुआ हो सकती है, लेकिन मुझे डर था कि अगर मैंने गलत रिपोर्ट की, तो मुझे जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इसलिए मैंने बहाना किया कि मेरी उससे ज्यादा बातचीत नहीं थी और मैं चीजों को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाई। हर बार जब किसी संगति में हमें नकली अगुआओं और मसीह-विरोधियों की रिपोर्ट करने के लिए कहा जाता था, तो मेरी अंतरात्मा मुझे कचोटती थी, लेकिन मैं इस बहाने से इसे दबाती रहती थी कि मैं मामले की असलियत नहीं जान पाई। सत्य यह था कि यह बहाना पूरी तरह से निराधार था और मैं सिर्फ जिम्मेदारी से बच रही थी। किसी अगुआ के साथ समस्या देखने के बाद मुझे तुरंत इसकी रिपोर्ट कर देनी चाहिए थी। भले ही मैं इसकी असलियत न जान पाऊँ, फिर भी मैं इसे सामने ला सकती हूँ और सत्य की समझ रखने वाले भाई-बहनों से संगति करने का प्रयास कर सकती हूँ, ताकि यह इतना लंबा न खिंचे। इस बार मैं इसे टाल नहीं सकती थी। लेकिन जब मैंने कैली की स्थिति की रिपोर्ट करने के बारे में सोचा, तो मुझे अचानक अगुआ की कही बात याद आई कि वे मुझे पदोन्नत और विकसित करना चाहते हैं। मैंने सोचा, “अगर मैंने इसे गलत रिपोर्ट कर दिया, तो मैं पदोन्नत होने का अपना मौका गँवा दूँगी और यहाँ तक कि मैं अपना वर्तमान कर्तव्य करने का मौका भी खो सकती हूँ। लेकिन अगर मैं इस मुद्दे की रिपोर्ट नहीं करती और कैली को वास्तव में कोई समस्या हुई, तो इससे कलीसिया के काम को काफी नुकसान हो सकता है।” इन विचारों ने मुझे बहुत उलझन में डाल दिया। मैं वास्तव में कलीसिया के कार्य की रक्षा करने के लिए खड़ी होना और समस्या की रिपोर्ट करना चाहती थी, लेकिन जब भी मैं सोचती कि यह मेरे अपने हितों को कैसे प्रभावित कर सकता है, तो मेरी हिम्मत जवाब दे जाती थी। मेरी अंतरात्मा मुझे दोषी ठहराती रहती थी। मैंने समस्या देखी और इसकी रिपोर्ट नहीं की और भले ही मैं परमेश्वर के वचन समझती थी, मैंने उनका अभ्यास नहीं किया था। मैं बिल्कुल भी कलीसिया के हितों की रक्षा नहीं कर रही थी। अगर मुझे पदोन्नत कर दिया जाए तो भी क्या तुक होगी? मैं रो पड़ी और प्रार्थना करने के लिए परमेश्वर के समक्ष आई, “हे परमेश्वर, आज मैं जिस स्थिति का सामना कर रही हूँ उसका आयोजन और व्यवस्था तुम्हीं ने की है। यह मेरे लिए इस बात की परीक्षा भी है कि क्या मैं तुम्हारे इरादे पर विचार कर सकती हूँ। मैं अभी बहुत उलझन में हूँ। हे परमेश्वर, सही चुनाव करने में मेरा मार्गदर्शन करो।” उस समय परमेश्वर के वचनों की एक पंक्ति मेरे मन में आई : “परमेश्वर का सार धार्मिकता है। हालाँकि वह जो करता है उसे बूझना आसान नहीं है, तब भी वह जो कुछ भी करता है वह सब धार्मिक है; बात सिर्फ इतनी है कि लोग समझते नहीं हैं(वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, भाग तीन)। हाँ, परमेश्वर का स्वभाव धार्मिक है और चाहे परमेश्वर कुछ भी करे, वह धार्मिक ही होता है। इस मुद्दे की रिपोर्ट करने की हिम्मत न होने का मुख्य कारण यह था कि मैं परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव को नहीं समझ पाई थी, जिसके कारण मैं गलतफहमी और सतर्कता की स्थिति में जी रही थी। मैं परमेश्वर को भ्रष्ट मनुष्यों की तरह मानती थी जिनमें निष्पक्षता और धार्मिकता नहीं होती, मानो कि किसी समस्या की गलत रिपोर्ट करने या गलती करने मात्र पर मुझे आत्म-चिंतन के लिए अलग-थलग कर दिया जाएगा या यहाँ तक कि बाहर निकाल दिया जाएगा। इस तरह से परमेश्वर पर संदेह करना वास्तव में मेरा कपटीपन था! परमेश्वर धार्मिक है और परमेश्वर के घर में सब कुछ निष्पक्ष और न्यायपूर्ण तरीके से सँभाला जाता है। अगर मैंने किसी अगुआ को लेकर कोई समस्या बताई, तो कलीसिया सिद्धांतों के अनुसार इसकी जाँच करेगी और इसे सँभालेगी और अगर कैली वास्तव में एक नकली अगुआ है, तो उसे तुरंत बरखास्त कर दिया जाएगा। लेकिन अगर वह नकली अगुआ नहीं है, तो कलीसिया उसका मसला बताएगी और उसकी मदद करेगी ताकि वह आत्म-चिंतन और प्रवेश कर सके और यह भी एक अच्छी बात होगी। यह सोचकर मुझे कुछ राहत महसूस हुई।

बाद में मैंने परमेश्वर के वचनों का एक और अंश पढ़ा, जिसने मुझे अभ्यास करने का मार्ग दिया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है : “कभी-कभी झूठे अगुआ और मसीह-विरोधी लोग कुछ समय के लिए अच्छा प्रदर्शन करते हैं, और कुछ समस्याओं का खुलासा करते हैं। कुछ लोग केवल यह देख पाते हैं कि समस्याएँ हैं, लेकिन वे इन समस्याओं के सार और सत्य को नहीं समझ पाते और न ही उन्हें हल करना जानते हैं—यह पहचान न कर पाने से भी संबंधित है। ऐसी परिस्थितियों में तुम्हें क्या करना चाहिए? ऐसे समय में, तुम्हें उन्हें पहचानने के लिए किसी ऐसे व्यक्ति को बुलाना चाहिए जो सत्य समझता हो। यदि ऐसी जिम्मेदारी ले सकने वाले कई लोग हों, और सभी लोग मिलकर मामले की खोज, मामले पर संगति और चर्चा करें, तो तुम सभी आम सहमति पर पहुँच सकते हो और समस्या के सार को समझ सकते हो, और तब तुम पहचान सकोगे कि वह व्यक्ति झूठा अगुआ और मसीह-विरोधी है या नहीं। झूठे अगुआओं और मसीह-विरोधियों की समस्या को हल करना इतना मुश्किल नहीं है; झूठे अगुआ लोग वास्तविक कार्य नहीं करते और उनका पता लगाना व उन्हें स्पष्ट रूप से देखना आसान है; मसीह-विरोधी लोग कलीसिया के काम में बाधा डालते हैं, उसे अस्त-व्यस्त कर देते हैं और उन्हें पहचानना और स्पष्ट रूप से देखना भी आसान होता है। ये सारी चीजें परमेश्वर के चुने हुए लोगों को उनके कर्तव्यों का पालन करने में बाधा डालने की समस्या से संबंधित हैं, और तुम्हें ऐसे लोगों की रिपोर्ट करनी चाहिए और उन्हें उजागर करना चाहिए—केवल ऐसा करके ही तुम कलीसिया के काम में देरी होने से रोक सकते हो। झूठे अगुआओं और मसीह-विरोधियों के बारे में रिपोर्ट करना और उन्हें उजागर करना महत्वपूर्ण कार्य है जो यह सुनिश्चित करता है कि परमेश्वर के चुने हुए लोग अपने कर्तव्यों को अच्छी तरह से निभा सकते हैं, और परमेश्वर के चुने हुए सभी लोग इस जिम्मेदारी का निर्वाह करते हैं। चाहे वह कोई भी हो, यदि वह झूठा अगुआ या मसीह-विरोधी है, तो परमेश्वर के चुने हुए लोगों को उसे उजागर करना चाहिए और प्रकाश में लाना चाहिए, और इस तरह तुम अपनी जिम्मेदारी पूरी करोगे। जब तक रिपोर्ट की गई समस्या सच है और वास्तव में कोई झूठा अगुआ है या कोई मसीह-विरोधी घटना हुई है, तब तक परमेश्वर का घर हमेशा समयबद्ध तरीके से और सिद्धांतों के अनुसार उसे संभालेगा(वचन, खंड 4, मसीह-विरोधियों को उजागर करना, मद सात : वे दुष्ट, धूर्त और कपटी हैं (भाग एक))। हाँ, कलीसिया में नकली अगुआओं या मसीह-विरोधियों का सामना करते समय अगर मैं समस्या के सार की असलियत नहीं जान पाती, तो मैं उन लोगों के साथ संगति कर सकती हूँ और भेद पहचान सकती हूँ जो सत्य समझते हैं। इस तरह मैं अधिक सटीक समझ प्राप्त कर सकती हूँ। चूँकि मैं स्पष्ट रूप से यह नहीं देख पाई कि कैली नकली अगुआ है या नहीं, इसलिए मैं दूसरों के साथ संगति कर सकती थी। खोज और संगति के जरिए मैं इस पहलू के सिद्धांतों की स्पष्ट समझ प्राप्त कर सकती थी। फिर मैंने इस मामले में अपनी साथी बहन शर्ली से बात की। शर्ली को भी लगा कि कैली गलत रास्ते पर चल रही है और उसने सुझाव दिया कि मैं उच्च स्तर पर इसकी रिपोर्ट करूँ। उसने मुझसे यह भी पूछा कि मुझे किस बात की चिंता थी जिसने मुझे इस मुद्दे की रिपोर्ट करने से रोका। शर्ली के सवाल से मुझे एहसास हुआ कि इस दौरान समस्या की रिपोर्ट करने में मेरी हिचकिचाहट का मुख्य कारण यह था कि मैं खुद को बचाए रखना और अपने हितों को कायम रखना चाहती थी। मैं कितनी स्वार्थी और नीच थी!

मुझे परमेश्वर के वचनों का एक अंश याद आया और मैंने पढ़ने के लिए उसे खोजा। परमेश्वर कहता है : “ज़्यादातर लोग सत्य का अनुसरण और अभ्यास करना चाहते हैं, लेकिन अधिकतर समय उनके पास ऐसा करने का केवल संकल्प और इच्छा ही होती है; सत्य उनका जीवन नहीं बना है। इसके परिणाम स्वरूप, जब लोगों का बुरी शक्तियों से वास्ता पड़ता है या ऐसे राक्षसी लोगों या बुरे लोगों से उनका सामना होता है जो बुरे कामों को अंजाम देते हैं, या जब ऐसे झूठे अगुआओं और मसीह विरोधियों से उनका सामना होता है जो अपना काम इस तरह से करते हैं जिससे सिद्धांतों का उल्लंघन होता है—इस तरह कलीसिया के कार्य में बाधा पड़ती है, और परमेश्वर के चुने गए लोगों को हानि पहुँचती है—वे डटे रहने और खुलकर बोलने का साहस खो देते हैं। जब तुम्हारे अंदर कोई साहस नहीं होता, इसका क्या अर्थ है? क्या इसका अर्थ यह है कि तुम डरपोक हो या कुछ भी बोल पाने में अक्षम हो? या फ़िर यह कि तुम अच्छी तरह नहीं समझते और इसलिए तुम में अपनी बात रखने का आत्मविश्वास नहीं है? दोनों में से कुछ नहीं; यह मुख्य रूप से भ्रष्ट स्वभावों द्वारा बेबस होने का परिणाम है। तुम्हारे द्वारा प्रदर्शित किए जाने वाले भ्रष्ट स्वभावों में से एक है कपटी स्वभाव; जब तुम्हारे साथ कुछ होता है, तो पहली चीज जो तुम सोचते हो वह है तुम्हारे हित, पहली चीज जिस पर तुम विचार करते हो वह है नतीजे, कि यह तुम्हारे लिए फायदेमंद होगा या नहीं। यह एक कपटी स्वभाव है, है न? दूसरा है स्वार्थी और नीच स्वभाव। तुम सोचते हो, ‘परमेश्वर के घर के हितों के नुकसान से मेरा क्या लेना-देना? मैं कोई अगुआ नहीं हूँ, तो मुझे इसकी परवाह क्यों करनी चाहिए? इसका मुझसे कोई लेना-देना नहीं है। यह मेरी जिम्मेदारी नहीं है।’ ऐसे विचार और शब्द तुम सचेतन रूप से नहीं सोचते, बल्कि ये तुम्हारे अवचेतन द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं—जो वह भ्रष्ट स्वभाव है जो तब दिखता है जब लोग किसी समस्या का सामना करते हैं। ऐसे भ्रष्ट स्वभाव तुम्हारे सोचने के तरीके को नियंत्रित करते हैं, वे तुम्हारे हाथ-पैर बाँध देते हैं और तुम जो कहते हो उसे नियंत्रित करते हैं। अपने दिल में, तुम खड़े होकर बोलना चाहते हो, लेकिन तुम्हें आशंकाएँ होती हैं, और जब तुम बोलते भी हो, तो इधर-उधर की हाँकते हो, और बात बदलने की गुंजाइश छोड़ देते हो, या फिर टाल-मटोल करते हो और सत्य नहीं बताते। स्पष्टदर्शी लोग इसे देख सकते हैं; वास्तव में, तुम अपने दिल में जानते हो कि तुमने वह सब नहीं कहा जो तुम्हें कहना चाहिए था, कि तुमने जो कहा उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा, कि तुम सिर्फ बेमन से कह रहे थे, और समस्या हल नहीं हुई है। तुमने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई है, फिर भी तुम खुल्लमखुल्ला कहते हो कि तुमने अपनी जिम्मेदारी निभा दी है, या जो कुछ हो रहा था वह तुम्हारे लिए अस्पष्ट था। क्या यह सच है? और क्या तुम सचमुच यही सोचते हो? क्या तब तुम पूरी तरह से अपने शैतानी स्वभाव के नियंत्रण में नहीं हो? ... तुम कभी सत्य नहीं खोजते, उसका अभ्यास करना तो दूर की बात है। तुम सिर्फ लगातार प्रार्थना कर रहे हो, संकल्प कर रहे हो, महत्वाकांक्षाएँ तय कर रहे हो और अपने दिल में प्रतिज्ञा कर रहे हो। और नतीजा क्या होता है? तुम खुशामदी बने रहते हो, तुम अपने सामने आने वाली समस्याओं के बारे में स्पष्टवादी नहीं होते, तुम बुरे लोगों को देखकर उन पर ध्यान नहीं देते, जब कोई बुराई या गड़बड़ी करता है तो तुम प्रतिक्रिया नहीं देते, और अगर तुम व्यक्तिगत रूप से प्रभावित नहीं होते तो तुम अलग रहते हो। तुम सोचते हो, ‘मैं ऐसी किसी चीज के बारे में बात नहीं करता, जिसका मुझसे कोई सरोकार नहीं है। अगर वह मेरे हितों, मेरी शान या मेरी छवि को ठेस नहीं पहुँचाती, तो मैं बिना किसी अपवाद के हर चीज की उपेक्षा करता हूँ। मुझे बहुत सावधान रहना होगा, क्योंकि जो पक्षी अपनी गर्दन उठाता है गोली उसे ही लगती है। मैं कोई बेवकूफी नहीं करूँगा!’ तुम पूरी तरह से और अटूट रूप से दुष्टता, कपट, कठोरता और सत्य से विमुखता के अपने भ्रष्ट स्वभावों से नियंत्रित हो। इन्हें सहना तुम्हारे लिए वानर राजा द्वारा पहने गए उस सुनहरे सरबंद[क] से ज्यादा मुश्किल हो गया है जो असहनीय ढंग से कसता जाता था। भ्रष्ट स्वभावों के नियंत्रण में रहना बहुत थकाऊ और कष्टदायी है(वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, भाग तीन)। परमेश्वर का प्रकाशन बिल्कुल मेरी दशा को दर्शाता है। मुझे पता था कि कैली के साथ एक समस्या थी जिसकी उच्च स्तर पर रिपोर्ट करने की जरूरत है। खास तौर पर नकली अगुआओं और मसीह-विरोधियों की रिपोर्टिंग करने का आग्रह करने संबंधी परमेश्वर के घर के पत्र पढ़ने के बाद मैंने कई बार इस मुद्दे की रिपोर्टिंग करने पर विचार किया। लेकिन मुझे डर रहता था कि अगर मैंने इसे गलत तरीके से रिपोर्ट कर दिया तो हो सकता है मैं अपना कर्तव्य गँवा बैठूँ या आत्म-चिंतन के लिए अलग-थलग कर दी जाऊँ। मैंने हमेशा अपने हितों के बारे में सोचा। अहम क्षणों में मैं परमेश्वर के घर के हितों को बरकरार रखने के लिए एक शब्द भी नहीं कह पाई और मैंने किसी समस्या की रिपोर्ट करने की हिम्मत नहीं की। मैं वास्तव में किसी मतलब की नहीं थी! मैं अच्छी तरह से जानती थी कि कैली कई कलीसियाओं के लिए जिम्मेदार है और अगर वह सचमुच नकली अगुआ है, तो इससे कलीसिया का कार्य बहुत अधिक प्रभावित होगा और कई भाई-बहनों के जीवन प्रवेश को नुकसान होगा। लेकिन जब मुझे लगा कि इस मुद्दे की रिपोर्टिंग से हो सकता है कि मुझे कोई फायदा न हो और मेरे हितों को चोट तक पहुँच जाए तो मैंने खुद को बचाने की कोशिश की, जिम्मेदारी से बचने के लिए बहाने बनाए और यह इंतजार किया कि दूसरे लोग आगे आएँ और इसकी रिपोर्ट करें। मुझे केवल अपने हितों की परवाह थी और मुझे कलीसिया के काम या भाई-बहनों के जीवन प्रवेश पर पड़ने वाले प्रभाव की कोई परवाह नहीं थी। जब तक मुझे कोई नुकसान नहीं हुआ, मुझे परवाह नहीं थी। यहाँ तक कि अगर मुझे अगुआ में कोई समस्या दिखती, तो मैं आंखें मूँद लेती, अपनी अंतरात्मा को दबाती, भले ही वह अपराध-बोध से भरी हो। मैंने हर चीज में अपने हितों के बारे में सोचा। मैं सचमुच धोखेबाज, स्वार्थी और नीच थी! पहले मुझे लगता था कि मुझमें न्याय की भावना है और मैं दूसरे भाई-बहनों की समस्याएँ इंगित और उजागर कर सकती हूँ। अब इस बारे में सोचती हूँ तो मैं पहले समस्याएँ बताने और उजागर करने की हिम्मत इसलिए करती थी क्योंकि इसमें मेरे हित शामिल नहीं होते थे। अब जबकि इसमें सीधे तौर पर मेरे अपने हित शामिल थे, मैं अपना सिर छिपाए कछुए जैसी बन गई, जिसमें कोई सत्यनिष्ठा नहीं थी। इस दौरान मुझे परमेश्वर के वचन भी याद आए और मैं जानती थी कि क्या करना उचित रहेगा, लेकिन मैंने अपने हितों को हर चीज से ऊपर रखा और भले ही मैं सत्य समझती थी, मैं इसका अभ्यास नहीं कर सकी। मैं न केवल स्वार्थी और नीच थी बल्कि अड़ियल और सत्य से विमुख भी थी। परमेश्वर के इतने सारे वचन पढ़ने के बाद जब मुझे कलीसिया के हितों की रक्षा करने के लिए अहम क्षणों में खड़ा होना चाहिए था, तो मेरे पास हिम्मत नहीं थी। मैंने सचमुच इतने सालों तक परमेश्वर के वचनों को व्यर्थ ही सुना था; मेरे पास कोई गवाही नहीं थी!

बाद में शर्ली ने मेरे लिए परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़ा : “मैं साफ-साफ कहना चाहता हूँ कि यदि तुम सही मार्ग का अनुसरण नहीं करते या सत्य का अभ्यास नहीं करते, यदि तुम परमेश्वर में विश्वास का झंडा तो फहराते हो, लेकिन गैर-विश्वासियों की तरह ही जीना चाहते हो और मनमानी करना चाहते हो, तो परमेश्वर में तुम लोगों का विश्वास अर्थहीन है। मैं क्यों कहता हूँ कि यह अर्थहीन है? परमेश्वर में आस्था का अर्थ कहाँ होता है? यह लोगों के चलने के मार्ग, जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण, तथा परमेश्वर में विश्वास रखने के बाद उनके जीवन की दिशा और लक्ष्यों में पूर्ण परिवर्तन में निहित होता है, इन चीजों में परमेश्वर में विश्वास न करने वालों से, सांसारिक लोगों से, तथा शैतानों से पूरी तरह से अलग होने में होता है, तथा विश्वासियों के चलने का मार्ग इन लोगों के बिल्कुल विपरीत होता है। यह विपरीत दिशा क्या है? इसका अर्थ है कि तुम अच्छे व्यक्ति बनना चाहते हो, तथा ऐसा व्यक्ति बनना चाहते हो जो परमेश्वर के प्रति समर्पित हो तथा जिसमें मानवीय सादृश्यता हो। तो, तुम इसे कैसे पा सकते हो? तुम्हें सत्य के लिए निरंतर प्रयासरत होने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, और केवल ऐसा करके ही तुम बदल पाओगे। यदि तुम सत्य का अनुसरण नहीं करते या सत्य का अभ्यास नहीं करते, तो परमेश्वर में तुम्हारी आस्था का कोई अर्थ या मूल्य नहीं है, तुम्हारी आस्था एक खाली खोल है, धोखा देने के लिए बोले गए राक्षसी शब्द, केवल खोखले शब्द हैं जिनका कोई प्रभाव नहीं होता(वचन, खंड 4, मसीह-विरोधियों को उजागर करना, मद सात : वे दुष्ट, धूर्त और कपटी हैं (भाग एक))। परमेश्वर के वचनों ने मेरे दिल को झकझोर दिया। मैं कई साल से परमेश्वर पर विश्वास कर रही थी और परमेश्वर के बहुत सारे वचन पढ़ चुकी थी, लेकिन महत्वपूर्ण क्षणों में मैंने सत्य का अभ्यास नहीं किया। मैं बिल्कुल एक अविश्वासी की तरह जी रही थी और इन शैतानी फलसफों के अनुसार चल रही थी : “चीजों को वैसे ही चलने दो अगर वे किसी को व्यक्तिगत रूप से प्रभावित न करती हों” और “समझदार लोग आत्म-रक्षा में अच्छे होते हैं, वे बस गलतियाँ करने से बचते हैं।” मैंने हर चीज में अपने ही हितों की रक्षा की, परमेश्वर के इरादों पर बिल्कुल भी विचार नहीं किया। मैंने परमेश्वर में विश्वास करने का दावा किया लेकिन मैंने उसके वचनों का अभ्यास नहीं किया। क्या मैं छद्म-विश्वासी नहीं बन गई थी? परमेश्वर छद्म-विश्वासियों को नहीं बचाता। अगर मैंने पश्चात्ताप न किया और सत्य का अभ्यास न करना जारी रखा, तो मुझे हटाया ही जाएगा। मुझे अब और अपने हितों की रक्षा नहीं करनी चाहिए; मुझे कैली के मुद्दे की रिपोर्ट ऊपरी स्तर पर करनी ही थी। अगले दिन मैंने कैली के मुद्दे पर रिपोर्ट लिखी और इसे ऊपरी स्तर के अगुआओं को सौंप दिया।

इसके तुरंत बाद ऊपरी स्तर के भाई रूपर्ट ने कैली के मुद्दे को समझने के लिए मेरे साथ एक बैठक रखी। जब मैंने उल्लेख किया कि मैंने पहले अपने कर्तव्यों में अपराध किए थे और मुझे डर था कि अगर मैंने इस मुद्दे को गलत तरीके से रिपोर्ट किया, तो इससे मुझे आत्म-चिंतन के लिए अलग-थलग किया जा सकता है और मेरे कर्तव्य पूरा करने का अवसर खो सकता है, तो रूपर्ट ने कहा कि यह परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव और लोगों को सँभालने में परमेश्वर के घर द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले सिद्धांतों की समझ की कमी दर्शाता है और उसने सत्य के इस पहलू पर मेरे साथ संगति की। रूपर्ट की संगति के माध्यम से मुझे आखिरकार कुछ समझ मिली। परमेश्वर का घर लोगों को उनके प्रकृति सार और सिलसिलेवार व्यवहार के आधार पर सँभालता है। अगर मेरे इरादे सही थे और परमेश्वर के घर के हितों की रक्षा करना चाहते थे, तो भले ही मैंने भेद न पहचानने के चलते गलती से कोई मुद्दा रिपोर्ट किया हो, भाई-बहन इसे सुधारने के लिए मेरे साथ संगति करेंगे और मुझे सिर्फ इसलिए बरखास्त या अलग-थलग नहीं किया जाएगा क्योंकि मैंने एक बार समस्या की रिपोर्ट करने में गलती की थी। लेकिन अगर मैं शैतानी फलसफों के अनुसार जीती रहती हूँ, सत्य का अभ्यास करने में विफल रहती हूँ और परमेश्वर के घर के हितों की रक्षा नहीं करती और अगर सत्य के प्रति मेरा रवैया विमुखता वाला और अड़ियल रहता है, तो भले ही मैंने कोई गलती न की हो, फिर भी अंततः मुझे बेनकाब कर दिया जाएगा और हटा दिया जाएगा। मुझे याद आया कि मैंने एक बहन को किसी मुद्दे की रिपोर्ट करने के बाद आत्म-चिंतन के लिए अलग-थलग देखा था, लेकिन ऐसा इसलिए नहीं था क्योंकि उसने किसी मुद्दे की गलत रिपोर्ट की थी। ऐसा इसलिए था क्योंकि उसका स्वभाव बहुत घमंडी था और वह लगातार दूसरों को बेबस करती थी और टीम में उसका प्रभाव सकारात्मक नहीं था। आत्म-चिंतन के लिए उसे अलग-थलग करना उसे पश्चात्ताप करने का मौका देना था। अगर वह अपने भ्रष्ट स्वभाव को जान लेती और बाधाएँ पैदा करना बंद कर देती तो उसके पास अभी भी बचाए जाने का अवसर होता। इतने साल परमेश्वर में विश्वास करने के बाद मैंने नकली अगुआओं के मुद्दों की रिपोर्ट करने के लिए किसी को भी हटाए जाते नहीं देखा। परमेश्वर का घर वास्तव में लोगों को उनके प्रकृति सार और सिलसिलेवार व्यवहार के आधार पर सँभालता है। बाद में उच्च-स्तरीय अगुआओं ने कैली का व्यवहार समझने और सत्यापित करने के बाद पाया कि उसके पास न केवल जीवन प्रवेश की कमी थी और वह असली कार्य नहीं कर पाती थी, बल्कि उसके अंदर रुतबे की तीव्र इच्छा भी थी। वह लगातार अपने बारे में गवाही देती थी, सहकर्मियों को नीचा दिखाती थी और दूसरों को दबाती और सताती थी। जब उसे लगता था कि कोई उसे गंभीरता से नहीं ले रहा है, तो वह द्वेष रखने लगती थी और अगर कोई उसकी समस्याओं को इंगित करने या उससे अलग राय रखने की हिम्मत करता था, तो वह उसे असंतुष्ट और दुश्मन तक मानकर व्यवहार करती थी। कैली के व्यवहार के आधार पर यह तय किया गया कि वह एक नकली अगुआ है जो मसीह-विरोधी के मार्ग पर चल रही है और उसे बरखास्त कर अलग-थलग कर दिया गया। अगुआओं ने यह भी उल्लेख किया कि मैंने जो समस्या बताई थी वह महत्वपूर्ण थी और उन्होंने मुझे भविष्य में मिलने वाली किसी भी अन्य समस्या की तुरंत रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया। जब मैंने कैली को बरखास्त होते देखा और यह देखा कि कलीसिया में अब कोई नकली अगुआ गड़बड़ी या बाधा पैदा नहीं कर रहा है तो मैंने परमेश्वर के प्रति गहरा आभार महसूस किया!

हर बार जब मैं यह सोचती हूँ कि कैसे मुझमें समस्या को रिपोर्ट करने का साहस नहीं था, कैसे मैंने परमेश्वर के घर के हितों की रक्षा किए बिना केवल अपने हितों की रक्षा करने पर ध्यान केंद्रित किया और कैसे मैंने नकली अगुआ के मसले को हल लिए जाने से पहले छह महीनों से ऊपर खिंचने दिया तो मुझे इस बात से घृणा होती है कि मैं कितनी स्वार्थी और नीच थी और अपने भ्रष्ट स्वभाव से कितनी बुरी तरह बँधी हुई थी। यह परमेश्वर के वचन ही थे जिन्होंने मुझे अंधकार के प्रभाव तोड़ने के लिए प्रेरित किया और यह साहस दिया कि मैं मसले की रिपोर्ट करूँ और कलीसिया के हितों की रक्षा करूँ। मैं सचमुच अपने दिल की गहराई से परमेश्वर की आभारी हूँ!

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