अध्याय 96

मैं अपने समस्त कोप, अपने असीम सामर्थ्य और अपनी पूरी बुद्धि को प्रकट करने के लिए, मुझसे जन्मे हर उस व्यक्ति को ताड़ना दूँगा जो अभी तक मुझे नहीं जानता है। मुझमें सब कुछ धार्मिक है, कोई अधार्मिकता, कोई धोखेबाज़ी और कोई कुटिलता नहीं है; जो कोई भी कुटिल और धोखेबाज़ है, वह अवश्य ही अधोलोक में पैदा हुआ नरक का पुत्र होगा। मुझमें सब कुछ प्रत्यक्ष है; जो कुछ भी मैं कहता हूँ कि पूरा होगा, वह यकीनन पूरा होगा; जो कुछ भी मैं कहता हूँ कि स्थापित होगा, वह ज़रूर स्थापित होगा, और कोई भी इन चीज़ों को बदल नहीं सकता या इनकी नकल नहीं कर सकता, क्योंकि मैं ही एकमात्र स्वयं परमेश्वर हूँ। जो आने वाला है उसमें, मेरे पूर्वनियत और चयनित प्रथम संतानों के समूह वाला हर व्यक्ति एक-एक करके प्रकट किया जाएगा और जो कोई प्रथम संतानों के समूह में नहीं है, उसे इसके माध्यम से मेरे द्वारा निकाल दिया जाएगा। मैं अपना कार्य इसी तरह करता हूँ और उसे पूरा करता हूँ। अभी मैं केवल कुछ लोगों को ही उजागर कर रहा हूँ ताकि मेरी प्रथम संतानें मेरे अद्भुत कर्मों को देख सकें, किन्तु बाद में मैं इस तरह से कार्य नहीं करूँगा। बल्कि, बजाय इसके कि वे एक-एक करके अपनी वास्तविक प्रकृति दिखाएँ, मैं सामान्य स्थिति से आगे बढ़ूँगा (क्योंकि मूल रूप से सभी दुष्ट की तरह ही होते हैं, उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए केवल कुछ को छाँटना ही पर्याप्त है)। मेरी सभी प्रथम संतानें अपने हृदय में स्पष्ट हैं, और मुझे इसे और विस्तारपूर्वक कहने की कोई आवश्यकता नहीं है (क्योंकि नियत समय पर वे निश्चित रूप से एक के बाद एक प्रकट किए जाएँगे)।

अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करना मेरा स्वभाव है और मुझमें कुछ भी छुपा हुआ या अप्रकट नहीं है। जो कुछ भी तुम लोगों को समझना चाहिए, मैं वह सब तुम लोगों को बताऊँगा, किन्तु जो कुछ तुम्हें पता नहीं होना चाहिए, मैं वह तुम लोगों को बिल्कुल नहीं बताऊँगा, शायद तुम लोग अडिग न रह पाओ। तुच्छ चीजों से चिपके न रहो जिससे कि महत्वपूर्ण चीज़ें छूट जाएँ—ऐसा करना निरर्थक होगा। विश्वास करो कि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर हूँ और सब-कुछ सम्पन्न हो जाएगा, सब आसान और सुखद हो जाएगा। मैं इसी तरह से कार्य करता हूँ। जो विश्वास करता है, मैं उसे देखने देता हूँ, और जो विश्वास नहीं करता, मैं उसे जानने नहीं देता और मैं उसे कभी समझने नहीं देता। मुझमें कोई भावना या दया नहीं है, जो कोई मेरी ताड़ना को अपमानित करता है, मैं खुद को रोके बिना उसे मार डालूँगा और मैं उन सभी के साथ यही व्यवहार करूँगा। मैं सभी के प्रति समान हूँ—मुझमें कोई व्यक्तिगत भावना नहीं है और मैं किसी भी तरह भावुकतावश कार्य नहीं करता। इसके द्वारा लोग मेरी धार्मिकता और प्रताप को कैसे नहीं देख सके? यह मेरी बुद्धि और मेरा स्वभाव है, जिसे कोई नहीं बदल सकता, और कोई भी पूरी तरह से नहीं जान सकता। हर चीज़ हर समय मेरे हाथों के नियंत्रण में है, और मैं सदैव हर चीज़ को मेरी सेवा करने हेतु मेरा आज्ञाकारी होने के लिए व्यवस्थित करता हूँ। मेरी प्रबंधन योजना को पूरा करने के लिए अनगिनत लोग मेरी ओर से सेवा प्रदान कर रहे हैं, किन्तु अंत में वे आशीष देखते हैं लेकिन उनका आनंद नहीं ले पाते—कितने अफसोस की बात है! किन्तु कोई भी मेरे हृदय को नहीं बदल सकता। यह मेरी प्रशासनिक आज्ञा है (जब भी प्रशासनिक आदेशों का उल्लेख किया जाता है, तो यह ऐसी चीज़ को संदर्भित करता है, जिसे कोई नहीं बदल सकता, इसलिए जब मैं भविष्य के बारे में बात करता हूँ, तब यदि किसी चीज़ पर मैंने अपना मन बना लिया है, तो वह निश्चित रूप से मेरा प्रशासनिक आदेश है। याद रखो! इसका अपमान मत करो, अन्यथा तुम लोग नुकसान उठाओगे), और यह मेरी प्रबंधन योजना का हिस्सा भी है। यह मेरा अपना कार्य है, यह ऐसा कार्य नहीं है जिसे कोई भी व्यक्ति कर सके। मुझे यह करना है—मुझे इसे व्यवस्थित करना है, जो मेरी सर्वशक्तिमत्ता को दर्शाने और मेरे कोप को व्यक्त करने के लिए पर्याप्त है।

अधिकांश लोग मेरी मानवता के बारे में अभी भी नहीं जानते, वे अभी भी स्पष्ट नहीं हैं। मैंने यह बात कई बार बता चुका हूँ, किन्तु तुम लोग अभी भी अस्पष्ट हो, तुम लोगों की समझ में अधिक नहीं आता। किन्तु यह मेरा कार्य है, और अब इस समय जो कोई भी जानता है, वह जानता है, और जो नहीं जानता, मैं उसे विवश नहीं करता। यह केवल इसी तरह से हो सकता है। मैंने इसे स्पष्ट रूप से बता चुका हूँ, आगे इसके बारे में नहीं बताऊँगा (क्योंकि मैं बहुत अधिक बता चुका हूँ, और बहुत स्पष्ट रूप से बता चुका हूँ। जो मुझे जानता है उसमें निश्चित रूप से पवित्र आत्मा का कार्य है और वह निस्संदेह मेरी प्रथम संतानों में से एक है। जो मुझे नहीं जानता, वह निश्चित रूप से मेरा पुत्र नहीं है, जिससे यह सिद्ध होता है कि मैंने पहले ही उससे अपनी आत्मा को वापस ले लिया है)। किन्तु अंत में, मैं हर एक को अपना ज्ञान करा दूँगा—पूरी तरह से अपना ज्ञान करा दूँगा, अपनी मानवता का भी और अपनी दिव्यता का भी। ये मेरे कार्य के चरण हैं, और मुझे इसी तरह से कार्य करना है। यह मेरा प्रशासनिक आदेश भी है। हर एक को मुझे ही एकमात्र सच्चा परमेश्वर कहना और निरंतर मेरी स्तुति और जयजयकार करनी है।

मेरी प्रबंधन योजना पहले ही पूरी हो चुकी है, और हर कार्य बहुत पहले ही सम्पन्न हो चुका है। मनुष्य की आँखों को ऐसा लगता है मानो मेरा बहुत-सा कार्य अभी चल रहा है, किन्तु मैंने इसे पहले ही ठीक से व्यवस्थित कर दिया है और मात्र मेरे कदमों के अनुसार एक बार में एक कार्य के अनुसार उनका पूरा होना शेष है (क्योंकि दुनिया के सृजन से पहले ही मैंने पूर्वनियत कर दिया था कि कौन परीक्षण के दौरान दृढ़ रहने में सक्षम है, किसे मेरे द्वारा चुना और पूर्वनियत नहीं किया जा सकता और कौन मेरी पीड़ा को साझा नहीं कर सकता। जो मेरी पीड़ा को साझा कर सकते हैं, अर्थात् जो मेरे द्वारा पूर्वनियत किए और चुने गए हैं, उन्हें मैं निश्चित रूप से अपने साथ रखूँगा और उन्हें हर चीज़ से परे जाने में सक्षम बनाऊँगा)। मैं इस बारे में अपने हृदय में स्पष्ट हूँ कि कौन किस भूमिका में है। मुझे अच्छी तरह से पता है कि कौन मेरे लिए सेवा प्रदान करता है, कौन प्रथम संतान है और कौन मेरी संतानों और मेरे लोगों में से है। मैं इसे बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ। अतीत में मैंने जिसे प्रथम संतान कहा था, वह अभी भी प्रथम संतान ही है, और अतीत में मैंने जिसे प्रथम संतान नहीं कहा, वह अभी भी प्रथम संतान नहीं है। मैं जो कुछ भी करता हूँ, उसका मुझे खेद नहीं होता और मैं उसे आसानी से नहीं बदलता। जो मैं कहता हूँ उसके मायने होते हैं (मुझमें कुछ भी तुच्छ नहीं है) और वह कभी नहीं बदलता! जो मेरे लिए सेवा प्रदान करते हैं, वे सदैव मुझे सेवा प्रदान करते हैं : वे मेरे मवेशी हैं; वे मेरे घोड़े हैं (किन्तु इन लोगों की आत्मा को कभी प्रबुद्ध नहीं किया गया है; जब मैं उनका उपयोग करता हूँ तो वे उपयोगी होते हैं, किन्तु जब मैं उनका उपयोग नहीं करता तो मैं उन्हें मार डालता हूँ। जब मैं मवेशियों और घोड़ों की बात करता हूँ, तो मेरा मतलब होता है कि उनकी आत्मा प्रबुद्ध नहीं हैं, जो मुझे नहीं जानते और जो मेरी अवज्ञा करते हैं और यदि वे आज्ञाकारी, विनम्र, सरल और ईमानदार हो भी जाएँ, तब भी वे असली मवेशी और घोड़े ही रहेंगे)। अब अधिकांश लोग यूँ ही बात करते हुए और पागलों की तरह हँसते हुए, अपमानजनक ढंग से व्यवहार करते हुए, मेरे सामने आवारा और निरंकुश रहते हैं—वे केवल मेरी मानवता देखते हैं, मेरी दिव्यता नहीं देखते। मेरी मानवता में इनका ऐसा व्यवहार अनदेखा किया जा सकता है और मैं उन्हें क्षमा कर सकता हूँ, किन्तु मेरी दिव्यता में यह इतना आसान नहीं है। भविष्य में मैं यह तय करूँगा कि तुमने ईशनिंदा का पाप किया है। दूसरे शब्दों में, मेरी मानवता को अपमानित किया जा सकता है, किन्तु मेरी दिव्यता को नहीं, और जो कोई भी मेरे साथ थोड़ा-सा भी प्रतिकूल होगा, मैं बिना किसी विलंब के, तुरंत उसका न्याय करूँगा। ऐसा मत सोचना कि चूँकि तुम मेरे साथ कई वर्षों से जुड़े रहे हो, मुझसे परिचित हो गए हो, तो तुम स्वच्छंदता से बोल सकते हो, कार्य कर सकते हो। मैं वाकई परवाह नहीं करता! चाहे कोई भी हो, मैं उसके साथ धार्मिकता से व्यवहार करूँगा। यही मेरी धार्मिकता है।

मेरे रहस्य दिन-प्रतिदिन लोगों के सामने प्रकट होते जाते हैं और प्रकाशन के चरणों के बाद, वे दिन-ब-दिन स्पष्ट होते जाते हैं, जो मेरे कार्य की गति को दर्शाने के लिए पर्याप्त है। यह मेरी बुद्धि है (मैं इसे सीधे नहीं कहता। मैं अपनी प्रथम संतानों को प्रबुद्ध कर देता हूँ और बड़े लाल अजगर की संतान को अंधा कर देता हूँ)। इसके अलावा, आज मैं अपने पुत्र के माध्यम से तुम्हारे लिए अपने रहस्य प्रकट करूँगा। जो चीज़ें लोगों के लिए अकल्पनीय हैं, उन्हें आज मैं तुम लोगों के लिए प्रकट करूँगा ताकि तुम लोग उन्हें पूरी तरह से जान सको और उनकी एक स्पष्ट समझ बना सको। इसके अलावा, यह रहस्य मेरी प्रथम संतानों के अतिरिक्त हर किसी में विद्यमान है, किन्तु कोई इसे समझ नहीं सकता। यद्यपि यह प्रत्येक व्यक्ति के भीतर है, फिर भी कोई इसे पहचान नहीं पाता। मैं क्या कह रहा हूँ? इस अवधि में मेरे कार्य में और मेरे कथनों में, मैं प्रायः बड़े लाल अजगर, शैतान, दुष्ट और महादूत का उल्लेख करता हूँ। वे क्या हैं? उनके आपसी संबंध क्या हैं? इन चीज़ों में क्या अभिव्यक्त होता है? बड़े लाल अजगर की अभिव्यक्ति मेरे प्रति प्रतिरोध, मेरे वचनों के अर्थों की समझ और बोध की कमी, बार-बार मेरा उत्पीड़न और मेरे प्रबंधन को बाधित करने के लिए षड़यंत्र करने की कोशिश करना है। शैतान इस प्रकार से अभिव्यक्त होता है : सामर्थ्य के लिए मेरे साथ संघर्ष करना, मेरे चुने हुए लोगों पर कब्ज़ा करने की इच्छा करना और मेरे लोगों को धोखा देने के लिए नकारात्मक बातें करना। शैतान (जो लोग मेरे नाम को स्वीकार नहीं करते, जो विश्वास नहीं करते, वे सभी शैतान हैं) की अभिव्यक्तियाँ इस प्रकार हैं : देह के सुखों की अभिलाषा करना, वासनाओं में लिप्त होना, शैतान के बंधन में रहना, कुछ लोगों द्वारा मेरा विरोध करना और कुछ के द्वारा मेरा समर्थन किया जाना (किन्तु यह साबित नहीं करना कि वे मेरे प्रिय पुत्र हैं)। महादूत की अभिव्यक्तियाँ इस प्रकार है : गुस्ताखी से बोलना, धर्मभ्रष्ट होना, लोगों को व्याख्यान देने के लिए प्रायः मेरा स्वर अपनाना, केवल बाहरी तौर पर मेरी नकल करना, जो मैं खाता हूँ वह खाना और जो मैं उपयोग करता हूँ उसका उपयोग करना; संक्षेप में, मेरे साथ बराबरी करने की इच्छा करना, महत्वाकांक्षी होना, किन्तु मेरी काबिलियत का अभाव और मेरा जीवन नहीं होना, और निकम्मा होना। शैतान, दुष्ट और महादूत, सभी बड़े लाल अजगर के विशिष्ट प्रदर्शन हैं, इसलिए जो लोग मेरे द्वारा पूर्वनियत और चयनित नहीं हैं, वे सभी बड़े लाल अजगर की संतान हैं : यह बिल्कुल ऐसा ही है! ये सभी मेरे दुश्मन हैं। (हालाँकि शैतान के व्यवधानों को बाहर रखा गया है। यदि तुम्हारी प्रकृति मेरी खूबी है, तो इसे कोई भी बदल नहीं सकता। क्योंकि तुम अभी भी देह में रहते हो, इसलिए कभी-कभी तुम्हें शैतान के प्रलोभनों का सामना करना पड़ेगा—यह अपरिहार्य है—किन्तु तुम्हें सदा सावधान रहना चाहिए।) इसलिए, मैं अपनी प्रथम संतानों के अतिरिक्त, बड़े लाल अजगर की सभी संतानों को त्याग दूँगा। उनकी प्रकृति कभी नहीं बदल सकती और यह शैतान का गुण है। वे लोग शैतान को अभिव्यक्त करते हैं और महादूत को जीते हैं। यह पूरी तरह सच है। जिस बड़े लाल अजगर की मैं बात करता हूँ वह बड़ा लाल अजगर नहीं है; बल्कि यह मेरी विरोधी दुष्ट आत्मा है, जिसके लिए “बड़ा लाल अजगर” एक समानार्थी है। इसलिए पवित्र आत्मा के अतिरिक्त सभी आत्माएँ दुष्ट आत्माएँ हैं और उन्हें बड़े लाल अजगर की संतान भी कहा जा सकता है। सभी को यह बात बिल्कुल स्पष्ट हो जाना चाहिए।

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