596 केवल उन लोगों को बचाया जाता है जो शैतान को हरा देते हैं
1 अभी जब लोगों को बचाया नहीं गया है, तब शैतान के द्वारा उनके जीवन में प्रायः विघ्न डाला, और यहाँ तक कि उन्हें नियंत्रित भी किया जाता है। दूसरे शब्दों में, वे लोग जिन्हें बचाया नहीं गया है शैतान के क़ैदी होते हैं, उन्हें कोई स्वतंत्रता नहीं होती, वे अब भी शैतान की पकड़ में हैं, वे परमेश्वर की आराधना करने के योग्य नहीं हैं और न ही उनके पास इसका कोई अधिकार है। शैतान द्वारा उनका क़रीब से पीछा और उन पर क्रूरतापूर्वक आक्रमण किया जाता है। ऐसे लोगों के पास कहने को भी कोई खुशी नहीं होती है, उनके पास कहने को भी सामान्य अस्तित्व का अधिकार नहीं होता, और इतना ही नहीं, उनके पास कहने को भी कोई गरिमा नहीं होती है। यदि तुम डटकर खड़े हो जाते हो और शैतान के साथ संग्राम करते हो, शैतान के साथ जीवन और मरण की लड़ाई लड़ने के लिए तुम परमेश्वर में अपनी आस्था, समर्पण और परमेश्वर के भय का उपयोग हथियारों की तरह करते हो, ऐसे कि तुम शैतान को पूरी तरह परास्त कर देते हो और उसे तुम्हें देखते ही दुम दबाने और भीतकातर बन जाने को मजबूर कर देते हो, केवल तभी वह तुम्हारे विरुद्ध अपने आक्रमणों और आरोपों को पूरी तरह छोड़ देगा, और उस मुकाम पर, तुम बचाए जाओगे और स्वतंत्र हो जाओगे।
2 यदि तुमने शैतान के साथ पूरी तरह नाता तोड़ने का बस ठाना है, किंतु यदि तुम शैतान को पराजित करने वाले प्रभावकारी शस्त्रास्त्रों से सुसज्जित नहीं हो, तो तुम अब भी खतरे में होगे। समय बीतने के साथ, जब शैतान तुम्हें इतनी यातना दे देता है कि तुममें रत्ती भर भी शक्ति नहीं बची होती है, तब भी तुम गवाही देने में असमर्थ हो, तुमने अब भी स्वयं को अपने विरुद्ध शैतान के आरोपों और हमलों से पूरी तरह मुक्त नहीं किया है, तो तुम्हारे उद्धार की कम ही कोई आशा होगी। अंत में, अर्थात जब परमेश्वर के कार्य के समापन की घोषणा की जाती है, अगर तब भी तुम शैतान के शिकंजे में हो, अपने आपको मुक्त करने में असमर्थ हो, तो तुम्हारे पास कभी भी कोई अवसर या आशा नहीं होगी। तो निहितार्थ यह है कि ऐसे लोग पूरी तरह शैतान की कैद में होंगे।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर II