अध्याय 65

मेरे वचन हमेशा तुम लोगों की कमजोरियों पर चोट कर रहे हैं, यानी वे तुम लोगों की घातक कमज़ोरियों की ओर संकेत करते हैं, वरना तुम लोग अभी भी एड़ियाँ घसीट रहे होते, और तुम लोगों को यह अंदाज़ा भी नहीं होता कि अभी क्या समय है। यह जान लो! मैं तुम लोगों को बचाने के लिए प्रेम के तरीके का उपयोग करता हूँ। तुम लोग चाहे जैसे कार्य करो, मैं निश्चित रूप से वे चीज़ें पूरी करूँगा, जिन्हें मैंने अनुमोदित किया है, और किसी तरह की कोई ग़लती नहीं करूँगा। क्या मैं, धार्मिक सर्वशक्तिमान परमेश्वर, कोई ग़लती कर सकता हूँ? क्या यह मनुष्य की धारणा नहीं है? मुझे बताओ : क्या मैं जो कुछ भी करता और कहता हूँ, वह तुम लोगों के लिए नहीं है? कुछ लोग विनम्रतापूर्वक कहेंगे : “हे परमेश्वर! तू सब-कुछ हमारे लिए करता है, लेकिन हम नहीं जानते कि तेरे साथ सहयोग करने के लिए हम किस तरह कार्य करें।” ऐसी अज्ञानता! तुम यह तक कहते हो कि तुम नहीं जानते कि मेरे साथ कैसे सहयोग करो! ये सब शर्मनाक झूठ हैं! यह देखते हुए कि तुम लोगों ने इस तरह की बातें कही हैं, वास्तव में तुम बार-बार देह के प्रति इतनी विचारशीलता क्यों दर्शाते हो? तुम्हारे शब्द सुनने में अच्छे लगते हैं, लेकिन तुम एक सरल और सुखद तरीके से कार्य नहीं करते। तुम्हें यह समझना चाहिए : मैं आज तुम लोगों से अधिक अपेक्षाएँ नहीं करता, न ही मेरी अपेक्षाएँ तुम्हारी समझ के बाहर हैं, बल्कि उन्हें मनुष्यों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। मैं तुम लोगों को ज़रा भी अधिक नहीं आँकता। क्या मैं मनुष्य की क्षमताओं की सीमा से अवगत नहीं हूँ? मुझे इसकी पूर्णतया स्पष्ट समझ है।

मेरे वचन निरंतर तुम लोगों को प्रबुद्ध करते हैं, लेकिन तुम लोगों के हृदय बहुत कठोर हैं, और तुम लोग अपनी आत्माओं में मेरी इच्छा को समझने में असमर्थ हो! मुझे बताओ : मैंने तुम लोगों को कितनी बार याद दिलाया है कि भोजन, कपड़े और अपने रंग-रूप पर ध्यान केंद्रित मत करो, बल्कि इसके बजाय अपने आंतरिक जीवन पर ध्यान केंद्रित करो? लेकिन तुम लोग बस सुनते ही नहीं हो। मैं बोल-बोलकर थक गया हूँ। क्या तुम लोग इतने सुन्न हो गए हो? क्या तुम पूरी तरह संवेदनहीन हो? क्या ऐसा हो सकता है कि मेरे वचन व्यर्थ में कहे गए हैं? क्या मैंने कुछ ग़लत कहा है? मेरे पुत्रो! मेरे निष्कपट इरादों के प्रति विचारशील बनो! जब तुम लोगों का जीवन परिपक्व हो जाएगा, तो फिर चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी, और सब-कुछ प्रदान किया जाएगा। अभी उन चीज़ों पर ध्यान केंद्रित करने का कोई महत्व नहीं है। मेरा राज्य पूरी तरह से साकार हो गया है और वह सार्वजनिक रूप से दुनिया में उतर आया है; यह इस बात का और भी अधिक द्योतक है कि मेरा न्याय पूरी तरह से आ चुका है। क्या तुमने इसका अनुभव किया है? मुझे तुम लोगों का न्याय करना अच्छा नहीं लगता, लेकिन तुम लोग मेरे हृदय के प्रति बिलकुल भी विचारशीलता नहीं दर्शाते। मैं चाहता हूँ कि तुम लोग निर्मम न्याय के बजाय लगातार मेरे प्रेम की देखरेख और सुरक्षा प्राप्त करो। क्या ऐसा हो सकता है कि तुम लोग न्याय किए जाने के इच्छुक हो? यदि नहीं, तो तुम क्यों बार-बार मेरे पास नहीं आते, मेरे साथ संगति नहीं करते, और मेरे साथ संबंध नहीं रखते? तुम मेरे साथ इतना उदासीनताभरा व्यवहार करते हो, लेकिन जब शैतान तुम्हें विचार देता है, तो तुम यह सोचते हुए कि वे तुम्हारी इच्छा से मेल खाते हैं, उल्लसित महसूस करते हो—लेकिन तुम मेरे वास्ते कुछ नहीं करते। क्या तुम हमेशा मेरे साथ इतनी ही क्रूरता से व्यवहार करने की इच्छा रखते हो?

ऐसा नहीं है कि मैं तुम्हें देना नहीं चाहता, बल्कि बात यह है कि तुम लोग कीमत चुकाने को तैयार नहीं हो। इसलिए तुम लोगों के हाथ खाली हैं, उनमें कुछ भी नहीं है। क्या तुम लोगों को दिखाई नहीं देता कि पवित्र आत्मा का कार्य कितनी शीघ्रता से चल रहा है? क्या तुम लोगों को दिखाई नहीं देता कि मेरा दिल चिंता से जलता है? मैं तुम लोगों से कहता हूँ कि मेरे साथ सहयोग करो, लेकिन तुम लोग अनिच्छुक रहते हो। एक के बाद एक सभी तरह की आपदाएँ आ पड़ेंगी; सभी राष्ट्र और स्थान आपदाओं का सामना करेंगे : हर जगह महामारी, अकाल, बाढ़, सूखा और भूकंप आएँगे। ये आपदाएँ सिर्फ एक-दो जगहों पर ही नहीं आएँगी, न ही वे एक-दो दिनों में समाप्त होंगी, बल्कि इसके बजाय वे बड़े से बड़े क्षेत्र तक फैल जाएँगी, और अधिकाधिक गंभीर होती जाएँगी। इस दौरान, एक के बाद एक सभी प्रकार की कीट-जनित महामारियाँ उत्पन्न होंगी, और हर जगह नरभक्षण की घटनाएँ होंगी। सभी राष्ट्रों और लोगों पर यह मेरा न्याय है। मेरे पुत्रो! तुम लोगों को आपदाओं की पीड़ा या कठिनाई नहीं भुगतनी चाहिए। मैं चाहता हूँ कि तुम लोग शीघ्र वयस्क हो जाओ और जितनी जल्दी हो सके, मेरे कंधों का बोझ उठा लो। तुम लोग मेरी इच्छा क्यों नहीं समझते? आगे का काम अधिकाधिक दुरूह होता जाएगा। क्या तुम लोग इतने निष्ठुर हो कि सारा काम मेरे हाथों में रहने देकर, मुझे अकेले इतना कठिन काम करने के लिए छोड़ रहे हो? मैं स्पष्ट कहता हूँ : जिनके जीवन परिपक्व होंगे, वे शरण में लिए जाएँगे और वे पीड़ा या कठिनाई का सामना नहीं करेंगे; जिनके जीवन परिपक्व नहीं होंगे, उन्हें पीड़ा और नुकसान भुगतना पड़ेगा। मेरे वचन पर्याप्त स्पष्ट हैं, है न?

मेरा नाम सभी दिशाओं में और सभी स्थानों तक फैलना चाहिए, ताकि हर कोई मेरे पवित्र नाम को और मुझे जान सके। अमेरिका, जापान, कनाडा, सिंगापुर, सोवियत संघ, मकाऊ, हांगकांग और अन्य देशों से जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग सच्चे मार्ग की खोज में तुरंत चीन में जमा हो जाएँगे। उनके सामने मेरे नाम की गवाही पहले ही दी जा चुकी है; बस तुम लोगों का जितनी जल्दी हो सके, परिपक्व होना बाकी है, ताकि तुम उनकी चरवाही और अगुआई कर सको। इसीलिए मैं कहता हूँ कि अभी और काम करना बाकी है। आपदाओं के परिणामस्वरूप मेरा नाम व्यापक रूप से फैलेगा, और यदि तुम लोग सजग नहीं रहे, तो तुम लोग अपने हक़ के हिस्से को गँवा दोगे। क्या तुम्हें डर नहीं लगता? मेरा नाम सभी धर्मों, जीवन के सभी क्षेत्रों, सभी राष्ट्रों और सभी संप्रदायों तक फैला है। यह मेरा कार्य है जो, निकट संयोजन में, व्यवस्थित तरीके से किया जा रहा है; यह सब मेरी बुद्धिमत्तापूर्ण व्यवस्था द्वारा होता है। मैं केवल यही चाहूँगा कि तुम लोग मेरे पदचिह्नों का निकटता से अनुसरण करते हुए हर कदम पर आगे बढ़ने में सक्षम रहो।

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परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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