परमेश्वर के प्रेम ने मेरे दिल को मजबूत किया है

23 नवम्बर, 2019

झांग कैन, लियाओनिंग प्रांत

मेरे परिवार में, हमेशा से सभी की एकदूसरे के साथ अच्छी बनती रही है। मेरे पति एक बहुत ही विचारशील व्यक्ति हैं, वे सबकी बहुत परवाह करते हैं। मेरा बेटा बहुत समझदार है और अपने से बड़ों का हमेशा सम्मान करता है। और तो और, हम काफी संपन्न भी हैं। वैसे तो इन बातों से मुझे बहुत खुश होना चाहिए था, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं था। मेरे पति और बेटे के मेरे प्रति बेहतरीन व्यवहार से या हमारे धन-सम्पन्न होने से, मुझे खुश नहीं मिल पा रही थी। मैं रात में कभी ठीक से सो नहीं पाती थी क्योंकि मुझे गठिया हो गया था और मैं गंभीर अनिद्रा से भी पीड़ित थी, जिसके कारण मेरे मस्तिष्क में रक्त संचार कम हो गया था और मेरे अंगों में कमज़ोरी आ गई थी। एक व्यवसाय चलाने के निरंतर दबाव के साथ ही इन बीमारियों की पीड़ा के कारण मैं ऐसे दर्द में जीने लगी थी जिसे बयां नहीं कर सकती। मैंने इसे कई अलग-अलग तरीकों से दूर करने की कोशिश की, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया।

मार्च 1999 में, मेरी एक सहेली ने मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अंतिम दिनों का सुसमाचार सुनाया। हर दिन परमेश्वर के वचनों को पढ़ने, लगातार सभाओं में भाग लेने और अपने भाई-बहनों के साथ संगति करने से मुझे कुछ सत्य समझ में आने लगे। मैंने ऐसे कई रहस्यों के बारे में जाना जिन्हें मैं पहले नहीं जानती थी, और मेरा यह विश्वास दृढ़ हो गया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटे हुए प्रभु यीशु हैं। मैं इस सब से बेहद उत्साहित थी और हर दिन परमेश्वर के वचन पढ़ा करती थी। मैं कलीसियाई जीवन में भी भाग लेती थी, अक्सर अपने भाई-बहनों के साथ परमेश्वर की स्तुति में सभा, प्रार्थना करती और भजन गाती थी। मैंने अपने दिल में शांति और खुशी की एक भावना महसूस की और हर गुज़रते दिन के साथ मेरा मनोबल और दृष्टिकोण बेहतर होता गया। धीरे-धीरे ही सही लेकिन निश्चित रूप से, मैं अपनी विभिन्न बीमारियों से भी उबरने लगी। मैं अक्सर अपने जीवन में आए इन सकारात्मक बदलावों के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देती थी, प्रशंसा अर्पित करती थी। मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सुसमाचार को और भी अधिक लोगों तक फैलाना चाहती थी ताकि वे सभी परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त कर सकें। उसके कुछ ही समय बाद, कलीसिया ने मुझे सुसमाचार प्रसार के काम का प्रभारी बना दिया। मैंने खुद को इस काम में पूरी तरह लगा दिया, लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी ...

15 दिसंबर, 2012 की शाम, जैसे ही मैं चार बहनों के साथ बैठक करके निकलने ही वाली थी कि ज़ोर से कड़ाक की आवाज़ सुनाई दी जिसके साथ ही सामने का दरवाजा लात मारकर खोल दिया गया और सात-आठ सादे कपड़ों वाले पुलिसकर्मी हम पर चिल्लाते हुए कमरे में घुस आए: "कोई भी अपनी जगह से नहीं हिलेगा, अपने हाथों को ऊपर करो!" बिना कोई दस्तावेज दिखाए, वे जबरन हमारी तलाशी लेने लगे। उन्होंने मेरा आईडी कार्ड और कलीसिया की निधि से 70,000-आरएमबी (चीनी मुद्रा) के लेनदेन की रसीद जब्त कर ली। रसीद देखते ही वे बहुत उत्तेजित हो गए और हमें धक्का देकर ठेलते हुए पुलिस की गाड़ी में बैठाकर स्टेशन ले गए। पुलिस स्टेशन में, उन्होंने हमारे बैग से हमारे सेल फोन, एमपी 5 प्लेयर्स और 200 आरएमबी नकद जब्त किए। उस समय, उन्हें शक था कि बहनों में से एक और मैं कलीसिया के अगुवा थे, इसलिए उन्होंने उस रात हम दोनों को म्युनिसिपल लोक सुरक्षा ब्यूरो की आपराधिक जांच इकाई में स्थानांतरित कर दिया।

जब हम वहां पहुंचे, तो पुलिस ने हमसे अलग-अलग पूछताछ की। उन्होंने मुझे हथकड़ी की मदद से धातु के स्टूल से बांध दिया और फिर एक अधिकारी ने मुझसे कड़ाई से सवाल किया: "70,000 आरएमबी की कहानी क्या है? पैसे किसने भेजे? वह पैसे अब कहाँ हैं? तेरे कलीसिया का अगुवा कौन है?" मैं लगातार अपने दिल में परमेश्वर से प्रार्थना करती रही: "हे परमेश्वर! यह पुलिसकर्मी मुझे कलीसिया के अगुवाओं के बारे में बताने और कलीसिया के पैसे उन्हें सौंपने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहा है। मैं यहूदा बनकर आपके साथ विश्वासघात कतई नहीं कर सकती। हे परमेश्वर! मैं अपने आप को आपके हाथों में सौंपने को तैयार हूँ। मैं आपसे विश्वास, साहस और बुद्धि प्रदान करने की विनती करती हूँ। पुलिस मुझसे जानकारी निकालने की चाहे कैसी भी कोशिश क्यों न करे, मैं आपके लिए गवाही देने को तैयार हूँ।" मैंने फिर उनसे स्पष्ट रूप से कहा: "मुझे नहीं पता!" इससे पुलिसकर्मी का गुस्सा उबल पड़ा, उसने ज़मीन से एक चप्पल उठायी और मुझे सिर पर बुरी तरह से मारते हुए कहने लगा: "तू मुँह न खोलने की कोशिश कर के देख ले। सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने की ज़ुर्रत कर के भी देख ले! हम भी देखते हैं कि तू कब तक विश्वास करती है!" मेरा चेहरा इतनी मार से बुरी तरह टीसने और सूजने लगा। इससे मेरे सिर में काफी दर्द होने लगा। कलीसिया के पैसे कहां रखे थे, यह बताने के लिए मुझे मजबूर करने के लिए चार-पांच पुलिसकर्मियों ने बारी-बारी मेरी पिटाई की। उनमें से कुछ ने मेरे पैरों को लात मारी, कुछ ने मेरे बालों को खींचते हुए मेरा सिर आगे-पीछे हिलाया, और दूसरों ने मुझे मुँह पर मारा। मेरे मुँह से खून बहने लगा, लेकिन उन्होंने खून पोंछा और मुझे मारना जारी रखा। बीच-बीच में वे बिजली का झटका देने वाले डंडे से मुझे झटके भी देते थे और मारते हुए वे चिल्ला रहे थे: "तू मुँह खोलेगी या नहीं? बोल!" जब उन्होंने देखा कि मैं अभी भी बात करने से इनकार कर रही हूँ, तो उन्होंने मुझे पेड़ू के निचले भाग और सीने में बिजली के झटके दिये जिससे हद से ज़्यादा दर्द होने लगा। मेरा दिल तेज़ी से धड़क रहा था, मुझे सांस लेने में तकलीफ होने लगी और मैं सिमट कर लेट गयी। ऐसा लगा जैसे कदम दर कदम, मौत मेरी ओर बढ़ रही है। हालांकि मैंने अपना मुँह नहीं खोला और एक शब्द भी नहीं कहा, लेकिन दिल में मैं बेहद कमज़ोर महसूस कर रही थी और सोच रही थी कि मैं बहुत लंबे समय तक टिक नहीं पाऊंगी। अपने दु:ख में, मैंने परमेश्वर से प्रार्थना करना नहीं छोड़ा: "हे परमेश्वर! मैंने आपको संतुष्ट करने का संकल्प तो किया है, लेकिन मेरा शरीर कमज़ोर और शक्तिहीन है। मैं प्रार्थना करती हूँ कि आप मुझे ताकत दें ताकि मैं आपके लिए गवाह बन सकूं।" उस समय, मुझे अचानक ख़्याल आया, प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाने से पहले, रोमन सैनिकों ने उन्हें बुरी तरह पीटा था: उन्हें पीट-पीटकर लहू-लुहान कर दिया गया था, उनका पूरा शरीर घावों से ढंका हुआ था..., और फिर भी उन्होंने एक शब्द भी नहीं बोला। परमेश्वर पवित्र और दोषरहित है, फिर भी उन्होंने अपार अपमान और पीड़ा झेली और मानवजाति को छुड़ाने के लिए क्रूस पर चढ़ने को तैयार थे। मैंने मन में सोचा: "अगर परमेश्वर भ्रष्ट मानवजाति को बचाने के लिए अपना शरीर अर्पित कर सकते हैं, तो मुझे भी परमेश्वर के प्यार को चुकाने के लिए दु:ख से गुज़रना चाहिए।" परमेश्वर के प्यार से प्रोत्साहित होकर, मेरा आत्मविश्वास लौट आया और मैंने परमेश्वर के सामने शपथ ली: "प्रिय परमेश्वर! आप जिस दु:ख से गुज़रते हैं, मुझे भी उससे गुज़रना चाहिए। मुझे भी कष्ट के उसी प्याले से पीना चाहिए जिससे आप पीते हैं। मैं आपके वास्‍ते गवाही देने के लिए अपने जीवन को अर्पित करती हूँ!"

यह अत्याचार लगभग पूरी रात चलता रहा। मुझे इतना पीटा जा चुका था कि मेरे शरीर में ज़रा भी ताकत नहीं बची थी। मैं इतना थक गयी थी कि मैं मुश्किल से अपनी आँखें खुली रख पा रही थी, लेकिन जैसे ही मैं अपनी आँखें बंद करने लगती, वे मुझपर पानी डाल देते थे। मैं ठंड से कांप रही थी। जब जानवरों के इस झुंड ने मुझे उस अवस्था में देखा, तो वे क्रूरतापूर्वक कहने लगे: "तू अब भी अपना मुँह नहीं खोलना चाहती? यहाँ, हम तुझे यातना दे-देकर मौत के घाट भी उतार दें तो किसी को कुछ पता नहीं चलेगा!" मैंने उनकी बातें अनसुनी कर दीं। फिर उन दुष्ट पुलिसवालों में से एक ने सूरजमुखी के बीज की एक भूसी ली और इसे मेरे नाखून में घुसा दिया; यह असहनीय रूप से दर्दनाक था और मेरी उँगलियाँ बुरी तरह से हिलने लगीं। फिर उन्‍होंने मेरे चेहरे पर पानी फेंका और मेरी गर्दन से नीचे पानी डालने लगे। हड्डी तक सर्द कर देने वाले पानी ने मुझे ठंड से कंपकंपा दिया; मैं बहुत तड़प रही थी। उस रात, मैं लगातार परमेश्वर से प्रार्थना करती रही, मुझे डर था कि अगर मैंने उन्हें छोड़ दिया, तो मैं जीवित नहीं रह पाऊंगी। परमेश्वर हमेशा मेरे साथ थे और उनके वचन मुझे निरंतर प्रोत्साहन प्रदान करते थे: "जब लोग अपने जीवन का त्याग करने के लिए तैयार होते हैं, तो सब कुछ तुच्छ हो जाता है" ("वचन देह में प्रकट होता है" में संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों के रहस्य की व्याख्या के "अध्याय 36")। "विश्वास लकड़ी के इकलौते लट्ठे के पुल की तरह है, जो लोग अशिष्टापूर्वक जीवन से लिपटे रहते हैं उन्हें इसे पार करने में परेशानी होगी, परन्तु जो खुद का त्याग करने को तैयार रहते हैं वे बिना किसी फ़िक्र के उसे पार कर सकते हैं" ("वचन देह में प्रकट होता है" में आरम्भ में मसीह के कथन के "अध्याय 6")। परमेश्वर के वचनों ने मुझे अटूट ताकत दी। मैंने सोचा, "यह सही है, परमेश्वर सभी पर प्रभुता रखते हैं और सभी चीज़ें उनके हाथों में हैं। भले ही दुष्ट पुलिस मेरे शरीर को यातना देकर नष्ट कर दे, मेरी आत्मा परमेश्वर के नियंत्रण में है।" परमेश्वर का समर्थन पाकर, मुझे अब शैतान का डर नहीं था, दगाबाज़ होने और देहसुख में लिप्त एक व्यर्थ जीवन जीने की इच्‍छा होने की तो बात ही दूर थी। मैंने प्रार्थना करते हुए परमेश्वर के सामने प्रतिज्ञा की: "हे परमेश्वर! भले ही वे राक्षस मेरे शरीर को पीड़ा दे रहे हैं, फिर भी मैं आपको संतुष्ट करने के लिए तैयार हूँ और खुद को पूरी तरह से आपके हाथों में रखती हूँ। इससे अगर मेरी मृत्यु भी हो जाये, तो मैं आपके लिए गवाह बनूंगी और शैतान के सामने कभी घुटने नहीं टेकूंगी।" परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन के साथ, मैंने खुद को आत्मविश्वास और आस्था से भरा महसूस किया। भले ही पुलिस मेरे शरीर को तड़पा रही थी और प्रताड़ित कर रही थी, और मेरी सहनशक्ति की सीमा पार होने को थी, परमेश्वर के वचनों का सहारा पाकर, मेरे अनजाने ही दर्द काफी कम हो गया।

अगली सुबह, दुष्ट पुलिस ने मुझसे पूछताछ जारी रखी और मुझे धमकी देते हुए कहा: "अगर तूने आज कुछ नहीं कहा, तो हम तुझे विशेष पुलिस इकाई को सौंप देंगे। उनके पास तुझे यातना देने के लिए 18 अलग-अलग साधन हैं।" जब मैंने सुना कि वे मुझे विशेष पुलिस इकाई को सौंपने जा रहे हैं, तो मैं बुरी तरह डर गयी और सोचने लगी: "विशेष पुलिस निश्चित रूप से इन लोगों की तुलना में अधिक कट्टर होगी; मैं अत्याचार के 18 विभिन्न साधनों को कैसे झेल पाऊँगी?" मैं बुरी तरह घबरा जाने वाली थी, पर तभी मैंने परमेश्वर के वचनों के अंश के बारे में सोचा: "एक विजेता क्या है? मसीह के अच्छे सैनिकों को बहादुर होना चाहिए और आध्यात्मिक रूप से मजबूत होने के लिए मुझ पर निर्भर होना चाहिए; उन्हें योद्धा बनने के लिए लड़ना होगा और शैतान का सामना मौत तक करना होगा" ("वचन देह में प्रकट होता है" में आरम्भ में मसीह के कथन के "अध्याय 12")। परमेश्वर के वचनों ने मेरे उन्मत्त, घबराए हुए दिल को जल्दी से शांत कर दिया। उन्होंने मुझे यह समझाया कि यह एक आध्यात्मिक लड़ाई थी और वह क्षण आ गया है जिसमें परमेश्वर चाहते थे कि मैं साक्ष्य दूँ। परमेश्वर का साथ पाकर, मुझे किसी बात का डर नहीं था। दुष्ट पुलिस चाहे जैसी भी पागलपन भरी चालों का इस्तेमाल करे, मुझे मसीह का एक अच्छा सैनिक होने और मृत्यु तक बिना हार माने शैतान से लड़ने के लिए परमेश्वर पर भरोसा करना था।

उस दोपहर, म्यूनिसिपल लोक सुरक्षा ब्यूरो से धार्मिक मामलों के प्रभारी दो अधिकारी मुझसे पूछताछ करने के लिए आए: "तुम्हारी कलीसिया का नेता कौन है?" उन्होंने पूछा। "मुझे नहीं पता," मैंने जवाब दिया। यह देखकर कि मैंने बोलने से इनकार कर दिया, उन्होंने बारी-बारी नरम और कठोर रणनीति अपनाई। उनमें से एक ने अपनी मुट्ठी को कसकर मेरे कंधे में धंसा दिया, जबकि दूसरा बेतुके सिद्धांतों से परमेश्वर के अस्तित्व को नकारते हुए मुझे बहलाने की कोशिश करने लगा: "ब्रह्मांड में सभी चीजें प्राकृतिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न होती हैं। तुम्हें अधिक व्यावहारिक होना ही चाहिए: परमेश्वर में विश्वास करने से तुम्हारे जीवन की किसी भी समस्या को हल करने में मदद नहीं मिलने वाली है; तुम केवल अपने आप पर भरोसा करके और कड़ी मेहनत करके ऐसा कर सकती हो। हम तुम्हारे और तुम्हारे बेटे के लिए नौकरी ढूंढने में मदद कर सकते हैं...।" मैं अपने दिल के भीतर बस परमेश्वर के साथ बातें करती रही, और मैंने तब उनके वचनों के इस अंश को याद किया: "तुम लोगों को जागते रहना चाहिए और हर पल प्रतीक्षा करनी चाहिए, और तुम्हें मेरे सामने अधिक प्रार्थना करनी चाहिए। तुम लोगों को शैतान की विभिन्न साजिशों और चालाक योजनाओं को पहचानना चाहिए, आत्मा को जानना चाहिए, लोगों को जानना चाहिए और सभी प्रकार के लोगों, मामलों और चीजों को समझने में सक्षम होना चाहिए" ("वचन देह में प्रकट होता है" में आरम्भ में मसीह के कथन के "अध्याय 17")। परमेश्वर के वचनों ने मुझे फ़ौरन प्रबुद्धता दी, जिससे मैं शैतान की कपटी योजना को समझ गयी। मैंने मन में सोचा: "दुष्ट पुलिसवाला अपने बेतुके सिद्धांतों से मुझे धोखा देने की कोशिश कर रहा है और मुझे तुच्छ एहसानों का लालच दे रहा है—मुझे शैतान की चालों में नहीं फंसना चाहिए, और मुझे परमेश्वर को धोखा देते हुए यहूदा तो बिल्कुल नहीं बनना चाहिए।" परमेश्वर के प्रबोधन के कारण मैंने दुष्ट पुलिस के पापी इरादों को देख लिया, इसलिए वे अब मुझ पर नरम या कठोर, जिस भी रणनीति का इस्तेमाल करते, मैं उन्हें अनदेखा कर देती। उस रात, मैंने सुना कि कोई व्यक्ति मुझसे पूछताछ करने के लिए आ रहा था और वे दावा कर रहे थे कि मेरा आपराधिक रिकॉर्ड है। मुझे नहीं पता था कि क्या होने वाला है या मैं किस बात कि अपेक्षा करूँ। मैं तो बस मार्गदर्शन के लिए अपने दिल में परमेश्वर को ही पुकार सकती थी। मुझे पता था कि चाहे मुझे जितने भी उत्पीड़नों और कठिनाइयों का सामना क्यों न करना पड़े, मैं परमेश्वर को धोखा नहीं दे सकती। थोड़ी देर बाद जब मैं बाथरूम में थी, मेरे दिल की धड़कन अचानक बढ़ गयी; मुझे चक्कर आ गया और मैं बेहोश होकर फ़र्श पर गिर पड़ी। जब पुलिसवालों को इसका पता चला, तो वे तुरंत दौड़कर आए और मेरे आसपास इकट्ठा हो गए। मैंने किसी को दुष्टतापूर्वक कहते हुए सुना: "इसे श्मशान ले जाओ और जला कर काम ख़त्म करो।" लेकिन, उन्हें इस बात का डर था कि मैं मर सकती हूँ और फिर वे मेरी मौत के लिए जिम्मेदार होंगे। इस कारण उन्होंने आपातकालीन सेवा बुलाई और एक एम्बुलेंस में मुझे जाँच के लिए अस्पताल भिजवा दिया। वहाँ मालूम हुआ कि मुझे पहले दिल का दौरा पड़ा था और मुझे रेसिजुअल मायोकार्डियल इस्कीमिया था। चूंकि पूछताछ बंद करनी पड़ी, इसलिए वे मुझे नज़रबंदी गृह ले गए। दुष्ट पुलिस के चेहरों पर निराशा देखकर, मुझे बहुत अधिक खुशी हुई—परमेश्वर ने मेरे लिए एक रास्ता खोल दिया था, ताकि, कुछ समय के लिए, मुझे और किसी भी पूछताछ से गुज़रना न पड़े। इससे बच निकलने में सक्षम होने से मैं परमेश्वर के कर्मों को देख पायी; मैंने तहेदिल से परमेश्वर को धन्यवाद दिया और उसकी स्तुति की।

अगले दस दिनों में, यह जानते हुए कि सीसीपी सरकार उस स्थान का पता जाने बिना मुझे नहीं छोड़ेगी जहाँ कलीसिया के पैसे रखे हैं, मैंने रोज़ परमेश्वर से प्रार्थना की, उससे मेरी ज़बान और दिल की रक्षा करने के लिए कहा, ताकि मैं हर हाल में दृढ़ता से परमेश्वर का साथ दूँ और उनके साथ विश्वासघात बिल्कुल न करते हुए सच्चे रास्ते पर बनी रहूँ। एक दिन प्रार्थना के बाद, परमेश्वर ने मुझे प्रबुद्ध किया, जिसके कारण मुझे उनके वचनों के एक भजन की याद आयी: "परमेश्वर तुमसे चाहे कुछ भी अपेक्षा करे, तुम्हें तो अपना सब कुछ दे देना होगा। आशा है कि अंत में तुम परमेश्वर के प्रति अपनी निष्ठा दिखा पाओगे, और जब तक तुम्हें परमेश्वर के सिंहासन पर उसकी संतुष्ट मुस्कुराहट दिखाई देती है, भले ही वह तुम्हारी मृत्यु का समय क्यों न हो, आँखें बंद होते समय भी तुम्हारे चेहरे पर हंसी और मुस्कराहट होनी चाहिये। पृथ्वी पर अपने समय के दौरान, तुम्हें परमेश्वर के लिए अपना अंतिम कर्तव्य निभाना होगा। अतीत में, पतरस को परमेश्वर के लिए क्रूस पर उल्टा लटका दिया गया था; परंतु, तुम्हें अंतत: परमेश्वर को संतुष्ट करना चाहिए, और अपनी सारी ऊर्जा परमेश्वर के लिए खर्च करनी चाहिए" (मेमने का अनुसरण करना और नए गीत गाना में "सृजित जीव को होना चाहिये परमेश्वर की दया पर")। मैंने अपने दिल में बार-बार भजन गाया और इस पर चिंतन किया। परमेश्वर के वचनों के माध्यम से, मुझसे परमेश्वर की मांगों और अपेक्षाओं को मैं समझ गयी। मैंने सोचा कि कैसे, ब्रह्मांड के सभी जीव जो परमेश्वर के शासन में रहते हैं, और पृथ्वी के उन सभी लोगों में जो परमेश्वर का अनुसरण करते हैं, कुछ गिने-चुने लोग ही शैतान के सामने सही मायने में टिक पाते हैं और परमेश्वर के लिए गवाही दे पाते हैं। मैं काफी खुशकिस्मत थी कि इस तरह की स्थिति का सामना करने के लिए परमेश्वर ने मुझे असाधारण तरीके से उन्नत किया, इससे मेरे प्रति उनकी कृपा भी दिखती है। विशेष रूप से परमेश्वर के ये वचन मेरे लिए बहुत ही प्रेरणादायक थे: "अतीत में, पतरस को परमेश्वर के लिए क्रूस पर उल्टा लटका दिया गया था; परंतु, तुम्हें अंतत: परमेश्वर को संतुष्ट करना चाहिए, और अपनी सारी ऊर्जा परमेश्वर के लिए खर्च करनी चाहिए।" मैं परमेश्वर से प्रार्थना में यह कहने से खुद को रोक नहीं पायी: "हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर! अतीत में, शैतान के सामने आपके लिए अपने प्यार का साक्ष्य देते हुए, पतरस क्रूस पर उल्टा लटकाया गया था। और अब, चीन में सत्ताधारी पार्टी द्वारा मेरी गिरफ्तारी में आपके अच्छे इरादे हैं। हालाँकि मेरा आध्यात्मिक कद बहुत छोटा है और मैं कभी भी पतरस के साथ तुलना नहीं कर सकती, यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि मुझे आपके लिए गवाही देने का अवसर मिला है। मैं अपना जीवन आप को सौंपने के लिए तैयार हूँ और आप के लिए गवाही देने के लिए खुशी-खुशी मर भी जाऊंगी, ताकि आपको मेरे माध्यम से कुछ सुकून मिल सके।"

30 दिसंबर की सुबह, म्युनिसिपल लोक सुरक्षा ब्यूरो ने मुझसे पूछताछ करने के लिए कुछ अधिकारियों को भेजा। जैसे ही मैंने पूछताछ कक्ष में प्रवेश किया, एक दुष्ट पुलिस वाले ने मेरी मोटी गर्म पतलून और जैकेट उतरवा दी और मुझसे कहा: "हमने तुम्हारी छोटी बहन और तुम्हारे बेटे को हिरासत में ले लिया है। हम जानते हैं कि तुम्हारा पूरा परिवार विश्वासी है। हम तुम्हारे पति के कार्य स्थल पर गए थे और पता चला कि तुमने 2008 से सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करना शुरू कर दिया था...।" उसकी बातों ने मेरी सबसे बड़ी कमजोरी का फ़ायदा उठाया और मेरे मन:स्थिति पर कहर बरसा दिया; मैंने कभी नहीं सोचा था कि वे मेरे बेटे और बहन को भी हिरासत में ले लेंगे। मैं अचानक भावनाओं के सागर में गोते लगाने लगी, मुझे उनकी चिंता होने लगी और मेरा दिल अनजाने में परमेश्वर से दूर हो गया। मैं बार-बार सोचती रही: "क्या उन्हें पीटा जा रहा है? क्या मेरा बेटा इस तरह का बर्ताव सह पाएगा? ..." तभी, मुझे परमेश्वर के वचनों का एक अंश याद आया: "एक व्यक्ति को जितनी पीड़ा सहनी है और उन्हें अपने मार्ग पर जितनी दूर तक चलना है, वह परमेश्वर के द्वारा पूर्वनिर्धारित किया गया है और वास्तव में कोई किसी दूसरे की सहायता नहीं कर सकता" ("वचन देह में प्रकट होता है" में "मार्ग... (6)")। परमेश्वर के वचनों ने मुझे तुरंत मेरी भावनात्मक स्थिति से खींच निकाला और मुझे यह महसूस करने दिया कि प्रत्येक व्यक्ति के विश्वास का मार्ग परमेश्वर द्वारा पूर्व निर्धारित है। हर किसी को शैतान के सामने परमेश्वर की गवाही देनी चाहिए—क्या शैतान के सामने परमेश्वर की गवाही देना उनके लिए एक बड़ा आशीष नहीं होगा? इस तरह सोचने के बाद, मैंने चिंता करना बंद कर दिया और अब मैं उनके लिए चिंतित नहीं थी; मैंने महसूस किया कि मैं उन्हें परमेश्वर को सौंपने और परमेश्वर को शासन करने और उनकी व्यवस्था करने देने के लिए तैयार हूँ। तभी, एक अन्य पुलिस वाले ने कुछ अन्य बहनों के नाम बताए और पूछा कि क्या मैं उन नामों को पहचानती हूँ। जब मैंने कहा कि मैं इनमें से किसी भी नाम को नहीं पहचानती, तो वह अपनी कुर्सी से कूद कर उठा और गुस्से में मुझे एक खिड़की के पास एक धातु के स्टूल से हथकड़ी द्वारा बांध दिया, और जल्दी से खिड़की खोल दी जिससे बाहर की बर्फीली हवा सीधे मुझपर पड़ने लगी। इसके बाद उसने मुझे अपमानजनक शब्दों से कोसते हुए मुझ पर ठंडा पानी फेंक दिया, फिर लगातार कई बार चप्पल से मेरे चेहरे पर प्रहार किया। उसने मुझे इतनी बुरी तरह से पीटा कि मुझे तारे दिखाई देने लगे, मेरे कान में सीटियाँ बजने लगीं और मेरे मुँह से खून टपकने लगा।

उस रात, कुछ पुलिसकर्मियों ने मुझे सबसे ठंडे कमरे में पहुंचा दिया; खिड़कियां पूरी तरह से बर्फ से ढंकी थीं। उन्होंने जबरन मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मुझे खिड़की से लगे धातु के स्टूल पर पूरी तरह से नंगा करके बैठा दिया। उन्होंने मेरे हाथों को मेरी पीठ के पीछे कर स्टूल की पुश्‍त से बांध दिया, ताकि मैं एक इंच भी हिल न सकूं। दुष्ट पुलिस में से एक ने रूखे, भयावह स्वर में मुझसे कहा: "हम आदमी-औरत के आधार पर अपनी जांच की रणनीति में बदलाव नहीं करते हैं।" उसने यह कहते हुए खिड़की खोल दी और हड्डी तक जमा देने वाली हवा ने मुझे घेर लिया। ऐसा महसूस हो रहा था कि मेरा शरीर एक हजार चाकुओं से गोदा जा रहा है। ठंड के कारण किटकिटाते दांतों से मैंने कहा: "मेरे लिए इस तरह की सर्दी ठीक नहीं है, मुझे गठिया है।" उसने वहशीपन से जवाब दिया "अच्छा, यह तेरे गठिया को बिल्कुल ठीक कर देगा! इस प्रक्रिया में तुझे मधुमेह और गुर्दे की बीमारी भी हो जाएगी! फिर डॉक्टरों के चक्कर काटती रहना, लेकिन तू कभी भी ठीक नहीं हो पाएगी!" ऐसा बोलते हुए, उसने किसी से ठंडे पानी से भरी बाल्टी मँगवाई और मेरे पैरों को उसमें डलवा दिया। उसने फिर मुझे आदेश दिया, "उस बाल्टी से पानी की एक बूंद भी नहीं छ्लकनी चाहिए।" उसने मेरी पीठ पर और ठंडा पानी डाला और फिर मेरी पीठ पर कार्डबोर्ड के टुकड़े से हवा करने लगा। तापमान -4 डिग्री फ़ारेनहाइट था; उस हड्डी सर्द कर देने वाले पानी ने मुझे जमा दिया, इसलिए मैंने एकदम से बाल्टी से अपने पैरों को निकाल लिया, लेकिन एक अधिकारी ने तुरंत उन्हें वापस अंदर डालने के लिए मुझे मजबूर किया और मुझे फिर उन्हें हिलाने से मना कर दिया। मैं इतनी ठंडी पड़ गयी थी कि मेरा पूरा शरीर अकड़ गया और मैं कांपना बंद नहीं कर पा रही थी। ऐसा लगा जैसे खून मेरी नसों में जम गया हो। वे मुझे इस तरह देख कर रोमांचित हो गए, मज़ाक उड़ाते और घृणित हँसी हँसते हुए उन्होंने कहा: "तू तो बिल्कुल ताल पर 'नाच' रही है!" इंसानों से कमतर, राक्षसों और जानवरों के इस गिरोह से मेरी नफ़रत का कोई अंत नहीं था; मुझे अचानक एक वीडियो याद आ गया जिसमें नर्क के राक्षसों को चित्रित किया गया था, जो लोगों को मज़े के लिए सताते थे, और दूसरों के दु:ख से आनंद प्राप्त करते थे। वे केवल हिंसा और पीड़ा जानते थे, वे भावनाओं और मानवता से रहित थे। ये दुष्ट पुलिस नर्क के राक्षसों से अलग नहीं थी, वास्तव में, ये और भी बुरी थी। पूरे दिन और रात भर, कलीसिया के पैसे के बारे में मुझसे जानकारी निकलवाने की कोशिश में उन्होंने मुझे अनगिनत बार चेहरे पर थप्पड़ मारा। जब मेरा चेहरा उनकी पिटाई से सूज गया, तो उन्होंने सूजन को कम करने के लिए बर्फ लगाई और फिर अपनी पिटाई जारी रखी। अगर परमेश्वर की सुरक्षा नहीं होती, तो मैं बहुत पहले मर चुकी होती। जब उन दुष्ट अधिकारियों ने देखा कि मैं अभी भी बोलने के लिए तैयार नहीं हूँ, तो उन्होंने मेरी जांघों और पेडू के निचले हिस्से में बिजली के डंडे से झटके देना शुरू कर दिया। जितनी बार वे मुझे झटके देते, मेरा पूरा शरीर दर्द से काँप उठता। चूँकि उन्होंने मुझे धातु के स्टूल पर हथकड़ी से बांधा था, इसलिए इससे बचने की कोशिश करना संभव नहीं था, इसलिए मेरे पास उनकी क्रूर पिटाई, रौंदे जाने और अपमान को सहने के अलावा कोई चारा नहीं था। शब्द उस तीव्र पीड़ा का वर्णन नहीं कर सकते हैं जो मैं अनुभव कर रही थी, और फिर भी, इन सब के बीच, पुलिसकर्मी बस हंसी से लोटपोट हो रहे थे। इससे भी अधिक भयावह बात तब हुई, जब एक युवा पुलिस वाले ने चॉपस्टिक की एक जोड़ी से मेरी छाती की निप्‍पल को पकड़ा और फिर उसे बुरी तरह मरोड़ दिया। इससे मुझे इतना दर्द हुआ कि मैं अपनी पूरी ताकत से चिल्लाने लगी। उन्होंने मेरी टांगों के बीच पेड़ू से सटाकर पानी की एक बर्फीली ठंडी बोतल भी डाल दी, और मिर्ची पाउडर मिला पानी ज़बरदस्ती मेरी नाक में डाला। मेरी पूरी नाक में आग लगी हुई थी और लग रहा था जैसे इसकी कड़वाहट सीधे मेरे मस्तिष्क में जा रही हो। मैंने सांस अंदर लेने की हिम्मत नहीं की। एक और दुष्ट सिपाही ने अपनी सिगरेट से एक कश खींचा और मेरी नाक पर धुआँ उड़ा दिया, जिससे मुझे खाँसी का दौरा पड़ गया। इससे पहले कि मुझे अपनी सांस थामने का मौका मिलता, एक और व्यक्ति ने लकड़ी का एक स्टूल मेरे पैरों के नीचे रख दिया ताकि मेरे पैरों के तलवे सामने हो जाएं। फिर उसने एक स्टील का डंडा लिया और मेरे दोनों पैरों के तलवों पर दर्जनों बार वार किया। यह इतना कष्टदायी रूप से दर्दनाक था कि मुझे लगा कि मेरे पैर टूट जाएंगे; मैं लगातार दर्द में चिल्लाती रही। थोड़ी ही देर बाद, मेरे पैरों के तलवों में सूजन आ गई और वे लाल हो गए। दुष्ट पुलिस मुझे बिना रुके प्रताड़ित करती रही। मेरा दिल ज़ोरों से धड़क रहा था और मुझे लगा कि मैं मौत के कगार पर हूँ। फिर उन्होंने मेरे दिल के लिए तेज़ी से काम करने वाली एक पारंपरिक चीनी औषधि दी और जैसे ही मैं ठीक होने लगी, उन्होंने मुझे फिर से पीटना शुरू कर दिया और मुझे धमकी देते हुए कहा: "अगर तूने मुँह नहीं खोला, तो हम तुझे ठंड में जमाकर और पीट-पीटकर मार डालेंगे! अंत में किसी को कुछ पता नहीं चलेगा! अगर तूने आज के दिन तक कुछ नहीं बताया, तो हम कुछ और दिनों तक ये सब जारी रखेंगे, देखते हैं किसमें कितना दम है। हम तेरे पति और बच्चे को तेरा ये रूप दिखाएंगे और अगर तूने फिर भी मुँह नहीं खोला, तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि वे दोनों अपनी नौकरी से निकाल दिए जाएँ!" उन्होंने मुझ पर तंज भी कसा: "तू परमेश्वर में विश्वास करती है ना? तेरा परमेश्वर क्यों आकर तुझे क्यों नहीं बचाता? मुझे लगता है कि तेरा परमेश्वर बिल्कुल भी महान नहीं हैं!" मैं अपने पूरे दिल और आत्मा से वहशी, दुष्ट और बर्बर जानवरों के इस गिरोह से घृणा करती थी। उनकी क्रूर यातनाओं को झेलना बेहद कठिन था और इससे भी ज्यादा मुश्किल उनके द्वारा की गयी परमेश्वर की बदनामी को झेलना था। हताशा की स्थिति में मैंने परमेश्वर को पुकारा, मेरी रक्षा करने के लिए, मुझे विश्वास और शक्ति देने और दु:ख सहने की इच्छा देने के लिए विनती की, ताकि मैं दृढ़ रह सकूं। तभी मेरे मन में परमेश्वर के वचन कौंधे: "इन अंतिम दिनों में, तुम्हें परमेश्वर के प्रति गवाही देनी है। इस बात की परवाह किए बिना कि तुम्हारे कष्ट कितने बड़े हैं, तुम्हें अपने अंत की ओर बढ़ना है, अपनी अंतिम सांस तक भी तुम्हें परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य बने रहना आवश्यक है, और परमेश्वर की कृपा पर रहना चाहिए; केवल यही वास्तव में परमेश्वर से प्रेम करना है और केवल यही मजबूत और सामर्थी गवाही है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पीड़ादायक परीक्षणों के अनुभव से ही तुम परमेश्वर की मनोहरता को जान सकते हो)। मैंने मन में सोचा: "ये सच ही तो है! परमेश्वर चाहते हैं कि मैं शैतान के सामने उनकी गवाही दूँ, इसलिए मुझे परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए इस सारे दर्द और अपमान को सहन करना ही चाहिए। अगर मेरे पास केवल एक ही सांस बाकी हो, तो भी मुझे परमेश्वर के प्रति वफादार रहना चाहिए, क्योंकि एक मजबूत और शानदार गवाही ऐसी ही होती है, और इसी से दुष्ट शैतान शर्मिंदा होगा।" परमेश्वर के वचन के मार्गदर्शन के साथ, मैंने अपने दिल के भीतर आत्मविश्वास और विश्वास की एक नई भावना महसूस की। मैं अंधेरे की ताकतों का घेरा तोड़कर निकलने को तैयार थी; भले ही इससे मेरी मृत्यु हो जाये, मुझे इस बार परमेश्वर को संतुष्ट करना ही है। तब कलीसिया का एक भजन मन में आया: "मैं अपना प्यार और अपनी निष्ठा परमेश्वर को अर्पित कर दूँगा और परमेश्वर को महिमान्वित करने के अपने लक्ष्य को पूरा करूँगा। मैं परमेश्वर की गवाही में डटे रहने, और शैतान के आगे कभी हार न मानने के लिये दृढ़निश्चयी हूँ। मेरा सिर फूट सकता है, मेरा लहू बह सकता है, मगर परमेश्वर-जनों का जोश कभी ख़त्म नहीं हो सकता। परमेश्वर के उपदेश दिल में बसते हैं, मैं दुष्ट शैतान को अपमानित करने का निश्चय करता हूँ। पीड़ा और कठिनाइयाँ परमेश्वर द्वारा पूर्वनिर्धारित हैं, मैं उसके प्रति वफादार बने रहने के लिए अपमान सह लूँगा। मैं फिर कभी परमेश्वर के आँसू बहाने या चिंता करने का कारण नहीं बनूँगा" (मेमने का अनुसरण करना और नए गीत गाना में "परमेश्वर के महिमा दिवस को देखना मेरी अभिलाषा है")। मैंने सोचा, "यह सही है! मुझे अपने देह की आसक्तियों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। जब तक मेरे पास शैतान को अपमानित करने और परमेश्वर के दिल को दिलासा देने के अवसर मौजूद हैं, मैं अपने जीवन को परमेश्वर के लिए अर्पित करने के लिए तैयार हूँ।" एक बार जब मैं अपने इरादों में दृढ़ हो गयी, तो उन राक्षसों की किसी भी यातना या धोखा देने की कपटी साजिशों का मुझ पर कोई फर्क नहीं पड़ा, मैं शुरू से अंत तक अपने दिल में परमेश्वर पर भरोसा करती थी। परमेश्वर के वचनों ने मुझे विश्वास और शक्ति प्रदान करते हुए मुझे भीतर से प्रबुद्ध किया और रास्ता दिखाया, जिससे मैं अपने शरीर की कमज़ोरी को दूर कर पायी। दुष्ट पुलिस ने मुझे ठंड से प्रताड़ित करना जारी रखा: उन्होंने मेरे शरीर पर बर्फ के टुकड़े रगड़े, जिससे मुझे इतनी ठंड और कंपकपाहट महसूस हुई कि ऐसा लगा जैसे मुझे बर्फ की गुफा में कैद कर दिया गया हो। मेरे दाँत ज़ोर से किटकिटा रहे थे और मेरी त्वचा नीली और बैंगनी हो गई थी। सुबह के लगभग दो बजे, मुझे इस हद तक प्रताड़ित किया गया था कि मैं मृत्यु के लिए तरस रही थी, मैं एक बार फिर से कमज़ोर होने लगी। न जाने कब तक मुझे इस पीड़ा को झेलना था, ऐसे में मैं अपने हृदय में केवल परमेश्वर से याचना कर सकती थी: "हे परमेश्वर, मेरी देह बहुत कमज़ोर है और मैं और अधिक समय तक टिक नहीं सकती। कृपया मुझे बचा लीजिये!" मेरी प्रार्थना का जवाब देने के लिए परमेश्वर का धन्यवाद; जब मैं और सहने में असमर्थ हो रही थी, तो दुष्ट पुलिस ने अपनी पूछताछ को बंद करने का फैसला किया क्योंकि इससे उन्हें कोई परिणाम हासिल नहीं हो रहा था।

31 दिसंबर की दोपहर में लगभग 2 बजे, दुष्ट पुलिसवाले मुझे मेरी कोठरी में वापस खींच ले गए। मैं सिर से पाँव तक चोट और घावों से भरी थी। मेरे हाथ गुब्बारे की तरह फूले हुए थे; वे नीले और बैंगनी पड़ गए थे। मेरा चेहरा अपने सामान्य आकार से एक तिहाई बड़ा और नीले-हरे रंग का हो गया था, स्पर्श करने पर बहुत कड़ा मालूम दे रहा था और पूरी तरह से सुन्न था। मेरे शरीर पर बिजली के झटकों के कारण कई जगह जलने के घाव थे। उस समय कैदखाने में बीस से अधिक कैदी थे, और जब उन्होंने देखा कि कैसे मुझे उन राक्षसों ने प्रताड़ित किया है, तो वे सभी रोने लगे। उनमें से कुछ की मेरी तरफ देखने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी और कम्युनिस्ट पार्टी के एक युवा सदस्य ने कहा: "जब मैं यहाँ से निकलूंगा तो अपनी सदस्यता छोड़ दूंगा।" एक कानूनी प्रतिनिधि ने मुझसे पूछा, "जिन लोगों ने आपको मारा वे कौन से स्टेशन पर काम करते हैं? उनके नाम क्या हैं? मुझे बताइए, मैं विदेशी वेबसाइटों पर सब कुछ पोस्ट करूंगा और उन्हें उजागर करूंगा। वे कहते हैं कि चीन एक मानवीय स्थान है, लेकिन यहाँ मानवता कहाँ है? यह पूरी तरह हैवानियत है!" मेरी दुर्दशा ने कई कैदियों के गुस्से को हवा दी, और उन्होंने गुस्से में कहा: "मैंने कभी नहीं सोचा था कि कम्युनिस्ट पार्टी इतनी क्रूर हो सकती है। मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि उन्होंने इस तरह के विश्वासघातक कृत्य किए हैं। परमेश्वर पर विश्वास करना अच्छी बात है, यह लोगों को अपराध करने से रोकता है। क्या वे यह नहीं कहते कि चीन में धर्म की स्वतंत्रता है? यह निश्चित रूप से धर्म की स्वतंत्रता नहीं है! चीन में, अगर आपके पास पैसा और शक्ति है, तो आपके पास सब कुछ है। असली अपराधी अभी भी खुले घूम रहे हैं और कोई भी उन्हें गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं करता है। सरकारी अधिकारियों को पैसे देते ही मौत की सज़ा पाये कैदियों को भी मुक्त कर दिया जाता है। इस देश में कोई न्याय या समानता नहीं है! ..." उस समय, मैं परमेश्वर के इन वचनों को याद किए बिना नहीं रह पायी "यही समय है: मनुष्य अपनी सभी शक्तियों को लंबे समय से इकट्ठा करता आ रहा है, उसने इसके लिए अपने सभी प्रयासों को समर्पित किया है, हर कीमत चुकाई है, ताकि वह इस दानव के घृणित चेहरे को तोड़ सके और जो लोग अंधे हो गए हैं, जिन्होंने हर प्रकार की पीड़ा और कठिनाई सही है, उन्हें अनुमति दे कि वे अपने दर्द से उठें और इस दुष्ट प्राचीन शैतान को अपनी पीठ दिखाएं" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (8))। "क्या तुम लोग सच में विशाल लाल अजगर से घृणा करते हो? क्या तुम सच में निष्ठा से घृणा करते हो? मैंने तुम लोगों से इतनी बार क्यों पूछा है? मैं तुमसे यह प्रश्न बार-बार क्यों पूछता हूँ? तुम सबके हृदय में उस बड़े लाल अजगर की क्या आकृति है? क्या उसे वास्तव में हटा दिया गया है? क्या तुम लोग सचमुच उसे अपना पिता नहीं मानते हो। सभी लोगों को मेरे प्रश्नों में मेरे अभिप्राय को जानना चाहिए। यह लोगों के क्रोध को भड़काने के लिए नहीं है, न ही मनुष्यों के मध्य विद्रोह को उत्तेजित करने के लिए है, न ही इसलिए है कि मनुष्य अपना मार्ग स्वयं ढूँढ़ सके, परन्तु यह लोगों को अनुमति देना है कि वे अपने आपको उस बड़े लाल अजगर से छुड़ा लें" ("वचन देह में प्रकट होता है" में संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन के "अध्याय 28")। परमेश्वर के वचन मेरे लिए बहुत सुकूनदायक थे। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैंने जो क्रूर यातना झेली थी, उससे सीसीपी सरकार के क्रूर, दुष्ट, शैतानी सार का खुलासा हो सकता है, इससे अविश्वासियों को सीसीपी सरकार का असली चेहरा दिख सकता है जिससे वे एक साथ शैतान को त्यागने और उससे घृणा करने को उठ खड़े होंगे। यह वास्तव में परमेश्वर की बुद्धि और सर्वशक्तिमत्ता का काम था। पहले, मैंने सीसीपी को लोगों के उद्धारकर्ता के रूप में, महान लाल सूरज के रूप में देखा था, लेकिन सीसीपी सरकार के अमानवीय उत्पीड़न और पीड़ा का शिकार होने के बाद, इसके बारे में मेरा दृष्टिकोण पूरी तरह बदल गया है। मैंने मानव जीवन के लिए इसकी अत्यंत अवहेलना को वास्तव में देख लिया है, देख लिया है कि यह कैसे परमेश्वर के चुने हुए लोगों को बुरी तरह से अपमानित करती है, स्वर्ग के खिलाफ जाती है, और यह एक दुष्ट आत्मा है जो राक्षसी अपराधों को बढ़ावा देती है, यह शैतान और परमेश्वर विरोधी दानव का पुनर्जन्म है। परमेश्वर सृष्टि के प्रभु हैं, और मनुष्य सृजित प्राणी हैं। परमेश्वर में विश्वास करना स्वाभाविक और सही है, और फिर भी सीसीपी सरकार परमेश्वर के अनुयायियों की मनमाने ढंग से गिरफ्तारी और उन्हें परेशान करने के लिए झूठे आरोप लगाती है, वो परमेश्वर के हरेक अनुयायी को ख़त्म कर देने की उम्मीद करती है। ऐसा करते हुए, उसने परमेश्वर से घृणा करने और परमेश्वर-विरोधी तरीकों के अपने शैतानी स्वभाव को अच्छी तरह से उजागर कर दिया है। विषमता के रूप में कार्य करने वाली सीसीपी सरकार के कारण, परमेश्वर की भलाई और प्रेम का सार मेरे लिए और भी स्पष्ट हो गया। परमेश्वर ने दो बार देहधारण किया और दोनों ही बार उन्हें, शैतान द्वारा पीछा किए जाने के साथ-साथ अपार उत्पीड़न और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। फिर भी, इससे गुज़रते हुए, परमेश्वर ने चुपचाप सभी हमलों और पीड़ाओं को सहन किया, मानवजाति को बचाने के लिए अपना काम किया। मानव जति के लिए परमेश्वर का प्यार वास्तव में बहुत महान है! उस पल, मुझे अपने पूरे दिल और आत्मा से राक्षसों के उस झुंड से घृणा हो गयी। मैंने सच में इस बात के लिए अफसोस महसूस किया कि अतीत में मैंने गंभीरता से सत्य का अनुसरण नहीं किया था और परमेश्वर के प्रेम का प्रतिदान देने के लिए अपने कर्तव्य को पूरा नहीं किया। मैंने मन में सोचा कि अगर एक दिन मैं इस जगह से जीवित निकल गयी, तो मैं अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए खुद को और भी अधिक समर्पित कर दूँगी और परमेश्वर को मेरे हृदय पर अधिकार करने दूँगी।

बाद में, दुष्ट पुलिस ने मुझसे चार बार और पूछताछ की। वे मुझसे कुछ भी जानकारी हासिल नहीं कर पाये, इसलिए उन्होंने सिर्फ "सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने" का झूठा आरोप लगाकर मुझे मुकदमा पूरा होने तक 5,000 आरएमबी की जमानत पर एक साल के लिए रिहा कर दिया। मेरे परिवार द्वारा मेरी जमानत कराए जाने के बाद, आखिरकार मुझे 22 जनवरी, 2013 को रिहा कर दिया गया। घर लौटने के बाद, जब भी मैं खिड़कियों पर बर्फ देखती तो मेरा दिल घबराने लगता। मेरी आंखों की रोशनी काफी कम हो गई थी, मेरा गठिया भी बदतर हो गया था, और मुझे गुर्दे की समस्या भी हो गयी। मुझे लगातार ठंड महसूस होती थी, घबराहट के दौरे आते था, मेरे दोनों हाथों में सुन्नता थी, मेरे चेहरे पर त्वचा की एक परत थी, और मुझे अक्सर मेरी आंतरिक जांघों में असहनीय दर्द होता था, जिसके कारण मैं नींद से जाग जाती थी। यह सब उन शैतानों की यातना का सबूत था।

सीसीपी सरकार के अमानवीय क्रूर उत्पीड़न के दौर से गुज़रने के बाद, भले ही मैंने शरीर की अनेक प्रकार के यातनाओं को झेला था, लेकिन मैं परमेश्वर के साथ अपने संबंधों में और घनिष्ठ हो गयी थी। मुझे परमेश्वर की बुद्धि, उनकी सर्वशक्तिमत्ता, प्रेम और उद्धार के बारे में अधिक व्यावहारिक समझ हासिल हुई थी, और मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने के अपने संकल्प को और मजबूत कर लिया था। मैंने अपने शेष जीवन में परमेश्वर का अनुसरण करने और परमेश्वर से प्रेम करने वाली महिला बनने का प्रयास करने का संकल्प लिया। सीसीपी सरकार के क्रूर उत्पीड़न के माध्यम से, मैंने व्यक्तिगत रूप से परमेश्वर के प्रेम, देखभाल और संरक्षण का अनुभव किया। अगर परमेश्वर के वचन ने मुझे शक्ति और विश्वास प्रदान करते हुए हर कदम पर राह न दिखाई होती, तो मैं कभी भी उन सभी अमानवीय पीड़ाओं और यातनाओं को नहीं झेल पाती जो मैंने झेली हैं। इस अनोखी स्थिति के अपने अनुभव के द्वारा, मैं पूरी तरह से समझ पायी कि सीसीपी सरकार कोई और नहीं बल्कि परमेश्वर-विरोधी, परमेश्वर को नाराज़ करने वाली दुष्ट शैतान है। चीन को नास्तिक देश में बदलने और दुनिया पर कब्जा करने के अपने प्रयास में, यह कोई कसर नहीं छोड़ती है और परमेश्वर को इस दुनिया से बाहर निकालने के लिए हरसंभव कोशिश करती है। यह उन सभी लोगों का पागलों की तरह पीछा करती है, गिरफ्तार करती है और सताती है जो परमेश्वर का अनुसरण करते हैं, उसका लक्ष्य परमेश्वर के सभी अनुयायियों को मिटाने का है, उन सभी को अपने जाल में फंसाने का है और ऐसा करके, परमेश्वर के कार्य को पूरी तरह से समाप्त कर देना चाहती है। सीसीपी सरकार वास्तव में अविश्वसनीय रूप से दुष्ट है! यह एक राक्षसी जानवर से ज्यादा कुछ नहीं है जो लोगों को पूरी तरह से निगल जाता है—यह एक विकृत, स्वर्ग की अवहेलना करने वाली, न्याय को विफल करने वाली, बुराई को सक्षम करने वाली शैतानी ताकत है। चीन में, सीसीपी सरकार उन बदमाशों को छूट देती है जो आम और शरीफ़ लोगों पर ज़ुल्म करते हैं और उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं, यहाँ तक कि उन्हें कानूनी और राजनीतिक शक्ति में हिस्सा भी देती है। वह वेश्यावृत्ति, जुआ और ड्रग-तस्करी में लिप्त गैंगस्टरों और बदमाशों के साथ मित्रता और लगाव जताती है; वह उनके हितों की रक्षा करने में भी मदद करती है। परमेश्वर के अनुयायी, जो जीवन में सही राह पर चलते हैं, बस उन्हें ही सीसीपी सरकार अपना दुश्मन मानती है। वो उन्हें मनमाने ढंग से दबाती और गिरफ्तार करती है, और क्रूरता से उन्हें इस तरह सताती है कि कई विश्वासियों के परिवार बिखर गए हैं, उनके प्रियजन खो गए हैं, और वे घर लौटने में असमर्थ हैं। उनमें से बहुत से लोग एक जगह घर बसाने में असमर्थ हैं, वे घर से बहुत दूर खानाबदोशों का जीवन जीने को मजबूर हैं। अन्य लोग भी हैं जिन्हें क्रूर यातना दी जाती है, यहाँ तक कि परमेश्वर में उनके विश्वास के लिए उन्हें इस हद तक पीटा जाता है कि वे लकवाग्रस्त हो जाते हैं या उनकी मृत्यु हो जाती है।… यह बहुत ही स्पष्ट है कि सीसीपी सरकार वहशी ढंग से अमानवीय, इंसानों के लिए कसाई, महादुष्ट और शैतान है। अंत में, यह अपने राक्षसी पापों के लिए परमेश्वर द्वारा दिये गए धर्मी दंड से बच नहीं पाएगी। क्योंकि, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने बहुत पहले कहा था: "राक्षसों का घोंसला निश्चित रूप से परमेश्वर द्वारा टुकड़े-टुकड़े कर दिया जाएगा, और तुम लोग परमेश्वर के साथ खड़े रहोगे—तुम लोग परमेश्वर के होगे, और दासों के इस साम्राज्य के नहीं रहोगे। परमेश्वर इस अंधियारे समाज से लंबे समय से घृणा करता आया है। इस दुष्ट, घिनौने बूढ़े सर्प पर अपने पैरों को रखने के लिए वह अपने दांतों को पीसता है, ताकि वह फिर से कभी न उठ पाए, और फिर कभी मनुष्य का दुरुपयोग न कर पाए; वह उसके अतीत के कर्मों को क्षमा नहीं करेगा, वह मनुष्य को दिए गए धोखे को बर्दाश्त नहीं करेगा, वह प्रत्येक युग में उसके सभी पापों के लिए उसका हिसाब करेगा; सभी बुराइयों के इस सरगना[1] के प्रति परमेश्वर थोड़ी भी उदारता नहीं दिखाएगा, वह पूरी तरह से इसे नष्ट कर देगा" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (8))। परमेश्वर की धार्मिकता प्रशंसा और सराहना के योग्य है और वह शैतान के राज्य को नष्ट और समाप्त कर देगा। परमेश्वर का राज्य यहाँ पृथ्वी पर स्थापित किया जाएगा और परमेश्वर की महिमा निश्चित रूप से पूरे ब्रह्मांड पर व्याप्त होगी!

फुटनोट:

1. "सभी बुराइयों के इस सरगना" का अर्थ बूढ़े शैतान से है। यह वाक्यांश चरम नापसंदगी व्यक्त करता है।

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