जीवन की संपत्ति

28 सितम्बर, 2019

वांग जून शैंडोन्ग प्रांत

अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने के बाद के वर्षों में, मैं और मेरी पत्नी ने बड़े लाल अजगर के दमन को साथ मिल कर झेला है। इस समय के दौरान, भले ही मैं कमज़ोरी, पीड़ा और आँसुओं को झेला, फिर भी मुझे महसूस होता है कि इस दमन का सामना करके मुझे बहुत फायदा हुआ है। इन कटु अनुभवों ने मुझे न केवल बड़े लाल अजगर के प्रतिक्रियावादी, दुष्ट प्रकृति और कुरूप चेहरे को स्पष्ट रूप से दिखाया है, बल्कि मैंने अपने भ्रष्ट तत्व को भी पहचाना है। इसने मुझे परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता और बुद्धि का भी अनुभव करने दिया है। परमेश्वर द्वारा बड़े लाल अजगर को एक विषमता के रूप में उपयोग करने के वास्तविक महत्व को मैंने सचमुच अनुभव किया और पहचाना है, जिससे परमेश्वर का अनुसरण करने का मेरा विश्वास ज़्यादा से ज़्यादा दृढ़ हो गया है।

अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने के बाद, परमेश्वर की आशीषों के कारण, मेरी पत्नी और मैंने अपने घर में आतिथ्य प्रदान करके अपना कर्तव्य पूरा किया। उस समय, भाई-बहन हमारे साथ हर दिन रहते थे और लोगों का आना-जाना लगा रहता था। इसलिए, हम इलाके में परमेश्वर पर विश्वास करने के लिए अपेक्षाकृत रूप से अच्छी तरह से जाने जाते थे। 2003 की सर्दियों में, बड़े लाल अजगर का उत्पीड़न सख्त से सख्त हो गया। एक दिन, हमारे अगुआ ने हमसे कहा: "पुलिस की नज़रें आप पर हैं। आप यहाँ अब और नहीं रह सकते—अपनी चीजों को बाँध करअपना कर्तव्य पूरा करने के लिए आपको बाहर चले जाना चाहिए।" इस अंतिम-मिनट की व्यवस्था से मैं चौंक गया था। मैंने सोचा: यह टाइल की छत वाला घर जिसे बनाने के लिए मैंने बहुत कड़ी मेहनत की थी, जिसमें हम एक वर्ष से भी कम समय तक रहे हैं—मैं इसे इस तरह से छोड़ने के लिए तैयार नहीं हूँ! हे परमेश्वर, यदि हमारे छोड़ने से पहले आप हमें कुछ वर्षों तक यहाँ रहने देते, तो अच्छा होता। कहीं और रहना इतना सुविधाजनक, इतना आरामदायक नहीं है, जितना घर पर रहना है। किन्तु जैसे ही मैंने बड़े लाल अजगर के दमन के बारे में सोचा, मैंने फैसला किया कि घर को बेचने के बाद, हमें अपना कर्तव्य पूरा करने के लिए घर छोड़ देना चाहिए। जब मैं हमारे नव-निर्मित घर की तरफ देख रहा था, तो मुझे दुःख और पीड़ा की एक लहर महसूस हुई। मैं वास्तव में इससे अलग होना सहन नहीं कर सकता था; मुझे महसूस होता था कि उस समय इसे बेचना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था। मैं देह के लाभों और हानियों की गणना कर रहा था और फैसला नहीं कर पा रहाथा, कि तभी मैंने अपने कानों में परमेश्वर के वचनों को गूँजते हुए सुना: "अब्राहम ने इसहाक को बलिदान किया—तुमने किसे बलिदान किया है? अय्यूब ने सब-कुछ बलिदान किया—तुमने क्या बलिदान किया है? इतने सारे लोगों ने अपना जीवन दिया है, अपने सिर कुर्बान किए हैं, अपना खून बहाया है, सही राह तलाशने के लिए। क्या तुम लोगों ने वह कीमत चुकाई है? उनकी तुलना में तुम इस महान अनुग्रह का आनंद लेने के बिलकुल भी योग्य नहीं हो" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, मोआब के वंशजों को बचाने का अर्थ)। परमेश्वर के वचनों ने दोधारी तलवार की तरह मेरे हृदय को गहराई तक छेद दिया। मुझे इतनी शर्म महसूस हुई कि विश्वास नहीं किया जा सकता है। यह सच था! परमेश्वर की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए, अब्रहम अपनी उस चीज़ से अलग होने की बड़ी पीड़ा को सहन करने के लिए तैयार था जिसे वह प्रेम करता था, परमेश्वर के लिए अपने इकलौते पुत्र की होमबलि चढ़ाना। जब शैतान और परमेश्वर ने एक शर्त लगाई, तो यद्यपि अय्यूब ने अपनी सारी संपत्ति और अपने दस बच्चे खो दिए, लेकिन वह तब भी यहोवा के नाम की स्तुति और प्रशंसा करने में समर्थ था। यहाँ तक कि अंत में जब उसने अपने दोस्तों और परिवार के द्वारा छोड़े जाने और बीमारी से पीड़ित होने के अत्याचार का सामना किया, तब भी वह परमेश्वर को दोष देने के बजाय अपने जन्म के दिन को शाप देता था। उसने परमेश्वर के लिए एक मज़बूत और शानदार गवाही दी और शैतान ने एक पूर्ण और अपमानजनक हार का सामना किया। युगों-युगों से सभी संत और भविष्यद्वक्ता भी हैं—परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए, उनमें से कुछ ने अपनी जवानी और विवाहों का त्याग कर दिया, कुछ ने अपने परिवारों और रिश्तेदारों और दुनिया की धन-दौलत को छोड़ दिया। यहाँ तक कि कुछ लोगों ने अपनी ज़िंदगी का भी बलिदान कर दिया था और परमेश्वर के कार्य के लिए अपना रक्त बहाया था। ... किन्तु अपने आप को देखूँ तो, भले ही मैं परमेश्वर द्वारा प्रदान किए गए उद्धार के दुर्लभ अनुग्रह का जिसका आनंद तमाम युगों के संत भी नहीं ले सके थे और जीवन के लिए समृद्ध वचनों का आनंद ले रहा था, तो भी मैंने परमेश्वर के लिए क्या त्याग किया था? मैंने परमेश्वर के लिए क्या चढ़ाया था? कलीसिया ने बड़े लाल अजगर के दमन और पीछा किए जाने की वजह से मुझसे मेरा घर छुड़वा दिया था, ताकि मैं इसके चंगुल में न पड़ूँ और इसके क्रूर उत्पीड़न को न झेलूँ। यह परमेश्वर का हमारे लिए महान प्रेम और संरक्षण था, किन्तु मुझे बुराई और अच्छाई में भेद नहीं पता था, न ही मैं परमेश्वर के नेक इरादों की परवाह करता था। यहाँ तक कि मैंने अपनी स्वयं की सुरक्षा के बारे में भी नहीं सोचा, मैं केवल उस टाइल की छत वाले नए घर और देह के सुख की अपनी लालसा के बारे में सोचता था। मैं परमेश्वर की व्यवस्था का पालन करने के लिए तैयार नहीं था—मैं वास्तव में लालच से इतना भरा था, और मैं जीवन की अपेक्षा धन के बारे में अधिक परवाह करता था! आज, मैं अपनी सुरक्षा के वास्ते भी अपना घर छोड़ने को तैयार नहीं था। यदि परमेश्वर के कार्य के लिए मुझे परमेश्वर की भेंट के रूप में अपने स्वयं के व्यक्तिगत हितों की ओर अपनी पीठ को पलटना पड़ता, या यदि मुझे अपना जीवन छोड़ना पड़ता या अपना खून बहाना पड़ता, तो कैसे मेरे जैसा—संकुचित विचारवाला, स्वार्थी और निंदनीय व्यक्ति जो पैसे को जीवन के समान ही प्रेम करता हो—परमेश्वर के लिए ये बलिदान करने के लिए तैयार हो सकता था? क्या मैं उस स्थिति से बहुत पहले ही नहीं भाग जाता? मैंने बिना सोचे-समझे बोलने के बारे में सोचा, कैसे मैं कहता था: मैं पतरस के उदाहरण का अनुसरण करने और परमेश्वर से प्रेम करने वाला अग्रदूत बनने को तैयार हूँ। मैं अपने स्वयं के व्यक्तिगत लाभ, अपने हानि या लाभ पर विचार किए बिना सब कुछ छोड़ने, सब कुछ व्यय करने के लिए तैयार हूँ। मैं केवल परमेश्वर को संतुष्ट करना चाहता हूँ। किन्तु जब वास्तविक स्थिति का सामना करना पड़ा, तो मेरा कोई भी अंश ऐसा नहीं था जो कि परमेश्वर पर केंद्रित था। मैं केवल अपने स्वयं के तात्कालिक हितों के बारे में सोचता था, और मैंने वास्तव में देह के सुखों के लिए परमेश्वर के साथ सौदा करने का प्रयास किया। तब मैंने स्वयं से पूछा: क्या ऐसा हो सकता है कि यही वह प्रेम है जो मुझे परमेश्वर को लौटना है? परमेश्वर ने कहा है: "यदि तुम लोग प्रेम करते हो, तो खुशी-खुशी खुद को समर्पित करोगे, विपत्ति को सहोगे, और मेरे अनुकूल हो जाओगे, तुम अपना सर्वस्व मेरे लिए त्याग दोगे...। वरना तुम लोगों का प्रेम, प्रेम न होकर केवल कपट और विश्वासघात होगा! तुम लोगों का प्रेम किस प्रकार का है? क्या यह सच्चा प्रेम है? या झूठा प्रेम है? तुम लोगों ने कितना त्याग किया है? तुमने कितना अर्पण किया है? मुझे तुम लोगों से कितना प्रेम प्राप्त हुआ है? क्या तुम लोग जानते हो? तुम लोगों का हृदय बुराई, विश्वासघात और कपट से भरा हुआ है ..." (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बुलाए बहुत जाते हैं, पर चुने कुछ ही जाते हैं)। मैंने परमेश्वर के सामने शपथ ली थी, किन्तु इसका सम्मान नहीं किया। क्या यह परमेश्वर को धोखा देने, उसे बेवकूफ़ बनाने की कोशिश करना नहीं है? जब मैंने इस बारे में सोचा, तो मैं उसके सामने घुटनों के बल झुककर प्रार्थना करने से खुद को नहीं रोक सका: "हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर, मैं हमेशा मानता था कि मैं किसी भी कठिनाई के बारे में शिकायत किए बिना कितनी ही संख्या में भाई-बहनों की मेजबानी करने के लिए तैयारहूँ और यह तेरे लिए मेरे प्रेम की एक अभिव्यक्ति थी। किन्तु मैंने केवल अब तथ्यों के प्रकाशन क माध्यम से देखा है कि मेरा तथाकथित प्रेम सशर्त और चयनात्मक था। यह सब उसके आधार पर था जो मैं चाहता था, और मेरे पास ये प्रेम इसे केवल एक आरामदायक परिवेश में ही था। किन्तु जब तुझे आवश्यकता हुई कि मैं शारीरिक कठिनाइयों को सहन करूँ और अपने स्वयं के हितों को संकट में डालूँ, तो मेरा 'प्रेम' बिल्कुल गायब हो गया। उससे मैंने देखा कि मैं वास्तव में तुझसे प्रेम नहीं करता था और मैं तेरे प्रेम का प्रतिफल चुकाने के लिए अपने कर्तव्य का पालन नहीं कर रहा था, बल्कि मैंने जो एक छोटी सी कीमत चुकाई थी उसे महान आशीषों के लिए विनिमय हेतु उपयोग करने के लिए था। मैं पूरी तरह से एक अवसरवादी हूँ, मैं एक स्वार्थी और निंदनीय संकुचित-विचारवाला व्यक्ति हूँ। मैं तेरे सामने जीने के लायक हूँ ही नहीं, और मैं उन सभी चीज़ों को प्राप्त करने लायक तो बिल्कुल भी नहीं हूँ जिन्हें तू मेरे जीवन में प्रदान करता है! हे परमेश्वर, मैं तुझे धोखा देने और तेरे विरुद्ध विद्रोह करने, तुझे ठेस पहूँचाने को अब और तैयार नहीं हूँ। मैं अपनी प्रतिज्ञा का पालन करने, अपने व्यक्तिगत लाभ को दूर रखने, और तेरे आयोजनों और व्यवस्थाओं का पालन करने के लिए तैयार हूँ।"

इसके बाद, मैंने अपनी ऊर्जा को उस नए घर को बेचने में लगा दिया, और मैंने एक अपरिचित जगह में दो-कमरा वाला एक अपार्टमेंट खरीद लिया। भले ही हमारे पिछले घर से इसकी कोई तुलना नहीं थी, लेकिन यहाँ टेलीफोन और घर को गर्म रखने की सुविधा थी, और परिवहन सुविधाजनक था। मैं इससे बहुत खुश था, और हमने वहाँ अपने मेजबानी के कर्तव्यों को फिर से शुरू किया। पलक झपकते ही 2004 का बसंत आ गया था और कम्युनिस्ट पार्टी की पुलिस को एक बार फिर हम पर संदेह हुआ। उन्होंने कुछ जानकारी प्राप्त करने के लिए दो जासूसों को भेजा जो ज्योतिषी होने का ढोंग कर रहे थे। परमेश्वर से प्रबुद्धता और अगुआई के कारण, हम उनके षड़्यंत्र की वास्तविक प्रकृति को समझ गए और परमेश्वर की बुद्धि पर भरोसा करते हुए, हमने उन्हें बाहर कर दिया। कलीसिया को इसके बारे में पता चला तो हमारे कर्तव्यों को निलंबित कर दिया गया। उन्होंने हमारे परिवेश का बचाव करने के लिए हमसे कोई कार्य ढुँढने के लिए कहा। उस समय से, हमारा अपने भाई-बहनों के साथ लगभग कोई संपर्क नहीं था। छह महीने बीत गए थे और स्थानीय स्थिति अधिक से अधिक तनावग्रस्त हो गई थी। एक दिन हमें अचानक कलीसिया से एक सूचना प्राप्त हुई जिसमें कहा गया था कि एक यहूदा ने हमें धोखा दिया है और बड़े लाल अजगर के हाथों में पड़ने से बचने के लिए हमें जितना जल्दी संभव हो हमें वहाँ से चले जाना चाहिए। परमेश्वर के घर की इस व्यवस्था के सामने, इस बार मैंने पालन करने का फैसला लिया, और मेरे हृदय में बड़े लाल अजगर के लिए एक घृणा पैदा हो गई थी। मैंने अतीत के बारे में सोचा जब मैंने बड़े लाल अजगर को यह घोषणा करते हुए सुना था: "नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता है, और उनके वैध अधिकार और हित सुरक्षित हैं" और मैंने हर कहीं कलीसियाओं का निर्माण होते हुए देखा। मुझे यह बहुत ही अच्छा लगा; मुझे लगता था कि इसने लोगों के हृदयों को जीत लिया है। किन्तु आज, वास्तविकता के सामने, मैंने अंततः वास्तव में बड़े लाल अजगर के कुरूप चेहरे को देखा, मैंने इसकी साज़िशों की वास्तविक प्रकृति को समझा, और मुझे पता चल गया था कि इसकी घोषणाएँ और इसकी सतही-स्तर के कार्य सभी झूठ और धोखा हैं, सभी ढोंग हैं। यह सब लोगों को भ्रमित करने और धोखा देने के निंदनीय साधन, गंदी चालें हैं। यह भयानक और क्रूर, धूर्त और कपटी, प्रतिगामी, परमेश्वर के विरुद्ध, और सर्वथा प्रतिक्रियावादी था। तभी परमेश्वर के ये वचन मेरे मन में आए: "धार्मिक स्वतंत्रता? नागरिकों के वैध अधिकार और हित? ये सब पाप को छिपाने की चालें हैं! ... परमेश्वर के कार्य में ऐसी अभेद्य बाधा क्यों खड़ी की जाए? परमेश्वर के लोगों को धोखा देने के लिए विभिन्न चालें क्यों चली जाएँ? वास्तविक स्वतंत्रता और वैध अधिकार एवं हित कहां हैं? निष्पक्षता कहां है? आराम कहां है? गर्मजोशी कहां है? परमेश्वर के लोगों को छलने के लिए धोखेभरी योजनाओं का उपयोग क्यों किया जाए? परमेश्वर के आगमन को दबाने के लिए बल का उपयोग क्यों किया जाए? क्यों नहीं परमेश्वर को उस धरती पर स्वतंत्रता से घूमने दिया जाए, जिसे उसने बनाया? क्यों परमेश्वर को इस हद तक खदेड़ा जाए कि उसके पास आराम से सिर रखने के लिए जगह भी न रहे?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (8))। उसके वचनों के माध्यम से मैं बड़े लाल अजगर के कुरूप चेहरे को, परमेश्वर के प्रति उसके प्रतिरोध और उसके उत्पीड़न की सच्चाई को और साथ ही इसके द्वारा लोगों को नुकसान पहुंचाने और बाधित करने को स्पष्ट रूप से देखने में समर्थ था। मैं सोचता था कि कितने भाई और बहन, इसके उत्पीड़न और पीछा किए जाने की वजह से घर नहीं लौट सकत थे और खानाबदोशों का, बेघरों का जीवन बिता रहे थे। मैंने उन कितने ही भाई-बहनों के बारे में सोचा, जिन्होंने इसकी अमानवीय यातना की विनाशकता को झेला था, कितने भाइयों और बहनों को, केवल इस वजह से क्योंकि वे परमेश्वर पर विश्वास करते थे और अपना कर्तव्य करते थे, झूठे आरोपों में कैद किया गया था और उन्होंने ऐसी कालकोठरी में जीवन बिताते हुए कई अंधकारमय दिन गुज़ारे थे जो किसी कुत्ते या किसी सूअर के योग्य भी नहीं थी। मैंने उन भाई-बहनों के बारे में सोचा जिन्हें इसकी निगरानी के तहत बिल्कुल भी स्वतंत्रता नहीं थी; उनके पास अपने कर्तव्य को करने का कोई तरीका नहीं था और वे कलीसिया में सामान्य जीवन नहीं बिता सकते थे। आज, हम जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं और आतिथ्य अर्पित करते हैं वो केवल सृजनों के रूप में अपने कर्तव्य को करना है। हम अपने उत्तरदायित्वों को पूरा कर रहे थे, और हमने सीसीपी के कानूनों या नियमों की अवहेलना बिल्कुल नहीं की थी, किन्तु हम तब भी निराधार बाध्यताओं और दमन के अधीन थे। हम केवल अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर अपने कर्तव्य को पूरा करने के लिए फिर से किसी अन्य स्थान पर जा सकते थे। इसके बावजूद, पुलिस हमारा पीछा करने में यह सोचते हुए शिथिल नहीं हुई थी कि हमें फँसाने और उत्पीड़ित करने के लिए उन्हें कुछ सबूत मिल सकते हैं। जानकारी ढूँढ निकालने के लिए उन्होंने तो ज्योतिषी का भेष भी धरा। बड़ा लाल अजगर वास्तव में असीमित रूप से भयावह भद्दा, विश्वासघाती, निंदनीय, और शातिर है! उस पल, मैंने देखा कि बड़ा लाल अजगर कुटिल और निर्दयी है, कपटी, धोखेबाज़, घिनौना, स्वर्ग के विरुद्ध और पूरी तरह प्रतिक्रियावादी है। वह एक राक्षस है जो लोगों को निगल जाता और नुकसान पहुंचाता है! देहधारी परमेश्वर अपने सृजन, मानवजाति को बचाने के लिए धरती पर आया। यह मनुष्य के लिए परमेश्वर का प्रेम था; यह अत्यधिक बड़ी और आनंद की बात थी, लेकिन बड़ा लाल अजगर परमेश्वर को लोगों के बीच आने नहीं देना चाहता, लोगों को परमेश्वर की आराधना करने और जीवन के उचित पथ पर चलने नहीं देना चाहता। उसने मसीह को पागलों की तरह खोजने के लिए जो बन पड़े वो किया, उसने परमेश्वर के चुने हुए लोगों को क्रूरतापूर्वक यातना दी और परमेश्वर के कार्य में बाधा डालने और उसे नष्ट करने की कोशिश की। उसने परमेश्वर के चुने हुए सभी लोगों को मार डालने और अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को ढहाने की कोशिश की। वह वास्तव में अत्यंत प्रतिक्रियावादी और स्वर्ग के लिए असहनीय था! उस विचार पर, मुझे और भी अधिक न्यायोचित क्षोभ महसूस हुआ और मैं बड़े लाल अजगर के लिए गहरी घृणा से भर गया। परमेश्वर का धन्यवाद! यह परमेश्वर का व्यावहारिक कार्य और वचन थे जिन्होंने बड़े लाल अजगर के मुखौटे को पूरी तरह से हटा दिया था और गरिमा के भेष में उसके पाखंड की कुरूपता को पूरी तरह से उजागर कर दिया था। इसने अंततः मेरी आँखें खोल दीं जो बंद पड़ी थीं। मेरी आत्मा जाग गई थी, और मैं उस सत्य की स्पष्टता को देख सकता था कि बड़ा लाल अजगर जनता को धोखा देकर अपना नाम बनाता है और इसके धोखे और हानिकर होने की सच्चाई को देख सकता था। इसलिए इसे दृढ़ता से त्यागने का, इसे अस्वीकार करने का मुझमें विश्वास और दृढ़ निश्चय था। इसके अतिरिक्त, बड़े लाल अजगर की निंदनीय दुष्टता और अंधकारमय गंदगी की तुलना में, मैंने परमेश्वर की धार्मिकता, पवित्रता, प्रकाश और अच्छाई के बारे में और भी अधिक समझ प्राप्त की। मैंने हम भ्रष्ट मनुष्यों के लिए उसके महान उद्धार और उसकी परवाह को देखा; मैंने देखा कि इस बात की परवाह किए बिना कि परिवेश कितना कठिन था, इस बात की परवाह किए बिना कि बड़े लाल अजगर से किस प्रकार का प्रतिरोध और दमन होता था, परमेश्वर ने हमारे लिए अपने द्वारा दिये उद्धार को कभी नहीं छोड़ा है। वह अभी भी उस कार्य को करने के लिए सभी कष्टों को सहन कर रहा है जो उसे करना चाहिए। इस गंदी, दुष्ट दुनिया में, हम केवल परमेश्वर पर ही निर्भर हो सकते हैं—वह हमारा सबसे बड़ा प्रेम है और हमारा सबसे बड़ा उद्धार है जिससे हमें जीवन भर के लिए सत्य और मसीह का अनुसरण करने की आकांक्षा और लालसा मिलती है। मेरे शामिल होने के लिए इस तरह के भोज को लगाने के लिए परमेश्वर का धन्यवाद, ताकि मैं दुःख के बीच में विवेक और परिज्ञान प्राप्त कर सकूँ। अब से, मैं अपने जीवन की कसम खाता हूँ कि मैं बड़े लाल अजगर से पूर्णतः अलग हो जाऊँगा। मैं उसका कट्टरशत्रु हो जाऊँगा। इस बात की परवाह किए बिना कि वह मुझे कैसे उत्पीड़ित करता या मेरा पीछा करता है, मैं उसकी तानाशाही से भयभीत नहीं होऊँगा। मैं केवल परमेश्वर का करीब से अनुसरण करूँगा, उसकी अगुआई पर भरोसा रखूँगा, अंधकार की सभी शक्तियों के दमन को तोड़ कर बाहर आ जाऊँगा, और परमेश्वर के उद्धार के अनुग्रह को चुकाने के लिए अपने कर्तव्य को पूरा करूँगा।

कठोर परिस्थितियों की वजह से हम लंबे समय तक वहाँ नहीं रह पाये, हम एक बार फिर से एक और अपरिचित जगह पर जाने के लिए भागे। पहुँचने के बाद, परमेश्वर के घर की एक बहन ने कहा कि यह एक जातीय अल्पसंख्यक क्षेत्र है और यहाँ बड़ा लाल अजगर बहुत सख्त नहीं है। परिवेश अपेक्षाकृत स्वीकार्य था। किन्तु मेरे हृदय में सुकून महसूस नहीं हुई। मैंने मन में सोचा: अब बड़े लाल अजगर का शासन है, यह ऐसा लगता है जैसे काले बादल शहर की ओर बढ़ रहे हों। यह हमें शांति से परमेश्वर में विश्वास करने नहीं देगा। जैसा सोचा था वैसा ही हुआ, जब हमें वहाँ रहते सिर्फ 20 दिन ही हुए थे, कि बड़े लाल अजगर के जासूस स्वच्छता शुल्क इकट्ठा करने के बहाने हमारे घर आए और मेरी पत्नी से रूखेपन से पूछते हुए कि वह कहाँ से है, उसका निवास कहाँ पंजीकृत है, और वह यहाँ क्यों आई है, उन्होंने हमारे घर के भीतर और बाहर के लोगों को ढूँढना शुरू कर दिया। उनमें से एक ने उससे हुलिया बताकर पूछा कि क्या उसका पति ऐसा दिखता है। उसने कहा, "हाँ," जैसे ही उन्होंने ये सुना उन्होंने एक-दूसरे की ओर देखा। केवल तभी मेरी पत्नी की समझ में आया कि मेरे चेहरे को देखे बिना वे कैसे जानते थे कि मैं कैसा दिखता हूँ। यह निश्चित रूप से वही यहूदा था जिसने मुझे बेच दिया था, जिसने मेरे रूप-रंग कि भी जानकारी दे दी थी। उनके जाने के बाद वे ठीक हमारे पीछे के पड़ोसियों के घर में गए। तब तक हम यह नहीं समझ पाये थे कि हमारे पड़ोसी उनके साथ कार्य कर रहे थे और वे हमारी निगरानी कर रहे थे। हमने तुरंत कलीसिया को इसकी सूचना दी। शीघ्र ही, कलीसिया की एक बहन ने हमें एक नोट लिखा, जिसमें कहा गया था: "स्थानीय पुलिस ने आपके गृहनगर की पुलिस से संपर्क किया है। उन्होंने आपमें से उन लोगों को बंदी बनाने का फैसला कर लिया है जिन्हें धोखा दिया गया है। वे अघोषित दौरों से स्थिति की पहले जांच-पड़ताल करना चाहते हैं और तुम्हारे बारे में स्पष्ट रूप से समझना चाहते हैं, और जब सही समय आएगा, तो वे आप सभी को पकड़ लेंगे। तुम्हारी स्थिति संकटपूर्ण है, आपको अपने गृहनगर शैंडोन्ग में वापस जा कर छुप जाना चाहिए। शीघ्रता से निकल जाइए—जितना जल्दी करेंगेउतना बेहतर रहेगा—यदि आप देरी करते हैं तो हो सकता है कि आप बाहर नहीं निकल पाएँ!" इस नोट को देखने के बाद, हमने उसकी उपेक्षा करने की हिम्मत नहीं की। हमने अगले दिन चले जाने का फैसला किया। उस रात, मैं करवटें बदलता रहा और पलटता रहा और बिल्कुल भी नहीं सो सका। मैं बड़े लाल अजगर के पागलपन भरे उत्पीड़न से न केवल बहुत अधिक नाराज था, बल्कि मैंने आगे के मार्ग को लेकर उलझन और परेशानी भी महसूस कर रहा था। ओह! पहले मैं सोचता था कि परमेश्वर पर विश्वास करना सरल है, कि मुझे केवल अपने शब्दों से परमेश्वर को स्वीकार करना था, अपने हृदय में उस पर विश्वास करना था, और अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए पूरी कोशिश करनी थी और मुझे परमेश्वर की प्रशंसा प्राप्त हो जायेगी। मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि मैं इस राह पर जितनी दूर चलूँगा यह उतनी अधिक कठिन हो जाएगी। जब मैं परमेश्वर पर विश्वास करने की अपनी कठिन यात्रा के कारण चिंतित और दुःखी महसूस कर रहा था, तभी उसके वचनों ने मुझे प्रबुद्ध किया: "लोग परमेश्वर में विश्वास करनेको गंभीरता से नहीं लेते और यह सर्वथा इसलिए है क्योंकि परमेश्वर में विश्वास करना उनके लिए बहुत अनजाना, बहुत अजीब है। इस प्रकार वे परमेश्वर की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरते। दूसरे शब्दों में, यदि लोग परमेश्वर और उसके कार्य को नहीं जानते, तो वे उसके इस्तेमाल के योग्य नहीं हैं, और उसकी इच्छा पूरी करने के योग्य तो बिलकुल भी नहीं। 'परमेश्वर में विश्वास' का अर्थ यह मानना है कि परमेश्वर है; यह परमेश्वर में विश्वास की सरलतम अवधारणा है। इससे भी बढ़कर, यह मानना कि परमेश्वर है, परमेश्वर में सचमुच विश्वास करने जैसा नहीं है; बल्कि यह मजबूत धार्मिक संकेतार्थों के साथ एक प्रकार का सरल विश्वास है। परमेश्वर में सच्चे विश्वास का अर्थ यह है: इस विश्वास के आधार पर कि सभी वस्तुओं पर परमेश्वर की संप्रभुता है, व्यक्ति परमेश्वर के वचनों और कार्यों का अनुभव करता है, अपने भ्रष्ट स्वभाव को शुद्ध करता है, परमेश्वर की इच्छा पूरी करता है और परमेश्वर को जान पाता है। केवल इस प्रकार की यात्रा को ही 'परमेश्वर में विश्वास' कहा जा सकता है" ("वचन देह में प्रकट होता है" की 'प्रस्तावना')। मैं उसके वचनों को पूर्ण रूप से समझने का प्रयास करते हुए शांति से बैठ गया। अंदर से, मैं धीरे—धीरे प्रकाश पा रहा था: हाँ, यह सच है कि परमेश्वर पर सच्चे विश्वास का अर्थ, इस विश्वास के आधार पर उसके वचनों और कार्यों का अनुभव करना है कि वह सभी चीज़ों पर संप्रभुता रखता है, ताकि हमें हमारे भ्रष्ट स्वभाव से मुक्त किया जा सके, हम परमेश्वर की इच्छा को पूरा कर सकें, और उसे जान सकें। केवल इस तरह का मार्ग तय करने के बाद ही हमें परमेश्वर पर विश्वास करने वाला कहा जा सकता है। यह उतना सरल बिल्कुल नहीं था जितना कि मैं सोचता था, कि मुझे केवल अपने शब्दों से उसे स्वीकार करने, दूसरों के साथ सभाएँ करना जारी रखने, परमेश्वर के वचनों को खाने और पीने, और अपना कर्तव्य पूरा करने की आवश्यकता है। मेरा इस प्रकार का विश्वास सिर्फ एक असपष्ट धार्मिक विश्वास था और इसमें परमेश्वर पर विश्वास का सार नहीं था। अगर मैंने अंत तक अनुसरण किया भी तो मैं संभवतः परमेश्वर की इच्छा को संतुष्ट नहीं कर सकत था, और न ही मैं उनकी प्रशंसा प्राप्त कर सकत था। मैंने पतरस के बारे में सोचा; परमेश्वर में उसके विश्वास में, उसने परमेश्वर के वचन को अपने रोज़मर्रा के जीवन में अनुभव करने हेतु लाने पर ज़ोर दिया था।चाहे जो भी हो जाये, वह परमेश्वर की इच्छा और अपेक्षाओं को संतुष्ट करने की कोशिश कर रहा था। चाहे वह न्याय और ताड़ना हो, परीक्षण और शुद्धिकरण हों, या विपत्ति और कष्ट झेलना और साथ ही अनुशासित किए जाना हो, वह हमेशा इसे स्वीकार करने और इसका पालन करने में समर्थ था। उससे, उसने सत्य की खोज की, अपने बारे में और परमेश्वर के बारे में ज्ञान की खोज की। कई वर्षों तक के उसके अनुसरण ने न केवल उसके स्वयं के स्वभाव में बदलाव लाया, बल्कि युगों तक में किसी भी अन्य की तुलना में उसे परमेश्वर का अधिक ज्ञान प्राप्त हुआ। पतरस का विश्वास सबसे अधिक परमेश्वर की इच्छा के अनुसार था, और यह सबसे अधिक मानक स्तर का था। किन्तु परमेश्वर में विश्वास करने का मेरा दृष्टिकोण बहुत ही सरल था। मैं सोचता था कि मुझे सिर्फ दूसरों के साथ सभा करना जारी रखना था, परमेश्वर के वचनों को खाना और पीना था, और अपना कर्तव्य पूरा करना था और मैं उसकी प्रशंसा प्राप्त करने में समर्थ हो जाता। मेरे विचारों और उन अविश्वासियों और धार्मिक लोगों के विचारों के बीच क्या अंतर है? अंत में, क्या यह भी व्यर्थ में नहीं था? केवल तभी मुझे पता चला कि परमेश्वर पर विश्वास करने के मेरे सभी वर्ष भ्रम में डूबे हुए थे। मुझे यह भी नहीं पता था कि परमेश्वर में विश्वास करने का क्या अर्थ होता है। यदि परमेश्वर का व्यावहारिक प्रकाशन और उसके वचनों की प्रबुद्धता और मार्गदर्शन नहीं होता, तो मैं अभी भी अपनी धारणाओं और कल्पनाओं में रहते हुए परमेश्वर का अनुसरण कर रहा होता। मैंने अभी तक यह नहीं देखा होता कि मैं वास्तव में एक धार्मिक विश्वासी हूँ जो केवल अपने तरीके का अनुसरण करता है। तब मैं थोड़ा भयभीत हो गया। मुझे एहसास हुआ कि यदि मैंने परमेश्वर के कार्य के अनुभव पर ध्यान केंद्रित किए बिना उसका अनुसरण करने, या सत्य का अनुसरण करने या व्यवहार में परिवर्तन पर ध्यान केन्द्रित करने के इस भ्रमित मार्ग पर चलना जारी रखा, तो अंत में मुझे परमेश्वर द्वारा निश्चित रूप से हटा दिया जाएगा। जब मैंने अपनी संकटपूर्ण परिस्थितियों को देखा, तो मैंने तुरंत परमेश्वर से प्रार्थना की: "हे परमेश्वर! तेरे प्रकाशनों और तेरी प्रबुद्धता के लिए तेरा धन्यवाद, जिन्होंने मुझे सत्य को समझने और परमेश्वर में मेरे विश्वास में त्रुटियों को पहचानने की अनुमति दी है। हे परमेश्वर! मैं पतरस के अभ्यासों के उदाहरण का पालन करने, जिस मार्ग को उसने लिया था उसका अनुसरण करने के लिए तैयार हूँ। चूँकि अब मैंने इस मार्ग को चुन लिया है, इसलिए इस बात की परवाह किए बिना कि सड़क कितनी जोखिम भरी है या मेरे सामने कितने खतरे घात लगाए बैठे हैं, मैं आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार हूँ। मैं कष्ट सहने की इच्छा रखने, तेरी योजनाओं और व्यवस्थाओं का पालन करने, और तेरे वचनों का सही अर्थ में अनुभव करने और मुझसे तेरी अपेक्षा के अनुसार कार्य करने के लिए तैयार हूँ ताकि मैं तेरा ऐसा सृजन बन सकूँ जो सच में तुझ पर विश्वास करता हो और तेरी आराधना करता हो।" प्रार्थना करने के बाद मुझे बहुत राहत मिली और मुझमें परमेश्वर के कार्य का अनुभव करने के लिए विश्वास आ गया।

अगले दिन, हम शैंडोन्ग के लिए एक ट्रेन पर चढ़े। शैंडोन्ग में हमारे गृहनगर में कुछ समय तक छुपने और साथ ही कुछ बाधाओं के बाद, पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन के तहत, हम अंततः कलीसिया के साथ संपर्क करने में समर्थ रहे, और हमने कलीसिया के अपने जीवन को फिर से शुरू किया। किन्तु बड़े लाल अजगर ने हमारे उत्पीड़न में ढील नहीं बरती। चाहे हम कहीं भी क्यों न जाते, हम हमेशा इसके प्रतिबंधों और बाधाओं के अधीन रहते थे। पुलिस अक्सर निवास परमिट का निरीक्षण करने के लिए आ जाती—कभी-कभी वे एक दिन में दो बार आते और बिल्कुल इस बात पर जोर देते थे कि हम अस्थायी निवास परमिट के लिए पंजीकरण कराएँ, अन्यथा वे हमें बाहर निकाल देंगे। इसलिए, घर बदलते रहना हमारे लिए एक आम बात बन गयी थी। बाद में, हम एक बड़े अपार्टमेंट परिसर में चले गए जहाँ कलीसिया के एक बड़े भाई के बेटे ने एक जगह किराए पर ली थी, इसलिए इस भाई ने वहाँ हमारी मेज़बानी की थी। किन्तु वहाँ हमें न केवल अस्थायी निवास परमिट के लिए पंजीकरण करना पड़ा था, बल्कि हमें एक प्रविष्टि और निर्गम परमिट भी रखना था अन्यथा हम आने-जाने में समर्थ नहीं होते, अंदर आने में तो बिल्कुल भी समर्थ नहीं होते। हमें अंदर छुपे रहना पड़ता था, हम बाहर नहीं जा सकते थे। तब भी, पुलिस ने हार नहीं मानी थी। वे अभी भी बार-बार निरीक्षण करते हुए हर दरवाजे पर जाते थे। इससे हमने देखा कि एक नास्तिक पार्टी के द्वारा शासित इस तानाशाह, विश्वासहीन देश में, परमेश्वर में विश्वास का हर मोड़ पर दमन और उत्पीड़न किया जाता था। यह सचमुच मूक असंतोष पैदा कर रहा था। विशेष रूप से 2008 के ओलंपिक के दौरान स्थिति बहुत तनावग्रस्त, बहुत कठोर हो गई थी। बड़े लाल अजगर ने जाल बिछाए हुए थे और पुलिस हर जगह सुरक्षा के लिए खड़ी थी। हालाँकि, इन्हीं परिस्थितियों में हमने परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता, बुद्धि और उसके अद्भुत कर्मों को देखा। यह परमेश्वर ही था जो सब कुछ आयोजित कर रहा था। हर बार जब अधिकारी निरीक्षण करना चाहते थे, तो परमेश्वर के आयोजन के अनुसार मुख्य द्वार की निगरानी करने वाला व्यक्ति आ कर हमारे बुजुर्ग भाई को बता देता था ताकि हम जल्दी से तैयार हो जाएँ और पहले से छुप जाएँ। एक बार ऐसा समय आया जब हम सभा के मध्य में थे तो पुलिस ने अचानक निरीक्षण किया। हमने बाहर कुत्तों को पागलों की तरह भौंकते सुना। निरीक्षण करने वाले लोग जबरदस्ती आँगन के रास्ते में घुस गए और बिजली के मीटर की जाँच के बहाने, वे हर जगह जा रहे थे, चारों ओर देख रहे थे, तलाशी ले रहे थे, पूछताछ कर रहे थे, और हमारे बुजुर्ग भाई को डरा रहे थे, जिन्होंने उन्हें भगाने के लिए परमेश्वर की बुद्धि का उपयोग किया। उनके चले जाने के बाद हम सब डर गए थे। सौभाग्य से हम सभी समय पर छुप गए थे—यदि उन्हें हम मिल जाते या परमेश्वर के वचनों की किताबें मिल जाती, तो परिणाम अकल्पनीय होता। मेरे हृदय में डर समा ही रहा था कि तभी परमेश्वर के ये वचन मेरे कानों में गूँजे: "किसी भी व्यक्ति, घटना या चीज़ के नियंत्रण में न रहो; अगर यह मेरी इच्छा के अनुरूप हो, तो मेरे वचनों के अनुसार इसका अभ्यास करो। डरो मत, क्योंकि मेरे हाथ तुम्हें सहारा देते हैं, और मैं तुम्हें सभी दुष्टों से दूर रखूँगा" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 28)। "हिम्मत से काम लो! बस, अपने सिर उठाए रखो! डरो मत : मैं—तुम लोगों का पिता—तुम लोगों की सहायता के लिए यहाँ मौजूद हूँ, और तुम लोग पीड़ित नहीं होगे। जब तक तुम अकसर मेरे सामने प्रार्थना और अनुनय करते हो, तब तक मैं तुम लोगों पर पूरा विश्वास रखूँगा। सत्ता में रहने वाले लोग बाहर से दुष्ट लग सकते हैं, लेकिन डरो मत, क्योंकि ऐसा इसलिए है कि तुम लोगों में विश्वास कम है। जब तक तुम लोगों का विश्वास बढ़ता रहेगा, तब तक कुछ भी ज्यादा मुश्किल नहीं होगा। प्रसन्न रहो और जी भरकर उछलो! सब-कुछ तुम लोगों के पैरों-तले और मेरी पकड़ में है। क्या सिद्धि या विनाश मेरे एक वचन से तय नहीं होता?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 75)। परमेश्वर के वचनों ने मुझे शर्मिंदा कर दिया। यह सच था। क्या इस दुनिया में सभी लोग, घटनाएँ, और चीज़ें परमेश्वर के आयोजनों और व्यवस्थाओँ के भीतर नहीं हैं? क्या वे उसके विचारों के अनुसार, पलटती, फिर से नयी और परिवर्तित नहीं होती हैं? बड़ा लाल अजगर भी परमेश्वर के हाथों में एक प्राणी है। चाहे वह कितना भी वहशी हो, वह उसके शासन से बच कर निकल नहीं सकता है। यदि वो इसे नष्ट करना चाहे, तो क्या उसे केवल एक वचन ही नहीं कहना है? परमेश्वर ने इसे नष्ट नहीं किया है, बल्कि उसने इसे थोड़े समय के लिए इसके वहशीपन की अनुमति दी है। यह हमें आत्मविश्वास और बहादुरी देने के लिए है, और यह हमें हमारे अनुभवों के माध्यम से परमेश्वर की बुद्धि, सर्वशक्तिमत्ता और अद्भुत कर्मों को जानने देने के लिए है। यह हमें बड़े लाल अजगर को इसके दमन में उसकी दुष्ट, प्रतिक्रियात्मक प्रकृति और साथ ही उसके कुरूप चेहरे को बेहतर ढंग से पहचानने देने के लिए भी है, ताकि हम इसस नफ़रत करें, इसे अस्वीकार करें, इसका साथ छोड़ दें, और इसे अपने हृदय की गहराई से शाप दें। परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन और नेतृत्व के तहत, न केवल मैं अब और डरपोक और भयभीत नहीं था, बल्कि मैं परमेश्वर के लिए कृतज्ञता से भरा था। मैं इस परिवेश के भीतर आज्ञाकारी होने और बड़े लाल अजगर के साथ संघर्ष करने, स्वयं परमेश्वर के द्वारा प्रशिक्षण और सिद्धता को स्वीकार करने, सत्य को और अधिक समझने और प्राप्त करने की कोशिश करने का इच्छुक था। बाद के कुछ महीनों में, स्थानीय पुलिस हर महीने दो या तीन अचानक दौरे करती थी ताकि हम उनके लिए तैयार न रह पाएँ। किन्तु इन भयानक परिस्थितियों में हम परमेश्वर की देखभाल और संरक्षण के तहत बार-बार उनकी नज़रों के बच निकलने में समर्थ थे। हमेशा बाल-बाल बच जाते थे, और हालात मुश्किल से सही निकलते थे। इन अनुभवों के बाद, मैं अपने हृदय की गहराई में परमेश्वर के लिए बस सच्चा आभार और प्रशंसा ही महसूस नहीं सकता था। मैंने सोचा: "हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर! तू वास्तव में ब्रह्मांड का प्रभु है जो सभी चीज़ों का प्रभारी है। तेरे अद्भुत कर्म हर जगह हैं और मेरे वास्तविक अनुभवों के माध्यम से मुझे न केवल तेरी सर्वशक्तिमत्ता और बुद्धि का स्वाद मिला है, बल्कि मैंने देखा है कि तू मेरा सबसे मजबूत समर्थक है, तू मेरा आश्रय है और मैंने देखा है कि बड़ा लाल अजगर एक कागजी शेर के सिवाय और कुछ नहीं है। बाहर से देखने पर यह पंजे और दाँत युक्त और भयानक रूप से रोबीला है, किन्तु जब यह तेरा सामना करता है, तो यह बहुत दुर्बल और सामर्थ्यहीन है—यह एक झटके का सामना भी नहीं कर सकता है। यह तेरे नियत-कार्यों और आयोजनों का केवल आज्ञाकारी ढंग से पालन कर सकता है। जब तक मुझमें विश्वास है तब तक मैं अंधकार की सभी शक्तियों पर विजय पा सकता हूँ। हे परमेश्वर! यद्यपि मैं अभी इस राक्षस-नियंत्रित देश में हूँ, फिर भी मैं किसी भी व्यक्ति, घटना, या चीज़ की बाध्यतों के अधीन नहीं होऊँगा। मैं केवल तेरी जीत की गवाही के रूप में कार्य करने के लिए अंधकार के उत्पीड़न से उठूँगा, इस गंदी जगह में खड़ा होऊँगा।"

बड़े लाल अजगर द्वारा पीछा किए जाने की भयावह परिस्थितियों में, मुझे गहरा अनुभव हुआ कि ये सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन थे जो हर परीक्षण में मेरी अगुआई कर रहे थे, और शैतान के परीक्षणों में बार-बार मुझे जीतने में सहायता कर रहे थे। यह परमेश्वर का महान अनुग्रह और संरक्षण था जो आज मुझे यहाँ तक लाया था। मैंने जिस राह पर चलना शुरू किया है उसके बारे में विचार करूँ तो, मैंने बड़े लाल अजगर के उत्पीड़न और पीछा किए जाने का सामना किया है, मैं घर लौटने में असमर्थ रहा हूँ और घर से हटा दिया गया हूँ, मैंने एक आवारा मनुष्य का जीवन जीया है, और मेरे पास कोई "गर्म घोंसला" नहीं था जैसा संसारिक लोगों के पास होता है और न ही उनकी तरह से प्रसन्नचित रहने या इतना इत्मीनान भरा जीवन जीने में समर्थ रहा हूँ। और बड़े लाल अजगर के उत्पीड़न के कारण, मेरे हृदय ने काफ़ी दुःख और पीड़ा को झेला है। लेकिन, क्योंकि मैंने इन कड़वी परिस्थितियों का अनुभव किया है, इसलिए मैंने जीवन की संपत्ति अर्जित की है। बड़े लाल अजगर के उत्पीड़न का सामना करके, मैं अपने स्वयं के स्वार्थी और निंदनीय स्वभाव को पहचान गय था। मैंने देखा कि मैं वास्तव में परमेश्वर में विश्वास या उससे प्रेम नहीं करता था। बड़े लाल अजगर द्वारा मेरे उत्पीड़न के अनुभव के माध्यम से, मैं उसकी विश्वासघाती, निंदनीय और दुष्ट प्रकृति को पहचान गया था। उस पृष्ठभूमि के विरुद्ध मुझे परमेश्वर की धार्मिकता, सच्चाई, प्रकाश और अच्छाई के सार के बारे में अधिक समझ आ गई थी। बड़े लाल अजगर द्वारा उत्पीड़न के उस अनुभव के माध्यम से मुझे अपने असपष्ट और अनिश्चित विश्वास के बारे में पता चला और मुझे परमेश्वर में विश्वास करने का सही अर्थ और मूल्य समझ में आया। उस उत्पीड़न के माध्यम से मुझे परमेश्वर की बुद्धि और सर्वशक्तिमत्ता और उसके अद्भुत कर्मों के बारे में और अधिक समझ प्राप्त हुई, और मैंने बड़े लाल अजगर के क्रूर, दुष्ट और प्रतिक्रियात्मक सार को भी समझा जो कि परमेश्वर के प्रति शत्रुतापूर्ण है। मैंने स्पष्ट रूप से देखा कि यह कैसे लोगों को भ्रष्ट करता है, उन्हें धोखा देता है, और उन्हें नुकसान पहुँचाता है। इस कारण मुझमें इसके लिए गहरी नफ़रत विकसित हुई, और मैं शैतान के भ्रष्ट स्वभाव से पीछा छुड़ाने, बड़े लाल अजगर की ओर पूरी तरह से अपनी पीठ करने में समर्थ होने, और वास्तविक मनुष्य की तरह जीने और परमेश्वर के हृदय को संतुष्ट करने के लिए परमेश्वर के वचनों पर भरोसा करने के लिए तैयार था। यह परमेश्वर का व्यावहारिक कार्य था जिसने मुझे जीवन के ऐसे समृद्ध भोज का स्वाद लेने की अनुमति दी थी। इसने न केवल मेरे इस हृदय को जागृत कर दिया था जिसे बड़े लाल अजगर के द्वारा लंबे समय से सुन्न कर दिया गया था, बल्कि इसने मुझे जीवन की कई महान संपत्तियों को प्राप्त करने दिया, और इससे पहले कि मुझे पता चलता मैं परमेश्वर में विश्वास करने के उचित मार्ग पर कदम रख चुका था। मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर को हार्दिक धन्यवाद देता हूँ और उसकी प्रशंसा करता हूँ!

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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