अध्याय 28
जब तुम देखो कि समय इस तरह भाग रहा है और पवित्र आत्मा का काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, जिससे तुम्हें ऐसे महान आशीष प्राप्त हुए हैं और ब्रह्मांड के राजा, चमकते हुए सूर्य, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का स्वागत करने का तुम्हें अवसर मिला है—यह सब मेरा अनुग्रह और दया है। ऐसा और क्या है जो तुम्हें मेरे प्यार से दूर कर सके? सावधानी से विचार करो, बचने की कोशिश न करो, हर पल मेरे सामने शांति से प्रतीक्षा करो और हमेशा बाहर न भटको। तुम्हारा दिल मेरे दिल के करीब रहना चाहिए, और चाहे कुछ हो जाए, आँख मूंदकर या मनमाने ढंग से कार्य न करो। तुम्हें मेरी इच्छा पूरी करने की कोशिश करनी चाहिए, जो कुछ भी मैं चाहूँ वही करना और जो मैं नहीं चाहता उसे त्यागने के लिए दृढ़ रहना चाहिए। तुम्हें अपनी भावनाओं के आधार पर कार्य नहीं करना चाहिए, बल्कि मेरी तरह धार्मिकता का अभ्यास करना चाहिए; यहाँ तक कि अपने माता-पिता के प्रति भी कोई भावुकता नहीं रखनी चाहिए। जो सत्य के अनुरूप न हो, उसका त्याग कर दो, ऐसे शुद्ध हृदय से जो मुझसे प्रेम करता है, तुम स्वयं को मुझे अर्पित कर दो और खुद को मेरे लिए खपाओ। किसी भी व्यक्ति, घटना या चीज़ के आगे बेबस न रहो; अगर यह मेरी इच्छा के अनुरूप हो, तो मेरे वचनों के अनुसार इसका अभ्यास करो। डरो मत, क्योंकि मेरे हाथ तुम्हें सहारा देते हैं, और मैं तुम्हें सभी बुरे लोगों से दूर रखूँगा। तुम्हें अपने दिल की रक्षा करनी चाहिए, हमेशा मेरे भीतर रहना चाहिए; क्योंकि तुम्हारा जीवनयापन स्वयं मुझ पर निर्भर है। यदि तुम मुझे छोड़ दोगे तो तुम तुरंत मुरझा जाओगे।
तुम्हें पता होना चाहिए कि ये अंत के दिन हैं। दानव और शैतान, दहाड़ते हुए शेर की तरह घूम रहे हैं और ऐसे लोगों की तलाश कर रहे हैं जिन्हें वे फाड़ खाएँ। सभी तरह की महामारियाँ हो रही हैं और हर प्रकार की अनेक बुरी आत्माएं उपस्थित हैं। केवल मैं ही सच्चा परमेश्वर हूँ; केवल मैं ही तुम्हारा आश्रय हूँ। अब तुम केवल मेरे गुप्त स्थान पर, केवल मुझमें छिपने के अलावा कुछ नहीं कर सकते, और तुम पर आपदाएं नहीं आएंगी और कोई भी आफ़त तुम्हारे घर के पास नहीं पहुंचेगी। तुम्हें अधिक बार मेरे अधिक निकट आना चाहिए, मेरे गुप्त स्थान में मेरे साथ सहभागिता करनी चाहिए; अन्य लोगों के साथ ढीलेपन से सहभागिता मत करो। तुम्हें मेरे वचनों में निहित अर्थ को समझना चाहिए—मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि तुम्हें सहभागिता करने की अनुमति नहीं है, केवल इतना कि अभी भी तुम्हारे अंदर विवेक नहीं है। इस समय, दुष्ट आत्माओं का काम अनियंत्रित रूप से चल रहा है। वे तुम्हें सहभागिता देने के लिए हर प्रकार के लोगों का इस्तेमाल करती हैं। उनके शब्द बहुत सुखद लगते हैं, लेकिन उनके भीतर विष भरा है। वे चीनी में लिपटी बंदूक की गोलियां हैं और इससे पहले कि तुम्हें समझ में आए, वे अपना विष तुम्हारे भीतर डाल देंगी। तुम्हें पता होना चाहिए कि आज अधिकांश लोग अस्थिर हैं, मानो वे नशे में हों। जब तुम अपने जीवन की कठिनाइयों के बारे में दूसरों के साथ सहभागिता करते हो, तो वे तुम्हें केवल नियम और सिद्धांत बताते हैं, और यह मेरे साथ सीधे सहभागिता करने के समान लाभदायक नहीं है। मेरे पास आओ और पूरी तरह से अपने भीतर की पुरानी चीज़ें बाहर निकाल दो; अपना दिल मेरे सामने खोलो, मेरा दिल निश्चित रूप से तुम्हारे लिए प्रकट होगा। तुम्हारा दिल मेरे सामने एकाग्रचित्त होना चाहिए। आलसी मत बनो, बल्कि अक्सर मेरे करीब आओ—तुम्हारे जीवन के विकास के लिए यह सबसे तेज़ तरीका है। तुम्हें मेरे भीतर रहना चाहिए और मैं तुम्हारे भीतर रहूँगा, मैं तुम्हारे भीतर राजा की तरह रहूँगा, सभी चीज़ों में तुम्हारा मार्गदर्शन करूँगा, और राज्य का एक हिस्सा तुम्हारा होगा।
अपने आप को इसलिए कम मत समझो क्योंकि तुम कम उम्र हो; तुम्हें अपने आप को मुझे अर्पित कर देना चाहिए। मैं यह नहीं देखता कि लोग सतही तौर पर कैसे दिखते हैं या उनकी उम्र कितनी है। मैं केवल यह देखता हूँ कि वे मुझे ईमानदारी से प्यार करते हैं या नहीं, वे मेरे मार्ग का पालन करते हैं या नहीं, और अन्य सभी चीज़ों को अनदेखा करके सत्य का अभ्यास करते हैं या नहीं। यह चिंता न करो कि कल कैसा होगा या भविष्य कैसा रहेगा। अगर तुम हर दिन को जीने के लिए मुझ पर निर्भर रहोगे, तो मैं निश्चित रूप से तुम्हारी अगुवाई करूंगा। इसी विचार पर टिके न रहो “मेरा जीवन बहुत छोटा है, मुझे कुछ भी समझ में नहीं आता,” यह शैतान द्वारा भेजा गया विचार है। तुम्हें हर समय मेरे निकट आने के लिए केवल अपने दिल का उपयोग करना है, मार्ग के अंत तक मेरा अनुसरण करना है। जब तुम फटकार और चेतावनी के मेरे वचनों को सुनो, तो फ़ौरन जागो और आगे दौड़ो; बिना रुके मेरे करीब आओ, झुंड से कदम मिलाकर चलो और अपनी नज़रें आगे रखो। मेरी उपस्थिति में, तुम्हें पूरे दिल और आत्मा से अपने परमेश्वर से प्यार करना चाहिए। सेवा के मार्ग पर मेरे वचनों पर और अधिक विचार करो। सत्य का अभ्यास करते समय, कमज़ोर दिल के न बनो, मज़बूत दिल के बनो, मर्द के बच्चे का संकल्प और हिम्मत रखो; एक शक्तिशाली हृदय रखो। यदि तुम मुझसे प्यार करना चाहते हो, तो तुम्हें उन सभी चीज़ों के साथ मुझे संतुष्ट करना चाहिए जो मैं तुम में करना चाहता हूँ। यदि तुम मेरा अनुसरण करना चाहते हो, तो तुम्हें वो सब छोड़ देना चाहिए जो भी तुम्हारे पास है, तुम जिसे भी प्यार करते हो; तुम्हें मेरे सामने विनम्रता से, एक सरल मन से समर्पण कर देना चाहिए, लापरवाही से शोध या विचार न करो; बल्कि पवित्र आत्मा के काम के साथ बने रहो।
यहाँ मैं तुम्हें एक सलाह दूँगा : मैं जो भी प्रबुद्धता तुम्हें देता हूँ, निश्चित तौर पर उसे मज़बूती से पकड़कर रखो और पक्के तौर पर उसका अभ्यास करो!