876 परमेश्वर द्वारा मनुष्य की पीड़ा को अनुभव किये जाने का गहरा अर्थ है

1 कार्य के ये दो चरण जो देहधारी परमेश्वर ने इस तरह से पूरे कर लिए हैं, बिलकुल सही हैं। इसका अर्थ है कि जो कार्य इन दो चरणों में पूरा हुआ है, पहले देहधारण से लेकर वर्तमान देहधारण तक, उसने मनुष्य के जीवन की समस्त पीड़ा का समाधान कर दिया है, साथ लोगों की निजी पीड़ा का भी। मनुष्य जीवनभर जन्म, मृत्यु, बीमारी और वृद्धावस्था के कारण जो कुछ सहता है, उसका स्त्रोत क्या है? जब मनुष्य को पहली बार सृजित किया गया था तब ये चीजें नहीं थीं। वे तब अस्तित्व में आयीं जब शैतान ने इंसान को प्रलोभन दिया और उनकी देह पतित हो गयी। मानवीय देह की पीड़ा, उसकी यंत्रणा और उसका खोखलापन साथ ही मानवीय दुनिया की दयनीय दशा, ये सब तभी आए जब शैतान ने मानवजाति को भ्रष्ट कर दिया। शैतान के हाथ से उन्हें वापस लाने और उन्हें एक अद्भुत गंतव्य प्रदान करने के लिए, परमेश्वर को स्वयं इस कष्ट का अनुभव करना पड़ा।

2 जब प्रभु यीशु ने देहधारण किया और वह अनुग्रह का युग लेकर आया, तो वह मानवता के लिए दया और प्रेम लाया। उसके बाद उसे क्रूस पर चढ़ा दिया गया, इस प्रकार उसने इंसान के सभी पापों को माफ कर दिया और उन्हें छुटकारा दिला दिया। हालाँकि मनुष्यों को उनके पापों के लिए क्षमा कर दिया गया था, लेकिन वे शैतान द्वारा गहराई से भ्रष्ट कर दिए गए हैं और उनका स्वभाव पापी हो गया है; वे अभी भी पाप करते हैं और परमेश्वर का विरोध करते हैं। अभी भी मन या प्राण की कुछ ऐसी चीज़ें लोगों के भीतर होती हैं जो शैतान के द्वारा नियंत्रित की जा सकती हैं और वह चालाकी से इनसे काम निकाल सकता है। यही कारण है कि तुम बीमार पड़ जाते हो, परेशान हो जाते हो और आत्महत्या कर सकते हो, और कभी-कभी तुम यह भी महसूस कर सकते हो कि दुनिया वीरान है, या कि जीवन का कोई अर्थ नहीं है। ये मानवीय पीड़ाएं अभी भी शैतान के आदेश के अधीन है; यह मनुष्य की घातक कमज़ोरियों में से एक है।

3 शैतान अभी भी उन चीज़ों का उपयोग करने में सक्षम है जिन्हें इसने भ्रष्ट किया और रौंदा है; ये वे हथियार हैं जिन्हें शैतान मानवता के विरुद्ध उपयोग कर सकता है। इसलिये, अंत के दिनों में न्याय का कार्य करने के लिये परमेश्वर ने फिर से देहधारण किया है और जीतने का कार्य पूरा करने के लिये उसे मानवजाति की ओर से पीड़ा सहन करनी होगी। देहधारी परमेश्वर पीड़ा सहन करने के द्वारा मूल्य अदा करके, मानवजाति की घातक कमज़ोरी का समाधान करेगा। मानवीय पीड़ा का स्वाद चखकर मनुष्य को वापस अपने पास लाने के बाद, शैतान के पास अब ऐसा कुछ भी नहीं होगा जिसे वह मनुष्य के ख़िलाफ़ इस्तेमाल कर सके और इस तरह मानवजाति पूरी तरह से परमेश्वर की ओर मुड़ जाएगी। इसके बाद ही मनुष्यों को पूरी तरह से परमेश्वर का माना जा सकता है। इस प्रकार, देहधारी परमेश्वर का दुनिया भर की पीड़ा का अनुभव करना और मानवता की ओर से इस पीड़ा को सहन करना कोई अनावश्यक कार्य नहीं है; यह अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है।

—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, परमेश्वर द्वारा जगत की पीड़ा का अनुभव करने का अर्थ से रूपांतरित

पिछला: 875 मनुष्य के स्थान पर कष्ट झेलने के लिए परमेश्वर के देहधारण का महत्व

अगला: 877 मनुष्य को बचाने के लिए परमेश्वरघोर अपमान सहता है

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

संबंधित सामग्री

420 सच्ची प्रार्थना का प्रभाव

1ईमानदारी से चलो,और प्रार्थना करो कि तुम अपने दिल में बैठे, गहरे छल से छुटकारा पाओगे।प्रार्थना करो, खुद को शुद्ध करने के लिए;प्रार्थना करो,...

610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को,क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,इसमें न उसका स्वार्थ था, न...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें