688 परमेश्वर जो भी करता है, वह सब इंसान को बचाने के लिए होता है
1 परमेश्वर हर एक व्यक्ति में कार्य करता है, और इससे फर्क नहीं पड़ता है कि उसकी विधि क्या है, सेवा करने के लिए वो किस प्रकार के लोगों, चीज़ों या मामलों का प्रयोग करता है, या उसकी बातों का लहजा कैसा है, परमेश्वर का केवल एक ही अंतिम लक्ष्य होता है : तुम्हें बचाना। तुम्हें बचाने से पहले, उसे तुम्हें रूपांतरित करना है, तो तुम थोड़ी-सी पीड़ा कैसे नहीं सह सकते? तुम्हें पीड़ा तो सहनी होगी। इस पीड़ा में कई चीजें शामिल हो सकती हैं। कभी-कभी परमेश्वर तुम्हें उजागर करने के लिए, तुम्हारे आसपास के लोगों, मामलों, और चीज़ों को उठाता है, ताकि तुम खुद को जान सको या फिर सीधे तुम्हारे साथ निपटा जा सके, तुम्हारी काट-छाँट करके तुम्हें उजागर किया जा सके। ऑपरेशन की मेज़ पर पड़े किसी व्यक्ति की तरह—अच्छे परिणाम के लिए तुम्हें कुछ दर्द तो सहना होगा।
2 यदि जब भी तुम्हारी काट-छाँट होती है और तुमसे निपटा जाता है और जब भी वह लोगों, मामलों, और चीज़ों को उठाता है, इससे तुम्हारी भावनाएँ जागती हैं और तुम्हारे अंदर जोश पैदा होता है, तो यह इसे अनुभव करने का सही तरीका है, तुम्हारा आध्यात्मिक कद होगा और तुम सत्य-वास्तविकता में प्रवेश करोगे। यदि, हर बार काटे-छांटे जाने, निपटारा किए जाने, और हर बार परमेश्वर द्वारा तुम्हारे परिवेश को ऊपर उठाये जाने पर तुम्हें थोड़ी-भी पीड़ा या असुविधा महसूस नहीं होती और कुछ भी महसूस नहीं होता, यदि तुम परमेश्वर के सामने उसकी इच्छा की तलाश नहीं करते, न प्रार्थना करते हो, न ही सत्य की खोज करते हो, तब तुम वास्तव में बहुत संवेदनहीन हो! यदि कोई व्यक्ति बहुत अधिक संवेदनहीन है, और कभी भी आध्यात्मिक रूप से सचेत नहीं रहता, तो परमेश्वर के पास उस पर कार्य करने का कोई रास्ता नहीं होगा।
3 यदि परमेश्वर तुम्हारे लिए विशेष परिवेशों, लोगों, चीज़ों और वस्तुओं की व्यवस्था करता है, यदि वह तुम्हारी काट-छाँट और तुम्हारे साथ व्यवहार करता है और यदि तुम इससे सबक सीखते हो, यदि तुमने परमेश्वर के सामने आकर सत्य की तलाश करना सीख लिया है, अनजाने में, प्रबुद्ध और रोशन हुए हो और तुमने सत्य को प्राप्त कर लिया है, यदि तुमने इन परिवेशों में बदलाव का अनुभव किया है, पुरस्कार प्राप्त किए हैं और प्रगति की है, यदि तुम परमेश्वर की इच्छा की थोड़ी-सी समझ प्राप्त करना शुरू कर देते हो और शिकायत करना बंद कर देते हो, तो इन सबका मतलब यह होगा कि तुम इन परिवेशों के परीक्षण के बीच में अडिग रहे हो, और तुमने परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है। इस तरह से तुमने इस कठिन परीक्षा को पार कर लिया होगा।
—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, सत्य प्राप्त करने के लिए अपने आसपास के लोगों, मामलों और चीज़ों से सीखना चाहिए से रूपांतरित