हाय उन पर जो परमेश्वर को पुनः क्रूस पर चढ़ाते हैं
अंतिम दिनों में, परमेश्वर ने कार्य करने के लिए चीन में देह धारण किया, और लाखों वचनों को व्यक्त किया, अपने वचनों से लोगों के समूह का दिल जीता, और उन्हें बचाया और परमेश्वर के घर से शुरुआत करके न्याय के नए युग का परिचय करवाया। आज, अंतिम दिनों के परमेश्वर के कार्यों का प्रसार चीन के मुख्य भूभाग में अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया है। कैथोलिक समुदाय और सभी ईसाई संप्रदायों के सत्य की खोज करने वाले अधिकतर लोग परमेश्वर की सत्ता के समक्ष लौट आए हैं। देहधारी परमेश्वर ने बाइबल में की गई भविष्यवाणी "मनुष्य के पुत्र का रहस्यमयी तरीके से आगमन" को पूरा किया और जल्दी ही सार्वजनिक रूप से दुनिया के प्रत्येक देश और स्थान में प्रकट होंगे। प्रत्येक देश और जगह के लोग जिनमें परमेश्वर की उपस्थिति की प्यास है वे परमेश्वर के सार्वजनिक प्रकटन पर नजर रखेंगे। कोई भी शक्ति परमेश्वर के राज्य में बाधक नहीं बन सकती है या उसे नष्ट नहीं कर सकती है और कोई भी जो परमेश्वर का विरोध करता है वह परमेश्वर के क्रोध का दण्ड भुगतेगा, जैसा कि परमेश्वर के वचनों में कहा गया है: "मेरा राज्य समस्त ब्रह्माण्ड के ऊपर आकार ले रहा है, और मेरा सिंहासन खरबों लोगों के हृदयों में प्रभुत्व वाला हो रहा है। स्वर्गदूतों की सहायता से, मेरी महान उपलब्धि शीघ्र ही फलित हो जाएगी। मेरे सभी पुत्र और लोग, मेरे साथ उनके फिर से एक होने, और फिर कभी अलग न होने की चाहना करते हुए, साँस रोक कर मेरे आगमन की प्रतीक्षा करते हैं। मेरे राज्य की असंख्य आबादी, मेरे उनके साथ होने की वजह से, हर्षित उत्सव में एक दूसरे की ओर क्यों नहीं भाग सकती है? क्या यह कोई ऐसा पुनर्मिलन हो सकता है जिसके लिए कोई कीमत चुकाने की आवश्यकता नहीं है? मैं सभी मनुष्यों की नज़रों में सम्मानित हूँ, सभी के वचनों में मेरी घोषणा होती है। जब मैं लौटूँगा, तब मैं शत्रु की सभी ताक़तों को और भी अधिक जीतूँगा। समय आ गया है! मैं अपने कार्य को गति दूँगा, मैं मनुष्यों के बीच राजा के रूप में शासन करूँगा! मैं लौटने के बिन्दु पर हूँ! और मैं प्रस्थान करने ही वाला हूँ! यही है वह जिसकी हर कोई आशा कर रहा है, यही है वह जिसकी वे अभिलाषा करते हैं? मैं संपूर्ण मानवजाति को मेरे दिन के आगमन को देखने दूँगा और मेरे दिन के आगमन का स्वागत करने दूँगा" (सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के लिये परमेश्वर के कथन "वचन देह में प्रकट होता है" के "सत्ताईसवाँ कथन")। "वे सभी जिनसे मैं प्रेम करता हूँ वे निश्चय ही अनन्त काल तक जीवित रहेंगे, और वे सभी जो मेरे विरूद्ध खड़े होते हैं उन्हें निश्चय ही मेरे द्वारा अनन्त काल तक ताड़ना दी जाएगी। क्योंकि मैं एक ईर्ष्यालु परमेश्वर हूँ, मैं उन सब के कारण जो मनुष्यों ने किया है उन्हें हल्के में नहीं छोडूँगा। मैं पूरी पृथ्वी पर निगरानी रखूँगा, और, संसार की पूर्व दिशा में धार्मिकता, प्रताप, कोप और ताड़ना के साथ प्रकट हो जाऊँगा, और मैं मानवता के असंख्य मेज़बानों पर स्वयं को प्रकट करूँगा!" (सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के लिये परमेश्वर के कथन "वचन देह में प्रकट होता है" के "छब्बीसवाँ कथन")।
परमेश्वर के असाधारण कार्य ने सभी यीशु विरोधियों, झूठे पैगम्बरों और धोखेबाजों को प्रकट कर दिया है। इसने उन झूठे आस्तिकों का पर्दाफ़ाश किया जो केवल परमेश्वर की कृपा पाना, रोटी खाना और अपनी तुष्टि चाहते हैं। परमेश्वर के न्यायी वचन एक तीक्ष्ण, दोधारी तलवार की तरह हैं जो मनुष्य के हृदय और आत्मा को भेदता है, घृणा करने वालों को फटकार लगाता है, पवित्र शब्दों का तिरस्कार करने वालों, और सच्चाई पसंद न करने वाले लोगों का असली रूप दिखाता है।
कार्य के लिए रहस्यमय आगमन के दौरान परमेश्वर द्वारा उल्लिखित वचनों में, हम परमेश्वर के प्रति मनुष्य के प्रतिरोध और परमेश्वर के प्रति विद्रोह की सच्चाई का अवलोकन करते हैं और, जो मुख्य रूप से तीन पहलुओं में प्रकट होती है:
1. मनुष्य अक्सर पाप करते हैं और परमेश्वर के प्रति विरोध और विद्रोह करते हैं वे ऐसा केवल इसलिए करते हैं क्योंकि, शैतान द्वारा लोगों के भ्रष्ट बन जाने के बाद, उनकी प्रकृति पर शैतान के विभिन्न विषों का कब्जा हो जाता है और वे ऐसा बन जाते हैं कि परमेश्वर के प्रति विरोध और विद्रोह करने लगते हैं। इस प्रकार वे प्रतिदिन पाप करते हैं, और अकसर अपने पापों को कबूल करते हैं, लेकिन वे फिर भी अपनी शैतानी प्रकृति के बंधन और बेड़ियों से मुक्त नहीं हो पाते हैं। परमेश्वर के प्रति विद्रोह करने वाले मनुष्य की प्रकृति उसके पाप की जड़ है।
2. मनुष्य जाति शैतान द्वारा पूरी तरह से भ्रष्ट कर दी गई है। लोगों का हृ्दय कुछ नहीं बस शैतान के दर्शन, शैतान के जीवन के नियम, और शैतान के सोचने के तरीके से भरा होता है, उन्हें यह समझने या जानने में असमर्थ बना देता है कि परमेश्वर का वचन ही सत्य है। पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता और प्रकाश के बिना, मनुष्य सत्य स्वीकार करने में असमर्थ होता है। भले ही भ्रष्ट मनुष्य भी परमेश्वर में विश्वास करते हैं, लोग केवल यह स्वीकार करते हैं कि परमेश्वर है; वे यह स्वीकार नहीं करते हैं कि परमेश्वर ही सत्य है। इसलिए, भ्रष्ट मनुष्य अक्सर परमेश्वर के बारे में अपना निर्णय देते हैं, परमेश्वर पर आक्रमण करते हैं, परमेश्वर का विरोध करते हैं और परमेश्वर के प्रति विद्रोह करते हैं।
3. मनुष्य जाति शैतान द्वारा बहुत अधिक गहराई से भ्रष्ट कर दी गई है। परमेश्वर में बहुत वर्षों से विश्वास करने वाले लोग भी कभी परमेश्वर को उनके न्याय और अनुशासन, या मनुष्य शरीर द्वारा मुक्ति के कार्य को समझे बिना नहीं जान पाएंगे। परमेश्वर के प्रति उनके विश्वास में, वे केवल परमेश्वर की कृपा का आनंद ले सकते हैं और स्वीकार कर सकते हैं कि परमेश्वर का वास्तव में अस्तित्व है। वे परमेश्वर को असल में नहीं जान सकते हैं। उनमें केवल धार्मिक सिद्धांत और विचार भरे जा सकते हैं, जिससे वे और अधिक अभिमानी और आत्मतुष्ट बन जाते हैं, और यहां तक कि परमेश्वर का न्याय करने, परमेश्वर की निंदा करने और परमेश्वर के कार्य की निंदा करने का भी साहस करते हैं। ये चीजें नई नहीं हैं, लेकिन धार्मिक दुनिया में अक्सर होती रहती हैं, जिसके कारण लोगों में गंभीर आत्मचिंतन की जरूरत पड़ती है, और यीशु के वचनों को पूरी तरह से पूर्ण करती है: "जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, 'हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्चर्यकर्म नहीं किए?' तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, 'मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ'" (मत्ती 7:21-23)। हम सभी ने स्पष्ट रूप से देखा है कि धार्मिक दुनिया में, बहुत सारे लोग ईश्वर के नाम पर कार्य करते हैं लेकिन परमेश्वर के अंतिम दिनों के कार्यों का विरोध करते हैं और उसकी निंदा करते हैं। वे सभी लोग जो परमेश्वर में विश्वास करते हैं, लेकिन केवल स्वीकार करते हैं कि परमेश्वर है और नहीं जानते हैं कि परमेश्वर ही सत्य है, वे परमेश्वर का विरोध करने, परमेश्वर के प्रति आक्रमण करने और परमेश्वर के प्रति निंदा करने के संभाव्य होते हैं। बाइबिल और कुछ धार्मिक सिद्धांतों का ज्ञान होने के कारण, वे विश्वास करते हैं कि सत्य के अधीन हैं और परमेश्वर को जानते हैं। यहां तक कि वे पवित्र आत्मा की भी निंदा करते हैं और अवतारी मसीह को चुनौती देते हैं। उनके लिए केवल एक चीज नियत है, और वह है परमेश्वर का नेक होना, भव्य होना और उसका क्रोध भरा फैसला और अनुशासन। परमेश्वर के सार्वजनिक आगमन के दिन, सब कुछ प्रकट हो जाएगा!
विभिन्न स्थानों पर सुसमाचार का प्रचार करने वाले लोगों से, हमने अक्सर सुना है कि कई लोग जिन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य का कभी विरोध किया, या जिन्होंने लोगों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर की स्वीकार्यता में हस्तक्षेप या बाधित किया, वे विभिन्न श्रेणियों में दंडित और शापित किए गए। ऐसा कहा जा सकता है कि इसने, कुछ हद तक, हमारे सुसमाचार के कार्य में एक सकारात्मक प्रेरणादायक भूमिका निभाई। ऐसी जानकारी सुनने के बाद, हम स्वयं को परमेश्वर की नेकी की सराहना करने से रोक नहीं सके; इससे कहीं अधिक, हमने परमेश्वर को हमारी प्रार्थनाएँ सुनने के लिए धन्यवाद दिया। इसके अतिरिक्त, हमारे हृदय में परमेश्वर के लिए श्रद्धा और प्रशंसा स्वतः उत्पन्न हुई। परमेश्वर उन लोगों का त्याग नहीं करेंगे जो उनके अपने हैं, न ही उन लोगों को छोड़ेंगे जो दुष्टता करते हैं और उनका विरोध करते हैं। परमेश्वर सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान है, और परमेश्वर का कार्य किसी विरोधी शक्ति से बाधित नहीं हो सकता है। परमेश्वर ने हमें कई मामले दिखाए जहाँ दुष्टों को दंड दिया गया। हमारा मानना है कि यह हम सभी के लिए एक मौन चेतावनी भी है। हालांकि, हमने लोगों को दंडित करने के कई उदाहरणों का संकलन किया है, जिसकी परिधि में कैथोलिक समुदाय और विभिन्न ईसाई संप्रदायों को शामिल किया है। समयावधि केवल 1993 से 2002 तक की है, और स्थानों में 24 प्रांत और शहर शामिल हैं। कुल मिलाकर हमने परमेश्वर का विरोध करने वाले लोगों को दंडित करने के दस हजार से अधिक मामले संग्रहीत किए हैं, उनमें से हमने आठ सौ सत्तर चुने हैं जो विशिष्ट हैं। लेकिन ये मामले सभी लोगों के (संदर्भ सर्वशक्तिमान का विरोध करने पर दंड के विशिष्ट मामले) सबक सीखने के लिए पर्याप्त हैं।
परमेश्वर का विरोध करने पर दंडित होने के इन चौंकाने वाले मामलों से, हमने चार मुख्य प्रकार के लोगों की पहचान की है जो परमेश्वर का विरोध करने में अपेक्षाकृत अधिक उद्दंड थे:
पहला: ये लोग दूसरों के द्वारा धोखा खाए हुए थे या पवित्र आत्मा के कार्यों को नहीं जानने और समझने के परिणामस्वरूप दुष्ट सेवकों द्वारा गुलाम बना लिए गए थे। इस प्रकार, उन्होंने बुराई करने में उनका अनुसरण किया और तोते की तरह उनकी बातें दोहराई, परमेश्वर के विरोध में कई वचन कहे और लोगों को परमेश्वर के कार्यों को स्वीकार करने से रोकने के लिए पाप कर्म किए। परमेश्वर ने इन लोगों को केवल हल्का दंड दिया, और उनके जीवन को समाप्त नहीं किया। उनमें से कुछ लोगों को विचित्र बीमारी हो गई और कुछ की दुर्घटना हो गई या उनके परिवार के सदस्यों को विपत्ति का सामना करना पड़ा। परमेश्वर ने इस तरह के लोगों को पश्चाताप का मौका दिया। निश्चय ही, कुछ विशेष रूप से हठी थे जो दंडित होने के बाद भी नहीं जागे; वे बुराई करते रहे और इसलिए मार दिए गए।
दूसरा: इन लोगों में से अधिकांश विभिन्न संप्रदायों के लीडर थे। उन्हें अपनी स्थिति और परमेश्वर के बीच चुनाव करना था। अपने पद के लिए, उन्होंने सही रास्ता त्याग दिया, जानबूझ कर परमेश्वर के कार्यों का विरोध किया और अपने अधीन लोगों को नियंत्रित किया। अपने पद से प्राप्त लाभ का हमेशा आनंद लेने के उद्देश्य से, उन्होंने लोगों को धोखा दिया और फंसाया। यह प्रतीत हुआ कि यदि वे अपने लोगों को खो देंगे तो उनका पद समाप्त हो जाएगा, और वे अपने पद के बिना रह नहीं सकते थे। इसलिए, उन्होंने परमेश्वर से प्रतिस्पर्धा करने के लिए हर संभव प्रयास किया, परमेश्वर के लोगों को अपने लोग कहा। वे विशेष मसीह विरोधी थे। वे केवल अपने पद और आजीविका के लिए कार्य करते थे। उनके हृदय और अधिक कठोर हो गए थे। उन्होंने परमेश्वर की कृपा का आनंद लिया और फिर भी वे परमेश्वर के उत्तम लोगों को नियंत्रित करना चाहते थे, यहां तक कि उन्हें पसंद की आजादी भी नहीं दी गई जिसके वे हकदार थे। वे प्रभु यीशु द्वारा पहले से बताए गए बहुत दुष्ट सेवक थे। परमेश्वर ने उनके व्यवहार के अनुसार इन लोगों को भी विभिन्न श्रेणियों का दंड दिया, और उन्हें पश्चाताप करने का भी मौका दिया। लेकिन उनमें से कुछ और आगे बढ़ गए, और पश्चाताप के बजाय मरना पंसद किया। इसलिए परमेश्वर ने उनका जीवन समाप्त कर दिया। उन लोगों के लिए जिन्होंने दंडित किए जाने के बाद खुद में सुधार किया या बुराई करना छोड़ दिया, परमेश्वर ने उन्हें जीवनदान दिया और अभी भी उनके पश्चाताप की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
तीसरा: ये लोग पूर्व में बुरी आत्माओं के अधीन थे, नहीं तो, कुछ मामलों में, अलौकिक शक्तियों के प्रदर्शन के लिए बुरी आत्माओं पर निर्भर थे। वे अपने भीतर की बुरी आत्माओं के कार्यों पर विश्वास करते थे, लेकिन उन्हें पवित्र आत्मा के कार्य का तनिक भी ज्ञान नहीं था। परिणास्वरूप, जब परमेश्वर के नए काम का उनमें प्रचार किया गया, उससे उनके भीतर सशक्त विरोध का उभार हुआ। इस तरह के लोग पवित्र आत्मा के कार्य के प्रति विशेष रूप से शत्रुता रखते थे, और वे परमेश्वर द्वारा व्यक्त किए गए सत्य को सबसे अधिक झुठलाते थे। सभी संप्रदायों में, परमेश्वर के प्रति उनका विरोध सबसे जोरदार था, उनके कार्य सबसे दुर्भावनापूर्ण थे और परमेश्वर के प्रति उनका विरोध बहुत आक्रामक और तीक्ष्ण था। ये लोग बुरी आत्मा के साधन थे, परमेश्वर के दुश्मन, और शैतान के साथी थे, और इसलिए उन सभी को शाप दिया गया, तथा विनाश और तबाही के लिए अभिशप्त कर दिया गया।
चौथा: दंडित किए गए ये लोग तीन-स्व कलीसिया द्वारा प्रशिक्षित आधार थे। वे पूजा पाठ करते थे और विशेष रूप से कम्युनिस्ट पार्टी के लिए अपना जीवन अपर्ण कर दिया और वे उन सभी के दुश्मन थे जो परमेश्वर में वाकई विश्वास करते थे। सरकार के साधन के रूप में काम करते हुए, राज्य की शक्ति द्वारा समर्थित, उन्होंने उन लोगों को सताया जो वास्तव में परमेश्वर का अनुसरण करते थे और परमेश्वर में विश्वास प्रकट करते थे। उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा प्रदान "चावल का कटोरा" थामा, कम्युनिस्ट पार्टी के लिए अपने जीवन को खपा दिया, और धार्मिक दुनिया में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रवक्ता बन गए। कम्युनिस्ट पार्टी, वास्तव में, उनकी गुरु थी। ये लोग अधिकतर स्थानों पर चर्चों में सत्तारुढ़ पदों पर आसीन थे, और बहुत सारे अज्ञानी आस्तिकों को नियंत्रित करते थे। ये लोग और कुछ नहीं बस शैतान थे जो परमेश्वर का विरोध करते थे। वे लोग वास्तव में ईसाई धर्म को नहीं मानते थे। हालांकि वे एक समय बहुत उग्र हो गए, उन्हें शापित और नष्ट तो होना ही था।
कैथोलिक समुदाय और विभिन्न ईसाई संप्रदायों के इन लोगों को परमेश्वर द्वारा दंडित किया गया, यहां तक कि उन्हें शाप दिया गया और उनकी मृत्यु भी हो गई, क्योंकि उन्होंने परमेश्वर के कार्य की निंदा की और परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने से रोका। क्या यह लोगों के लिए विचार-विमर्श करने योग्य नहीं है? यदि उन्होंने जिसका विरोध किया वे परमेश्वर नहीं थे, तो किसने उन्हें दंडित किया और उनके जीवन ले लिए? यदि वे सचमुच में परमेश्वर के थे, तो किसमें इतनी शक्ति थी कि परमेश्वर के हाथों से उनका जीवन छीन ले? क्या आप नहीं मानते कि परमेश्वर धर्मी है?
इन चार तरह के लोगों के मामलों और उनके कार्यों से, हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि, उनकी प्रकृति में, वे सत्य पसंद नहीं करते थे। वे परमेश्वर के न्याय और अनुशासन के माध्यम से मनुष्य को बचाने और उसकी सेवा करने के कार्य के प्रति शत्रुतापूर्ण दृष्टिकोण रखते थे, परमेश्वर के उन वचनों से अत्यंत घृणा करते थे जो व्यक्ति की प्रकृति का भेद खोलते हैं और मनुष्य की आत्मा को भेदते हैं, तथा परमेश्वर के आगमन से उनके सुखद सपनों के बाधित होने पर तुरंत क्रोधित भी हो जाते थे। इस तरह परमेश्वर के प्रति शिकायत करने वाला उनका दिल और परमेश्वर के प्रति विरोध करने की उनकी प्रकृति पूरी तरह से उजागर हो गई। उन्होंने अनैतिक ढंग से, पूरी तरह अहंकार से भर कर परमेश्वर की निंदा की, उनका तिरस्कार और विरोध किया। वे उन फरीसियों की तुलना में अधिक बुरे थे जिन्होंने दो हजार साल पहले यीशु को सताया था। उनके बुरे कर्मों ने अंततः उन्हें दंड और शाप के मार्ग पर धकेल दिया। उनमें से कई को मृत्यु से सामना होने पर ही यह अहसास हुआ कि परमेश्वर के स्वभाव को कभी अपमानित नहीं करना चाहिए। लेकिन वे केवल रो सके और अंधेरे में अपने दाँत किटकिटा सके। तथ्यों ने प्रमाणित किया है कि जो मसीह को एक बार फिर सूली पर चढ़ाएंगे वे बर्बाद हो जाएंगे।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने कहा: "परमेश्वर का राज्य मानवता के मध्य विस्तार पा रहा है, यह मानवता के मध्य बन रहा है, यह मानवता के मध्य खड़ा हो रहा है; ऐसी कोई भी शक्ति नहीं है जो मेरे राज्य को नष्ट कर सके। आज के राज्य के मेरे लोगों में से तुम सबमें से ऐसा कौन है जो मानवों में मानव नहीं है? तुम लोगों में से कौन मानवीय परिस्थितियों से बाहर है? जब भीड़ के मध्य मेरे प्रारम्भ बिन्दु को सुनाया जायेगा, तो मानवजाति किस प्रकार से प्रतिक्रिया व्यक्त करेगी? तुम सबने अपनी आंखों से मानवजाति की दशा को देखा है; निश्चय ही तुम लोग अब इस संसार में हमेशा के लिए बने रहने की आशा नहीं कर रहे होगे? अब मैं निर्बाध अपने लोगों के मध्य चल रहा हूं, मेरे लोगों के मध्य में रहता हूं। आज, जो मेरे लिए वास्तविक प्रेम रखते हैं, ऐसे लोग ही धन्य हैं; जो मुझे समर्पित रहते हैं वे धन्य हैं, वे निश्चय ही मेरे राज्य में रहेंगे; जो मुझे जानते हैं वे धन्य हैं, वे निश्चय ही मेरे राज्य में शक्ति प्राप्त करेंगे; जो मेरा अनुसरण करते हैं वे धन्य हैं, वे निश्चय ही शैतान के बंधनों से स्वतंत्र होंगे और मेरी आशीषों का आनन्द लेंगे; वे लोग धन्य हैं जो अपने आप को मेरे लिए त्यागते हैं, वे निश्चय ही मेरे राज्य को प्राप्त करेंगे और मेरे राज्य का उपहार पाएंगे। जो लोग मेरे खातिर मेरे चारों ओर दौड़ते हैं उनके लिए मैं उत्सव मनाऊंगा, जो लोग मेरे लिए अपने आप को समर्पित करते हैं मैं उन्हें आनन्द से गले लगाऊंगा, जो लोग मुझे भेंट देते हैं मैं उन्हें आनन्द दूंगा। जो लोग मेरे शब्दों में आनन्द प्राप्त करते हैं उन्हें मैं आशीष दूंगा; वे निश्चय ही ऐसे खम्भे होंगे जो मेरे राज्य में शहतीर को थामने वाले होंगे, वे निश्चय ही अनेकों उपहारों को मेरे घर में प्राप्त करेंगे और उनके साथ कोई तुलना नहीं कर पाएगा। क्या तुम सबने मिलने वाली आशीषों को स्वीकार किया है? क्या कभी तुम सबने मिलने वाले वायदों को पाया है? तुम लोग निश्चय ही, मेरी रोशनी के नेतृत्व में, अंधकार की शक्तियों के गढ़ को तोड़ोगे। तुम अंधकार के मध्य निश्चय ही मार्गदर्शन करने वाली ज्योति से वंचित नहीं रहोगे। तुम सब निश्चय ही सम्पूर्ण सृष्टि पर स्वामी होगे। तुम लोग शैतान पर निश्चय ही विजयी बनोगे। तुम सब निश्चय ही महान लाल ड्रैगन के राज्य के पतन को देखोगे और मेरी विजय की गवाही के लिए असंख्य लोगों की भीड़ में खड़े होगे। तुम लोग निश्चय ही पाप के देश में दृढ़ और अटूट खड़े रहोगे। तुम सब जो कष्ट सह रहे हो, उनके मध्य तुम मेरे द्वारा आने वाली आशीषों को प्राप्त करोगे और मेरी महिमा के भीतर के ब्रह्माण्ड में निश्चय ही जगमगाओगे" (सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के लिये परमेश्वर के कथन "वचन देह में प्रकट होता है" के "उन्नीसवाँ कथन")।
परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?