क्यों कहा जाता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया देहधारी परमेश्वर में विश्वास करती है

04 नवम्बर, 2020

दो सबसे बड़े धर्म—ईसाई धर्म और कैथोलिक धर्म—दोनों ही प्रभु यीशु पर विश्वास करते हैं और यह स्वीकार करते हैं कि वे परमेश्वर के अवतार थे। बाहर से, प्रभु यीशु मनुष्य के एक साधारण और सामान्य पुत्र के रूप में नज़र आते थे, लेकिन उनका एक दिव्य सार था, उन्होंने सत्य को व्यक्त किया और मनुष्य को पश्चाताप करने का एक तरीका प्रदान किया, मानवजाति की खातिर वे क्रूस पर चढ़ाए गए, उन्होंने छुटकारे का काम किया, व्यवस्था के युग का समापन किया, और अनुग्रह के युग का प्रारंभ किया, जिससे मसीहा के बारे में पुराने नियम में की गई भविष्यवाणी सच हुई। प्रभु यीशु परमेश्वर के अवतार थे; वे मानव जाति के उद्धारक थे। अब, अंतिम दिनों में, प्रभु यीशु देह में वापस लौटे हैं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, अंतिम दिनों के मसीहा के रूप में। सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु से अलग नहीं हैं: बाहर से, वे मनुष्य के, सामान्य मानवता वाले, एक साधारण पुत्र प्रतीत होते हैं, लेकिन इसके अलावा, उनके पास पूर्ण दिव्यता (भी) है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मानवजाति को शुद्ध करने और बचाने के लिए सभी सत्य व्यक्त किए हैं, अंतिम दिनों का न्याय का कार्य किया है, अनुग्रह के युग को समाप्त किया है, और राज्य के युग की शुरुआत की है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर, परमेश्वर के देहधारण (अवतार) हैं—मानव जाति का न्याय करने वाले धर्मी परमेश्वर।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "'देहधारण' परमेश्वर का देह में प्रकट होना है; परमेश्वर सृष्टि के मनुष्यों के मध्य देह की छवि में कार्य करता है। इसलिए, परमेश्वर को देहधारी होने के लिए, सबसे पहले देह बनना होता है, सामान्य मानवता वाला देह; यह सबसे मौलिक आवश्यकता है। वास्तव में, परमेश्वर के देहधारण का निहितार्थ यह है कि परमेश्वर देह में रह कर कार्य करता है, परमेश्वर अपने वास्तविक सार में देहधारी बन जाता है, वह मनुष्य बन जाता है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर द्वारा धारण किये गए देह का सार)। "जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर का सार होगा और जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर की अभिव्यक्ति होगी। चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उस कार्य को सामने लाएगा, जो वह करना चाहता है, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह है और वह मनुष्य के लिए सत्य को लाने, उसे जीवन प्रदान करने और उसे मार्ग दिखाने में सक्षम होगा। जिस देह में परमेश्वर का सार नहीं है, वह निश्चित रूप से देहधारी परमेश्वर नहीं है; इसमें कोई संदेह नहीं" ("वचन देह में प्रकट होता है" की 'प्रस्तावना')। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से यह देखा जा सकता है कि अवतार का अर्थ है पृथ्वी पर उतरी हुई परमेश्वर की आत्मा, जिसने एक सामान्य व्यक्ति की तरह देह धारण किया हो। उनके पास एक सामान्य मानवता तो होती है, लेकिन पूर्ण दिव्यता भी होती है। बाहर से, मसीह साधारण और सामान्य दिखते हैं, लेकिन उनके पास परमेश्वर का दिव्य सार होता है और वे परमेश्वर के स्वभाव को, परमेश्वर के पास जो है और वे जो हैं, उसको व्यक्त कर सकते हैं। इसके अलावा, मानव जाति को बचाने और शुद्ध करने का कार्य करने के लिए वे सत्य को व्यक्त कर सकते हैं, और यह काम कुछ ऐसा नहीं है जिसे कोई भी कर सकता हो। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का प्रकटन और उनके कार्य पूरी तरह से प्रभु यीशु की वापसी के बारे में बाइबल में की गईं भविष्यवाणियों को पूरा करते हैं: "क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्‍चिम तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा" (मत्ती 24:27)। "इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा" (मत्ती 24:44)। "देख, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ; और हर एक के काम के अनुसार बदला देने के लिये प्रतिफल मेरे पास है" (प्रकाशितवाक्य 22:12)। "क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए" (1 पतरस 4:17)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर मनुष्य के वो पुत्र हैं जिनकी बाइबल में भविष्यवाणी की गई है। अर्थात्, वे परमेश्वर के देहधारण हैं, जिन्होंने मानव जाति को शुद्ध करने और बचाने के लिए सभी सत्यों को व्यक्त किया है और परमेश्वर के घर से शुरु करते हुए, अपने न्याय के कार्य को निष्पादित किया है। इनमें से अधिकांश कथनों को 'वचन देह में प्रकट होता है' नामक पुस्तक में एकत्रित किया गया है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त किए गए वचन मनुष्य के उद्धार के लिए परमेश्वर की छह-हज़ार साल की प्रबंधन योजना के सभी सत्य और रहस्यों को, उनके कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य को, उनके देहधारण के, शैतान मानवता को कैसे भ्रष्ट करता है, और फिर कैसे परमेश्वर मनुष्य को तथा लोगों के भविष्य के गंतव्यों इत्यादि को शुद्ध करता, बचाता और परिपूर्ण करता है, इनके रहस्य को, प्रकट करते हैं, जो सब इस बात को अच्छी तरह से सत्यापित करते हैं कि मसीह सत्य, मार्ग और जीवन हैं, और यह कि केवल परमेश्वर ही सत्य को व्यक्त, और रहस्यों को उजागर, कर सकता है। मानव सत्य से रहित होते हैं, मानवजाति को बचाने के कार्य को करने में तो वे और भी कम सक्षम होते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त किए गए सभी सत्य हमारे लिए यह स्पष्ट कर देते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर, परमेश्वर के देहधारण हैं और अंतिम दिनों में वे, मसीह के प्रकटन हैं।

दो हज़ार साल से भी अधिक पहले, जब अवतरित परमेश्वर यीशु प्रकट हुए और उन्होंने अपना कार्य किया, तो उन्हें एक मनुष्य मात्र—एक बढ़ई का पुत्र—मानकर मुख्य याजकों, शिक्षकों और यहूदी धर्म के फरीसियों ने उनकी निंदा की (देखें मत्ती 13:55)। बहरहाल, दो हज़ार साल बाद, प्रभु यीशु का सुसमाचार पूरे विश्व और पृथ्वी के ओर-छोर तक फैल गया है। परमेश्वर के दूसरे अवतार अब प्रकट हुए हैं और उनके कार्य को कर रहे हैं, और धार्मिक दुनिया के पादरी और एल्डर्स सर्वशक्तिमान परमेश्वर को केवल मनुष्य मानकर, उनकी निंदा करते हैं। हालाँकि, परमेश्वर के झुंड उनकी आवाज़ सुनते हैं, और सभी धर्मों और सभी संप्रदायों के कई लोग, जो ईमानदारी से प्रभु में विश्वास करते हैं तथा परमेश्वर के प्रकटन और उनके कार्य की अभिलाषा रखते हैं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के अंतर्गत उनकी आवाज़ सुनते हैं। उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर यकीनन लौटे हुए प्रभु यीशु हैं, और एक के बाद एक, वे लोग परमेश्वर के सामने वापस आ गए हैं। जो कुछ भी परमेश्वर से उत्पन्न होता है, वो फलता-फूलता रहेगा। केवल बीस से कुछ ही अधिक वर्षों के छोटे समय में, अंतिम दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर का सुसमाचार पूरी चीनी मुख्य भूमि में फैल गया है, और अब यह दुनिया के सभी देशों और सभी स्थानों में फैल रहा है। बढ़ती संख्या में लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर आ रहे हैं; यह सब उनके अनन्य अधिकार और शक्ति द्वारा तय किया जाता है और, इसके अलावा, वे परमेश्वर की सर्वशक्तिमानता और ज्ञान के मूर्त रूप हैं। ये तथ्य इसके पर्याप्त प्रमाण हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य, मार्ग और जीवन हैं; सर्वशक्तिमान परमेश्वर देहधारी मसीह हैं, और वे अंतिम दिनों में उद्धारकर्ता के प्रकटन हैं। यह अविवादास्पद है!

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