पूर्वी बिजली अबाध प्रगति के साथ आगे क्यों बढ़ती है?

16 जनवरी, 2021

अंतिम दिनों का मसीह मुख्य भूमि चीन में 20 से अधिक वर्षों से अपना कार्य करता आया है, एक ऐसा कार्य जिसने विभिन्न धार्मिक संप्रदायों को जड़ से हिला दिया है। इस समय के दौरान धार्मिक समुदाय के लिए सबसे उलझा हुआ सवाल यह रहा है: अधिकांश पादरियों और प्राचीनों ने पूर्वी बिजली का आकलन करने और उस पर हमला करने के लिए अफवाहें फैलाने और पूर्वी बिजली की बदनामी करने जैसे विभिन्न साधनों के माध्यम से अपना भरसक प्रयास किया है। इसके अलावा, उन्होंने उनकी कलीसियाओं को भी बंद करा दिया है और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के ईसाइयों को गिरफ्तार करने और उन्हें उत्पीड़न देने के लिए सीसीपी सरकार के साथ साठ-गाँठ भी की है। लेकिन शैतान की ताक़तों के दो हाथों के रूप में कार्य करती सीसीपी सरकार और धार्मिक दुनिया की उन्मत्त निंदा, प्रतिरोध और उत्पीड़न के तहत, विभिन्न मतों और संप्रदायों के अधिक से अधिक विश्वासी सर्वशक्तिमान परमेश्वर को क्यों स्वीकार कर रहे हैं और क्यों उसका अनुसरण कर रहे हैं? ऐसा क्यों हैं कि जिनके पास अच्छी मानवता है और जो परमेश्वर में ईमानदारी से विश्वास करते थे, वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अंत तक अनुसरण करने के लिए तैयार हैं? सीसीपी सरकार और धार्मिक दुनिया द्वारा अंतहीन निंदा, मानहानि, जबरदस्ती और उत्पीड़न को सहन करने के बावजूद वे ऐसा करना क्यों जारी रखते हैं? सीसीपी उन्हें क़ैद करती है और फिर भी वे पीछे नहीं देखते हैं। यह क्यों है कि पूर्वी बिजली शैतान की ताक़तों से हारे बिना और टूटे बिना, नई समृद्धि और विकास में दिन-ब-दिन खिलने के लिए आगे बढ़ती रहती है? यह कैसे चीन के हर कोने में फैलकर लाखों लोगों द्वारा अनुसरण करने के लिए स्वीकार की गई है? क्यों यह दुनिया भर में कई अलग-अलग देशों और क्षेत्रों में फैल गई है?

असल में, उन धार्मिक लोगों ने जो बाइबल से परिचित हैं, एक महत्वपूर्ण सत्य को अनदेखा कर दिया है, जो यह है: परमेश्वर से जो कुछ भी आता है वह बढ़ेगा और मनुष्य से जो कुछ भी आता है वह निश्चित रूप से घटेगा। इसके बारे में एक पल सोचो: यदि पूर्वी बिजली परमेश्वर का प्रकटन और कार्य नहीं थी, तो क्या यह धार्मिक दुनिया और नास्तिक सीसीपी सरकार के प्रतिरोध, बाधा और उत्पीड़न के किले को तोड़ने में सक्षम हो सकती थी, और इतनी जल्दी फैल सकती थी? यदि यह पवित्र आत्मा के कार्य द्वारा निर्देशित न होती, तो क्या इसके पास वो अधिकार और सामर्थ्य होता कि सभी देश इस एक ही पहाड़ की ओर बह आएँ और सभी संप्रदाय एक हो जाएँ? यदि पूर्वी बिजली परमेश्वर का प्रकटन और कार्य नहीं होती, तो क्या यह उस सत्य को ला पाती जो लोगों को परमेश्वर को समझने की अनुमति देता है? क्या यह उद्धार के मार्ग की ओर इशारा कर पाती? क्या यह विभिन्न आस्थाओं के दृढ़ विश्वासियों का, उन अच्छी भेड़ों और प्रमुख भेड़ों का, न्याय कर पाती और उन्हें जीत पाती, ताकि वे समर्पण कर सकें और दृढ हृदयों के साथ अनुसरण कर सकें? विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के लिए यह उम्मीद करने का कोई तरीका नहीं बचा था कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर जिसे निंदा, विरोध और उत्पीड़न देने के लिए वे पर्याप्त रूप से साहसी और आत्म-विश्वासी रहे हैं, वास्तव में परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की वापसी है, जिसके लिए वे इतनी उत्सुकतापूर्वक और लगातार इंतज़ार कर रहे थे।

प्रकाशितवाक्य की किताब में लिखा गया है कि केवल मेमना ही मसौदा खोलने और सात मुहरों को तोड़ने में सक्षम है। अंतिम दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने कई लाखों वचनों को जारी किया है जो न केवल परमेश्वर की 6,000 साल की प्रबंधन योजना के सभी रहस्यों को प्रकट करते हैं, मानवता को बचाने के कार्य के अपने तीन चरणों में परमेश्वर के उद्देश्य को प्रकट करते हैं, साथ ही उसके कार्य के प्रत्येक चरण की पृष्ठभूमि, उसके अन्दर की सूचनाएं और उसके सार को प्रदान करते हैं, बल्कि इसके अलावा उसके वचन मानवजाति की शैतानी प्रकृति और उसकी भ्रष्टता की सच्चाई की ओर निर्देशित न्याय और शुद्धिकरण के कार्य को भी सामने ले आते हैं। इसके साथ ही, उसके असंख्य वचनों में बाइबल की अंदरूनी कहानी, परमेश्वर के देहधारण का रहस्य, मानवजाति के लिए परमेश्वर के स्पष्ट इरादे और विशिष्ट अपेक्षाएँ, मानवजाति के विकास की प्रक्रिया और मानवजाति का भावी गंतव्य, आदि कई विषयों को शामिल किया गया है। ये मानवजाति की आखों के लिए केवल एक दावत ही नहीं हैं ताकि वे अपने क्षितिज को बढ़ा सकें, बल्कि ये लोगों को परमेश्वर के कार्य, परमेश्वर के स्वभाव और सार को समझने की अनुमति भी देते हैं। इसके अलावा, उनके वचन हम भ्रष्ट मनुष्यों को स्वभाव में परिवर्तन प्राप्त करने, और शुद्ध होने, की अनुमति देते हैं। उसके वचनों में उन सभी सच्चाइयों को शामिल किया गया है जिनकी हम भ्रष्ट लोगों को, बचाए जाने और सिद्ध होने के लिए, ज़रुरत है। परमेश्वर की भेड़ें उसकी आवाज़ सुनती हैं और जिन विश्वासियों ने विनम्रतापूर्वक समर्पण किया है, वे सच्चे तरीके की तलाश और अध्ययन करते हुए, पूरी तरह से परमेश्वर के वचनों से विजित हो चुके हैं; उन्होंने वास्तव में और स्पष्ट रूप से देखा है कि परमेश्वर के वास्तविक कार्य और वचन अतुलनीय हैं और मानवजाति द्वारा गठित किसी भी सिद्धांत या ज्ञान द्वारा प्रतिस्थापित नहीं किये जा सकते हैं। उसके वचन और कार्य उन लोगों के लिए जो नम्रता से समर्पण करते हैं, इसे सत्यापित करते हैं कि देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर निश्चित रूप से अंतिम दिनों में लौटने वाला मनुष्य का पुत्र है और एक सच्चे परमेश्वर का प्रकटन है। वे देखते हैं कि राज्य मनुष्य के दायरे में उतर आया है और वे यह भी स्पष्ट रूप से देखते हैं कि व्यवस्था के युग, अनुग्रह के युग, और राज्य के युग में कार्य के तीन चरणों में एक ही परमेश्वर का कार्य है और ये स्वयं परमेश्वर के ही कार्य हैं, इसके बारे में बिल्कुल कोई संदेह नहीं है। केवल अगर वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के द्वारा जारी की गई सच्चाई से लैस हैं और अंतिम दिनों के परमेश्वर के कार्य का अनुभव करते हैं, तो ही वे परमेश्वर को जानेंगे और उद्धार प्राप्त करने के लिए उस पर विश्वास करने के सही मार्ग में प्रवेश करेंगे। इसलिए, वे परमेश्वर के सामने दंडवत करते हैं और इसे स्वीकार करते हैं कि वह उनका परमेश्वर है, वे उसके पास लौट आते हैं और अपने जीवन को उसके प्रति समर्पित कर देते हैं। यही कारण है कि ऐसे अधिक से अधिक सचमुच वफ़ादार लोग हो रहे हैं जो अब अज्ञात से नहीं डरते हैं और पूर्वी बिजली का दृढ़ संकल्प के साथ अनुसरण करते हैं।

वास्तव में, परमेश्वर के कार्य में कोई "गलत" या "सही" नहीं है, केवल "नया" या "पुराना", अथवा "प्रारंभिक" या "बाद वाला" है क्योंकि परमेश्वर के कार्य के पीछे निहित सिद्धांत यह होता है कि यह हमेशा नया है और कभी पुराना नहीं होता, और परमेश्वर कोई नियमों को नहीं मानता है और उसके नए और पुराने कार्य के बीच कोई विरोधाभास नहीं होते हैं। इसके बजाए, वे एक दूसरे के पूरक होते हैं जिसमें, किसी श्रृंखला की आपस में जुड़ी हुई कड़ियों की तरह, हर चरण पिछले चरण के आधार पर निर्मित होता है। अगर हम एक शांत दिल से तलाश और अध्ययन करें, और अगर हम परमेश्वर की पूरी 6,000 साल की प्रबंधन योजना में कार्य के तीन चरणों को समझ सकते हैं, तो यह देखना आसान है कि अंतिम दिनों के मसीह—सर्वशक्तिमान परमेश्वर—के कार्य का निर्माण अनुग्रह के युग में किए गए परमेश्वर के कार्य की नींव पर किया गया है और यह प्रभु यीशु के कार्य के साथ मेल खाता है; यह स्वतंत्र नहीं है और किसी भी तरह से अलग नहीं है। इसके अलावा, हम समझेंगे कि क्यों अंतिम दिनों में केवल सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य ही मानवजाति को शुद्ध कर सकता है और बदल सकता है, साथ ही क्यों यह मनुष्यों को, परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त करने की खातिर, शैतान के अंधेरे प्रभाव की बेड़ियों को तोड़ने की पूरी तरह से अनुमति देता है।

व्यवस्था के युग की बाद की अवधि को पीछे मुड़कर देखते हुए, समस्त मानवजाति जानती थी कि पाप क्या था, लेकिन खुद के बावजूद वे सभी लगातार पाप करते रहे, और वे व्यवस्था और नियमों का पालन करने में असमर्थ रहे थे। ज्यों-ज्यों मानवजाति के पाप बढ़ते गए, उनके बलिदान लगातार कम होते गए और वे पाप के एक अपरिहार्य जाल में गिर पड़े। धीरे-धीरे, मानवजाति ने परमेश्वर के प्रति अपना सम्मान खो दिया और वे अब यहोवा परमेश्वर की पवित्र वेदी पर अंधे और लंगड़े पशुओं की बलि तक देने लगे। इस तरह, उन्हें व्यवस्था और परमेश्वर के अभिशाप के तहत मृत्यु का सामना करना पड़ा। इसी पृष्ठभूमि के सन्दर्भ में मनुष्य को बचाने के लिए परमेश्वर के कार्य के एक नए चरण की आवश्यकता हुई। ऐसा इसलिए है क्योंकि केवल स्वयं परमेश्वर—सृष्टि का रचयिता—एक भ्रष्ट और ख़राब मानवजाति को बचा सकता था। इसी वजह से, परमेश्वर देह बन गया और अनुग्रह के युग के कार्य को शुरू करने के लिए प्रभु यीशु के रूप में प्रकट हुआ। उसने स्वयं पर मानवजाति के पापों को ले लिया और छुटकारे के कार्य को पूरा करने के लिए क्रूस पर चढ़ाया गया। प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों को सिखाया कि उन्हें माफ़ करना चाहिए और धैर्य रखना चाहिए, अपने पड़ोसियों से खुद की तरह प्यार करना चाहिए, और उसका अनुसरण करने के लिए अपने क्रूस को उठाना चाहिए। उसने लोगों को आपस में संवाद करना, अंगूरी मदिरा पीना, दूसरों के चरणों को धोना, और अपने सिर को ढकना भी सिखाया। उसने लोगों से कहा कि वे सच्चाई को और भी अधिक अभ्यास में डालें और उसने व्यवस्था के युग के दौरान मानवजाति से जो अपेक्षाएं थीं, उन्हें उच्चतर किया। प्रभु यीशु मनुष्य के लिए एक नए युग को और यात्रा करने के लिए एक नई दिशा को ले आया और उसने लोगों को यात्रा करने के लिए एक मार्ग दिया ताकि वे परमेश्वर की पर्याप्त कृपा का आनंद उठा सकें और उसके छुटकारे को प्राप्त कर सकें। अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु के कार्य ने व्यवस्था के युग को समाप्त किया, जो कि बढ़कर 2,000 से अधिक वर्षों का हो गया था, इस तरीके से कि व्यवस्था को पूरा किया जा सके। यह यहोवा परमेश्वर के कार्य की नींव पर किया गया एक नया और उच्चतर कार्य है।

देह में प्रभु यीशु मसीह समस्त मानवजाति को छुटकारा दिलाता है। अगर हम परमेश्वर में विश्वास करते हैं और हमारे पाप क्षमा किये जाते हैं, तो हम विश्वास से उचित ठहराए जाएँगे और बचाए जाएँगे। भले ही हमारे पापों को क्षमा किया गया हो, इन पापों के पीछे रहे मूल कारण, अर्थात् हमारी शैतानी प्रकृति का, जो परमेश्वर का विरोध करती है और उससे विश्वासघात करती है, पूरी तरह से हल नहीं हुआ है। इस तरह, भले ही परमेश्वर हमारे पापों को भूल जाते हैं और हमारे पापों के आधार पर हमसे पेश नहीं आते हैं, फिर भी हम देह में रहते हैं और पाप के बंधन और नियंत्रण को तोड़ने का कोई रास्ता नहीं होता है। हम केवल निरंतर पाप, स्वीकारोक्ति और पश्चाताप के एक दुष्चक्र में फँसे हुए हैं और पवित्र व्यक्ति बनने के लिए हम पाप से बच नहीं पाए हैं। अनुकूल परिस्थितियों में, हमारे भ्रष्ट शैतानी स्वभाव को, खुद हमारे बावजूद, उजागर किया जाएगा; जिसमें अहंकार, लालच, विश्वासघात, छल, और परमेश्वर के ख़िलाफ़ हमारे पाप और अपराध शामिल हैं जिन्हें हम नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, जैसा की पौलुस यहां कहता है: "इच्छा तो मुझ में है, परन्तु भले काम मुझ से बन नहीं पड़ते" (रोमियों 7:18)। ज़ाहिर है, "बचाये जाने" का अर्थ यह नहीं है कि हम परमेश्वर द्वारा पूरी तरह से हासिल कर लिए गए हैं। दूसरे शब्दों में, अनुग्रह के युग में हमें प्राप्त हुए छुटकारे मात्र से, हम अभी भी परमेश्वर द्वारा हासिल किये जाने के लिए शैतान के प्रभाव पर विजय प्राप्त नहीं कर सकते क्योंकि परमेश्वर ने भ्रष्ट शैतानी स्वभाव को, जो अनुग्रह के युग में मनुष्य में रहता है, अलग हटाने के कार्य से स्वयं को सम्बद्ध नहीं किया है। अगर हम केवल अनुग्रह के युग में किए गए कार्य के चरण में बने रहते हैं और कुछ सरल और पुरानी विधियों और प्रथाओं को थामे रहते हैं, तो 1,000 वर्षों के पारित होने पर भी हममें कोई बदलाव नहीं आएगा; हम पवित्रता प्राप्त नहीं कर सकेंगे, और हम परमेश्वर की अधिक समझ भी हासिल नहीं कर सकते हैं। हम केवल एक ढर्रे में फँसे पड़े हैं, हमारे जीवन में कभी भी परिपक्व होने की कोई उम्मीद नहीं है। धीरे-धीरे हम परमेश्वर से और दूर होते जाएँगे एवं आखिरकार शैतान के कब्ज़े में पहुंच जाएंगे। इसलिए, भ्रष्ट मानवजाति को शैतान के प्रभाव से पूरी तरह से बचाने के लिए, परमेश्वर को व्यक्तिगत रूप से कार्य का एक और चरण करना होगा, जो मानवजाति को बचाने की खातिर अधिक गहरा और मुकम्मल हो। परमेश्वर मानवजाति के लिए उन वचनों की आपूर्ति करता है जिसकी उसके जीवन को आवश्यकता है, ताकि मानव जाति: परमेश्वर के कार्य और उसके प्रबंधन को समझ सके; परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता, उसके ज्ञान, सार, स्वभाव, और उसके पास जो कुछ है और वह जो है, उन सब को जान सके; सभी सच्चाइयों को जाने; और जीवन के सही मार्ग पर निर्देशित हो सके। इस प्रकार मानवजाति की पुरानी धारणाओं और पुराने स्वभाव को बदल दिया जाएगा, और मानवजाति की पापी प्रकृति को पूरी तरह से हटा दिया जाएगा, जिसका अर्थ यह है कि मानवजाति शैतानी दर्शन और नियमों से और उन शैतानी जहरों से मुक्त हो जाएगी जो उसके अन्दर गहराई से बसे हुए हैं। मानवजाति तभी मानवीय हो सकती है और सत्य की अधिकारी बन सकती है और इस तरह की बन सकती है जो वास्तव में परमेश्वर को समर्पण कर सके। वर्तमान में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का समस्त कार्य वास्तव में कार्य का यही चरण है जहां मनुष्य का पूर्ण शुद्धिकरण और उद्धार हो रहा है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर न केवल अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु द्वारा किये गए कार्य की नींव के आधार पर मानवता को और अधिक सच्चाई दे रहा है, बल्कि वह राज्य के युग के लिए आदेशों और प्रशासनिक नियमों की भी घोषणा कर रहा है। उसने मानवजाति के लिए अपनी अपेक्षाओं को बढ़ा दिया है ताकि: मानवजाति परमेश्वर के वचनों में सत्य की तलाश करे और उसे समझे; परमेश्वर के स्वभाव और उसके पास जो कुछ है तथा वह जो है उसे जाने; और मानवजाति की अपनी शैतानी प्रकृति को जाने जो परमेश्वर की अवज्ञा करती है और उसका विरोध करती है। मानवजाति को सच्चाई का अभ्यास करना चाहिए और सच्चाई को समझने की पूर्व-शर्त के तहत परमेश्वर के वचन से जीना चाहिए ताकि मानवजाति अपने स्वभाव के परिवर्तन को प्राप्त कर सके, एक ऐसा सामान्य जीवन प्राप्त कर सके जहां वह परमेश्वर की आराधना करे, पवित्र हो जाए, और उस अद्भुत गंतव्य में प्रवेश करे जिसे परमेश्वर ने मानव जाति के लिए तैयार किया है।

बाइबल में अंतिम दिनों में परमेश्वर के उद्धार के बारे में भविष्यवाणियां हैं, जहां पतरस के पहले पत्र में अध्याय 1 का पद 5 कहता है, "जिनकी रक्षा परमेश्‍वर की सामर्थ्य से विश्‍वास के द्वारा उस उद्धार के लिये, जो आनेवाले समय में प्रगट होनेवाली है, की जाती है"। पवित्र शास्त्र का यह अंश स्पष्ट भविष्यवाणी करता है: हमारे लिए जो प्रभु यीशु का अनुसरण करते हैं, परमेश्वर ने अंतिम दिनों में उद्धार को तैयार किया है। तो, अंतिम दिनों में यह उद्धार वास्तव में क्या होगा? बाइबल कहती है: "क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए" (1 पतरस 4:17)। "वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे लिये हुए था, और उसके मुख से तेज दोधारी तलवार निकलती थी। उसका मुँह ऐसा प्रज्‍वलित था, जैसा सूर्य कड़ी धूप के समय चमकता है" (प्रकाशितवाक्य 1:16)। "फिर मैं ने एक और स्वर्गदूत को आकाश के बीच में उड़ते हुए देखा, जिसके पास पृथ्वी पर के रहनेवालों की हर एक जाति, और कुल, और भाषा, और लोगों को सुनाने के लिये सनातन सुसमाचार था। उसने बड़े शब्द से कहा, परमेश्‍वर से डरो, और उसकी महिमा करो, क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ पहुँचा है; और उसका भजन करो, जिसने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जल के सोते बनाए" (प्रकाशितवाक्य 14:6-7)। हम पवित्र शास्त्रों से देख सकते हैं कि अनन्त सुसमाचार अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को संदर्भित करता है, जहां परमेश्वर मनुष्यों के न्याय और शुद्धिकरण के लिए तलवार की तरह पैने वचनों का उपयोग करता है। प्रकाशितवाक्य की किताब में वर्णित महान सफेद सिंहासन के सामने का न्याय यही है, जो वो कार्य है जो मानवजाति के परिणाम और उनके गंतव्य का फैसला करेगा। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है, "जब 'न्याय' शब्द की बात आती है, तो तुम उन वचनों के बारे में सोचोगे जो यहोवा ने सभी स्थानों के लिए कहे थे और फटकार के उन वचनों के बारे में सोचोगे जो यीशु ने फरीसियों को कहे थे। अपनी समस्त कठोरता के कारण, ये वचन मनुष्य के बारे में परमेश्वर का न्याय नहीं हैं, ये केवल विभिन्न परिस्थितियों, अर्थात्, विभिन्न हालातों में परमेश्वर द्वारा कहे गए वचन हैं; और ये वचन मसीह द्वारा तब कहे गए वचनों के असमान हैं जब वह अन्त के दिनों में मनुष्यों का न्याय करता है। अंत के दिनों में, मसीह मनुष्य को सिखाने के लिए विभिन्न प्रकार की सच्चाइयों का उपयोग करता है, मनुष्य के सार को उजागर करता है, और उसके वचनों और कर्मों का विश्लेषण करता है। इन वचनों में विभिन्न सच्चाइयों का समावेश है, जैसे कि मनुष्य का कर्तव्य, मनुष्य को किस प्रकार परमेश्वर का आज्ञापालन करना चाहिए, हर व्यक्ति जो परमेश्वर के कार्य को मनुष्य को किस प्रकार परमेश्वर के प्रति निष्ठावान होना चाहिए, मनुष्य को किस प्रकार सामान्य मानवता से, और साथ ही परमेश्वर की बुद्धि और उसके स्वभाव इत्यादि को जीना चाहिए। ये सभी वचन मनुष्य के सार और उसके भ्रष्ट स्वभाव पर निर्देशित हैं। खासतौर पर, वे वचन जो यह उजागर करते हैं कि मनुष्य किस प्रकार से परमेश्वर का तिरस्कार करता है इस संबंध में बोले गए हैं कि किस प्रकार से मनुष्य शैतान का मूर्त रूप और परमेश्वर के विरूद्ध दुश्मन की शक्ति है। अपने न्याय का कार्य करने में, परमेश्वर केवल कुछ वचनों से ही मनुष्य की प्रकृति को स्पष्ट नहीं करता है; वह लम्बे समय तक इसे उजागर करता है, इससे निपटता है, और इसकी काट-छाँट करता है। उजागर करने की इन विधियों, निपटने, और काट-छाँट को साधारण वचनों से नहीं, बल्कि सत्य से प्रतिस्थापित किया जा सकता है, जिसे मनुष्य बिल्कुल भी धारण नहीं करता है। केवल इस तरीके की विधियाँ ही न्याय समझी जाती हैं; केवल इसी तरह के न्याय के माध्यम से ही मनुष्य को वश में किया जा सकता है और परमेश्वर के प्रति समर्पण में पूरी तरह से आश्वस्त किया जा सकता है, और इसके अलावा मनुष्य परमेश्वर का सच्चा ज्ञान प्राप्त कर सकता है। न्याय का कार्य जिस चीज़ को उत्पन्न करता है वह है परमेश्वर के असली चेहरे और उसकी स्वयं की विद्रोहशीलता के सत्य के बारे में मनुष्य में समझ। न्याय का कार्य मनुष्य को परमेश्वर की इच्छा की, परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य की, और उन रहस्यों की अधिक समझ प्राप्त करने देता है जो उसके लिए अबोधगम्य हैं। यह मनुष्य को उसके भ्रष्ट सार तथा उसकी भ्रष्टता के मूल को पहचानने और जानने, साथ ही मनुष्य की कुरूपता को खोजने देता है। ये सभी प्रभाव न्याय के कार्य के द्वारा निष्पादित होते हैं, क्योंकि इस कार्य का सार वास्तव में उन सभी के लिए परमेश्वर के सत्य, मार्ग और जीवन का मार्ग प्रशस्त करने का कार्य है जिनका उस पर विश्वास है। यह कार्य परमेश्वर के द्वारा किया गया न्याय का कार्य है" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है")। हम परमेश्वर के वचनों से समझ सकते हैं कि: अंतिम दिनों में परमेश्वर अपने न्याय के कार्य को करने के लिए सच्चाई का उपयोग करता है ताकि मानवजाति उसकी इच्छा को बेहतर ढंग से समझ सके, उसके बारे में उसे सच्चा ज्ञान हो सके, और शैतान द्वारा दी गई मनुष्यों की भ्रष्टता के स्रोत और सार को समझ सके। इसके अलावा भी, न्याय का कार्य मानवजाति को वास्तव में अंतिम दिनों के मसीह द्वारा प्रदत्त सच्चाई, मार्ग और जीवन को प्राप्त करने की इजाज़त देता है ताकि मानवजाति पूरी तरह से परमेश्वर द्वारा हासिल की जा सके और उसके उद्धार को प्राप्त कर सके। यह प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य की नींव पर तैयार किया गया पूर्णतर उद्धार है और यह 6,000 साल की प्रबंधन योजना के कार्य का अंतिम चरण भी है, जो मनुष्य को जीतने और सिद्ध बनाने के लिए है; यह वह उद्धार है जो अंतिम दिनों में प्रकट होता है।

भाइयों और बहनों, परमेश्वर जो कार्य करता है उसे समझने में मानवजाति की कमियों के बावजूद, और इसके बावजूद कि मानवजाति का अधिकांश भाग परमेश्वर जो कुछ भी करता है उसे समझ नहीं पाता है, उसके इरादों को नहीं जानता है और परमेश्वर के नए काम के प्रति पलायनवादी और अनिच्छुक है, फिर भी, परमेश्वर के सच्चे अनुयायियों के दिलों में उनके लिए एक जगह है। वे अपनी अवधारणाओं को अलग कर देते हैं और एक शांत दिल से वे सच्चे मार्ग की तलाश और अध्ययन करते हैं, और परमेश्वर की आवाज़ को सुनते हैं, जिससे वे उसके प्रबोधन को और परमेश्वर की आवाज़ की वास्तविक पहचान को हासिल करते हैं। ये सच्चे अनुयायी अपनी अवधारणाओं से निकलकर दूसरे देहधारी परमेश्वर के बारे में वास्तविक ज्ञान की ओर आगे बढ़ते हैं। ये सच्चे विश्वासी परमेश्वर का विरोध करने से निकलकर समर्पण की ओर आगे बढ़ते हैं, वे परमेश्वर को उत्पीड़न देने से निकलकर उसे स्वीकार करने की ओर आगे बढ़ते हैं, और वे परमेश्वर को त्यागने से निकलकर उसे प्यार करने की ओर आगे बढ़ते हैं। यह अतीत काल के समान है जहां शिष्यों और कुछ यहूदी आम लोगों ने पहचान लिया था कि प्रभु यीशु से स्वर्ग आया है। यद्यपि उन्होंने धार्मिक समुदाय और शैतानी शासन द्वारा भारी नाकाबंदी, बाधा, बंधन, दबाव और उत्पीड़न का सामना किया, एक बार जब वे सही मार्ग को पहचान गए तो वे दृढ़ता से आश्वस्त थे, और उन्हें कोई संदेह नहीं था और उन्होंने परमेश्वर का निकटता से अनुसरण किया। सच्चे परमेश्वर के कार्य की शक्ति इतनी विकट है। अब, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार मुख्य भूमि चीन में अत्यंत तेज गति से फैल रहा है। अब यह हर मुल्क और राष्ट्र में फैल रहा है; क्या तुम सचमुच उस पूर्ण सत्य को, जिसे परमेश्वर मानवजाति को प्रदान करता है, प्राप्त करने और उस प्रकाश में रहने के अनिच्छुक हो? क्या तुमने वास्तव में अंतिम दिनों की मानवजाति के लिए प्रभु यीशु की निरंतर ताकीदों के पीछे विषय-वस्तु और इरादे को नहीं समझा है? क्या तुम परमेश्वर से पूर्ण उद्धार पाने के इस अवसर को खो देने के बारे में चिंतित नहीं हो? क्या तुम अपने हृदयविदारक पछतावे के बारे में नहीं सोच रहे हो? क्या यह हो सकता है कि तुम अभी भी पूर्वी बिजली की असीम और अबाध प्रगति के पीछे रहे कारण को समझ नहीं पा रहे हो? यदि तुम समझते हो, तो तुम किसकी प्रतीक्षा कर रहे हो?

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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