1003 परमेश्वर के सिय्योन लौट जाने के बाद
1
जब ईश्वर सिय्योन लौटेगा, तो इंसान पहले जैसे उसकी स्तुति करेगा।
उसकी सेवा का इंतज़ार करते वफ़ादार
सेवाकर्मियों का काम ख़त्म हो जाएगा।
इंसान धरती पर ईश्वर की मौजूदगी को बस सोच सकेगा।
तब वो विपदा से पीड़ित लोगों पर आपदा लाएगा।
मगर ईश्वर की धार्मिकता में, वफादार सेवा-कर्मी उसका अनुग्रह पायेंगे।
वो दुष्टों को सज़ा देगा, मगर सत्कर्मी भौतिक सुख पाएँगे, भौतिक सुख पाएँगे।
ये प्रकाशन है कि वो धार्मिकता का ईश्वर है;
ये प्रकाशन है कि वो स्वयं वफ़ादारी का ईश्वर है।
ये प्रकाशन है कि वो धार्मिकता का ईश्वर है;
ये प्रकाशन है कि वो स्वयं वफ़ादारी का ईश्वर है।
2
सिय्योन लौटकर ईश्वर दुनिया के देशों का सामना करेगा;
उद्धार करेगा इस्राएल का, मिस्रवासियों को ताड़ना देगा।
ये अगला कदम ईश्वर के काम का आज जैसा न होगा,
देह में नहीं, देहातीत होगा।
ईश्वर के बोलते ही ये पूरा होगा।
जैसा ईश्वर ने कहा है, ये वैसे ही होगा।
उसके वचन और उनकी पूर्ति एक साथ होते हैं,
क्योंकि उसके वचन अधिकार हैं।
ये प्रकाशन है कि वो धार्मिकता का ईश्वर है;
ये प्रकाशन है कि वो स्वयं वफ़ादारी का ईश्वर है।
ये प्रकाशन है कि वो धार्मिकता का ईश्वर है;
ये प्रकाशन है कि वो स्वयं वफ़ादारी का ईश्वर है।
ईश्वर ये बातें लोगों को धरती पर कुछ सुराग देने के लिए बोलता है।
जब वो वक्त आएगा, तो वो सब व्यवस्थित कर देगा।
कुछ न करना अपनी मर्ज़ी से, वरना उसके हाथों मारे जाओगे।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 120 से रूपांतरित