243 अंत के दिनों के मसीह को अस्वीकारने के परिणाम
अंत के दिनों का मसीह लाये जीवन,
स्थायी और शाश्वत मार्ग सत्य का—
वो पथ जिससे सभी पाएँ जीवन,
जिससे ईश्वर को जानेगा इंसान,
स्वीकारा जाएगा उसके द्वारा।
1
अंत के दिनों के मसीह ने दिया जो
जीवन-मार्ग, उसे अगर न खोजो तुम,
तो कभी न मिलेगी स्वीकृति यीशु की,
न मिलेगा प्रवेश स्वर्ग में,
क्योंकि तुम हो कठपुतली, कैदी इतिहास के।
जो हैं नियमों के काबू में, इतिहास के बंधन में,
वो न पाएंगे जीवन कभी,
न पाएंगे अनंत जीवन का मार्ग;
उनके पास होगा बस गंदा पानी
जिससे चिपके हैं वे हजारों सालों से,
सिंहासन से बहने वाला जीवंत जल नहीं।
अंत के दिनों का मसीह लाये जीवन,
स्थायी और शाश्वत मार्ग सत्य का—
वो पथ जिससे सभी पाएँ जीवन,
जिससे ईश्वर को जानेगा इंसान,
स्वीकारा जाएगा उसके द्वारा।
2
जिनमें जीवन जल नहीं, वे होंगे लाश
शैतान के खिलौने और पुत्र नरक के।
तो कैसे वे देख सकें परमेश्वर को?
अगर तुम ठहरे रहो, अतीत से चिपके रहो,
जो है उसे बदलने की कोशिश न करो,
तो क्या तुम सदा ईश-विरोधी न होगे?
अंत के दिनों का मसीह लाये जीवन,
स्थायी और शाश्वत मार्ग सत्य का—
वो पथ जिससे सभी पाएँ जीवन,
जिससे ईश्वर को जानेगा इंसान,
स्वीकारा जाएगा उसके द्वारा।
3
ईश-कार्य के कदम हैं विशाल, शक्तिशाली,
जैसे उमड़ती लहरें और गरजते आसमान,
फिर भी तुम मौत का इंतज़ार करते।
तुम्हें मेमने का अनुयायी कैसे माना जा सके?
कैसे तुम कहते कि तुम्हारा ईश्वर वो है
जो सदा रहता नया, न होता कभी पुराना?
कैसे पुराने शब्द तुम्हें ला सकें नए युग में,
या ईश-कार्य खोजने और स्वर्ग
जाने में तुम्हारी अगुआई कर सकें?
वे शब्द देते सुकून पल भर का,
वे जीवनदायी सत्य नहीं, न ले जाते पूर्णता तक।
क्या ये बात चिंतन योग्य नहीं?
क्या तुम नहीं देख पाते भीतर के रहस्यों को?
क्या तुम स्वर्ग जाने का रास्ता खुद बना सकते,
कि अपने बल पर ईश्वर से मिल सको?
देखो कि अब कौन काम कर रहा,
बचा रहा अंत के दिनों में इंसान को।
वरना सत्य न पाओगे, न पाओगे जीवन कभी।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है से रूपांतरित